Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:34 PM,
#60
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो पागलो की तरह से अपने आपको रामु काका की ओर धकेलती हुई और अपने को उनपर घिसती हुई उनपर गिरी जा रही थी और रामु के के चारो ओर किसी बेल की तरह से लिमटी हुई थी वो अपने टांगों को उठाकर भी रामु की कमर के चारो ओर से उसे कसने की कोशिश करती जा रही थी अब उसके शरीर पर सिर्फ़ एक वाइट कलर की लेस वाली पैंटी ही थी पर उसे कोई चिंता नहीं थी इस घर की बहू सीढ़ियो पर अपने नौकर के साथ रात को अपने शरीर की आग को ठंडा करने की कोशिश में थी उसे कोई चिंता नहीं थी थी तो बस अपने शरीर की जला देने वाली उस आग की जो उसे हर पल अपने आपसे अलग करने की कोशिश करती थी वो परेशान हो चुकी थी अपने से लड़ते हुए और अपने पति के अनदेखे पन से वो अब फ्री है और वो अब अपने को नहीं रोकना चाहती थी इसलिए भी आज वो अपनी उत्तेजना को छुपाना नहीं चाहती थी बल्कि खुलकर रामु काका का साथ दे रही थी जैसे अपने पति का साथ देती थी आज उसे कोई डर नहीं था और ना ही फिकर आज वो सब करेगी जो वो करना चाहती है और अपने आपको नहीं तड़पाएगी हाँ… अब और नहीं,बहुत हो चुका है इसी सोच में डूबी आरती कब रामु काका की गोद में चढ़कर आगे की ओर बढ़ने लगी थी उसे नहीं पता चला वो तो अपनी दोनों जाँघो को रामु की कमर के चारो ओर कस के जकड़े हुए अपनी चुत को उसके लण्ड के पास ले जाने की कोशिश में लगी हुई थी उसे पता ही नहीं चला कि कब रामु की गोद में चढ़े हुए वो उसके कमरे में पहुँच गई वो तो लगातार रामु को उत्तेजित करने में लगी थी कि जैसे भी हो उसका लण्ड उसे छू जाए और वो हासिल कर सके पर एक आवाज ने उसे वर्तमान में ले आया पीछे से एक आवाज
- अरे
और फिर दो हाथों ने उसे पीछे से भी सहलाना शुरू कर दिया आरती समझ गई थी कि वो लाखा काका है और उसे इस तरह से देखकर उनके मुख से निकला होगा पर वो तो जैसे सबकुछ भूल चुकी थी वो लगातार रामू काका के होंठों पर टूटी हुई थी और अपनी कमर को उसके पेट पर रगड़ रही थी पर एक जोड़ी हाथों के जुड़ने से उसकी मनोस्थिति कुछ और भी भड़क उठी थी वो हाथ उसके पीठ से लेकर उसके नितंबों तक जाते थे और फिर जाँघो को सहलाते हुए फिर से ऊपर की ओर उठने लगते थे अब तो होंठ भी जुड़ गये थे पीछे से और जहां जहां वो होंठों को ले जाते थे गीलाकरते हुए ऊपर या नीचे की ओर होते जाते थे आरती की कमर से धीरे-धीरे पैंटी का नीचे सरकना भी शुरू हो गया था वो अपने को रामू काका के गोद से आजाद करते हुए पीछे के हाथों को आजादी दे चुकी थी और फिर एकदम से वो रामू काका के होंठों को छोड़ कर अपने होंठों को पीछे की ओर ले गई थी शायद सांसों को छोड़ने के लिए पर दोनों के बीच में फासी हुई आरती के होंठों को पीछे से लाखा काका ने दबुच लिया और अपने होंठों से जोड़ लिया था आरती की सांसें भी लाखा काका के अंदर ही छूटती चली गई थी और पूरा शरीर किसी धनुष की भाँति पीछे की ओर होता चला गया था लाखा काका के चुबलने से और रामु काका के हाथों के सहलाने से वो अब अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रही थी
