Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:41 PM,
#96
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आगले दिन सुबह कमल और अर्पित आरती को उठाते है और फ्रेश होने के लिए बोलते है, आरती फ्रेश होने के लिए वही बाहर बाथरूम में चली जाती है, तब तक दोनो जाकर नास्ता लेने जाते है,
आरती फ्रेश होकर कमरे में आती है और नहाकर उसके निढाल जिस्म मे एक अजीब सी स्फूर्ति भर गयी. आरती कमरे में आकर अपने कपड़े ढूँढने लगी. कपड़े कमरे के एक कोने पर पड़े हुए मिले. आरती अपने कपड़े पहन कर वही कुर्सी पर बैठ जाती है और कुछ सोचने लग जाती है, आरती को सारे कपड़े मिल गये नही मिला तो उसकी पॅंटी. उसने पॅंटी को पूरे कमरे मे छान मारा मगर वो कहीं नही मिली, शायद तीनो मेसे किसी ने उसे उठा कर अपने पास रख ली हो किसी यादगार के रूप मे. आरती ने बिना पॅंटी के ही पेटीकोट पहन लिया.
कमल और अर्पित दोनो नास्ता लेकर आ जाते है और तीनो नास्ता करते है, फिर आरती उनसे चलने को कहती है, कमल अनवर को फ़ोन करता है,
कुछ देर रिंग जाने के बाद अनवर फ़ोन उठाटा है और बोलता है, क्या है भड़वे क्यो नींद की मा बहन कर रहा है,
कमल--भाई वो चाची जी घर जाने के लिए बोल रही है,
अनवर-- हां बात करा रण्डी से,
आरती--हां अनवर मिया।
अनवर-- क्या रे रण्डी यहाँ मन नही लग रहा क्या तेरा।
आरती--नही वो मेरी बेटी अकेली है घर तो चिंता हो रही थी।
अनवर--ठीक है रण्डी जा और शाम की आ जाना,
आरती--शाम को क्यो?
अनवर--जितना बोला है उतना कर, रण्डी
आरती--ठीक है
फिर अनवर फ़ोन काट देता है, और कमल आरती को लेकर वहा से निकल जाता है, आरती बाहर आती है तो देखती कि वो शहर का रेड लाइट एरिया था, बस जहा उसे रखा गया था वो उस एरिया से थोड़ा अलग था,
आरती वहा से बाहर आते ही कमल से बाइक रोकने को बोलती है और ऑटो कर लेती है,
कमल को बिना कुछ बोले आरती वहा से निकल जाती है,
आरती ऑटो वाले को एक एड्रेस देती है और चलने को कहती है, ऑटो कुछ देर में उस अड्रेस पर पहुच जाती है, आरती ओटो से उतर कर एक कमरे को तरफ बढ़ती है, वो मन ही मन दुआ कर रही थी कि जिससे वो मिलने जा रही है वो शख्स उसे कमरे पर मिले।
आरती उस कमरे पर पहुचती है, और देखति है कि कमरा बाहर से लॉक नही है तो खुश हो जाती है।
आरती दरवाजा नॉक करती है, तकरीबन पांच मिनेट बाद दरवाजा खुलता है, दरवाजा खुलते ही सामने वाला शख्स आरती को देखते ही भौचका रह जाता है,
आरती बिना कुछ बोले उष्को साइड करके कमरे के अंदर चली जाती है,
वो शख्स वही खड़ा रहा जाता है, अंदर जाकर आरति एक लोहे की कुर्सी पर बैठ जाती है, और
आरती-- क्या हुआ ऐसे क्यो रिएक्ट कर रहे हो?
"मेम साब आप यहाँ इस समय, मैं कोई सपना तो नही देख रहा,"
आरती-- हां
बताईये हमारी कैसे याद आयी आज आपको, आपने तो हमे भूला ही दिया था, उस शख्स ने पूछा।
आरती-- मैं एक बहुत बड़ी मुसीबत में फस गयी हु, क्या तुम मेरी मदद करोगें।
कैसी मुसीबत क्या हुआ बताईये, मैं चाहे जैसा भी हु खुद चाहे आपके साथ व्यहार करू लेकिन कोई मुसीबत आपके सामने हो और मैं मदद न करू, ये नही ही सकता, वैसे भी मैं आपके परिवार का नॉकर हु नमक खाया है आपका।
वो आदमी पीछे रखी एक कुर्सी पर बैठ गया
आरती धीमी आवाज में उसे कल की सारी कहानी बताति है, जैसे जैसे आरती बताती चली जाती है, उस आदमी का गुस्सा बढ़ता चला जाता,
