Hindi Adult Kahani कामाग्नि
09-08-2019, 01:53 PM,
#7
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
दोस्तो, आपने पिछले भाग में पढ़ा कि कैसे विराज ने अपनी सुहागरात पर यह जाना कि उसे कुँवारी लेकिन बहुत ही वासना से भरी चुदक्कड़ और शायद थोड़ी अनुभवी पत्नी मिली है। वो उसे अपने दोस्त के साथ मिल कर चोदना चाहता था लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? ये तो आगे चल कर ही पता चलेगा। अब आगे…

अगले दिन जब विराज ने सारी बात जय को बताई तो जय को बड़ी ख़ुशी हुई। उसने विराज को मुबारकबाद दी और मिलवाने के लिए कहा।

विराज- मिल लेना यार, ये सब मेहमान चले जाएं तो आराम से मिलवा दूंगा और तू कहे तो और भी बहुत कुछ कर सकते हैं साथ मिल कर।
जय- नहीं यार, ऐसे एक तरफ़ा काम नहीं करते। मेरी भी शादी हो जाने दे, फिर अगर दोनों की तरफ से हाँ हुई तो करेंगे साथ में।
विराज- तो फिर जल्दी से शादी कर ले यार … सब मिल के मस्ती करेंगे फिर।

कुछ ही दिन में जय को भी लगने लगा कि वो अब विराज के साथ उतना समय नहीं गुज़ार पा रहा था और जो मस्ती वो पहले किया करते थे वो काफी कम हो गई थी। विराज को भी अपनी पत्नी को समय देना ज़रूरी था और फिर एक विषम-लैंगिक पुरुष को तो स्त्री के साथ ही सम्भोग करने का मन करेगा। जय के साथ तो ये सब इसलिए शुरू हुआ था कि कोई और चारा नहीं था और अब केवल दोस्ती निभाने के लिए चल रहा था।

जय ने भी अपने पिता को शादी के लिए इशारा किया कि हमारे घर में भी बहू होती तो काम आसान हो जाता। उनको भी बात सही लगी तो उन्होंने अपनी बिरादरी की एक पढ़ी-लिखी सुन्दर लड़की ढूँढ निकाली और शादी पक्की कर दी। लड़की का नाम शीतल था। पास के छोटे शहर में शीतल के पिता की रेडियो और घड़ी की दूकान थी। शीतल की माँ बचपन में ही गुज़र गईं थीं और बाप-बेटी अकेले वहीं शहर में रहते थे।
इसी तरह कुछ महीने बीत गए और अब कहीं जा कर जय ठीक तरह से शीतल को चोद पाता था। शीतल को भी मज़ा आने लगा था लेकिन उसके लिए अभी भी चुदाई एक बहुत ही गंभीर काम था जिसका वो आनंद तो लेती थी लेकिन इतनी स्वच्छंदता के साथ नहीं जिसमें कोई होश खो कर बस उड़ने सा लगता है। उसके हाव-भाव से ही जय कभी ऐसा नहीं लगा कि वो कभी विराज और जय की दोस्ती में उस हद तक शामिल हो पाएगी जिसमे शर्म-लिहाज़ की सीमाएं बेमानी हो जाती हैं।

जीवन ठीक ठाक चल ही रहा था कि पता चला, शीतल के पापा बीमार रहने लगे थे। तय हुआ कि कुछ दिन के लिए जय और शीतल शहर जा कर रहेंगे। शीतल अपने पिता की सेवा करेगी और जय दुकान का काम सम्हाल लेगा। कुछ दिन कुछ महीनों में बदल गए। शीतल के पापा की तबीयत तो ठीक नहीं हुई लेकिन जय को शहर की हवा रास आ गई। पढ़े लिखे व्यक्ति को वैसे भी खेती-बाड़ी में मज़ा कम ही आता है। एक साल के अन्दर शीतल के पिता का देहांत हो गया।

लेकिन तब तक जय ने उस रेडियो घड़ी की दूकान को काफी बढ़ा लिया था। अब वो इलेक्ट्रोनिक्स के और भी सामान बेचने लगा था। उसने अपने पिता को भी शहर आने का निमंत्रण दिया लेकिन उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि उनको गाँव का वातावरण ही पसंद है। सच तो यह था कि उनका चक्कर अभी भी विराज की माँ के साथ बदस्तूर चल रहा था। विराज दोनों परिवारों की खेती सम्हाल ही रहा था और शालू ने भी अच्छे से दोनों घरों को सम्हाल लिया था।

खैर, जीवन में एकरसता आने लगी थी, इसी बीच शालू गर्भवती हो गई। बात ख़ुशी की थी लेकिन कुछ ही दिन में विराज को समझ आ गया कि अब उसका कामजीवन उतना रसीला नहीं रहेगा लेकिन फिर भी शालू इतनी चपल थी कि विराज को किसी ना किसी तरह खुश कर ही देती थी। आखिर जब मामला ज्यादा नाज़ुक हुआ तो शालू ने विराज को उसके पुराने दिनों के बारे में याद दिलाया। शालू अब विराज के साथ बहुत खुल कर बात करने लगी थी।

शालू- अब जब तक मैं कुछ करने लायक नहीं बची हूँ तो अपने पुराने दोस्त को क्यों नहीं बुला लेते; कब तक ऐसे तरसते रहोगे। मुझे आपको ऐसे देख कर अच्छा नहीं लगता।
विराज- बात तो तुम सही कह रही हो लेकिन अब उसको ऐसे बुलाऊंगा तो बड़ा अजीब लगेगा कि मतलब पड़ा तो बुला लिया।
शालू- अरे ऐसे कैसे? वो तो आपका इतना लंगोटिया यार था कि आप उससे मुझे भी चुदवाने को तैयार हो गए थे। अब क्या वो अपने दोस्त के लिए इतना भी नहीं कर सकता।

विराज- चुदवाने को तैयार हुआ था, चुदवाया तो नहीं था ना?
शालू- हाँ तो चुदवा भी देना लेकिन अभी मुझसे नहीं देखा जा रहा कि आप ऐसे मुरझाए हुए फिरते रहो।
विराज- अब यार अपन तो हैं ही चोदू लोग अपने को तो कोई फर्क नहीं पड़ता अगर दोस्ती यारी में एक दूसरे की बीवी चोद लें तो, लेकिन वो भाई भी बीवी की मर्ज़ी बिना कुछ करने को मना करता है और उसकी बीवी सती सावित्री है तो वो तो मानेगी नहीं।

शालू- ठीक है उसकी बीवी नहीं मान रही तो कोई बात नहीं मैं हाँ कह रही हूँ ना… आपको ना कोई एहसान लेने की ज़रूरत है ना को स्वार्थी महसूस करने की। बिंदास मस्ती करो अपने दोस्त के साथ। जब मैं चुदवाने लायक हो जाऊँगी तो मैं भी आप लोगों की मस्ती में शामिल हो जाऊँगी। फिर तो कोई बुरा नहीं लगेगा ना आपको?
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