आरती- करो प्लीज जल्दी करो

रामू और लाखा को जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दिया था वो अपने काम में लगे हुए थे उस हसीना के शरीर के हर हिस्से को अपने हाथों और होंठों से छूते हुए बिना किसी रोकटोक के बिंदास घूम रहे थे आज का खेल उनके लिए बड़ा ही अजीब था वो इस घर की बहू अपने अंदाज में आ गई थी और जल्दी से अपने शरीर की आग से छुटकारा पाना चाहती थी आरती का एक हाथ लाखा काका को पीछे से अपने ओर खींचे हुए था और एक हाथ से वो रामु काका की गर्दन के चारो ओर किए उन्हें भी खींच रही थी शरीर के हर हिस्से पर उनके हाथों और चुभन के चलते वो अब और नहीं रुक पा रही थी लगातार वो अपने मुख से एक ही आवाज सिसकारी के रूप में निकालती जा रही थी
आरती- करो प्लीज जल्दी करूऊऊऊ उूुुउउफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआह्ह
पर दोनों मूक बने हुए थे पर कब तक आज उस शेरनी के सामने सबकुछ बेकार था एक ही झटके में लाखा काका और रामु काका के सिर के बाल उसकी नरम नरम हथेलियो के बीच में थे और लगातार खींचते हुए वो उन्हें अपने होंठों के पास लाती जा रही थी और लगातार रुआंसी सी उसके मुख से आवाज निकलती जा रही थी
आरती- करो ना प्लीज जल्दी करो नाआआआआ
और एक ही धक्के में रामु थोड़ा सा पीछे की ओर क्या हुआ आरती ने पलटकर अपनी बाँहे लाखा काका की गर्दन के चारो ओर कस लिया और बिना किसी चेतावनी के ही अपने हाथों से उनकी लूँगी को खींचने लगी थी लाखा को जैसे करेंट लग गया था उसने आरती को इतना उत्तेजित नहीं देखा था पर खुशी थी कि आज मजा आ जाएगा (एक नौकर का मान) बिना किसी अड़चन के लाखा काका की लूँगी एक ही झटके में नीचे थी उन्होने बड़ा सा अंडरवेर पहेना था वो पर उसका लण्ड उसमें से बाहर आने को लगातार झटके ले रहा था बिना कोई शरम के आरती की हथेलिया उसके लण्ड के चारो ओर कस्स गई थी और पीछे खड़े हुए रामु काका की कमर के चारो ओर भी । रामु तब तक अपने कपड़ों से आजाद हो चुका था और जैसे ही वो आरती के पास खिचा थाउसके लण्ड ने आरती के नरम और नाजुक नितंबो को स्पर्श किया तो जैसे आरती का भाग्य ही खुल गया था वो फिर से पलटी और रामु काका के होंठों से जुड़ गई और अपनी एक जाँघ को उसकी कमर पर फँसा दिया उसका एक हाथ अब भी लाखा काका के लण्ड को उसके अंडरवेर के ऊपर से कस कर पकड़ रहा था और एक हाथ से रामु काका की गर्दन को खींचकर अपने होंठों से जोड़े रखा था पर रामु काका तो फिर से उसके होंठों का रस्स पान करने में व्यस्त हो गये थे पर आरती को तो कुछ और ही चाहिए था वो फिर से अपनी जाँघ को नीचे करती हुई थोड़ा सा पीछे हटी और अपने दूसरे हाथ से रामु काका के लण्ड को भी कस्स कर अपनी हथेली में पकड़ लिया था उधर लाखा तब तक अपने अंडरवेर से आजाद हो चुका था पर आरती की गिरफ़्त में उसके लण्ड के होने से वो उसे उतार नहीं पाया था उसकी हथेली ने जैसे ही आरती की हथेली को छुआ तो आरती का ध्यान उसकी ओर गया और फिर नीचे की ओर