RE: Ashleel Kahani रंडी खाना
काजल ने उसके शरीर को ललचाई निगाहों से निहारा और उसके आंखों को मादकता से देखने लगी,ठाकुर भी अपने जिस्म की नुमाइश करने लगा और अपने पेंट की ओर इशारा किया जिसमे उसका लिंग अकड़ रहा था ,काजल ने मुह थोड़ा खुला ,पता नही वो सच में खुला था या उसने खुद ही इसे खोला था ,लेकिन वो ऐसा करने से ठाकुर को और भी मोहित कर गई वो स्त्रियों वाली सब अदाओं को जानती थी जिसे एक मर्द हमेशा ही पसंद करता है ,,,
काजल की इस हरकत से ठाकुर थोड़ा हंसा और उसके पास जाने लगा काजल उससे दूर जाने लगी वो उसे पकड़ने को झपटा ,काजल हट गई वो थोड़ा लड़खड़ाया और कमीनी सी मुस्कान के साथ उसकी ओर बढ़ने लगा ,थोड़ा रुक कर उसने अपनी पेंट भी निकाल कर हवा में उछाल दी ,उसके अंडरवियर से उसका लिंग सच में बहुत ही बड़ा और खतरनाक लग रहा था ,उसका काला बदन चमक उठा था,वो बहुत ही उत्तेजित था और काजल को कहा जाने वाली निगाहों से देख रहा था ,काजल कभी उसके बदन को देखती तो कभी उसके अकड़े हुए लिंग को ,काजल के होठो में अब भी मादक मुस्कान थी वो उसे घूर रही थी और ठाकुर भी तड़फता हुआ उसकी ओर बढ़ रहा था ,
जैसे जैसे ठाकुर उसकी ओर बढ़ता वो पीछे होती जाती ..
वो फिर से झपटा इस बार उसका हाथ ठाकुर के पकड़ में आ गया था
“आउच छोड़िए ना “
काजल ने मचलते हुए कहा जिससे ठाकुर हँस पड़ा और उसे अपनी ओर खिंच कर अपने से मिला लिया
ठाकुर ने उसे बहुत ही जोरो से जकड़ रखा था ऐसे की कोई हवा भी दोनो के बीच से पास ना हो पाए ,
काजल के वक्ष उसकी बालो से भरी चौड़ी छातियों में धंस गई थी वही ठाकुर का लिंग अब काजल के जांघो के बीच रगड़ रहा था ,काजल इससे और भी मचल रही थी लेकिन ठाकुर उसे कोई भी मौका नही देने वाला था ,उसने अपने होठो को काजल के गले और कंधों पर चलाना शुरू कर दिया
“आह नही ना आह “
वो छूटने का प्रयास करने लगी थी लेकिन मैं भी जानता था की वो छूटना नही चाहती थी वो और भी उसमें गड़ी जा रही थी ,और भी मचल रही थी
“आह नही ना... आह रुको ना ..थोड़ा सब्र तो करो आह ओह “
काजल की इन आवाजो से ठाकुर के साथ साथ मैं भी पागल हो रहा था ,वो और भी जोरो से उसे चूमता और अपने कमर को उसके कमर से टकराता ,भला हो उस साड़ी का जिसे मेरी बीवी ने पहन रखा था वरना उसका लिंग अभी काजल के अंदर ही होता वो 90 डिग्री में उठा हुआ था और सीधे ही काजल के जांघो में रगड़ रहा था,
काजल को भी इसका आभास जरूर हो रहा होगा ,वो भी गर्म होने लगी थी उसका विरोध कम हो रहा था और वो बस आहे ले रही थी वो अब भी छोड़िए ना कह रही थी लेकिन बहुत ही कमजोर स्वर में,वो उत्तेजित थी और शायद गीली भी ……..
