Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:38 PM,
#80
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कुछ देर में रवि भी आ जाता है, रवि अपने कमरे में जाकर फ्रेश होकर नीचे डाइनिग टेबल पर आ जाता है, आरती और रवि मिलकर डिनर करते है और वापिश कमरे में चले जाते है। दोनो में कुछ खाश बात नही हो जाती है और रवि सो जाता है।
आरती कुछ देर बाद उठती है और बाहर आ जाती है,
आरती को नीचे किचन में लाइट जलती दिखती है।
आरती नीचे आती है, और किचन में देखती है
रामु काका प्लॅटफार्म की सफाई कर रहा था उसका ध्यान बिल्कुल भी पीछे की ओर नहीं था पर अचानक ही पीछे की पदचाप से रामु पलटा था। आरती स्वर्ग से उतरी हुई एक अप्सरा परी सुंदरी और ना जाने क्या-क्या एक साथ उसके दिमाग में चल पड़ा था जाँघो तक एकदम खाली वो सुंदरी उसके लिए ही यहां आई थी

आरती- क्या आज ही सारा काम खतम करना है

एक उत्तेजित और हुकुम देने वाली आवाज किचेन ने गूँज उठी थी रामु की नजर एक बार आरती के चहरे पर गई थी कितना रुआब था उसके चहरे पर कितनी निडर हो गई थी वो पहले तो आवाज ही नहीं निकलती थी सिर्फ़ हाँ हूँ और उऊफ और आह के सिवा कुछ नहीं

आरती- लाखा कहाँ है …

रामु (हलकता हुआ)- जी वो गांव वाले घर पर चला गया है

बड़े ही डरे हुए और धीमी आवाज में उसने कहा था

आरती- पानी दो
एक कड़क आवाज में आर्डर था

रामु डरा हुआ सा जल्दी से ग्लास लिए हुए फ़्रीज खोलकर पानी का ग्लास लिए हुए आरती के पास पहुँचा था आरती तब तक किचेन के अंदर आ गई थी और बीच में पड़े हुए टेबल पर कूल्हे टिकाकर खड़ी थी गोरी गोरी टाँगें एकदम साफ चमक रही थी रामु नजर झुकाए पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ाकर अपनी नजर उठाने की कोशिश करता पर आरती की दाईं टाँग को उठकर उसकी टांगों के बीच में आता देख रहा था वो थोड़ा दूर खड़ी थी पर उसकी टाँगें उसके पास पहुँच रही थी आरती ने एक हाथ से उसके हाथो से ग्लास ले लिया था और अपनी टाँग को उठा कर उसकी जाँघो के बीच में फँसा लिया था और उसके नितंबों तक पहुँचा कर उसे अपने पैरों से अपने पास खींच रही थी

रामु निस्तब्द सा आगे की और हो गया था उसकी हथेलियाँ आरती की जाँघो को छू रही थी गोरी और कोमल जांघे कितनी सुंदर है उउफ्फ… हाथ में आई यह छुई मुई सी औरत कितनी कोमल और नाजुक है उसके दोनों हाथ आरती की उस जाँघ पर एक बार घूम गई थी और उसके चिकने पन के एहसास को अपने दिल में संजोने की कोशिश भी कर रहा था


रामु की हालत खराब थी आरती की टाँगें उसके लण्ड से टकरा रही थी जो की उसके जाँघो के बीच में थी पर वो तो जैसे एक पत्थर की मूरत की तरह एकटक उसकी ओर ही देखे जा रही थी आरती से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी। आरती की कड़कती हुई आवाज उसके कानों में गूँज उठी थी

आरती- खोलो इसे और याद रहे आज के बाद तुम हर काम सिर्फ़ मेरे लिए करोगे जब मैं इस घर में रहूं तो ठीक है

रामु- जी
और वो अपने हाथों को आगे बढ़ा कर आरती की कमर में बँधे उस रोप को खोलने लगा था आरती की टाँगें अब नीचे हो गई थी और एक हथेली रामु के लण्ड को टटोलने लगी थी उसके धोती के ऊपर से ही उसकी नाजुक सी उंगलियां रामु के लण्ड को कस्स कर पकड़ती और फिर ढीला छोड़ देती थी रामु अपनेआपको संभालता और करता क्या डरा हुआ सा रामु उस परी का दीवाना तो था पर आज जो कुछ वो देख रहा था और झेल रहा था उससे यह तो साफ था की आज वो इस नारी को शांत कर नहीं पाएगा उसका शरीर कब तक उसका साथ देगा उसे नहीं पता पर कोशिश जरूर करेगा यह सोचते हुए जब तक वो आरती की कमर से वो रोप खोलकर अलग करता तक तक तो आरती ने उसके लण्ड पर पूरा काबू पा लिया था धोती के ऊपर से ही उसे अपनी पतली पतली उंगलियों से कस्स कर पकड़ी हुई अपने एक हाथ से अपने सामने से उस कपड़े को हटा दिया था