बालों के गुच्छे को देखकर उसने अपनी हथेलियो की गिरफ़्त को ढीला छोड़ा और तुरत ही वापस कस्स कर उस लण्ड को अपने हाथों में जकड़ लिया जैसे कि वो नहीं चाहती थी कि वो उसके हाथों से जाए अब वो दोनों के बीच में आगे पीछे की ओर होकर अपने को अडजस्ट करती हुई खड़ी हो गई और, अपनी हथेली को कस कर जकड़ी हुई सी उन लनडो को अपने नितंबो पर और अपने पेट और उसके नीचे की ओर ले जाने की कोशिश करने लगी थी रामु और लाखा दोनों आरती के इस रूप से थोड़े से अचंभित तो थे पर उनकी हालत भी अब खराब होने लगी थी उनकी उत्तेजना के सामने आरती की उत्तेजना कही ज्यादा ही थी आरती की पकड़ के सामने वो दो जैसे मजबूर थे पर जो अहसास उसके शरीर को छूने में और उसकी नरम हथेलियो से उन्हें मिल रहा था वो एक स्वर्गीय एहसास था
आरती की आवाज अब थोड़ा सा वहशी सी हो गई थी
आरती- काका चोदो आ अब नहीं तो तोड़ दूँगी आआआआअह्ह प्लीज ईईईईईईईईईई
रामु जैसे सपना देख रहा था वो कुछ करता पर इससे पहले ही वो आरती के धकेलने से नीचे गिर पड़ा और आरती उसके ऊपर
आरती- करो चाचा नहीं तो मार डालूंगी सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह करूऊऊऊऊऊऊऊऊओ
और पता नहीं कहाँ से आरती के अंदर इतना दम आ गया था कि रामु के बैठते ही वो खुद भी एक झटके से उसके मुख के सामने खड़ी हो गई थी और एक झटके में उसके सिर के बालों को कस कर पकड़ते हुए अपनी चुत के पास लेआई थी अब रामु की नाक उसके पेट के नीचे की ओर थी और रामु के सामने एक ही रास्ता था कि वो अपनी जीब को निकाल कर आरती की चुत को संतुष्ट करे और उन्होंने किया भी वो अपने सामने आरती की उत्तेजना को देख सकता था वो जिस तरह से गुर्राती हुई सी सांसें ले रही थी और एक वहशी सी आवाज से बोल रही थी उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि आरती की हालत क्या थी आरती की हथेली में अब भी लाखा काका का लण्ड मजबूती से कसा हुआ था और वो खड़े-खड़े आरती को रामू को धकेलते हुए और उसके चेहरे के पास इस तरह से जाते हुए भी देख रहे थे वो भी अचंभित थे कि आज आरती को क्या हो गया था आज वो इतना कामुक क्यों है पर उसे क्या वो तो जकड़ना चाहता था उसके साथ उसका तो पूरा समर्थन था ही सो वो भी थोड़ा सा मुस्कुराता हुआ आरती को अपनी जाँघो को खोलकर रामु के चहरे पर धकेलते और उसके बालों को खींचकर अपनी चुत से मिलाते हुए देख रहा था आरती के धक्के से और खींचने से रामू का चेहरा आरती की जाँघो के बीच में गुम हो गया था और लाखा काका किसी कुत्ते की तरह से अपने लण्ड को खीचे जाने से आरती की ओर ही बढ़ गये थे पर आरती की उतेजना को आज शांत करना इतना सहज नहीं था वो रामु काका को खींचते हुए और अपनी जाँघो को खोलकर उन्हें लगातार धकेलते हुए नीचे गिरा चुकी थी और अपने चुत को उनके चहरे पर लगातार घिसती जा रही थी रामु भी अपने आपको बचाने में असमर्थ था और अपनी जीब से आरती की चुत को लगातार चाटता हुआ अपने जीब को उसके चुत के अंदर और अंदर घुसाने की कोशिश करता जा रहा था उसके इस हरकत से आरती के अंदर का ज्वार अब दोगुनी तेजी से बढ़ने लगा था और पास खड़े हुए लाखा काका के लण्ड को भी अब वो खींचते हुए अपने चेहरे पर मलने लगी थी उसकी कामुक आवाज एक बार फिर निकली
