Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:39 PM,
#86
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
अब रवि रामु काका के पास में लेटकर ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगा और रामु भी आरती के बूब्स में अपना मुँह डालकर वैसे ही लेट गया, रामु आरती के बूब्स को सहलाते हुए एक निप्पल को अपने मुहं में भरकर चूसने लगा था। ऐसा करने में रामु काका को बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था।
तभी अचानक सोनल ने उसकी गांड पर एक लात मारी खिंच कर, रामु ने दर्द से आरती का बॉब्स छोड़ कर अपनी गांड सहलाने लगा।
सोनल-- हरामी तुझे सबक सिखाने की लेकर तेरी गांड तक चोद दी तू उसमे भी मजा ले रहा है, पक्का गांडू बन गया है और अभी भी नही सुधर रहा। और तुम मम्मी अब तो ये रंदीपना खत्म कर दो। नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा, इन नोकरो को मुह लगाना छोड़ दो।
और एक और लात रामु की गांड पर मरती है
चल गांडू दफा हो यहाँ से।
रामु तुरन्त अपने कपड़े समेत कर निकल जाता है।

सोनल-- अगर तुझे लण्ड चाहिए मम्मी बताओ मुझे तुम्हे विदेशी लण्ड से चुदवा दूँगी लेकिन इस घर को बक्श दो। ये दो कौड़ी के नोकरो से चुद कर क्यो हमे भी इनकी नजरो में दो कौड़ी का कर रही हो।
आरती-- सोनल तुम तो अब कुछ बोलो ही मत, मैंने देखा है तुझे इस रामु के साथ खुद सेक्स करते हुए।
सोनल-- हां किया है लेकिन उनकी ओकात दिखा कर, तुम्हारी तरह उनकी गुलाम बन कर नही, उनको गुलाम बनाकर। और वैसे भी जिसकी तुम जैसी कुतिया मा हो उष्को चुदाई से बचा ही कौन सकता है। तुम क्या सोच रही हो तुम गली के कुत्तों से चुदती रहो और मुझ पर उसका कोई असर नही पड़े। वाह क्या सोच है, मैं भी उस दो कौड़ी के नोकर से चुद जाऊ बस तुम्हे न रोकू। अगर तुम अभी भी नही रुकी तो मुझे वो बनना पड़ेगा जिसको देख कर तुम्हारी रूह भी कांप जाएगी।


रवि दोनो को मुह फाडे देख रहा था, और उनकी बातें सुनकर गहरे सदमे में था, आरती का उष्को मालूम था लेकिन सोनल का उसने सोचा भी नही था उसके अनुसार तो सोनल सिर्फ उससे चुदी है, आज भी जब सोनल ने आरती और रामू को पकड़ने का प्लान बनाया और फिर रामु की गांड चोदने का, तो भी उसे कुछ नही मालूम था, वो तो सोच रहा था कि आरती को डरा कर सोनल से सेक्स करेगा खुलकर, लेकिन यहा तो सोनल ने कुछ और ही सोच रखा था।
तीनो लोग अपनी बहस में बिजी थे उनको मालूम नही चला कि रामु बाहर न जाकर वही रुक कर उनकी सब बातें सुन रहा है, और अपना कोई अलग प्लान बना रहा था।