आप बताओ मेम साहब वो कुत्ते कौन कौन है, उनकी मा बहन एक न कर दी तो मेरा नाम भोला नहीं,
आरती भोला के पास ही आयी थी क्योंकि अनवर से भोला जैसा शख्स ही निपट सकता था।
आरती ने रात की ज्यादती के बारे में बताया और उसने ये बात छुपा ली कि वो कमल से पहले से चुदती आ रही है और सोनल के बारे में भी छुपा गयी।
आरती--भोला शांत रहो हमे चालाकी से काम लेना होगा, मेरी वीडियो है उसके पास वो पहले लेनी होगी,
भोला--मेम साहब आप चिंता न करे , उस एरिया में कोउ माई का लाल ऐसा नही जो भोला के सामने टिक सके, आप चलो, मेरे साथ
आरती-- अभी नही शाम को उसने बुलाया है, तब मैं फोन करुँगी तुमको तभी वहा आ जाना,
भोला--ठीक है, मेम साहब आप घर जाईये और शाम की फ़ोन करना तब तक मैं मेरे कुछ साथियों को बुलाता हु
आरती घर आ जाती है, सोनल हाल में ही उसका इंतज़ार कर रही होती है, वो स्कूल नही गयी थी।
सोनल--मम्मी कहा थी आप और आपकी हालत ठीक नही लग रही,कमल ने भी कुछ नही बताया,
आरती-- कहा है वो कुत्ता, आरती ने एक गर्जना की। जिससे सोनल भी डर जाती है,
सोनल-- क्या हुआ मम्मी बताओ न, कमल ने क्या किया।
आरती उसे पीछे आने को कहती है और पहले स्टोर रूम से रस्सी और एक बेंत ले लेती है, सोनल बस आंखे फाडे अपनी मम्मी को देखती रहती है,
कमल आराम से अपने कमरे में सो रहा होता है, उसके अनुसार तो जैसे आरती रात में चुद रही थी वो उनकी गुलाम बन चुकी थी,
आरती उप्पेर कमरे में जाति है और देखती है कि कमल आराम से गहरी नींद में सो रहा है, आरती गुस्से में एक जोरदार बेंत उसकी गण्ड पर मरती है, हमला इतनी जोरदार था कि उसकी गण्ड की चमड़ी बेंत के साथ उपड आती है, कमल नींद से उठता है लेकिन समझ नही पाता कि हुआ क्या और अपने चुतरो पर हाथ रख बेड पर बैठ जाता है, सामने आरती चंडी का रूप लिए खड़ी थी, और साइड में सोनल हक़ीबक्की,
आरति-- क्यो बे रण्डी की ओलाद कुत्ते को घी हजम नही हुआ, तुझसे चुद क्या ली तो रण्डी बनाने चल पड़ा।
कमल के मुह से कुछ नही निकल रहा था, उसने सपने के भी नही सोचा था कि आरती जैसी लेडी ऐसे भी उस पर हमला कर सकती है,।
कमल-- चाची आप ये...
आगे वो बोल नही पाया, आरती ने बेंत की बौछार उस पर कर दी उसके शरिर पर जगह जगह बेंत से चमड़ी उखड़ गए और कमल दर्द से बिलबिलाने लगा। आरती ने तुरंत रस्सी से एक फंदा बनाया और उसके दोनो हाथ बेड के सिहराने के साथ बांध दिए और फिर पैर भी दोनो सिरों से बांध दिए,
आरती-- बोल कुत्ते क्या प्लान था तेरा, जब तुझे आराम से घर मे चुत मिल रही थी तो क्यो किया ये सब।
कमल धीमी आवाज में-- आंटी वो मैं अर्पित की बातों में आ गया, उसे भी आपके साथ सेक्स करना था तो उसने अनवर से कहा, अनवर आपकी फ़ोटो देख कर आपको--
आगे कमल चुप हो गया
क्या रण्डी बनाने की बोला, और तुम मान गया, कुत्ते अगर अर्पित को सेक्स करना था तो मुझसे बोल देता तुझे चुत दे सकती हूं तो उष्को भी दे देती तो घिस थोरे न जाती, लेकिन तू तो मुझे कोठे पर ही ले गया, हरामजादे वो तो मैंने दिमाग से काम लिया और वहा कोप्परेट करके खुद को बचा लिया, अब देखना तेरे उस अनवर का क्या हाल करती हूं--आरति एक सांस में बोलती चली गयी।
सोनल अपनी मम्मी से कमल के कारनामे सुनकर बिफर फड़ी और कमल के सीने पर सवार होकर उसपर थप्पड़ की बौछार कर दी।