आरती-- आआया इधार सस्शह आयो सस्शह
हाँफती हुई सी वो लाखा काका के लण्ड को धीरे से अपने होंठों के अंदर ले जाकर बड़े ही प्यार से एक बार चुबलने के बाद ऊपर लाखा काका की ओर बड़ी ही कामुक दृष्टि से देखा लाखा तो जैसे पागल ही हो गया था हर एक टच जो उसके लण्ड पर हो रहा था वो अपने आपको नहीं रोक पा रहा था और थोड़ा सा और आगे की ओर होता हुआ अपनी हथेलियो को आरती के सिर पर रखता हुआ उसे ऑर पास खीचने लगा था आरती- हाथ हटाओ काका प्लीज हाथ हटाओ सिर सीईईईई लाखा की जान निकल गई थी। आरती की भारी और भयानक सी आवाज सुन के वो नीचे की ओर देख रहा था और आरती को अपने लण्ड से खेलते हुए देखा। आरती भी अपने मुख को खोलकर उसके लण्ड को अंदर ले जाती और कभी उसे बाहर निकाल कर अपने जीब से चाट-ती और कभी , होंठों को जोड़ कर अपने हाथों में लिए उस लण्ड को बड़े ही प्यार से चूमती हर एक हरकत लाखा के लिए जान लेवा थी लाखा अपनी कमर को आगे किए हुए और अपने दोनों हाथों को अपने नितंबो पर रखे हुए आरती की हर हरकतों को देखता जा रहा था और अपने आपको तेजी से दौड़ता हुआ अपने शिखर की ओर बढ़ता जा रहा था और नीचे रामु तो जैसे अपने आपको बचाने की कोशिश छोड़ कर अपने को आरती के सुपुर्द ही कर दिया था वो अपने हाथों को आरती के नितंबो से होता हुआ उसकी कमर को कस्स कर पकड़ रखा था और अपनी जीब को लगातार उसकी चुत में चलाता जा रहा था वो जानता था कि आरती किसी भी क्षण झड जाएगी पर वो अपने काम में लगा रहा उसके चहरे पर आरती की चुत अब भयानक रफ़्तार के साथ आगे पीछे हो रही थी और धीरे-धीरे उसके अंदर से एक धार सी निकलने लगी थी और आरती के शरीर का हर हिस्सा जिस आग में झुलस रहा था वो एक बार फिर से उसके चुत की ओर जाते हुए लग रहा था वो अपने होंठों को जोड़े हुए लाखा काका के लण्ड को चूसती जा रही थी और अपनी कमर को हिलाते हुए कभी-कभी ज़ोर का झटका देती थी रामु का चहरा उस झटके में पूरा का पूरा ढँक जाया करता था पर आरती के मुख से निकले वाली सिसकारी और आहों की आवाजो के बीच में यह खेल अब अपने चरम पर पहुँच चुका था लाखा भी और आरती भी। नहीं तो सिर्फ़ रामु जिसका की लण्ड अब तक खंबे की तरह खड़ा हुआ अपने आपको सलामी दे रहा था
आरती- और जोर से काका करो प्लेआस्ीईईईईई और जोर से
और अपने मुख में लिए लाखा काका के लण्ड को उसी अंदाज में चुस्ती रही और एक पिचकारी सी उसके मुख के अंदर उतर गई

उूुउऊह्ह करते हुए उसने अपने मुख को उसके लण्ड से हठाया पर छोड़ा नहीं कस्स कर पकड़े हुए लगातार अपनी हथेलियो से उसके लण्ड को झटक रही थी और ऊपर खड़े हुए लाखा काका की ओर देखती हुई मदहोशी सी आखें बंद किए हुए अपने आपको रेस्ट करने लगी थी वो भी झड चुकी थी पर हटी नहीं थी अब भी वो अपनी कमर को झटके देकर अपने आखिरी ड्रॉप को रामु काका के मुख में डालने की कोशिश करती जा रही थी लाखा थक कर खड़ा था उसने ही धीरे से