सोनल गुस्सा होकर अपने कमरे में चली जाती है, आरती और रवि अपने अपने कपड़े पहनकर दोनो कमरे में बैठे रहटे है, दोनो कुछ भी बात नही कर रहे थे, एक अजीब सी चुप्पी कमरे में थी।
कुछ देर में रवि ने चुपी तोड़ी और बोला-- आरती आगे क्या करना है। देख आरती तुम बाहर जो भी कर रही थी उससे मुझे कोई प्रॉब्लम नही थी, लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि तुम्हारी ये कारनामे सोनल भी जानती है, और इस सबसे नाराज है। अगर इन सब से सोनल ने नाराज होकर कोई ऐसा कदम उठा लिया कि परिवार की इज्जत मिट्टी में न मिल जाये।
आरती बस चुप बैठी थी कुछ नही बोल रही थी।
रवि थोड़ी ऊची आआवज में--आरती कुछ पूछ रहा हु जवाब दो।
आरती-- क्या जवाब दु मैं? बचा ही क्या है बोलने को?
सब तुम्हारी वजह से हुआ है अगर तुम मुझसे दूर न रहटे तो मैं हरगिज ये काम नही करती। तुमने मुझे मेरे जिस्म को संतुष्ठ करना छोड़ दिया तभी मै ये सब किया।
रवि-- कहना क्या चाहती हो जिस भी औरत का पति अगर कुछ बिजी रहने लगे जाए तो वो बाहर बाजारू बन जाये। आरती ये एक्सक्यूज़ नही हुआ तुम्हारे काले कारनामो का। सब तुम्हारी हवस है। शायद अगर शादी के कुछ समय बाद करती तो मान भी जाता लेकिन इस उम्मर में आकर तो हवस है तुम्हारी और कुछ नही। और मैं सिर्फ ये पूछ रहा हु आगे क्या सोच रही हो। ये सब बंद करोगी या--..........
आरती कुछ नही बोलती बस एक दम से चुप रहती है, चेहरे के हावभाव से लग रहा था कि वो सायद ये सब बंद करने की स्थिति में नही थी।
रवि उष्को चुप देख कर बाहर निकल जाता है।
शाम को डिनर के समय भी तीनो में कुछ बात नही होती है, लेकिन रवि दिन में ही रामु को घर के काम को मना कर देता हालांकि घर से नही निकालता, खाना और घर के काम जया और मोनिका को सौंप दिया गया, रामु को सख्त हिदायत दी गयी कि वो घर मे न आये सिर्फ क्वाटर तक सीमित रहे। जया और मोनिका को भी समझ आ गया था कि माजरा क्या है,
इसी सन्नाटे में घर मे चार दिन बिना किसी खाश घटना से निकल जाते है, रामु भी घर से दूर रहता है, न ही आरती कोसिस करती है उससे मिलने की। अभी रवि से भी आरती की बातचीत स्टार्ट नही हुई थी। आरती फैक्टरी या शोरूम भी जाना छोड़ दिया था। पूरा दिन घर मे रहती थी और जया काकी को रवि ने घर मे ही रहने को बोल दिया था।
ऐसे ही उस घटना को दो हफ्ते बीत चुके थे, सोनल ने स्कूल से सीधे शो रूम जाना शुरू कर दिया था आप पापा की हेल्प करने के लिए, फैक्टरी जल्द ही शुरू हो होने वाली थी। सोनल ने कार चलाना सिख लिया था, वो आल्टो गाड़ी से ही स्कूल और शोरूम आने जाने लगी थी।
आज सोनल को काफी देर हो चुकी थी शोरूम से निकलते हुए। सोनल ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े ठीक किये और शोरूम को क्लोज करवाके घर के लिए चली। सोनल की कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में अकेली खड़ी हुई थी। बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। सोनल पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से उसके टीशर्ट के अंदर उसके निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। उसकी ब्रा उसके रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा थी। सोनल के एक-तिहाई मम्मे टीशर्ट के लो-कट होने की वजह से और उसके भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। सोनल ने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से उसकी टीशर्ट इधर-उधर हो रही थी जिसकी वजह से उसकी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। सोनल आमतौर पे जीन्स नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती थी। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, सोनल हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि उसकी टीशर्ट पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी।

सोनल जितनी जल्दी-जल्दी हो सका अपनी कार के करीब पहुँची। सोनल को उसके आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। सोनल ने देखा कि उसकी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी। सोनल कॉर्नर पे मुड़ी और अपनी कार के करीब आ के अपनी पर्स में से चाबी निकालने लगी। अचानक किसी ने उसे एक जोर का धक्का लगाया और सोनल अपनी कार के सामने जा टकराई।

हिलना मत कुत्तिया!

