Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:34 PM,
#63
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो ऋषि से सट कर लेट गई थी उसकी साड़ी उसकी चूची के ऊपर से हट गई थी और वो एकदम से बाहर की ओर देखने लगी थी ऋषि की हथेली अब धीरे-धीरे उसके गालों से लेकर उसके गले तक और फिर उसके सीने की ओर बढ़ रही थी आरती की सांसो से साफ पता चल रहा था कि अब वो किसी भी कंडीशन में रुकने वाली नहीं थी उसे जो चाहिए था पता नहीं वो उसे मिलेगा कि नहीं पर हाँ… वो ऋषि की हरकतों को तो मना नहीं कर सकती थी अब
ऋषि की हथेली अब उसके गले और ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को छूती जा रही थी और उसके होंठों से निकले शब्द आरती के कानों तक पहुँच रहे थे
ऋषि- कितनी साफ्ट स्किन है भाभी आपकी आअह्ह, कितनी साफ्ट हूँ आप और कितनी कोमल हो
उसका हाथ अब आरती के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को छू रहा था उसका हाथ ना तो उसकी चुचियों को दबा रहा था और नहीं उसे पिंच कर रहा था
जो उतावला पन आज तक आरती ने अपने जीवन में सहा था हर मर्द के साथ वो कुछ भी नहीं बस ऋषि के हाथ उसके आकार और गोलाइओ को नापने का काम भर कर रहे थे बड़े ही कोमल तरीके से और बड़े ही नजाकत से कोई जल्दी नहीं थी उसे जैसे उसे पता था कि आरती उसके पास से कही नहीं जा सकती या फिर कुछ और

आरती- अया उूउउंम्म क्या कर रह अहैइ उउउम्म्म्म
पर रोकने की कोई कोशिश नहीं हाँ… बल्कि अपने को और उसके पास धकेल जरूर दिया था
ऋषि- कुछ नहीं भाभी बस देख रहा था कि आपकी चुचे कितने सुंदर है ना मेरे तो है नही
आरती- लड़कों के नहीं होते पगले

ऋषि ---हां पर मुझे तो बहुत अच्छे लगते है ये

आरती- हाँ… प्लीज ऋषि अब मत कर

उसका एक हाथ ऋषि के हाथों के ऊपर था पर हटाने को नहीं बल्कि उससे वो ऋषि को इशारा कर रही थी कि थोड़ा सा जोर लगाकर दबा पर ऋषि तो बस आकार और प्रकार लेने में ही मस्त था उसके हाथ अब उसके ब्लाउसको छोड़ कर उसके रिब्स के ऊपर से होते हुए नीचे की ओर जाने लगे थे आरती का शरीर अब तो अकड़ने लगा था वो कमर के बल उठने लगी थी घुटनों के ऊपर उसकी साड़ी आ गई थी और कमर पर ऋषि के हाथों के आने से एक लंबी सी सिसकारी उसके
होंठों से निकली थी
ऋषि- अच्छा लगा रहा है भाभी

आरती- हाँ… हाँ… सस्स्स्स्स्स्स्स्शह

ऋषि---आप बहुत प्यारी है भाभी मन करता है में आपको इसी तरह प्यार करता रहूं कितनी साफ्ट हो आप
और उसके हाथों का स्पर्श अब तो आरती के लिए एक पहेली बन गया था आज जो आग ऋषि लगा रहा था क्या वो इसे भुझा पाएगा पर आरती तो उस आग में जल उठी थी उसे तो अब अपने आपको शांत करना ही था वो अपने चेहरे को ऋषिके सीने में सटा ले रही थी और अपनी लेफ्ट हाथ को ऋषि की पीठ पर घुमाते हुए उसे अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी हथेली ऋषि की खुली हुई पीठ पर से धीरे-धीरे अंदर की ओर जाने और ऋषि ने उसके ब्रा की
स्ट्रॅप्स को छू लिया था

आरती एकदम से मूडी और ऋषि से लिपट गई थी ऋषि ने भी भाभी को अपने से सटा लिया था नहीं जानता था कि क्यों पर आरती का लपेटना उसे अच्छा लगा था ऋषि की हथेलिया अब उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से से उसकी ब्रा को छूते थे तो वो उसके और पास हो जाता था
आरति के जीवन का यह एहसास वो कभी भी भूल नहीं पाएगी यह वो जानती थी पर ऋषि के थोड़ा सा अलग होने से वो थोड़ा सा चिड गई थी
आरती- क्या
ऋषि -- भाभी
आरती- क्या है रुक क्यों गया
ऋषि --आप बहुत उत्तेजित हो गई है है ना
आरती---हां क्यों तू नहीं हुआ
ऋषि कुछ कहता इससे पहले ही आरती ने उसे अपनी ओर खींचा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगी ऋषि ने भी थोड़ी देर वैसे ही अपने होंठों को आरती के सुपुर्द करके चुपचाप उसे स्वाद लेने दिया फिर हटते हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ने लगा था
आरती- क्या हुआ हाँ…
ऋषि- कुछ नहीं एक बात कहूँ भाभी गुस्सा तो नहीं होंगी नाराज तो नहीं होंगी ना
आरती- क्या नाराज क्यों बोल ना
ऋषि साहस जुटा कर जैसे तैसे शब्दों को जोड़ कर आरती की ओर नजर गढ़ाए हुए एक विनती भरी आवाज में कहा
ऋषि--- जी भाभी कन आई टच यू, आइ वान्ट यू भाभी व्हाट टू लव यू प्लीज भाभी प्लीज यू आर सो साफ्ट भाभी आइ जस्ट वाना महसूस यू
आरती- यू जस्ट फेल्ट मी ऋषि
ऋषि- नो भाभी नोट दिस वे दा वे आई वॉंट प्लीज भाभी आई प्रॉमिस यू
आरती के पास जबाब नहीं था उसकी हालत खराब थी पर जिस तरह से ऋषि उससे गुजारिश कर रहा था वो एक अजीब सा तरीका था

