Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:35 PM,
#65
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती एकटक उसकी ओर देखती रही पर इतने में ही मोबाइल की घंटी ने उसका ध्यान खींच लिया रवि का था
आरती- हाँ…
रवि- कहाँ हो
आरती- फैक्टरी में क्यों
रवि- अच्छा सुनो तुम कब आ रही हो शोरुम
आरती- अभी आ जाऊ
रवि- नहीं सुनो यार में चेन्नई जा रहा हूँ
आरती- क्यों अचानक
रवि- हाँ यार वो एक मोटिओ का फर्म की बात थी ना अरे धरमपाल जी ने की थी वो देखने जा रहा हूँ यार सारी
आरती- क्या यार तुम ना हमेशा ही ऐसा करते हो
रवि- सुनो में जा रहा हूँ एक काम करो ऋषि है ना तुम्हारे साथ
आरती- हाँ…
रवि- उससे कहना वो तुम्हें घर छोड़ देगा और यहां तो मिश्रा जी है ही तुम वहाँ का काम देखकर आ जाना ओके…
आरती- ओके…

खेर रवि के जाने के बाद घर में एकदम सुना सा हो गया था पर काम में जाने की जल्दी के कारण सब बेकार था आरती और सोनल जल्दी से तैयारी में लगे हुए थे चाय और खाना खाने के बाद आरती तैयार थी फैक्टरी जाने को इस बात से अनजान की रवि के पीछे घर पर तांडव आना है ..वजह कोई और नही सोनल थी

टाइट सी चूड़ीदार में गजब की लग रही थी लाइट कलर येल्लो और हल्की ब्लू फ्लॉरल डिजाइन था और वैसा ही टाइट कुर्ता और थोड़ा सा छोटा घुटनों तक हेर स्टाइल भी ढीला ढाला और सिर्फ़ एक कलुतचेयर से बँधी हुई और बड़ी-बड़ी आखें लिए आरती जब कमरे से बाहर निकली तो उसे सोनल की आवाज आई,
वहीं दूसरी तरफ से।

" मम्मी मेरी सारी फ्रेंड्स आज पब जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

स्कूल के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते सोनल काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका बाहर किसी से रीलेशन नही था पर ये शहर ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती
आरती-- क्या पब नही सोनल कहि नही जाना तुम्हे पापा भी नही है यहाँ,
सोनल--- मम्मी मैं सिर्फ बता रही हु, पब जा रही हु,
आरती सोनल की बात सुनकर गुस्से में बोलती है
" नही मायने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है अपना ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

आरती नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..वो रामु क्या करेगा अगर मैं सफाई करुँगी तो, मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

सोनल ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे इस समय उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

आरती ने पलट कर उसे रवि का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी और तुमहारी सारी काली करतूतो का पता है ' "

सोनल ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन आरती के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

आरती ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

सोनल को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मम्मी ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

आरती ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

सोनल ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख सोनल मेरे लिए तू मेरी ज़िंदगी बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

आरती को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी



सोनल अपनी बातों से आरती का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद किसी को भी नही मिलती होगी अपने घर मे।

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे जैसा कोई इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

आरती ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे सोनल का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मम्मी ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर सोनल ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम सोनल ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर आरती के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मम्मी ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मम्मी ..क्या हुआ ? "

सोनल ने एक नज़र आरती के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे सोनल ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

सोनल ने मुस्कुरा कर आरती के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मम्मी ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ध्क्का रहता है
सोनल के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन आरती का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..आरती ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

आरती ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मम्मी इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

सोनल ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

आरती ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो सोनल उससे थोड़ा दूर जा जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि आरती कमरे के अंदर और सोनल कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से सोनल की गांड कुछ सेकेंड के लिए आरती की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो आरती ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

आरती की बात सुन सोनल ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से आरती का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

आरती ने उसे फिर से डांटा

" ओह मम्मी ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे ass क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर सोनल ने अपने चूतडो को आरती की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांड की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