ठाकुर ने उसकी कमर को पकड़ कर और भी जोरो से अपनी ओर खिंच लिया साथ ही अपनी कमर को भी उसके कमर से टकराया
“आह “एक जोर की आवाज काजल के मुह से निकली
दोनो की ही आंखे मिली और काजल ने उसे हल्के से मुक्के से मारा ,ठाकुर ने काजल को किसी गुड़िये की तरह ही उठा लिया और उसे सीधे सोफे में जा फेका और उसके ऊपर छा गया ,उसके भारी शरीर ने मेरी कोमल सी जान के नाजुक शरीर को ऊपर पूरी तरह से ढंक लिया था,वो उसे मसल रहा था और अब उसका हाथ काजल के ब्लाउज तक पहुच चुका था वो से मसल रहा था और उसे उतारने की कोशिस भी कर रहा था ,उसने उसे काजल के कंधे से नीचे गिरा ही दिया लेकिन वो अब भी काजल के बांहो में फंसे थे , वो उसके नंगे कंधे को चूमने लगा और उसे अपनी लार से भिगाने लगा,काजल मादक सिसकियां ले रही थी ,
वो काजल की घाटी तक अपनी जीभ ले जा रहा था लेकिन अब भी ब्रा की वजह से वो पूरी तरह से दिखाई नही दे रही थी ,लेकिन उसकी ब्रा जरूर दिखने लगी थी ,वो जितना हो सके उसे चूम रहा था और उसने अपने दांत भी काजल के कंधे पर गड़ा दिए ,
इधर मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुच गया था मैंने कब अपना लिंग अपने हाथो में ले लिया था मुझे भी नही पता लगा मैं जोरो से हिलाने लगा और जैसे ही ठाकुर ने अपने दांत गड़ाए मैं भी झाड़ा और दीवार में ही अपने को खाली कर दिया ,मेरी सांसे भी उखड़ी हुई थी ,क्या हुआ और क्या हो रहा है इसकी समझ मुझे अभी आई थी ,मैं पागल हो चुका था मैं क्या कर रहा था ,
ठाकुर ने काजल की साड़ी खोलने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन काजल ने हाथ पकड़ लिया
“यंहा नही बेडरूम में चलिए “
ठाकुर ने उसे किसी बच्चे की तरह उठाया साथ ही वो ब्रा पेंटी भी उठा ली जिसे वो काजल के लिए लाया था ,वो बेडरूम की ओर जाने लगा ,मैं वही बैठ चुका था मैं दहाड़ कर रोना चाह रहा था ,मुझे लग रहा था की जो मैंने किया था वो गलत है ,मैं वँहा एक पल भी नही रुकना चाहता था मैं वँहा से भागा,.........
ये क्या हो रहा है ,इतना तिरिस्कार ,इतनी जिल्लत ,इतनी नाकामी….
इतना बेसहारा तो मैंने अपने को कभी महसूस ही नही किया था,ये मेरे अंदर की निर्लज्जता थी या नपुंसकता ..
मैं क्यो कुछ नही कर पा रहा था ,मैं अपने को असहाय महसूस कर रहा था ,मैं अंदर से टूटा हुआ महसूस कर रहा था ,
मैं डरा हुआ था,कुछ घबराया हुआ,..
मुझे किसी ने कुछ भी तो नही किया था,किसी ने कुछ भी नही किया था लेकिन ये क्यो हो रहा था,
क्यो मेरे दिमाग में काजल और ठाकुर की छबि बार बार आ रही थी,क्यो मैं इतना बेचैन था की वो दोनो आखिर कर क्या रहे होंगे ,मैं अपने को रोक ही नही पा रहा था,मैं फिर से उसी दर्द को बार बार महसूस कर रहा था,मैं सोच कर ही सिहर उठता था की मेरी ही मौजूदगी में कोई मेरी पत्नी के साथ …….
मुझे रोना आ रहा था ,.........
आखिर क्यो मैं इसे चुपचाप देखता रहा मैं वँहा से भाग क्यो नही गया ,
आखिर मुझे हुआ क्या था की मेरा लिंग ये सब देखकर अकड़ रहा था,आखिर मैं ऐसा कैसे हो गया था ,
जिसकी रक्षा की शपथ ली थी उसे दूसरे के साथ देखकर ??????
लेकिन उसे क्या सच में रक्षा की जरूरत थी ,मेरे खयाल से नही ,वो खुद ही इसे अपनायी थी ,काजल अगर यंहा थी तो वो अपने लिए डिसीजन के कारण थी ,ये उसका खुद का ही तो फैसला था…….
मैं गार्डन में बैठा हुआ रो रहा था की मेरे मोबाइल की घंटी बजी…
मैं चौक कर देखा तो वो काजल थी ,और भी ज्यादा चौक गया …….
