Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:30 PM,
#46
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
उसी के समर्पण में रह गई थी अपने हाथों पर एक अजीब से एहसास के चलते वो भी अंजाने में इस खेल का हिस्सा बन चुकी थी वो अब खुद ही उसके लण्ड पर अपने हाथों को चलाने लगी थी और अपनी उखड़ती हुई सांसों को कंट्रोल भी कर रही थी उसकी आँखो के सामने उस दिन का सीन फिर से घूम गया था जब उसने भोला को उस औरत के साथ देखा था और वो अवाक रह गई थीआज वही लण्ड उसके हाथों में था और उसे भी एक नशे की स्थिति में पहुँचा रहा था अचानक ही उसे अपनी कमर के चारो तरफ भोला के हाथों के होने का एहसास हुआ जो कि धीरे धीरे उसे कसता जा रहा था और उसे बेड के और नजदीक लेता जा रहा था तब उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया और अपने हाथों को खींचने की कोशिश की पर वो अब भोला की पूरी गिरफ़्त में थी भोला ने कस कर उसे जकड़ रखा था


भोला----प्लीज मेमसाहब बस थोड़ी देर और हो गया बस मत छोड़ो उसे मेमसाहब बहुत परेशान करता है मुझे प्लीज
आरती ने एक बार आस-पास देखा और फिर से अपनी गिरफ़्त उसके लण्ड के चारो ओर धीरे धीरे कसते हुए उसके लण्ड को आगे पीछे करने लगी उसका लण्ड अब भी कंबल के नीच ही था पर उसका आकर कंबल के ऊपर से दिख रहा था बड़ा सा और कोई टेंट सा बना दिया था सीधा लेटा हुआ था भोला और अपने सीधे हाथ से आरती की कमर को जकड़े हुए वो अब धीरे-धीरे अपनी कमर को भी उच्छाल देता था आरती की उंगलियां भी अपने आप में कमाल कर रही थी उस गर्मी के अहसास को और भी नजदीक से झेलने की कोशिश में उसकी पकड़ उसके लण्ड के चारो ओर और भी सख्त होती जा रही थी और उसी अंदाज में आगे पीछे भी होती जा रही थी आरती को अचानक ही याद आया कि वो अगर पकड़ी गई तो वो एक बार भोला की ओर देखती हुई अपने को बचाने की कोशिश में जोर-जोर से भोला के लण्ड को झटकने लगी और उसके इस तरह से झटके देने से भोला का शरीर शायद अपने को और नहीं रोक पाया था उसकी गिरफ़्त अचानक ही आरती की कमर के चारो ओर बहुत ही सख़्त हो गई थी और एक हाथ उठकर उसकी चुचियों तक भी पहुँच गया था और कस कर दबाता तब तक उसके लण्ड से बहुत सारा वीर्य निकलकर आरती के हाथों को भर गया और वही अंदर कंबल में चारो ओर फेल गया भोला की गिरफ़्त अब भी ढीली नहीं हुई थी पर आरती की हालत खराब थी वो एक अजीब सी आग में जल उठी थी भोला के चुचियों को दबाते ही वो चिहुक कर उसके पास से दूर हो जाती पर उसकी गिरफ़्त के आगे वो फिर से ढीली पड़ गई और अपने हाथ को ही खींचकर बाहर निकाल पाई थी और वही कंबल में ही पोंछ लिया था उसकी साँसे बहुत ही तेज चल रही थी पर भोला तो शांत हो चुका था


भोला- शुक्रिया मेमसाहब बहुत बहुत शुक्रिया
और अपनी गिरफ़्त को छोड़ते ही दरवाजे के बाहर कोई आहट हुई और रवि और डाक्टर दोनों कमरे में घुसे।


डाक्टर- कैसी तबीयत है भोला

भोला- हान्फता हुआ जी डाक्टर साहब अब तो बिलकुल ठीक हूँ शेर से भी लड़ सकता हूँ
डाक्टर और रवि एक साथ ही हँस दिए

