Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:31 PM,
#50
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
लाखा- रामु यहां से चल कमरे में बहू के ले चलते है
और अचानक ही आरती के होंठों को अपने होंठों में सिले हुए वो एक झटके में रामु काका की बाहों में हवा में उठ गई वो अब रामु काका के दोनों हाथों के सहारे थी और किसी मरे हुए शरीर की तरह वो उसे अपनी गोद में उठाए हुए उसके होंठों को चूमते हुए सीढ़िया चढ़ रहे थे आरती अपने अगले राउंड के लिए फिर से तैयार थी उसे आज कोई आपत्ति नहीं थी वो आज शायद एक पूरी फूटबाल टीम को भी खुश कर सकती थी वो अपनी बाहों को कस कर रामु काका के गले के चारो ओर घेर कर अपने होंठों को और भी उनके होंठों के अंदर की ओर घुसाती जा रही थी साथ में चल रहे लाखा काका भी कभी-कभी उसके गोल गोल नितंबों को सहलाते हुए उनके साथ ही ऊपर चढ़ रहे थे। आरती दोनों के हाथों का खिलोना थी।
आज एक-एक बार उससे खेलने के बाद दोनों ही अपने अंदर के उत्साह को दबा नहीं पा रहे थे और जैसा मन हो रहा था वो वैसा ही उसके साथ करते जा रहे थे थोड़ी देर सीढ़िया चढ़ने के बाद एकदम से रामु काका रुक गये और आरती को लाखा काका के हाथों में सौंप दिया अब आरती लाखा काका की गोद में थी और वो फिर से सीडीयाँ चढ़ने लगे थे अब आरती के होंठ लाखा काका के सुपुर्द थे और वो आरती को गोद में लिए अपने बाहों को आरती के चारो ओर कसे हुए धीरे-धीरे ऊपर चढ़ते हुए उसके होंठ का रस्स पान करते जा रहे थे आरती को कभी-कभी रामु काका के हाथों का स्पर्श भी होता था जाँघो में या फिर टांगों में या फिर अपने नितंबों में पर उसे कोई आपत्ति नहीं थी वो थी ही उनके लिए आज वो उसके खेलने का समान थी जी भर के खेलने का


और वो पूरा साथ दे रही थी अचानक ही वो अपने आपको एक नरम से बिस्तर पर टिकते हुए पाया यानी कि वो अब अपने कमरे में पहुँच गई है और दोनों को अपने दोनों ओर पाया एक के बाद एक उसके होंठों को अपने लिए छीनते जा रहे थे और अपने लार से उसके मुख के अंदर तक भिगाते जा रहे थे उनके हाथ उसके शरीर में जहां तहाँ भाग रहे थे चुचियों से लेकर जाँघो तक और टांगों तक पर आरती को कोई चिंता नहीं थी वो जानती थी कि आज कितनी भी कोशिश करे वो आज अपनी कामग्नी को शांत करके ही मानेगी आज के बाद वो कभी भी आज की स्थिति को नहीं दोहराएगी वो अपने शरीर की भूख के आगे झुक गई थी वो जानती थी कि वो अब रवि के आलवा भी उसे कोई ना कोई चाहिए जो हमेशा ही उसे शांत कर सके चाहे वो रामु हो या लाखा या फिर भोला हाँ… भोला क्यों नहीं वो ही तो आज का कल्प्रिट है उसी की वजह से ही तो आज वो इस स्थिति में पहुँची थी उसके दिमाग में जैसे ही भोला का ख्याल आया वो और भी उत्तेजित हो उठी उसकी चुत में एक अजीब सी गुड गुडी होने लगी चाहे वो इन दोनों की हरकत की वजह से हो या फिर भोला के बारे में सोचने की वजह से हो पर वो फिर से पागल सी होने लगी थी वो अपनी जाँघो को जोड़े रखना चाहती थी पर रामु और लाखा बार-बार उसे अपनी जाँघो को खोलकर अपनी जीब को उसकी दोनों जाँघो को चूमते हुए और चाट-ते हुए उसके ऊपर से नीचे तक चले जा रहे थे इतने में
आरती- प्लीज़ छोड़ो मुझे बाथरूम जनाअ हाईईइ
रामु तो रुक गया पर लाखा नहीं वो आरती के होंठों को कस कर अपने मुख में दबाए हुए झट से उसे अपनी बाहों में भर लिया
रामु- छोड़ बहू को कहीं भागी नही जा रही है बाथरूम से हो आने दे।
पर लाखा के दिमाग में कुछ और ही था वो झट से आरती को अपनी गोद में फिर से उठा लिया और धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया और बाथरूम के डोर को खोलकर उसे पॉट पर बिठा दिया वैसे ही नंगी
लाखा- करले बहू आज नहीं छोड़ूँगा एक मींनट के लिए भी नहीं और खुद भी नंगा उसके सामने खड़ा हुआ अपने लण्ड को उसके चहरे पर अपने हाथों से मारने लगा था आरती जिंदगी में पहली बार किसी इंसान के सामने वैसे पॉट पर बैठी थी शायद जिंदगी में अपने पति के सामने भी वो यह नहीं कर पाई थी पर लाखा के सामने वो एक असहाय नारी की तरह पॉट पर बैठी हुई उसके लण्ड को अपने चहरे पर घिसते हुए देख रही थी तभी बाथरूम के दरवाजे पर रामु भी नजर आया और वो भी अंदर आ गया वो भी अपने हथियार को अपने हाथों से सहलाते हुए आरती की ओर देखते हुए अंदर आते जा रहा था आरती से और नहीं रोका गया और वो पॉट पर बैठी बैठी पिशाब करने लगी दोनों के सामने लाखा काका ने जैसे ही आवाज सुनी तो वो थोड़ा सा मुस्कुराए और थोड़ा सा आगे बढ़ कर अपने लण्ड को आरती के चेहरे पर घिसते हुए उसके होंठों से घिसने लगे थे आरती जानती थी कि क्या करना है उसने भी कोई आना कानी नहीं की और अपने गिलाबी होंठों के अंदर उस बड़े से लण्ड को ले लिया और धीरे-धीरे अपने जीब से उसे चाटने लगी थी लण्ड बहुत सख़्त नहीं था थोड़ा सा ढीला था पर आकृति वैसे ही थी मोटा सा और काला सा तभी उसे अपने गालों के पास एक और लण्ड आके टकराया वो रामु काका का लण्ड था वो अपने होंठों को लाखा काका के लण्ड से अलग करके रामु काका के लण्ड पर झुक गई और एक हाथ में लाखा काका के लण्ड को घिसते हुए दूसरे हाथ से रामु काका के लण्ड को पकड़कर अपने मुख के अंदर डाल लिया वो भी थोड़ा सा ढीला था पर उसके हाथों में आते ही जैसे जादू हो गया था वो धीरे धीरे अपने आकार में आने लगा था एक हाथ में लाखा काका का लण्ड और दूसरे में हाथों में रामु काका का लण्ड लिए वो चूस रही थी और पॉट के ऊपर बैठी हुई वो यह सब करती जा रही थी
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