आरती- उतारो इसे
और रामू ने धीरे से आरती के ऊपर से वो कपड़ा हटा दिया था एक स्वप्नसुंदरी उसके सामने खड़ी थी गोरा रंग जैसे दूध में थोड़ा सा लाल रंग मिला दिया हो वैसा रंग था, उसके पर सिर पर बालों के सिवा कही कोई बाल नहीं थे एकदम साफ और चमक दार थी वो अपने आपको नहीं रोक पाया था और आरती की ओर देखते हुए उसके पैर पर अपने हाथ टिकाकर सहलाने लगा था पर एक डर था उसके दिल में कही सोनल ना आ जाए या कोई देख ना ले किचेन में थे वो लोग बाहर से भी नजर नहीं पड़ जाए पर आरती को कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था हिम्मत जुटा कर रामु बोल ही उठा
रामु- बहू रानी अंदर चलते है

पर बीच में ही आरती ने उसकी बातें काट दी थी
आरती- पहले यहां करो फिर अंदर जाएँगे जल्दी करो और खोलो इसे क्या फालतू की चीज को बाँधे खड़े हो

रामु कुछ कहता इससे पहले ही आरती ने एक झटके से उसकी कमर से उसकी धोती खींचली थी बड़े से अंडर वेयर में फसी हुई उसकी धोती लटक गई थी और आरती का हाथ फिर से उसके लण्ड को कस्स कर पकड़ लिया था और एक हल्की सी आवाज में रामु के होंठों के पास आते हुए बोली
आरती- खोलो जल्दी से नहीं तो तोड़ दूँगी

रामु जल्दी से अपने अंडरवेयर को खोलने लगा था आरती की मजबूत पकड़ उसके लण्ड पर और कस गई थी पागल सी हो उठी थी वो लाइट में उसका गोरा शरीर चमक रहा था और रामु की हालत उसके आपे से बाहर हो रही थी आरती के हाथों में अपने लण्ड को छुड़ा नहीं पा रहा था पर अपने आपको रोक भी नहीं पा रहा था वो जानता था कि आरती कुछ देर और उसके साथ यही खेल खेलती रही तो वो बिना कुछ करे ही झड जाएगा सो वो जल्दी से आरती को खींचकर अपनी बाहों में भरने लगा था उसके होंठ जो की उसके पास ही थे झट से उनपर कब्जा जमा लिया था पर कब्जा रामु ने नहीं आरती ने जमा लिया था एक जोर दार, तरीके से आरती ने रामु के होंठों के साथ-साथ उसकी जीब को झट से खींचकर अपने मुख में भर लिया था और बहुत जोर-जोर से चुबलने लगी थी उसके हाथ अब भी रामु के लण्ड को निचोड़ रहे थे ना जाने कैसे और जैसे रामु की जान पर बन आई थी आज रामु जिस जिश्म के लिए इतना पागल था वो आज उसकी जान पर बन आई थी वो नहीं जानता था कि आरती को क्या हुआ है पर उसकी दीवानगी के आगे वो झुक गया था वो और ज्यादा देर तक अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाया था और वही आरती के हाथों में ही झड़ गया था आरती ने एक बार, उसे देखा था बहुत ही गुस्से में पर लण्ड को छोड़ा नहीं था किसी मेमने की तरह वो आरती के होंठों की बलि चढ़ गया था उसके हाथों की बलि चढ़ गया था और अपने आप को शांत करके आरती की कमर को पकड़े हुए खड़ा उसपर टिका हुआ लंबी-लंबी सांसें छोड़ रहा था आरती एक शेरनी की तरह से उसे देख रही थी जैसे की कह रही हो बस हो गया इतना ही दम है

आरती- क्या काका बस

रामु- नहीं बहू रानी डर के मारे निकल गया है आप जिस तरह से कर रही थी वैसा आज तक किसी ने नहीं किया इसलिए संतुलन नहीं रख पाया माफ किर दीजिए
और नजर झुकर खड़ा हो गया था पर अपने लण्ड को आरती के हाथों से छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं किया था आरती की हथेली में उसका लण्ड पानी छोड़ने के बाद सिकुड़ने लगा था पर उसके हाथों में उसका वीर्य अब भी चमक रहा था वो नीचे सिर किए हुए आरती के हाथों में अपने लण्ड को देख रहा था और उसकी गोरी गोरी जाँघो को धीरे से सहलाते हुए इंतजार कर रहा था कि कब आरती उसके लण्ड को छोड़े