उसे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म उसे उसकी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने सोनल के फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से सोनल चिल्ला भी ना सकी। सोनल एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ सोनल की कार खड़ी हुई थी वहाँ उसे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी सोनल को हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे... जैसे लोहे के बने हों। उसने सोनल की टीशर्ट खींच के उप्पेर कर दिया और उसके मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।

वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे सोनल को बेहोशी में से उठाया हो और सोनल ने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने उसके एक मम्मे को छोड़ के सोनल के गीले हो चुके बालों से उसे खींचा।

आआहहहहह...। सोनल जोर से चिल्लाई और सोनल ने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।

अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो... ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया... अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ... अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो....!!

उसने सोनल को धीरे से अपनी तरफ़ मोड़ा। इस दौरान उसने अपना जिस्म सोनल के जिस्म से सटाय रखा। उसका लंड सोनल के गीले जिस्म को घिस रहा था, और सोनल की चूत में थोड़ी सरसराहट हुई। ऑय कैन नॉट बी टर्नड ऑन बॉय दिस सोनल के जहन में ये सवाल उठा। सोनल ने ऊपर देखा। सोनल ने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था। उसका कसरती जिस्म सोनल को किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला गया। वो एकदम काला और डरावना था और ऐसी अँधेरी रात में उसे सिर्फ़ उसकी आँखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूँदें ही नज़र आती थी। सोनल डर से थर-थर काँपने लगी। सोनल के इतनी ऊँची हील के सैण्डल पहने होने के बावजूद वो करीबन उससे एक फुट लंबा था। सोनल उससे रहम की भीख माँगने लगी।

प्लीज़... प्लीज़ मुझे मत मारो।

तभी एक जोरदार थप्पड़ सोनल के गाल पे आ गिरा। सोनल को तो ऐसा लगा कि उसे तारे दिख गये। उसने सोनल को उसके बालों से पकड़ कर अपने मुँह तक ऊपर खींचा।

प्लीज़ मुझे जाने दो...। मैं तुम्हें जो चाहो वो दे दूँगी... देखो मेरे पर्स में पैसे हैं... तुम वो सारे के सारे ले लो... सोनल गिड़गिड़ायी।

वो सोनल के सामने जोर-जोर से हँसने लगा और बोला देख... हरामजादी मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिये... मुझे तो तेरी यह कसी हुई टाईट चूत चाहिये... मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू ज़िन्दगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं माँगेगी।

उसकी बातों से सोनल को तो जैसे किसी साँप ने सूँघ लिया हो ऐसी हालत हो गयी। तभी सोनल को खयाल आया कि उसका रेप होने वाला है। सोनल बहुत घबरा गयी थी और उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। बारिश अभी भी पूरे जोरों से बरस रही थी और बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक ने पूरे आसमन को भर लिया था।

सोनल के बाल बारिश की वजह से काफी भीग चुके थे और वो उसके चेहरे को ढक रहे थे। तभी उस काले लंबे चौड़े आदमी ने उसे कार के हुड पे खींचा।

पीछे झुक... पीछे झुक ... हरामजादी! वो गुर्राया।

सोनल ज़रा भी नहीं हिली। वो तिलमिला गया और सोनल के नज़दीक उसके चेहरे के पास आ के एकदम धीरे से लेकिन डरावनी आवाज़ में बोला मैं तेरी हालत इस से भी बदतर बना सकता हूँ... साली राँड! और सोनल को एक धक्का देकर कार के बोनेट पर लिटा दिया। इस के साथ ही उसने अपना हाथ सोनल की जीन्स के अंदर उसकी फ़ैली हुई जाँघों के बीच डाल दिया और झट से उसकी जीन्स को खोलकर नीचे सरका दी और पैंटी फाड़ के खींच निकाली। सोनल की पैंटी के चीरने की आवाज़ बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच अँधेरी रात में दब गयी। अब वो सोनल की दोनों टाँगों को अपने मजबूत हाथों से पूरे जोर और ताकत से फ़ैला रहा था। कुछ पल के लिए सोनल को लगा कि वो कोई बुरा ख्वाब देख रही है और यह सब उसके साथ नहीं हो रहा है। लेकिन जब वो फिर से गुर्राया तो सोनल जल्दी ही हकीकत में वापस आ गयी।