डाक्टर- अरे शेर से लड़ने की क्या ज़रूरत है

भोला- नहीं सर बहुत दिन हो गये है इसलिए कहीं बहुत नुकसान हो जाएगा अगर में काम पर नहीं लोटा तो

रवि---अरे अभी नहीं कुछ दिन और आराम करो फिर आना काम पर ठीक है और सुनो शायद आज ही में बाहर जा रहा हूँ कोई जरूरत हो तो मिश्रा से या फिर मेडम से बोल देना ठीक है

भोला- जी भैया आपके लिए तो जान हाजिर है और अब तो मेमसाब के लिए भी
और बड़े ही नशीले अंदाज में हँसने लगा था वहां का माहॉल कुछ खट्टा मीठा सा हो गया था पर आरती जानती थी कि भोला क्या बोल रहा था और भोला भी इशारे से अपनी बात आरती तक पहुँचाने में सफल हो गया था पर आरती तो कही और ही खोई हुई थी रवि के अचानक ही आ जाने से वो जहां पकड़े जाने के डर से भोला के पास से जल्दी से हटी थी वही अपने सांसों को नियंत्रित करने में उसे अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ी थी फिर भी रवि की नजर उसके बदले हुए तरीके पर पड़ ही गई थी

रवि- क्या हुआ बहुत घबराई हुई हो

आरती- जी नहीं वो सांस फूल रही है

रवि- क्यों

आरती-- वो स्मेल यहां की

रवि--अरे यार हास्पिटल में ऐसा ही स्मेल आता है अब चलो
और आरती को लिए बाहर की ओर चल दिया डाक्टर भी उनके साथ ही बाहर की ओर चल दिया जाते जाते भोला तो आरती की ओर देखता रहा पर आरती की हिम्मत नहीं हुई।
रवि- भोला आज अगर छूट गये तो एक बार फोन करदेना ठीक है

भोला- जी भैया आप आज जा रहे हो

रवि--- पता नहीं धरम पल जी क्या कहते है

भोला- मुझे भी चलना था क्या

रवि- नहीं यार अभी नहीं अभी तो तू यही रह देखता हूँ पहली बार होकर आता हूँ फिर

भोला- जी भैया आप हुकुम करना में हाजिर हो जाऊँगा

रवि- हाँ… ठीक है और सुन छूटने के बाद मंदिर वाले घर पर ही जाना यहां साइट वाले कमरे में नहीं जाना

भोला- क्यों

रवि- अरे मंदिर वाले घर के आस-पास बहुत लोग है और पंडितजी भी है तेरा खयाल रखेंगे साइट वाले कमरे में अकेला पड़ा रहेगा इसलिए

भोला- नहीं भैया में तो साइट वाली कमरे में ही रहूँगा कम से कम थोड़ा बहुत देखता तो रहूँगा नहीं तो यहां मंदिर वाले घर में खाली भजन सुनते सुनते पागल हो जाऊँगा

रवि- क्या यार थोड़े दिन आराम कर लेता ठीक है पर ध्यान रखना और ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होना

भोला- ठीक है भैया

रवि डोर बंद करके बाहर आ गया डाक्टर और आरती बाहर ही खड़े थे उसी का इंतजार करते डाक्टर से हाथ मिलाकर वो बाहर अपनी गाड़ी की ओर चल दिए

आरती अब भी अपने को कंट्रोल करने में असफल थी उसकी हालत बहुत खराब थी उसके शरीर में एक भयानक सी आग लगी हुई थी जो कि उसे अपने आप में ही जला रही थी गाड़ी में बैठते ही
आरती- आप क्या आज ही बाहर जा रहे है