आरती ने उसे रोक कर उसके कान में कुछ कहा और उसकी बात सुनकर सोनल बाहर चली गयी, कुछ देर में सोनल वापिश आयी तो उसके हाथ मे एक गिलाश में कोल्ड ड्रिंक थी, और एक पेन ड्राइव।
सोनल में ग्लास मेज पर रख कर कमल के कपड़े उतारने लगी और उष्को बिल्कुल नँगा कर दिया, फिर कमल को वो कोल्ड ड्रिंक पिला दी जबरदस्ती, और पेन ड्राइव को led में लगा कर एलसीडी स्टार्ट कर दी, और स्क्रीन पर एक हार्ड कोर पोर्न मूवी स्टार्ट हो गई, जिसे देख कर कमल आरती और सोनल की तरफ देखने लगा, तभी उसे लगा कि न चाहते हुए भी उसका लण्ड अपने आप खड़ा हो रहा है, एलसीडी में पोर्न मूवी की जबरदस्त चुदाई की आवाजें गुजनी स्टार्ट हो गयी, कमल का लण्ड उन आवाज़ से अधिक उतेजित हो गया और लण्ड की नसें ऐसे तन गयी की अभी फट जाएगी, कमल चाह रहा था कि उसके हाथ खुल जाए और वो अपने लण्ड की मुठ लगा कर उसे शांत कर लेकिन ये मुमकिन नही था।
कमल की हालत बहुत खराब थी, वो जोर जोर से चिलाने लगा और सोनल को खोलने को बोलने लगा, लेकिन सोनल ने उसे खोलने की बजाए उसके लण्ड से खेलने लगी, उसके लण्ड पर हल्के हल्के बेनत से चोट चोट देने लगी, जिससे कमल को असहनीय पीड़ा होने लगी, कमल उनसे अपने को छोड़ने की भीख मांगने लगा।
सोनल की छेड़छाड़ से कमल अधिक उत्तजित हो कर अपने लण्ड से पानी छोड़ दिया, लेकिन उसका लण्ड खड़ा का खड़ा ही रहा, कमल ने सोनल को थोड़ा पानी पिलाने की रिक्वेस्ट की, सोनल झट से बाहर जाकर कोल्ड ड्रिंक ले आयी और पिला दी कमल को,
कमल ने जैसे ही ड्रिंक पिया उसका असर उसके लण्ड पर हुआ उसका लण्ड फिर से खड़ा होकर फुफकारने लगा, उसकी हालत फिर से खराब होने लगा,
तभी मोनिका कमरे में आती है, मोनिका को देख कर कमल को झटका लगता है, मोनिका पुरी नँगी थी, उसकी इस हालत को देख कर कमल हवस से पागल हो जाता है और बुरी तरह से चिलाने लगता है, जैसे ही सोनल इशारा करती है, मोनिका बेड पर चढ़ जाती है और 69 कि पोजीसन में कमल के उप्पेर लेट जाती है, मोनिका कमल के मुह पर अपनी चुत रगडने लगती है और मजबूरी में कमल उसकी चुत चाटने लगता है,जिससे उसके शरीर मे सेक्स चढ़ने लगता है और उसका लण्ड फटने को हो जाता है, वो चाहता है कि मोनिका उसके लण्ड को सहलाये प्यार करे, तभी उसकी मनोकामना पूरी होती है और मोनिका उठ कर उसके लण्ड पर बैठ जाती है, और जोर जोर से उसके लण्ड पर कूदने लगती है, दो मिनेट में ही उसके लण्ड से पानी छूट जाता है लेकिन उसका लण्ड नही बैठता मोनिका एक लय में उसके लण्ड पर कूदती रहती है, लण्ड की नसों में फिर से उत्तेजना का संचार होता है, जिससे उसके लण्ड में दर्द होना स्टार्ट हो जाता है उसकी नशे खिंच जाती है, तभी मोनिका उसके उप्पेर से हट जाती है, और उसके लण्ड को अपने हाथों से जोर जोर से हिलती है, कमल दर्द के मारे चिलाने लगता है, सोनल और आरती वहा से जा चुकी होती है, एलसीडी में अभी अभी भी मूवी चल रही थी जिसमे जबरदस्त चुदाई का सीन चल रहा था,
आरती ने कमल के लिए अजीब सजा सोची थी, उसने कोल्ड ड्रिंक में वियाग्रा की गोलियां मिलाकर उसे पिलाया था जिससे उसके शरीर मे सेक्स दौड़ रहा था, और अभी तक उसका लण्ड अपना पानी छोड़ता और फिर से खड़ा हो जाता,
शाम तक कमल की हालत बहुत खराब हो जाती है, वह रो रोकर उनसे माफी मांगता है और भविष्य में चुदाई से तौबा करता है,