आरती के हाथों से अपने लण्ड को छुड़ाया था और हान्फता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए घिसक गया और धम्म से नीचे नंगा ही बैठ गया था रामु काका अब भी आरती की जाँघो की गिरफ़्त में थे और लाखा काका के छूटने के बाद आरती ध्यान रामु काका पर गया था वो अपने जाँघो को खोलकर धीरे से पीछे की ओर हटी थी और एकटक नीचे पड़े हुए रामु चाचा की ओर सर्द सी आखों से देखती जा रही थी काका हान्फता हुआ अपने चहरे को पोंछ रहा था और एकटक आरती की ओर ही देख रहा था आरती हाफ तो रही थी पर एक नजर जब रामु काका के खड़े और सख़्त लण्ड पर पड़ी तो जैसे वो फिर से उत्तेजित हो गई थी झट से वो रामु काका के ऊपर कूद गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था एक टाँग को ऊपर करते हुए वो उनपर सवार हो चुकी थी उसकी चुत में अब भी गर्मी थी और अब वो और भी करना चाहती थी जैसे ही वो रामु काका के ऊपर सवार हुई अपनी चूची को रामु काका के होंठों पर घिसने लगी थी रामु भी अपने होंठों को खोलकर उसे चूसने लगा था वो अपनी जीब को और अपने होंठों को कसे हुए फिर से एक बार अपनी प्यारी बहू को अपने आगोश में लेने के लिया लालायित था उस सुंदर तन को उस सुंदर काया को और नरम और मखमली चीज को वो फिर से अपने शरीर के पास रखने को लालायित था अपने होंठों से से कसे हुए रामु उसकी चूचियां धीरे-धीरे चूसता जा रहा था और अपनी कमर को उसकी चुत की ओर धकेलता जा रहा था पर उसे ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ी क्योंकी आरती की एक नरम सी हथेली ने और उसकी पतली और नरम उंगलियों ने एक सहारा दिया था उसके लण्ड को और वो झट से अपने रास्ते पर दौड़ पड़ा था एक ही झटके में वो अंदर और अंदर समाता चला गया था और आरती ने जैसे ही अपने अंदर उस गरम सी सलाख को जाते हुए पाया एक लंबी सी आह उसके मुख से निकली और वो एकदम सीधी बैठ गई और जम कर झटके देने लगी थी वो अपने अंदर तक उस लण्ड के एहसास को ले जाना चाहती थी और रामु तो जैसे उस हरकत के लिए तैयार ही नहीं था आज तक उसके लण्ड को इस तरह से किसी ने नहीं निचोड़ा था जिस तरीके से आरती कर रही थी वो अपने को उसके ऊपर रखे हुए अपनी चुत को अंदर से सिकोड़ती जा रही थी और अपनी जाँघो के दबाब से उसके लण्ड को जैसे चूस रही हो वो हर झटके में अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाती पर गिरती ज्यादा थी ताकि उस लण्ड का कोई भी हिस्सा बाहर ना रह जाए और जैसे ही वो पूरा का पूरा अंदर चला गया वो एक बार फिर से रामु काका के ऊपर लेट गई और अपने होंठों को उनके होंठों पर रखे हुए उन्हें चूसने लगी पर अचानक ही वो
पूरा का पूरा अंदर चला गया वो एक बार फिर से रामु के ऊपर लेट गई और अपने होंठों को उनके होंठों पर रखे हुए उन्हें चूसने लगी पर अचानक ही वो अपनी जाँघो को रामु के दोनों ओर से खिसका कर सीधा कर लिया और उसके लण्ड को अपनी जाँघो में कस लिया
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:34 PM

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