Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:30 PM,
#44
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
क्या वो तो आरती के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है। यह उसके पहले की शांति है। यह आरती भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये

आज भी हमेशा की तरह फैक्टरी का काम खतम करके रवि और आरती शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही
रवि- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा।

आरती- क्यों कहाँ

रवि- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे
आरती- तो

रवि- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत सोनल भी मदद कर देंगी

आरती- हाँ… पर कितने दिन के लिए

गाड़ी चलाते हुए
रवि- पता नहीं, जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा

आरती- हाँ पर जल्दी आ जाना मैं और सोनल ही है घर में अकेले।

रवि - हाँ वो तो है पर चिंता मत करो रामु और अब उसका भाई लाखा भी है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है

आरती- भी चुपचाप रवि को देखती रही

रवि- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी

आरती एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर रवि की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके
आरती- अभी शोरुम जाना नहीं है

रवि- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई आरती को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था

सीडिया चढ़ते हुए वो रवि के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे रवि और आरती को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया रवि को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे आरती पर अटक गई थी

टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था

आरती को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए रवि के पीछे-पीछे जाने लगी थी रवि ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे
रवि अंदर चला गया और आरती बाहर ही रुक गई अंदर जाने की हिम्मत नहीं हुई दरवाजा बंद होने से पहले उसे रवि की आवाज़ सुनाई दी
रवि- भोला कैसे हो

भोला- जी भैया ठीक हूँ कल छोड़ देंगे बोला है

रवि- कल क्यों आज क्यों नहीं
और दरवाजा बंद हो गया पर थोड़ी देर बाद फिर से दरवाजा खुला और
रवि- अरे आओ ना रुक क्यों गई और आरती का हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया


आरती लगभग लरखड़ाती हुई सी अंदर कमरे में चली गई डोर के साइड वाली बेड पर कोई लेटा था और उसके साइड से ही भोला का बेड भी था
आरती को देखते ही भोला उठने की कोशिश करने लगा
रवि- अरे लेटा रह उठ मत

भोला- नमस्ते मेम साहब

आरती- नमस्ते
और अपनी नजर भोला से बचा कर साइड में पड़े हुए उस आदमी की ओर देखने लगी थी वो सिकुड़ कर सोया हुआ था शायद ठंड लग रही थी कंबल ओढ़े हुए हाथ पैर सिकोडे सोया था आरती रवि के पास खड़ी हुई इधा उधर देखती हुई अपने आपको सहज करने की कोशिश में लगी थी पर जाने क्यों वो अपनी सांसों को तेज होते हुए पा रही थी यह वही राक्षस था जो उस दिन उसके सामने ही दोपहर को छत पर एक औरत के साथ ची ची क्या सोचने लगी थी वो पर एक बात तो थी आरती नजर चुरा कर भोला को एक बार देख जरूर लेती थी रवि हँस हँस कर उससे बातें कर रहा था और भोला भी इतने में बाहर से सिस्टर आई और भोला को एक इंजेक्षन लगाने लगी भोला ने अपनी बाँह बाहर निकाली और सिस्टर को उसे इंजेक्षन लगाने में कोई दिक्कत नहीं हुई आरती ने एक बार भोला को देखा जैसे उसे कोई फरक ही नहीं पड़ा था वो एकटक आरती की ओर देख रहा था आरती थोड़ा सा झेप गई थी और रवि को इशारा करने लगी पर सिस्टर की आवाज ने उसे चौका दिया
सिस्टर- सर वो आज या कल सुबह डाक्टेर साहब से मिल लीजिएगा

रवि- क्यों

सिस्टर- जी सर वो डाक्टेर साहब ने ही कहा है

रवि- हाँ… कल तो नहीं होगा अभी है क्या

सिस्टर- जी है तो

रवि- तो चलो अभी मिल लेते है (और आरती की ओर देखते हुए कहा) तुम रूको में अभी आता हूँ


जब तक आरती कुछ कहती तब तक तो वो सिस्टर के साथ बाहर हो चुका था रवि को भी बड़ी जल्दी रहती है सुन तो लेता कमरे में उसे बड़ा ही आजीब सा लग रहा था वो अब भी भोला के बेड के पास खड़ी हुई थी और उसकी ओर ना देखते हुए साइड में खिड़की की ओर देख रही थी उसे बड़ा ही अजीब सा एहसास धीरे-धीरे उसके पूरे शरीर में छाने लगा था वो बार-बार अपने हाथों से अपनी कलाईयों से लेकर बाहों तक एक हाथ से सहलाते जा रही थी कुछ परेशान भी थी भोला उसके सामने ही बेड पर लेटा हुआ था और शायद उसी की ओर ही देख रहा था पर आरती में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो भी भोला की ओर देख सके वो तो यहां से निकल जाना चाहती थी जल्दी से बस उसे रवि का ही इंतेजार था


पर रवि को गये अभी तो बस एक मिनट ही हुआ होगा और इतने देर में ही आरती के सारे शरीर में एक अजीब सी उथल पुथाल मच गई थी वो बार-बार सिहर उठ-ती थी चहरे के एक्सप्रेशन को देखकर साफ लगा रहा था बड़ी ही संभाल कर अपनी सांसें छोड़ रही है इतने में
भोला- कैसी है मेमसाहब

आरती- हाँ… ठीक हूँ हमम्म्ममम सस्स्स्शह
उसके मुख और नाक से एक अजीब सी सिसकारी भरे शब्द निकले वो नीचे भोला की ओर देखा जी कि एकटक उसकी ओर ही देख रहा था बड़े ही तरीके से और बड़े ही प्यार से

आरती- आप नाराज है हम से

आरती- नहीं क्यों

भोला- जी उस दिन

आरती- चुप रहो
उसके आवाज़ में गुस्सा था शायद बाहर भी चली जाती अगर वो कुछ ऐसा नहीं करता तो अचानक ही भोला की हथेली उसकी गोरी और नाजुक कलाई को अपनी सख्त गिरफ़्त में ले चुकी थी छुरियो के ऊपर से ही आरती का पूरा शरीर एकदम से सनसना गया था वो भोला की ओर डर के मारे देखती र्रही

आरती- छोड़ो मुझे क्या कर रहे हो पागल हो क्या
गुस्सा और बहुत ही धीरे उसके मुख से यह बात निकली वो नहीं चाहती थी कि पास में सोए हुए उस आदमी को कुछ पता चले आरती की पीठ दरवाजे की ओर थी सो एक बार अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश करती हुई उसने पलटकर भी देखा पर दरवाजा बंद था
आरती- प्लीज छोड़ो

भोला- छोड़ दूँगा मेमसाहब पहले जोर लगाना छोड़िए नहीं तो नहीं छोड़ूँगा

आरती का शरीर ढीला पड़ गया उसने जोर लगाना छोड़ दिया पर अपने दूसरे हाथों से उसकी उंगलियों को अपने कलाई से ढीलाकरने की कोशिश करती जा रही थी

आरती- प्लीज रवि आ जाएगा प्लीज

उसकी आवाज में रुआंसी होने का साफ संकेत था वो उसकी गिरफ़्त से अपने को छुड़ाने में असमर्थ थी

भोला- मेमसाहब मैंने किसी को भी नहीं बताया कि आपने ही मुझे धक्का दिया था

आरती- ठीक है पर मुझे छोड़ो नहीं तो में चिल्ला दूँगी
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:30 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,303,534 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,622 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,152,456 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,849 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,912 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,988,312 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,799,437 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,525,491 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,828,807 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,482 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)