तभी आरती के पास अर्पित की काल आति है कि अनवर उसे बुला रहा है, वो कमल के लिए भी पूछता है कि वो कहा है फ़ोन नही उठा रहा,
आरती उसे कहती है कि वो गांव चला गया है कोई जरूरी काम हो गया था।
अर्पित आरती को 30 मिनेट में पिकउप करने को कहता है, आरती उसे घर आने को कहती है,
अर्पित 30 मिनेट बाद आ जाता है, जब वो पहुचता है तो आरति डोर खोलती है और उसे हाल में बैठा देती है और खुद तयार होने कमरे में चली जाती है, तभी मोनिका वहा आती है और किचन से कोल्ड ड्रिंक लाकर अर्पित को देती है, अर्पित कोल्ड ड्रिंक पीने लगता है, मोनिका वही बैठकर कामुक नजरो से अर्पित को देखने लग जाती है, कोल्ड ड्रिंक पीते पीते अर्पित को नशा और उतेजना दोनो महसूस होने लगती है।
मोनिका उसे इशारे से उप्पेर आने को कहती है,अर्पित उसके पीछे पीछे उप्पेर चला जाता है, उप्पेर पहुचकर मोनिका उसके साथ चिपक जाती है और उसके होंठो को किस करने लगती है, अर्पित भी उष्को बाहों में लेकर पागलो की तरह चूमने लगता है, तभी मोनिका उष्को दूर करके उसकी आँखो पर पटी बांध देती है और कमल के कमरे में ले जाती है, अर्पित मदहोश हालात में कमरे में जा कर खड़ा हो जाता है, मोनिका अर्पित को बेड पर लेटा देती और उसके लण्ड को सहलाने लगती है, तभी अर्पित को अहसास होता है कि कोई उसके मुह पर किस भी कर रहा है, वो अंदर ही अंदर खुश हो जाता है, तभी उसके हाथ कोई बेड से बांध देता है और पैर भी, और उसकी आँखों की पटिया खुल जाती है, और वो देखता है कि मोनिका नँगी सामने खड़ी है, और पास में सोनल भी खड़ी है, वो दो जवान लड़कियों को अपने पास देख कर खुश होता है, तभी उसे अपने पास बेड पर कोई लेटा हुआ दिखता है, वो पलटता है और कमल को नँगा अपने साथ दिखता है, वो चौक जाता है, कमल बेहोश होता है लेकिन अर्पित देखता है कि उसका लण्ड खम्बे की तरह खड़ा है, वो कुछ समझ नही पाता।
तभी आरति कमरे में आती है और उसके साथ जया भी होती है,
आरती--काकी जा तेरा शिकार रेडी है भुझा ले अपनी प्यास, ऐसा जवान लौंडा फिर नही मिलेगा।
जया काकी खुश हो जाती है और मोनिका को वहाँ से जाने को कहती है, मोनिका बिना कुछ कहे बाहर चली जाती है, जया उसके जाती न्नगी हो जाती है और बेड पर चढ़ जाती है, और अर्पित को नँगा कर देती है, और जानवरों की तरह अर्पित को जगह जगह काटने लगती है, उसके लण्ड को जोर जोर से मडोड देती है, अर्पित दर्द से चिलाने लगता है, उसकी चीखों से कमल को होश आ जाता है और देखता है कि अर्पित उसके पास बंधा हुआ है,
कमल--अर्पित तू कैसे आ गया यहाँ,
अर्पित-- भाई ये सब क्या है, और तुझे क्या हुआ।
कमल-- मुझसे क्या पूछ रहा है अब तू खुद देख लेना क्या हो रहा है यहाँ,
तभी सोनल बेंत से अर्पित को पीटने लगती है
आरती--क्यो कुते मुझे रण्डी बनवायेगा, बोल
अर्पित--नही आंटी गलती हो गयी माफ कर दो मुझे।
आरती-- सोनल दोज़ दो इसे,और काकी निचोड़ लेना इसको जितना हो सके इसको मालूम चलना चाहिए कि औरत अगर चुदने पर आए तो आदमी की क्या हालत कर सकती है,
और आरति बाहर आ जाती है, और भोला को फ़ोन करती है
आरती--भोला मैं वहा जा रही हु, उसने बुलाया है मुझे, तुम देख लो क्या कर सकते हो।
भोला--आप पहुँचिये मम्मसहब मैंने पूरी तैयारी कर ली है,
आरती फ़ोन काट कर बाहर आकर ऑटो करती है और अनवर के कोठे की तरफ निकल जाति है,