एक पूरा रिंग होने पर भी मैं उसे नही उठा पाया ,थोड़ी ही देर में अगला रिंग भी बजने लगा
“हैल्लो “मैं थका हुआ सा बोल पाया
“तुम यंहा क्या कर रहे हो “वो बौखलाई हुई आवाज में बोली
मैं हड़बड़ा गया था मैं चारो ओर देखने लगा ,मैं उस खिड़की के तरफ देखा जिस कमरे में वो दोनो गए थे ,कांच की खिड़की में लगे हुए पर्दे से झांकती हुई काजल मुझे दिखी ,मेरे पास कहने को कोई शब्द नही था ,लेकिन शायद वो मेरी कंडीसन देख कर समझ चुकी थी आखिर मैंने क्या देख लिया है ...वो अभी भी साड़ी और ब्लाउज पहने हुई थी लेकिन अब भी उसका दुप्पटा उसके कंधे में नही था…
“तुम तुम पागल हो क्या,यहां कैसे आ गए और ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो ..”
वो घबराई हुई थी
“और ऐसा हाल क्यो बना लिया है “
कहते कहते ही उसका गला भर गया ,उसकी आंखों से पानी तो नही झर रहा था लेकिन उसकी आवाज से जरूर पता चल रहा था की मेरी हालत देखकर उसे दुख ज़रूर हुआ होगा..
“अब कुछ बोलो भी “
“ठाकुर कहा है “
मेरे सवाल पर वो थोड़ी देर तक चुप ही थी,
“वो अभी बाथरूम में है उसके निकलने से पहले तुम यंहा से चले जाओ प्लीज् “
मैं उसे यू ही देखता रहा जैसे कोई खोया हुआ खजाना मेरे सामने हो..
“तुमने ही तो कहा था ना की देखो और इन्जॉय करो तो इन्जॉय करने आ गया था “
मेरे बातो में वो व्यंग था जिसे काजल अच्छे से समझती थी
“प्लीज् देव मैं जानती हु की तुम ये सब सह नही पाओगे ,देखो तुम्हारी हालत क्या हो गई है,”
उसके आवाज के दर्द को मैं महसूस कर पा रहा था ,मैं एक गहरी सांस लिया
“मुझे कुछ नही होगा तुम वो करो जो तुम यंहा करने आई हो “
पीछे से ठाकुर की आवाज आयी और काजल ने फोन काट दिया ,लेकिन पलटने से पहले ही उसने आंखों ही आंखों से मुझे समझया की मैं वँहा से चला जाऊ…
वो पलटी साथ ही उसने पर्दा भी खिंच लिया ,मेरे हेडफोन अब भी मेरे कानो में थे मैं उनकी बाते भी सुन सकता था..
“डार्लिंग अब और मत तड़फओ आओ इधर “
इस बार काजल ने कुछ नही कहा था लेकिन धम्म की आवाज से इतना तो मुझे समझ आ गया की वो बिस्तर में बैठ या लेट चुकी थी ,
“ओह मेरी जान क्या हुस्न पाया है तुमने मन करता है की कच्चा चबा जाऊ “
ठाकुर की ललचाई सी आवाज आयी ,लेकिन फिर भी काजल ने कुछ भी नही कहा
“क्या हुआ तुम्हे अभी तो अच्छी थी ???”
“कुछ अजीब सा लग रहा है ,”
“तबियत तो ठीक है “
“ह्म्म्म ,नही रुको...आज नही कभी और करते है “
“मैं सह नही पाऊंगा “
“जब जिंदगी भर के लिए कोई चीज मिल रही हो तो थोड़ा इंतजार कर ही लेना चाहिए “
पहली बार काजल की हँसी मुझे सुनाई दी लेकिन वो हँसी भी बड़ी फीकी सी लग रही थी
“आखिर हुआ क्या है ,??”
“कुछ नही जान बस आज नही ,मैं तुमसे वादा करती हु की ये पेंटी और ब्रा तुम्हारे ही हाथो से पहनूँगी लेकिन आज नही ,”
पता नही लेकिन ठाकुर जरूर झल्लाया होगा
“ठीक है जाओ “
‘थैक्स मेरी जान “काजल ने शायद उसके गालो को चुम्मन दिया था या उसके होठो को ??
लेकिन थोड़े ही देर में मेरे पास उसका काल आ गया
“मुझे घर में मिलो अभी “
मैं चुपचाप ही वँहा से निकलकर घर की ओर चल पड़ा …..
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