उसने अब अपना एक हाथ सोनल के पीछे रखा और उसकी कसी हुई गीली चूत में अपनी दो मोटी उँगलियाँ घुसेड़ दी। सोनल फिर चिल्ला उठी लेकिन इस बार भी उसकी चीख बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच दबकर रह गयी। वो जरा भी वक्त गंवाये बिना सोनल की चूत में ज़ोर-ज़ोर से ऊँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। सोनल की चूत में उसके हर एक धक्के से उसके निप्पल और ज्यादा कड़क होने लगे। सोनल की चूत में अपनी उँगलियों के हर एक धक्के के साथ वो गुर्राता था। सोनल का डर उसकी चूत तक नहीं पहुँचा था और उसकी चूत में से रस झड़ने लगा, जैसे कि सोनल की चूत भी उसकी इज़्ज़त लूटने वाले की मदद कर रही थी।

हाय राम ,बेहद दर्द हो रहा है, सोनल ने अपने आप को कहा और अचानक जैसे सोनल सातवें आसमान पे थी। ओहह भगवान नहींईंईंईंईं.... प्लीज़ और सोनल की चूत उसकी उँगलियों के आसपास एकदम टाईट हो गयी। सोनल ने अपनी आँखें बँद कर लीं और उसकी आँखों से आँसू उसके चेहरे पे आ गये। बारिश की ठँडी बूँदों में मिल कर वो बह गये।

वो ज़ोर-ज़ोर से सोनल की गीली चूत में उँगलियाँ अंदर-बाहर कर रहा था। हर दफ़ा जब वो अपनी उँगलियाँ सोनल की चूत के अंदर डालता था तो सोनल इंतेहाई के करीब पहुँच जाती थी। उसकी ताकत लाजवाब थी। हर दफ़ा वो सोनल को उसकी गाँड पकड़ के ऊपर करता था और अपनी उँगलियाँ उसकी गीली चूत में जोर से घुसेड़ता था जो अब चौड़ी हो चुकी थी। सोनल का सर अब चक्कर खा रहा था और सोनल थोड़ी बेहोशी महसूस कर रही थी। उसे पता नहीं था कि वाकय यह उसकी ताकत थी या फिर उसकी मदहोश चूत थी जो बार-बार उसकी गाँड को ऊपर नीचे कर रही थी। सोनल ने काफी चाहा कि ऐसा ना हो।

तभी उसने अपना अँगूठा उसकी क्लिट पे रख कर दबाया। एक झनझनाहट सी हो गयी सोनल के जिस्म में। उसकी चूत की दीवारें सिकुड़ गयीं और सोनल एकदम से झड़ गयी। मस्ती भरा तूफान उसके जिस्म में समा गया। सोनल बहुत शरमिंदगी महसूस करने लगी। कैसे वो अपने आप को ऐसी मस्ती महसूस करवा सकती थी जब वो आदमी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था? सोनल खुद को एक बहुत गंदी और रंडी जैसा महसूस करने लगी। सोनल ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोकना चाहा तो वो उसके सामने देख कर हँसने लगा। वो जानता था कि सोनल झड़ गयी है।

तू एकदम चालू किस्म की लड़की है... क्यों? तू तो राँड से भी बदतर है... है ना? तुझे तो अपने आप पे शरम आनी चाहिए। वो खुद से वासिक़ होते हुए और हँसते हुए बोला। वो हकीकत ही बयान कर रहा था।

सोनल का सर शरम के मारे झुक गया और सोनल ने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया और रोने लगी। झड़ने की वजह से सोनल के जिस्म में अजब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें उसके जिस्म को छेड़ रही थी। ठंडी हवा की वजह से उसका पूरा जिस्म काँप रहा था। सोनल सचमुच उस वक्त एक बाजारू रंडी के मानिन्द लग रही थी। अचानक उसने सोनल को धक्का दिया और उसका हाथ पकड़ के उसे घुटनों के बल बिठा दिया।

अब मेरी बारी है रंडी और तू जानती है मुझे क्या चाहिए... है ना? तू जानती है ना?