आरती ऑटो को थोड़ी दूर रुकवाती है और इधर उधर देखती है उसे थोड़ी दूरी पर एक कार खड़ी दिखती है, जिसमे से उसे देख कर भोला बाहर आता है,और उसके पास आता है
भोला-- मेम साहब आप जाईये अंदर, मैं सिचुएशन देख कर अंदर आता हूं।
आरती--ठीक है मै जाती हूं।
आरति कोठे की तरफ निकल जाती है, कोठे के बाहर दो आदमी खड़े होते है, जो उष्को देख कर हसने लगते है और उसे अंदर ले जाते है,
आरति को दरवाजा खोल कर अंदर भेज देते है और खुद वापिश बाहर आ जाते है,
आरति अंदर जाती है तो वहा अनवर कुर्सी पर बैठा था और तीन आदमी उसके आसपास बैठे थे, वो लोग tv पर कुछ देख रहे थे,
अनवर-- आ गयी रेशमा रण्डी, और तेरे दोनो भड़वे कहा है,
आरती कुछ नही बोलती और tv स्क्रीन देखती है तो उसके शरीर मे चींटियां काटने लगती है, tv पर कल रात की उसकी चुदाई की मूवी चल रही थी,
अनवर-- आजा रण्डी देख क्या बढ़िया मूवी बनी है तेरी, इसकी मार्केट में काफी डिमांड होगी।
आरती खड़ी खड़ी देखती रहती है, तभी अनवर खड़ा होता है और उसके पास आता है, और एक जोरदार चांटा उसके मुह पर मारता है, आरती एक थप्पड़ में जमीन पर गिर जाती है, और उसके मुह से खून आने लगता है, अनवर बिना कोई परवाह किये उसके बाल पकड़ता है और कहता है
रण्डी तुझे कल समझाया था यहा एक बार बोला जाता है चल अब मेरे लण्ड को बाहर निकाल और चुस उसे, कब से बेचारा तड़प रहा है,
आरती एक बार दरवाजे को देखती है और अनवर की पेंट की जिप खोल कर लण्ड बाहर निकाल लेती है, फिर दरवाजे को देखती है, और अपने मुह को लण्ड की तरफ बढ़ाती है,
तभी दरवाजा चरमराकर टूट कर गिर जाता है, और एक दम से पांच आदमी अंदर घुस जाते है, और दो अनवर को पकड़ लेते है और बाकी तीनो दूसरे आदमियों को। तभी आरती फुर्ती से उठती है औरटीवी बन्ध करती है, और टीवी से कनेक्ट cam रिकॉर्डर उठा कर तोड़ देती है,
तब तक भोला अंदर आ जाता है और अनवर पर ताबड़तोड़ हमला कर देता है, अनवर समझ ही नही पा रहा था कि हो क्या रहा है, वो तो सोच भी नही सकता था कि जो ओरत कल आराम से चुद कर गयी हो वो आज ऐसा कोई प्लान करेगी।
भोला-- बोल कुते मेरी मेम साहब को रण्डी बनाएगा, हराम के जने बोलता क्यो नही।
अब अनवर क्या बोलता उष्को तो कुछ समझ नही आ रहा था,
अनवर बाकी तीन लोगों की तरफ जाता है तो तीनो झट से घुटनों पर बैठकर बोलने लगते है कि वो तो आज अनवर के बुलाने पर आए थे कि कोठे पर नया माल आया है,
भोला उनकी तलाशी लेता है तो उनकी id चेक करता है तो उनकी बात सच निकलती है तीनो सिर्फ चुदाई के लिए आये होते है, भोला तीनो को वार्निंग दे कर भगा देता है, और अनवर को उठा कर बाहर कार में ले आता है, आरती भी उसी कार में बैठ जाती है दो लोग bike से होते है, भोला कार एक बाहरी इलाके में ले जाता है,
जहाँ जंगल होता है, कार जंगल के अंदर पुराने खण्डर के पास रुकती है,
भोला और आरती नीचे उतरते हैऔर भोला उन दो आदमियों को इशारा किया. उन दोनो ने अनवर को लगभग घसीट ते हुए लाकर खण्डर में आरति की गोद मे गिरा दिया. अंदर आरति एक कुर्सी पर बैठी होती है और उस ने अनवर को अपनी गोद मे कुच्छ इस तरह लिटाया कि उसका मुँह ज़मीन की ओर था आरती की गोद मे उसके कमर का हिस्सा था. आरति के चेहरे के सामने अनवर के चुतर थे. उसके घुटने मुड़े हुए थे.