आरती ने भले ही कई बार अपनी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज आरती सोनल के बदन को सोचते हुए उसकी सोच रामू की लड़की मोनिका के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे मोनिका को उसने नंगा नही देखा था ..पर जब सोनल ऐसी है तो मोनिका के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही सोनल के मूँह से निकले सेक्सुअल शब्द और उसकी हरकतें आरती पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मम्मी "

सोनल ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस आरती की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरे पापा भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे पापा से बात करूँगी "

आरती इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात सोनल के मूँह से निकली उसने आरती को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम यही चाहती हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे पागलखाने में, मुझे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही, फिर अकेली रामू लाखा के साथ अपना पागलपन करना। "

सोनल ने एक साँस मे अपनी सारी भडास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख आरती की आँखों से आँसू बहने लगे ..सोनल ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के डायरेक्ट वार की उम्मीद आरती ने कभी नही की थी।
आरती की सांसे रुक गयी, रामु का मालूम था लेकिन ये लाखा का नाम क्यो ले रही है,
किचन में काम करते रामू को भी जैसे शोक लग गया सोनल की बात सुनकर, अभी तक जिसे वो मा बेटी की नोकझोक समझ रहा था , एक दम से उसने एक अलग ही रूप ले लिया,
आरती एकटक सोनल को ही देख रही थी जैसे जानना चाहती हो कि उसने लाखा का नाम क्यो लिया,
सोनल ने अपनी मम्मी को असमंजस में देख कर बोली, "क्या मम्मी पूरी रात इन बुड्ढे नोकरो के कमरे में न्नगी पड़ी रहोगी तो क्या घर मे किसी को मालूम नही चलेगा, चलो ठीक है चुदाई तो कमरे में करवाती हो फिर न्नगी अपने कमरे में आना, मम्मी मैं रात को सोती हु लेकिन कुंभकर्ण नही हु जोकि तुम्हारी विभत्स चीखे न सुन सकू।"
इतना कह कर सोनल अपने कमरे में घुस गई।

आरती मन मे सोचते हुए फैक्टरी के लिए निकल गयी ऋषि के साथ, वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..सोनल ने उसकी मम्मी की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना आरती अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम सोनल नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शावर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....
उधर आरती का सारा दिन इसी सोच में गुजर गया कि वो सोनल से कैसे बात करे,अगर उसने रवि को बता दिया तो, बस इसी उदेडबुन में शाम को घर आ गयी।
शाम को सोनल फूल रेडी होकर पार्टी के लिए निकली,
आरती डाइनिंग हाल में ही बैठी थी,
सोनल-- जा रही हु मैं मम्मी, और बाहर निकलने लगी।
आरती---सोनल बेटा रुको, जा रही हो तो जल्दी आना बोल देती हूं।
सोनल मुड कर दरवाजे से बाहर निकलते हुए
-- चिल्ल मम्मी, क्यो टेंसन लेती हो मै पार्टी एन्जॉय करती हूं, तुम भी मजे लो अपने बुड्ढे यारो के साथ।
आरती कुछ कहती इससे पहले ही वो निकल जाती है,
आरती बस देखती रह जाती है,
आरती सोचते हुए-- अब इस लड़की से खुलकर बात करनी ही होगी, इसे अगर बताना होता तो बता चुकी होती अपने पापा को, अगर इसे नही बताना तो क्या चाहती है ये, उफ्फ ये लड़की जान लेगी मेरी एक दिन।

आरती डिनर करके अपने रूम चली जाती है, कुछ देर में लाखा जिसको सुबह की बातों का मालूम नही था, धीरे से आरती के रूम में दाखिल होता है, उसकी आहत मिलते ही आरति दरवाजे की तरफ देखती है---
"चले जाओ काका मूड नही है"
लाखा-- बहु मूड तो बना देता हूं अभी।