सोनल जानती थी वो क्या चाहता था जब उसने सोनल के कंधे पकड़ के उसे घुटनों के बल बिठा दिया था। सोनल का नीचे का होंठ काँपने लगा था। सोनल ने अपने गीले बाल अपने चेहरे से हटाये और शरम से अपना सर हिलाया। सोनल का दिमाग ना कह रहा था लेकिन उसका दिल उसे देखने को बेताब था। जब सोनल अपने घुटनों पे थी तब सोनल ने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से खुद को जाने देने की फरियाद की। पर जब सोनल ने उसकी आँखों में देखा तब उसे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो उसे नहीं जाने देगा।

जब सोनल ने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो उसके हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। सोनल ने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड सोनल के सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था... तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था... शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे कि ग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम सोनल ने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।

तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड... सीखोगी ना? उसने सोनल से पूछा।

सोनल घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश उसे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से सोनल के कपड़े उसके जिस्म से चिपक गये थे और सोनल के मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। सोनल बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। सोनल को एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और उसके आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा सोनल के चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था।

उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से सोनल तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। सोनल की जीभ अचानक ही उसके मुँह से बाहर आ गयी और उसके नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। सोनल काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। सोनल का दिल कह रहा था कि वो उसके मोटे लंड को चूस ले पर दिमाग कह रहा था कि वो अपने इस हाल पे रोना शुरू करे।

अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस... देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस... वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी।

सोनल तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। उसे तो यह भी पता नहीं था कि वो उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पायगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए सोनल सोचने लगी कि मैं क्या करूँ या ना करूँ।
एक दो पल के लिए उसने जो कहा सोनल उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से सोनल के गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। सोनल को तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी।

चूसना शुरू कर.... रंडी.. साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!

उसका लंड उसकी कसी हुई चूत को फाड़ रहा है... वही सीन सोच के सोनल डर गयी और साथ-साथ उत्तेजित भी हो गयी। पर आखिर में जीत डर की ही हुई। सोनल ने फ़ैसला कर लिया कि कुछ भी हो, वो अपने जिस्म को और मुश्किल में नहीं डालेगी और उसका लंड चूस देगी। सोनल ने जल्दी से उसके लंड को निचले सीरे से पकड़ा। वो बारिश की वजह से एकदम गीला हो चुका था लेकिन जैसा पहले बताया कि बारिश के ठंडे पानी का उसके लंड पर कोई असर नहीं था। वो चट्टान की तरह तना हुआ और फौलाद की तरह गरम था। सोनल ने धीरे-धीरे अपनी जीभ बाहर निकाल के उसके लंड के सुपाड़े के ऊपर फ़िराना शुरू किया।

मम्म्म्म्म... वाह वाह मेरी राँड वाह... डाल ले इसे अपने मुँह में... डाल साली राँड डाल

सोनल ने जितना हो सके अपना मुँह उतना फ़ैला के उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। उसके लंड के सुपाड़े ने उसका पूरा मुँह भर दिया था। उसने अपना सर थोड़ा पीछे की तरफ़ झुकाया और सोनल के गीले बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा।

वाह...वाह मेरी रंडी.... बहुत खूब... चूस इसे... चूस मेरा लंड आहहहह... तू तो बहुत चुदासी लगती है... आहहह... बहुतों के लंड लिए लगते हैं तूने... उम्म्म्म वो गुर्राया।
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:39 PM

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