तभी एक आदमी ने एक छड़ी लाकर आरती को दी. अनवर कुच्छ समझ पाता तभी ”सटाक” से उस छड़ी की मार उसके कूल्हों पर पड़ी.



“उईईई माआआआ…” अनवर उसकी मार से चिहुनक उठा. फिर एक के बाद एक मार पड़ती चली गयी जब तक ना अनवर के दोनो कूल्हे सुर्ख लाल हो गये.



“आअहह……माआआ…..नहियीईईई……” अनवर चीखे जा रहा था मगर उसकी आवाज़ सुनने और उस पर रहम करने वाला वहाँ कोई भी नही था. आरती मारती जा रही थी और उससे कल रात के बारे में कहती जा रही थी. जब अनवर कुच्छ नही बोला तो आरती ने उसके कूल्हों को अलग कर उसकी गांड मे वो स्टिक काफ़ी अंदर तक डाल दी. अनवर च्चटपटाने लगा.



जब आरती का हाथ शांत हुआ तो उन्ही दोनो आदमियों ने अनवर को बाहों से पकड़ कर उठाया.



“ अब बता बनाएगा मुझे रण्डी बोल वरना तेरी इस चमड़ी को तेरे बदन से नोच कर अलग कर दूँगी” आरती का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.



“मुझसे गलती हो गयी, जो मैं उन दोनों की बातों में आ गया…आपको किस तरह यकीन दिलाऊ की मेरी कोई गलती नही है.” अनवर आरती के पैरों के पास घुटने के बल बैठ कर उससे रहम की भीख माँगने लगा.

तभी भोला की आवाज गूंजी


“ चल बे दोनो वापस शुरू हो जाओ. साला बहुत बड़े जिगर वाला है। इसको रण्डी बनाने का शौक है लोगो के कहने पर, और ये तो राजा है उस एरिया का तो क्या हुआ मैं भी पत्थर से पसीना निकाल देने का बल रखता हूँ.”



फिर उन लोगों ने अनवर की गांड से वो छड़ी निकाली. उसके पैर लड़खड़ा रहे थे. अनवर अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था मगर उसके कमर का हिस्सा सुन्न सा हो गया था. उसके कूल्हे इतनी बुरी तरह जल रहे थे कि वो उन दोनो का सहारा लेकर ही खड़ा रहा.