आरती गुस्से में-- काका निकल जाओ अभी के अभी कमरे से और आइंदा यहा आने की कोसिस भी मत करना,
लाखा एक दम पहली बार आरति को गुस्से में देख कर डर जाता है लेकिन फिर भी वो आगे बढ़ने की कोसिस करता है लेकिन तभी रामु उसको खींच कर बाहर ले जाता है, और छत पर कमरे में जाकर सुबह की सब बात लाखा को बताई। और उसे समझाया कि अपने पर कंट्रोल करने सीखे।
"अगर बहु अपनी मर्जी से सब कर रही है तो जबरदस्ती करने की सोचना भी मत, इस घर मे रहकर रोटी , कपड़ा और चुत तीनो चीज मिल रही है,उसको बेवकूफी की वजह से खोना नही है,"
ऐसे ही दोनो बात करते हुए सो जाते है।
उधर आरति तीन दिनों से अपने बदन की आग में जल रही थी आज वो चाहती तो खुलकर मजा कर साख्ति थी, लेकिन उसने अपना मन मारकर कुछ नही किया और सोचते सोचते नींद की आगोश में चली गयी।

उधर सोनल पब में अपनि फ़्रेंड के साथ ड्रिंक और डांस का मजा ले रही थी। पब में काफी लड़के उनके साथ फ़्लर्ट की कोसिस कर रहे थे लेकिन उन्होंने किसी को भी अपने पास फटकने नही दिया, वैसे सोनल उस दिन
पहली बार जमकर ड्रिंक कर रही थीं। तभी सोनल को जोर से पेशाब की हाजत महसूस हुई, वो लड़खड़ाते हुए टॉयलेट में चली गयी।

सोनल वॉशरूम मे सूसू कर रही थी ..इस के बाद उसने खड़े हो कर अपने कपड़े सही किए और टाय्लेट से बाहर जाने लगी ..उसने देखा गेट अंदर से लॉक था

" अभी 5 मिनट पहले तो मैं यहाँ आई थी फिर ये गेट किसने बंद किया "

उसके मूँह से निकला और वो वापस गेट से अंदर की साइड लौट गयी ..थोड़ा आगे पहुच कर उसने महसूस किया कि वॉश बेसिन के पास कोई है ..वो दीवार के दूसरी तरफ बने टाय्लेट मे एंटर हुई और सामने बनी पट्टी पर वो सीन चल रहा था जिसे देख कर सोनल के होश उड़ गये ..उसके स्कूल की ही 2 लड़कियाँ टाय्लेट मे मौजूद थी ..सोनल ने देखा कि एक लड़की पट्टी पर अपनी टांगे चौड़ा कर बैठी है और दूसरी लड़की का मूँह उसने अपनी टाँगो मे फसा रखा था ..पट्टी पर बैठी लड़की ( जया ) की आँखें बंद और अपने हाथ से दूसरी ( निशा ) के बाल सहलाते हुए तेज़ी से साँसे भी ले रही थी ..सोनल के लिए ये पहला लैस्बियन सेक्स सीन था हालांकि वो मोनिका के साथ पहले लैस्बियन सेक्स कर चुकी थी लेकिन दूसरी लड़कियों को पहली बार करते देख रही थी ..वो हैरान हो कर दोनो की कारिस्तानी पर अपनी नज़रे जमाए खड़ी थी


" निशा मज़ा नही आ रहा ..अंदर तक जीभ डाल ना "

जया ने निशा से कहा और उसकी आँखें खुल कर सामने खड़ी सोनल से जा टकराई ..नज़रें मिलते ही जया ने निशा को अपने से अलग किया और सोनल फटी आँखों से उसकी नंगी चूत को देखने लगी ..स्कर्ट के नीचे जया नेकड़ थी ..निशा को तुरंत समझ नही आया कि मॅटर क्या है और जया ने उसे धक्का क्यों दिया

" चाट तो रही हूँ तेरी चूत को अगर मज़ा नही आ रहा तो साली लंड डलवा ले "