रवि- पता नहीं धरमपाल जी का कोई फोन तो अब तक नहीं आया वही बताने वाले थे क्यों

आरती- आज मत जाना, और अपने हाथों से पास बैठे रवि के कंधे को सहलाने लगी थी रवि भी मुस्कुराते हुए
रवि- क्यों मिस करोगी क्या

आरती- (एक बहुत ही मधुर मुश्कान अपने होंठों में लिए ) हाँ…

रवि- तो अभी घर चले

आरती- हाँ… चलिए

रवि- क्या बात है यार तुम तो कमाल की हो

आरती- कमाल की क्या अपने पति को ही कह रही हूँ

रवि- हाँ… छोड़ो अभी तो शोरुम चलते है जल्दी निकल चलेंगे ठीक

आरती- हाँ…
और आरती अपनी जाँघो को अचानक ही बहुत जोर से आपस में भिच अकर बैठ गई जब से भोला के लण्ड की गर्माहट उसके शरीर में पहुँची थी वो एक भूखी शेरनी हो गई थी उसे अब अपने पति के साथ थोड़ी देर के लिए अकेला पन चाहिए ही था

वो अपने मन की इच्छा को एक उसके साथ ही पूरा कर सकती थी और वो भी बिना किसी रोकटोक के पर उसे यह भी पता था कि वो अभी पासिबल नहीं है अगर शोरुम नहीं जाते तो यह पॉसीबल था पर अभी आरती क्या करे रात का इंतेजार उूुउउफफफफ्फ़ तब तक तो वो पागल हो जाएगी पर कोई चारा नहीं था उसे इंतेजार करना ही था इसके अलावा कोई रास्ता उसे तो नहीं सूझ रहा था वो शोरुम में भी आ गई और रवि अपने काम में लग गया और वो भी पर आरती तो रह रहकर अपने शरीर में एक सनसनाहट सी महसूस करती रही बार-बार बाथरूम में भी हो आई पर उसकी उत्तेजना में कोई कमी नहीं आई थी उसे रह रहकर भोला की आखें याद आ रही थी किस तरह से उसकी तरफ खा जाने वाली नजर से देख रहा था किस तरह से वो बिना किसी डर के आरती के हाथों को अपने लण्ड तक पहुँचा दिया था और उसे मजबूर कर दिया था कि आओ उसके साथ उसी खेल में शामिल हो जाए और तो और वो भी कुछ नहीं कह या कर पाई थी तब बिना कुछ बोले और बिना कुछ कहे ही वो भी अंजाने में उस खेल में शामिल हो गई थी क्यों नहीं उसने मना किया या फिर खींचकर एक चाँटा मारती या फिर जोर से चीख कर सभी को बुला लेती

पर कहाँ वो तो बल्कि उसका साथ देने लगी थी उसके लण्ड को सहलाते हुए उसे सुख का एहसास देने की कोशिश करती जा रही थी और तब भी जब भोला ने अपने हाथों को उसके कमर के चारो ओर घेर लिया था तो भी वो उसके लण्ड को अपने हाथों से सहलाते जा रही थी क्यों आखिर क्यों किया उसने वो तो अब सबकुछ भूलकर फिर से पूरानी आरती बनना चाहती थी सिर्फ़ पति और घर की। पर आज जो कुछ हुआ क्या उसे एक इतने बड़े घर की बहू को शोभा देता है अगर कोई देख लेता तो
और अगर किसी को पता चल जाता तो वो तो अच्छा हुआ कि रवि और डाक्टर आते हुए बाहर थोड़ी देर के लिए रुक कर हँसते हुए अंदर आए थे अगर एक झटके से दरवाजा खोलकर अंदर आ जाते तो तो क्या होता सोचते सोचते आरती की हालत खराब हो गई थी पशीना पशीना हो गई थी रवि और सोनल अपने काम में लगे हुए थे उसकी ओर ध्यान नहीं था पर आरती के पसीना पसीना होने के पीछे जो भी कारण था वो वो खुद भी नहीं जानती थी शायद डर के मारे या फिर सेक्स के उतावले पन की खातिर कुछ भी हो आरती की हालत ठीक नहीं थी उसे रवि के साथ थोड़ी देर का अकेला पन चाहिए ही था
वो एकदम से
आरती- सुनिए आज थोड़ा जल्दी चलिए ना