फिर दोनो अनवर को बालों से खींचते हुए एक कोने मे रखे एक लकड़ी के घोड़े के पास ले गये. लकड़ी का वो घोड़ा देखने मे वैसा ही था जैसे घोड़े की सवारी छोटे बच्चे करते हैं मगर इस घोड़े की उँचाई तीन फुट के आस पास थी और सबसे अजीबो ग़रीब जो चीज़ था वो था कि घोड़े के पीठ पर लगा एक तीन इंच घेर का और एक फुट से कुच्छ लंबा बेलनकार लकड़ी का टुकड़ा. घोड़े के कुच्छ उपर छत से दो रस्सियाँ लटक रही थी.


अनवर ठिठक कर उस घोड़े को अस्चर्य से देखने लगा. उसे असमंजस मे देख कर दोनो आदमी बहूदे तरीके से हँसने लगे. अनवर क्या उस घोड़े को देखकर तो आरती भी हैरत में थी और भोला को देख रही थी।
भोला अनवर की तरफ देखते हुए बोला
“ तूने पहले कभी घुड़सवारी की है? आ जा तुझे इस घोड़े की सवारी कराएँगे. जिंदगी भर कभी ऐसी घोड़े की सवारी दोबारा करने को नही मिलेगी तुझे. खूब जम कर सवारी करना.तूने बहुत सी लड़कियों को घोड़ी बनाया होगा और उनको घोड़े की सवारी करवाई होगी आज तू खुद करके देख”



उन्हों ने छत से लटकती रस्सियों से अनवर के दोनो हाथ बाँध दिए. दोनो रस्सियों के बीच एक डंडा बँधा था जिससे रस्सियाँ एक दूसरे से लगभग तीन फुट की दूरी पर रहें.



उन रस्सियो के दूसरे सिरे एक गिरारी से होकर दूसरी ओर एक खूँटे से बँधे थे. भोला उठ कर उन रस्सियों को खींचने लगा फल स्वरूप अनवर के हाथ छत की ओर उठ गये और वो पंजो पर खड़ा हो गया. कुच्छ और खींचते ही उसके पैर ज़मीन से उपर उठ गये.



“छोड़ दो ऊवू क्या कर रहे हो. ऊऊहह…….” भोला रस्सियों को लगातार खींचता रहा और अनवर का जिस्म उपर उठता चला गया. उसके पास खड़े दोनो ने उसकी टॅंगो को पकड़ कर अलग कर दिया. अनवर उनकी हरकतों का मतलब समझ कर बुरी तरह से काँप उठा. उसे लगा शायद कल का सवेरा उसके नसीब मे नही है. उष्को उसकी करनी याद आने लगी कि क्यो वो आरती के लफड़े में पड़ा। उष्को कल रात की चुदाई भारी पड़ रही थी।



दोनो उसे खींचते हुए उस घोड़े के पास ले आए.



“हे भगवाअन मुझे बचाओ. मैं मर जौन्गयाईई……..ऊऊओ नहियीई ऐसा मत करना. प्लीईएज मै ऐसा दोबारा किसी के साथ नही करुगा. मुझे माआफ़ कर दो.” अनवर रोने लगा.



उन लोगों ने उसकी परवाह किए बिना उसकी दोनो टाँगों को फैला कर उसे घोड़े के उपर स्थित कर के छत से बँधी रस्सी को धीरे धीरे ढीला करने लगे. अनवर नीचे आता जा रहा था. कुच्छ देर बाद उन्हों ने अनवर को हवा मे ही रोक कर उस घोड़े को उसके नीचे इस तरह सेट किया कि उसकी पीठ पर लगा वो लकड़ी का टुकड़ा उसकी दोनो जांघों के बीच था.



उसका जिस्म वापस नीचे आने लगा. अनवर ने घबराहट मे अपनी आँखें बंद कर ली और आगे होने वाले दरिंदगी की पराकाष्ठा का इंतेज़ार करने लगा. उष्को अपनी करनी याद आने लगी लेकिन उसने कभी अपने लिए ये नही सोच रखा था। अनवर अपनी टाँगो को सिकोड़ने की पूरी ताक़त से कोशिश कर रहा था. मगर दो मजबूत आदमी के सामने उसकी क्या चलती?