निशा ने नाराज़ हो कर कहा

" न ..निशा सोनल "

जया ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी वापस पहनते हुए कहा और निशा ने पलट कर पीछे देखा तो सोनल डर कर वहाँ से जा रही थी

निशा स्कूल की सबसे दम दार बंदियों मे से थी ..बिना किसी घबराहट के उसने सोनल को आवाज़ दी

" सोनल इधर आ फटाफट "

सोनल के कान मे निशा की आवाज़ पड़ते ही उसकी बढ़ते कदम रुक गये ..उसने पलट कर देखा तो निशा हाथ हिला कर उसे अपने पास बुला रही थी

" द ..द ..दीदी ..वो ..मुझे घर जाना है ..बाहर कोमल वेट कर रही है, देर हो जाएगी "

सोनल सिर्फ़ इतना बोल कर चुप हो गयी

" कोमल को जाने दे ..मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूँगी ..अब आ मेरे पास "

निशा ने थोड़ा ऊँची आवाज़ मे कहा और सोनल धीरे - धीरे कदमो से चलती हुई उन दोनो के पास पहुच गयी

" हम जो कर रहे थे तुझे अच्छा लगा देखने मे ? "

निशा ने सोनल से सॉफ लफ़ज़ो मे पूछा

" पता नही दीदी मैं तो पेशाब करने आई थी "

सोनल ने लो वाय्स मे जवाब दिया

" जया ..एक काम करते हैं ..खाली कमरे मे चलते हैं ..टाय्लेट सेफ नही है "

निशा ने जया को आँख मारते हुए कहा ..खेली - खिलाई जया उसके इशारे को समझ मुस्कुरा दी और तीनो लड़कियाँ टाय्लेट से 3 कमरे छ्चोड़ चौथे मे एंटर हो गयी

" गेट लॉक कर दे "
निशा ने सोनल को ऑर्डर दिया और जया के साथ चलती हुई चेयर पर बैठ गयी

" सुन जया ..ये अभी कच्ची कली है ..आज इसकी जवानी का पहला रस पी कर मज़ा आ जाएगा और ये किसी से बोलने लायक भी नही रहेगी ..बस तू मेरा साथ देना "

निशा की बात सुन कर जया ने हां मे अपना सर हिला दिया। उनको ये नही मालूम था कि सोनल अपनी चुदाई करवा चुकी है वो भी अपने ही पापा से। तब तक सोनल भी गेट लॉक कर टेबल की दूसरी तरफ खड़ी हो गयी

निशा :- " देख सोनल तू मुझे दीदी बोलती है ना ? "

सोनल :- " जी दीदी "

निशा :- " लेकिन आज मुझे अपनि टीचर समझ "

सोनल ने सवालिया चेहरे से जया की तरफ नज़रें उठाई जो निशा के ठीक पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी

जया :- " तेरे साथ मैं भी आज निशा की स्टूडेंट हूँ "

जया ने प्लान को आगे बढ़ाया और सोनल को हां करनी पड़ी

निशा :- " पहली बात तो ये जो मैं कहूँगी वो तुम दोनो को करना पड़ेगा और दूसरी ये कि इस बात को तुम दोनो मे से कोई बाहर के आदमी को नही बताएगा "

जया :- " ओके मेडम "

निशा :- " सोनल तू भी नही बताएगी "

तनवी :- " नही बताउन्गि "

" तो फिर क्लास शुरू करते हैं ..सोनल तू इस बेड पर लेट जा "

निशा की बात सुन सोनल की घबराहट बढ़ गयी ..अगर वो निशा से डरती ना होती तो कतई उसके साथ इस खाली कमरे मे नही आती

निशा :- " मैने कहा लेट जा "

निशा ने स्टार्टिंग से सोनल पर अपना दवाब बनाते हुए कहा और चेयर से उठ कर उसे को बेड पर लिटाने मे मदद की

" जया तुझे पता है ना क्या करना है "