रवि- कहाँ
आरती-- यहां से
रवि जो कि अभी तक अपने काम में इतना उलझा हुआ था कि गाड़ी में हुई छेड़ छाड़ को बिल्कुल भूल चुका था और एक अजीब से तरीके से आरती की ओर देखता हुआ बोला
रवि- पर जाना कहाँ है
आरती- (सोनल की ओर देखते हुए और थोड़ी आवाज को मंदा करते हुए ) घर और कहाँ अपने तो कहा था अभी गाड़ी में
रवि- (मुस्कुराते हुए सोनल की ओर देखता हुआ जो कि अपने काम में व्यस्त थे एक आँख आरती को मारकर ) कहो तो यही कर लेते है

आरती- धत्त जल्दी कीजिए ना प्लीज

रवि- हाँ… 5 30 बजे तक चले घर फिर डिनर पर भी चलते है
अब तो आरती के पास और कोई चारा नहीं था सो वही बैठकर इंतजार करने के सिवा टाइम निकलता जा रहा था आरती की जिंदगी का यह पहला टाइम था जब वो इतनी उत्तेजित थी और वो कुछ नहीं कर पा रही थी आज उसकी चुत, मे जो हलचल मची हुई थी वो उसके जीवन में कभी नहीं हुई थी आज पहली बार उसे पता चल रहा था कि तन की अग्नि में जलना क्या होता है पहले भी उसके साथ ऐसा हुआ था पर तब या तो रामू या फिर मनोज अंकल ने उसकी आग भुजाई थी और फिर उसका पति तो था ही


पर आज की स्थिति कुछ और थी वो यहां शोरुम मेबैठी हुई अपने पति के फ्री होने का इंतजार कर रही थी और उसके पास कोई चारा नहीं था।
रवि और सोनल लगातार अपने काम में व्यस्त थे किसी से फोन पर किसी से पर्सनलि या फिर किसी को इंटरेक्षन देते हुए या फिर किसी को इंटरकम पर कुछ बताने में इतने में रवि को थोड़ा सा सचेत देखकर आरती का ध्यान उनके फोन पर गया
रवि- जी सेठ जी आप ही के फोन का इंतजार कर रहा था कहिए
शायद धरम पाल जी का फोन था
रवि- जी अरे वाह सर यह तो बहुत बढ़िया खबर है हाँ… हाँ… कोई बात नहीं में चला जाऊँगा अरे सर आप भी हाँ… हाँ… सेठ जी आपकल आ जाना
और फोन काट कर, आरती की ओर देखा

आरती- क्या हुआ

रवि- वो धरमपल जी की लड़की को बेटा हुआ है वो देल्ही जा रहे है

आरती- तो

रवि- (आरती की ओर देखता हुआ ) वो मुझे ही जाना होगा धरम पाल जी कल शाम तक पहुँचेंगे सुबह की मीटिंग मुझे ही आटेंड करना है

आरती- हष्षधध
गुस्से से पागल आरती रवि की ओर एकटक देखती ही रह गई सोनल अगर वहां नहीं होती तो शायद टेबल पर जो कुछ भी पड़ा मिलता उसे उठाकर जम कर रवि के मुँह पर मारती पर यहां स्थिति कुछ और थी वो कुछ नहीं कर सकती थी सिवाए खामोश रहने के

वो रवि को घूरते हुए
आरती- कब जाना है

रवि- 7 30 बजे की फ्लाइट है चलो निकलते है तुम्हें घर छोड़ दूँगा। फिर एयरपोर्ट के लिए निकलना है।
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:30 PM

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