कुच्छ ही देर मे उसकी गांड को किसी ठंडी चीज़ ने छुआ. अनवर बुरी तरह डर गया था. कुछ उंगलियों ने उसकी गांड की फांकों को अलग कर के उसकी गांड को चौड़ा किया. उसके झूलते बदन को इस तरह सेट किया की वो लकड़ी का टुकड़ा अनवर की गांड की खुली फांकों के बीच था. अब वो अनवर को इस अवस्था मे रख कर एक दूसरे को पल भर के लिए देखे फिर तीनो ने अपने हाथों मे थमी चीजोंको छोड़ दिया. अनवर की दोनो टाँगे फ्री होते ही उसने उन्हे सिकोड़ने की कोशिश कि मगर तब तक देर हो चुकी थी. तीसरे आदमी के द्वारा उसे हवा मे लटकाए हुए रस्सियों को छोड़ देने की वजह से अनवर के जिस्म का पूरा वजन नीचे की ओर पड़ा और अनवर उस लकड़ी के उपर के सिरे पर दो पल टिका रहा . तीसरे ही पल वो लकड़ी का खंबा उसकी गांड को चीरता हुया अंदर घुसता चला गया. अनवर का जिस्म अपने वजन से नीचे आने लगा और वो दर्द से चीखने लगा. चीखते चीखते अनवर पर बेहोशी छाने लगी तो पास खड़े आदमियों ने पानी के झपके देकर उसे होश मे ला दिया.



अनवर का जिस्म तभी रुका जब वो लकड़ी का गुल्ला पूरी तरह उसकी गांड मे धँस नही गया. उसके पैर अब भी ज़मीन को नही छू पाए थे. काश उसके पैर ज़मीन को छू जाते तो पैरों का सहारा पाकर वो अपनी गांड को उस गुल्ले से निकाल पाता.



ऐसा लग रहा था मानो उसकी गांड को फाड़ कर रख दिया हो. खून की एक पतली धार उसकी गांड से रिस्ते हुए घुटने की तरफ बढ़ रही थी और अनवर दोबारा बेहोश होने लगा मगर एक आदमी ने लाकर एक बाल्टी पानी उसके सिर पर उधेल दी. पानी इतना ठंडा था की अनवर के दाँत बजने लगे.



अनवर उस पल को कोस रहा था जब उसने उच्छल उच्छल कर इस आरती को रण्डी बनाने को अर्पित को बोला था. अगर पहले इस टॉर्चर के दसवें हिस्से का भी पता होता तो वो सपने मे भी आरती को नही छुता. ये तो आदमी की खाल मे छिपे दरिंदे थे.



तीनो अनवर को उस अवस्था मे खड़ा रख कर आगे क्या किया जाय ये सोच रहे थे कि एक आदमी अंदर आया और बैठे हुए भोला के कानो मे कुछ कहा.



“चल इसे छोड… “ दोनो ने एक पल अस्चर्य से उसकी तरफ देखा. “ साले जो बोलता हूँ जल्दी कर वरना इस घोड़े की अगली सवारी तुम दोनो करोगे.” उसके इतना कहते ही दोनो किसी कठपुतली की तरह अनवर की ओर बढ़े, “ उतार इसे घोड़े पर से.” दोनो ने उसे सहारा देकर उस घोड़े से उतार दिया. अनवर की टाँगे उसके जिस्म का बोझ सम्हाले नही रख सकी और अनवर वहीं फर्श पर ढेर हो गया. उसके जिस्म मे कोई हलचूल नही थी. दोनो आदमी उस खण्डर से निकल गये



अनवर ज़मीन पर पड़े पड़े सूबक रहा था. भोला अब भी उसी तरह अनवर के सामने खड़ा हुया था. उसने अपने बूट की एक लटजोरदार ठोकर उसके कूल्हों पर मारी. अनवर दर्द से बिल्बिलाते हुए चित हो गया जिससे उसके कूल्हे ज़मीन की तरफ हो गए उसके मार से बच जाएँ. मगर अगले ही पल उसके बूट की एक और ठोकार उसकी जांघों के बीच उसके लण्ड के उपर पड़ी. अनवर दर्द से दोहरा हो गया.



“म्‍म्माआअ……मुझे मत मरूऊओ….प्लीईएसस” अनवर रोने लगा था.



“चल अब नाटक बंद कर और उठ कर कपड़े पहन ले. या इसी न्नगी हालात बाहर जाना है।”
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:41 PM

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