आरती- फिर अब क्या करोगे जाकर सो जाओगे हाँ…

रामु- नहीं बहू जब तक आपको मेरी जरूरत है में यही हूँ

आरती- पर तुम तो गये फिर

रामु- नहीं बहू रानी अभी बहुत कुछ है रुकिये और धीरे से अपने आपको आरती की जाँघो के बीच में ले गया था और अपनी जीब से उसकी चुत को सहलाते हुए आरती को धीरे से उस टेबल पर बिठा लिया था आरती ने भी कुछ नहीं कहा था जैसा रामु चाहता था वही किया

अपने आपको उसने टेबल पर रखे ही अपनी कमर को इतना आगे कर चुकी थी कि रामू काका की जीब उसके अंदर तक चली जाए अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो इतने दिनों बाद उसके शारीर को किसी मर्द ने छुआ था एक पहचाना हुआ सा स्पर्श था वो पर एक भूख को और भी बढ़ाता हुआ सा भी अलग अलग तरीके से छूने की दशा में भी आरती अपने आपको हिलाकर और कमर को उँचा करते हुए रामु काका को पूरा समर्थन दे रही थी


होंठों में दबी हुई आवाज अब तेज होती जा रही थी अंदर का उफान बढ़ता जा रहा था एक चिरपरिचित सी मादकता उसके अंदर तक एक तूफान को जनम दे रही थी आरती चाह कर भी अपने को रोक नहीं पा रही थी उसकी कमर या कहिए चुत अपने आप रामु के होंठों के सुपुर्द होने को आतुर थी टेबल पर टिके हुए भी वो आगे की ओर होने लगी थी रामु जो की पूरे तन मन से अपनी बहू के सौंदर्य को चूसने में लगा था एक भड़की हुई आग से खेलने को तैयार था अपने बुढ़ापे को भूलकर जवान बनने की कोशिश कर रहा था तन की शक्ति जबाब दे देने के बाद भी वो उस हसीना को छोड़ने को तैयार नहीं था


या कहिए अपने मन में छुपी हुई आकांक्षा को दबा नहीं पा रहा था अपने होंठों के साथ-साथ वो अपनी जीब को जितना अंदर तक हो सके और जितना दम उसमें था वो निरंतर प्रयासरत था आरती को खुश करने में हर एक बार जैसे ही उसकी जीब अंदर से बाहर की ओर आती थी आरती के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकलजाति थी उसकी जांघे खुलकर इतना फेल गई थी कि रामु के माथे के साथ-साथ उसके दोनों हाथ भी उनमें समा गए थे आरती के मुख सी निकलने वाली सिसकारी से रामु और भी उत्तेजित होता जा रहा था

आरती- और जोर-जोर से चूसो काका और जोर से उंगली भी डालो अंदर तक डालो और अंदर
आरती लगातार रामु को उकसा रही थी की वो उसके साथ हर संभव प्रयास करता रहे और रामु भी पीछे नहीं हट रहा था पर आरती को आज संभालना मुश्किल था उत्तेजना में वो पागल हो चुकी थी उसके हाथ अब धीरे-धीरे रामु के बालों पर कसने लगे थे उसकी उत्तेजना की हालत यह थी की लगता था कि रामु के बाल खींचकर अलग कर देगी मुख से निकलने वाली सिसकारी बढ़ती ही जा रही थी और साथ में उसके हाथों का खिचाव भी रामु अपने बालों को उससे अलग करना चाहता था पर अचानक ही आरती टेबल से उतर पड़ी और अपनी जाँघो को खोलकर लगभग उसके ऊपर बैठ ही जाती पर बीच में ही रुक गई थी थोड़ा सा बैठी हुई वो लगातार रामु के बालों को खींचकर अपनी चुत से जोड़े रखना चाहती थी।रामु इस हमले को तैयार नहीं था वह गिर जाता अगर आरती के दोनों हाथों ने उसके बालों को पकड़ ना रखा होता तो वो भी अपने एक हाथ को पीछे लेजाकर अपने आपको सहारा दिए हुए और दूसरे हाथ से आरती की जाँघो को पकड़े हुए लगातार उसकी चुत को चूसे जा रहा था और उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था पर आरती का शरीर इस तरह से आगे पीछे की ओर हो रहा था कि उसे अपना संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो रहा था उसने एक बार जोर लगा के आरती को पीछे की ओर धकेलने की कोशिश की पर आरती तो जैसे उसपर हावी हो चुकी थी लगातार आगे की ओर बढ़ते हुए उसे लिटाने की कोशिश में थी रामु जानता था की अगर वो लेट गया तो आरती उसके ऊपर बैठी तो उसका सांस लेना दूभर हो जाएगा इसलिए वो भी लगातार कोशिश मे था कि वो किसी तरह से बैठा ही रहे पर आरती के अंदर का शैतान एक बार फिर उसपर हावी हो गया था आरती अपने आपको मोड़ चुकी थी और आगे झुकते हुए रामु के सिर को टेबल के किनारे पर टिका दिया था
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:38 PM

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