आरती- आई म नोट गेटिंग यू ऋषि हाउ

ऋषि- जस्ट डू ऐज आई से भाभी प्लीज यू विल सी हाउ प्लेसुरबले इट ईज़ आई प्रॉमिस
आरती- प्लीज ऋषि आई म स्केर्ड व्हाट शुड आई डू प्लीज ऋषि
आरती ऋषि के गालों को छूते हुए उसके पास थी और ऋषि भी तेज सांसें लेता हुआ उसके बालों को छूता हुआ उसे बड़े प्यार समझा रहा था
ऋषि- भाभी प्लीज स्ट्रीप युवर साड़ी और ले डाउन आंड सी व्हाट आई डू जस्ट एंजाय
आरती- उूउउम्म्म्म ऋषि यू नो व्हाट यू आर सेयिंग कॅन यू मनेज आई म नोट शुवर अबाउत इट बॅट इफ यू से सो बट प्लीज ऋषि
आरती धीरे से ऋषि की ओर देखती हुई बेड से उतरी और साइड में खड़ी हुई ऋषि की ओर देखती हुई कमर से एक साथ ही पूरी साड़ी को खींच लिया और वही नीचे ही गिरने दिया वो अपनी पेटीकोट को उँचा करती हुई लगभग घुटनों तक उठाकर अपने आपको वापस बेड पर चढ़ा लिया और ऋषि की ओर देखती हुई उसके पास लेट गई

दोनों एक दूसरे को बड़े ही ध्यान से देख रहे थे आरती को श्योर नहीं था जो ऋषि ने उससे कहा था पर उसके पास अपनी काम अग्नि को बुझाने का कोई और रास्ता भी नहीं था ऋषि एक मर्द था शायद उसके अंदर का कोई चीज अब भी जिंदा हो या फिर वो सिर्फ़ दिखावा कर रहा हो असल में वो भी रवि रामु और लाखा के जैसा ही हो
पर ऋषि अपनी जगह पर ही बैठा रहा और मुस्कुराता हुआ आरती को बेड पर लेटा हुआ देखता रहा वो अभी साड़ी पहना था
आरती- तू नहीं उतारेगा साड़ी हाँ…
ऋषि---आप कितनी सुंदर हो भाभी कितनी गोरी कितनी कोमल हो भाभी
वो अपनी हथेली आरती की टांगों से लेकर धीरे-धीरे ऊपर उसकी जाँघो तक ले जा रहा था बड़े ही संभाल कर बड़े ही कोमलता से कही कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं कर रहा था और नहीं कोई उतावलापन बड़े ही शांत और नजाकत से ऋषि उसके शरीर की सुदोलता का एहसास कर रहा था आरती का पूरा शरीर जल रहा था वो जानती थी कि जो ऋषि कर रहा है वो एक छलावा है पर वो मजबूर थी उसे ऋषि का इस तरह से उसे छुना अच्छा लग रहा था वो आजाद थी इधर उधर होने को अपने आपको तड़पने को उसे ऋषि के मजबूत हाथ नहीं रोक रहे थे वो तो बस उसके शरीर की रचना को देख रहा था उसकी कोमलता का एहसास भरकर रहा था

आरती की पेटीकोट उसके कमर तक आ पहुँची थी और उसकी पैंटी उसके कमर पर कसी हुई और उसकी जाँघो के बीच में जाकर गुम हो गई थी वो अपनी कमर के सहारे अपनी टांगों को खोलकर बंद करके और इधार उधर होकर अपनी उत्तेजना को छुपा रही थी और ऋषि अपने हाथों से उसकी कमर के पास उसके पेट को सहलाता जा रहा था

आरती का हाथ एक बार ऋषि के चहरे तक गया और उसे अपनी ओर खींचने लगी थी वो उसे किस करना चाहती थी
ऋषि ने एक बार उठकर उसे देखा और मुस्कुराता हुआ उसके पास आ गया और अपने होंठों को धीरे से आरती के होंठों पर रखा आरती झट से उसके होंठों पर टूट पड़ी पर ऋषि उससे अलग हो गया

ऋषि- आआअम्म्म्म ऐसे नहीं बी जेंटल भाभी बी जेंटल
और धीरे से अपने होंठों से आरती के होंठों को किस किया और फिर अपनी जीब को निकाल कर धीरे-धीरे उसके होंठों पर फेरने लगा था कोई जल्दी नहीं कोई ताकत नहीं बस एहसास सिर्फ़ स्पर्श और कुछ नहीं आरती की जिंदगी का पहला किस्स जो की इतना मधुर और सौम्य था वो अपनी आखें खोलकर ऋषि की ओर देखती रही उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी उसकी एक हथेली ऋषि के पीछे उसके बालों से लेकर उसके गले से होते हुए उसके ब्लाउज के खुले हिस्से में घूम रही थी वो जान बूझ कर अपनी हथेली को उससे भी नीचे ले गई और उसके ब्लाउज के खुले हिस्से से उसके अंदर डाल दिया और ऋषि को फिर से अपनी ओर खींच लिया ऋषि ने भी कोई संघर्ष नहीं किया और चुपचाप अपने होंठों को फिर से उसके होंठों पर रख दिया इस बार बारी आरती की थी
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