निशा की बात सुन जया ने सोनल का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठ उसके होंठ से जोड़ दिए

सोनल के लिए ये एक नया एहसास था ..जया ने पूरी ताक़त लगा कर उसके होंठो को चूसना स्टार्ट कर दिया ..साथ ही उसने अपनी जीभ भी उसके मूँह मे डालने की कोशिश की लेकिन सोनल ने अपना मूँह नही खोला ना ही जया के होंठो को अपने होंठो का कोई रेस्पॉन्स दिया

पास खड़ी निशा की आँखें ताड़ गयी कि जब तक सेक्स का एहसास सोनल को नही होगा ऐसी हज़ार किस्सस उसके लिए बेकार हैं ..उसने प्लान मे से किस सीन को हटाया और जया के पास जा कर उसकी स्कर्ट उतार दी ..वहीं जया ने किस के साथ सोनल के बूब्स को भी ज़ोरो से मसला ताकि वो थोड़ी तो गरम हो सके ..लेकिन सब बेकार गया सोनल अभी भी किसी लाश की तरह बेड पर लेटी थी

" छोड़ो एक दूसरे को और अपने कपड़े उतार दो "

निशा ने उनका किस तूडवाया और खुद बेड पर बैठ गयी ..जया के हाथ अब अपनी टीशर्ट को खोल रहे थे लेकिन सोनल मूक खड़ी निशा को देखे जा रही थी

" ऐसे क्या देख रही है ..जो तेरे पास है वही तो मेरे पास भी है "

निशा ने बेड पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला रखी थी साथ ही पहनी हुई रेड पैंटी को साइड मे खिसका कर चूत का व्यू खोल दिया ..जिसे सोनल बड़े गौर से देखने मे लगी थी, सोनल उनको आभास नही होने देना चाहती थी कि उनको मालूम चले कि वो पहले से सेक्स कर रही है।

" कुछ नही दीदी "

सोनल ने शरमा कर जवाब दिया उसे लगा निशा ने उसकी चोरी पकड़ ली है

" जानती है इसे क्या कहते हैं ? "

निशा ने अपनी दो उंगलियों से चूत की फांको को स्प्रेड किया

" पुसी "

सोनल ने अपने मूँह पर हाथ रख स्लो वाय्स मे उसे जवाब दिया

" हां वो तो हर पढ़ने वाली लड़की को पता होता है ..पर लड़के इसे आम भाषा मे चूऊऊओत कहते हैं "

निशा ने चूत वर्ड को लंबा खीच कर कहा और सोनल ने हां मे अपना सर हिला दिया

निशा :- " क्या कहते हैं इसे ? "

सोनल :- " चूऊऊओट "

सोनल ने भी उसकी तरह वर्ड को खीचा तो जया और निशा ज़ोर से हस दी

" चूऊऊथ नही चूत "

जया ने उसे समझाया कि वर्ड छ्होटा है और इस बार सोनल के चेहरे पर भी हसी आ गयी

निशा :- " चल फटा फट अपने कपड़े उतार "

और सोनल ने इस बार उसकी बात को मान कर अपनी स्कर्ट ढीली कर दी

थोड़ी देर बाद तीनो लड़कियाँ सिर्फ़ लेगैंग्स मे आ गयी ..निशा के इशारे पर जया सोनल को थामे बेड पर बैठी थी और अगले ही पल कमरे मे बहुत ही हॉट अट्मॉस्फियर क्रियेट हो गया

निशा ने सोनल की दोनो टाँगो को अपने कंधे के पार निकाला और बिना किसी देरी के चेहरा आगे लाते हुए जीब से चूत को चाट कर गीला करने लगी

टाय्लेट मे जया और निशा के बीच जो भी कुछ चला उसे देख कर सोनल कन्फर्म थी कि अब उसके साथ भी वैसा ही कुछ होगा लेकिन ऐसा सुखद एहसास उसकी कल्पना से परे था ..मोनिका की चटाई ने भी ये मजा नही आया था उसे। अपनी चूत जिसे उसने अब तक सिर्फ़ मूतने, एक बार पापा के साथ या मोनिका के लिए यूज़ किया था उस पर निशा की गीली ज़ुबान टच होते ही सोनल के दिमाग़ की बत्ती जली और वो बुरी तरह से अपने हाथ पैर फटकारने लगी

" आहह..... ..द ..दीदी ..गुदगुदी हो रही है "

सोनल के मूँह से कप - कपाते बोल फूटे ..जया ने बड़ी मजबूती से उसके हाथो को अपने क़ब्ज़े मे किया हुआ था और टांगे चौड़ाने मे निशा ने सोनल पर कोई रेहेम नही बक्शा ..उसकी चूत का इतना खुला व्यू देख निशा की जीब अपने आप ही उसकी फांको पर मचलने लगी

" अच्छा लगा सोनल ? "

निशा ने आँखें मूंद रखी सोनल से लास्ट बार सवाल किया और जवाब सुने बगैर ही फांको के अंदर तक अपने जीब को घुसा दिया ..एक उंगली से वो गांड के छेद और चूत के मिड्ल हिस्से को खुज़ला रही थी

" आईईईईईईईई...... "

सोनल उस खुजली को महसूस कर सिहर उठी और दूसरी तरफ जया के हाथ उसके कोमल चुचियों को मसलने मे बिज़ी हो गये ..सोनल अब मस्त थी

निशा ने अपनी उंगली का प्रेशर उसके भग्नासे पर डाला और हल्के दांतो के स्पर्श से उसे काटने लगी

" डीडीिईईईईईई........ "

सोनल का रोम - रोम खिल उठा ..ऐसा मीठा दर्द तो हर लड़की को असीम आनंद की प्राप्ति कर देता है फिर सोनल उससे कब तक अछूति रहती ..उसने अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए निशा के सर पर दवाब डाला

" लव मी...... "

सोनल ने चिल्लाया और निशा ने रस से सराबोर चूत पर अपने होंठ और तेज़ी से कस दिए ..जब भी वो चूत के रस को अपने गले से नीचे उतारती उसमे पुरज़ोर ताक़त का इस्तेमाल होता

" खा जाओ इसे..... "

इतना बोल कर सोनल का बदन अकड़ गया ..उसकी टांगे सुन्न हो गयी ..एक्सपीरियेन्स्ड निशा समझ गयी लड़की का काम होने वाला है और अगले ही पल उसने सोनल को करवट दिला दिया

" कंट्रोल सोनल.. ..अभी तो शुरूवात है "
निशा ने हँस कर चूत से अपना चेहरा हटाते हुए कहा ..जब स्त्री चर्म - सीमा पर हो और किसी तरह से उसका फॉल रुकवा दिया जाए तो वो रहम की भीख माँगने पर उतारू हो जाती है ..यही हाल सोनल का हुआ ..अपने आप ही उसके हाथ निशा के सर को वापस अपनी चूत पर दबाने लगे

" दीदी प्लीज़ रूको नही "

सोनल ने तड़प्ते हुए चिल्लाया

" मेरी गुड़िया रानी ..सबर कर सबर "

निशा ने उसकी तड़प को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी गरम साँसें गांड के मुलायम छेद पर छोड़ दी

" दीदी यहाँ नही ..डर्टी है "

सोनल ने अपना आस - होल सिकोडते हुए कहा

" कुछ डर्टी नही मेरी जान ..चल ढीला छोड़ खुद को "

निशा ने करवट ली सोनल के चूतडो की दरार को खोला और अगले ही पल उसकी जीब की थिकरण गांड के मुलायन छेद पर अपना कहर बरपा रही थी

" आईईईईईई मम्मी "

सोनल ने बेड पर उठ कर बैठना चाहा लेकिन जया ने उसे हिलने तक का मौका नही दिया

" फॅक्त....... "
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