RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
शालू- अच्छे से तैयार कर लो इसको … आज रात को ये पहली बार मेरी चूत में घुसेगा।
सुनील- माना तेरी शादी हो गई, बच्चा भी हो गया लेकिन अभी यहाँ इन सब के बीच ये सब ना कर बहना। पकड़े गए तो सारी जिंदगी का रोना हो जाएगा।
शालू- वो सब आप मुझ पर छोड़ दो। आप तो बस आज अपनी बहन चोदने की तैयारी करो।
सुनील- क्या बात है! तेरे तो लगता है काफी बड़े बड़े पर निकल आये हैं।
शालू- इनको पर नहीं मम्मे कहते हैं भैया! बड़े तो भाभी के भी हो गए होंगे एक बच्चे के बाद!
शालू ने अपने स्तनों को मसलते हुआ कहा और फिर वापस अपनी जगह जा कर बैठ गई।
थोड़ी देर में विराज भी आ गया और उसने सुनील को खेत पर चलने के लिए पूछा। फिर दोनों खेत देखने चले गए।
शाम को आये, खाना वाना खाया और विराज सुनील को मेहमानों वाले कमरे में ले गया। वहां बैठा कर वो एक पुरानी स्कॉच की बोतल निकाल लाया जो उसे जय ने यूरोप से ला कर दी थी।
आज उसका साला जो आया था कुछ खास करना तो बनता था।
शालू ने चखना लाकर दे दिया।
विराज- सुनो! माँ सो जाएं तो बता देना।
शालू- ठीक है।
विराज ने दरअसल इशारे में शालू को वो खिड़की बंद करने को कहा था जिससे माँ उनके कमरे में देख सकती थी। इधर जीजा-साले की दारू पार्टी शुरू हुई उधर शालू माँ के पास गई।
शालू- माँ जी, ये तो भैया के साथ मेहमानों वाले कमरे में हैं। जीजा-साले की पार्टी चल रही है। कहो तो आपकी चूत-सेवा कर दूं? नहीं तो मैं फिर सोने जाती हूँ।
माँ- नईं री। आज तो भोत थक गई।
शालू- ठीक है फिर मैं जाती हूँ… अरे ये कांच! इसको बंद कर देती हूँ, भैया ने देख लिया तो अजीब लगेगा।
ऐसे बहाना बना कर शालू ने कांच पूरा ही बंद कर दिया। अब उसे केवल शालू-विराज के कमरे से खोला जा सकता था। उसके बाद शालू ने विराज को बता दिया कि माँ सो गईं हैं और वो भी सोने जा रही है। तब तक इन दोनों का पहला ही पैग चल रहा था। जब वो ख़त्म हुआ तो विराज ने भी अपने बेडरूम जाने की बात कही।
विराज- चलो साले साहब चलते हैं।
सुनील- अरे! अभी तो बस एक ही पैग हुआ है। चले जियेगा जल्दी क्या है?
विराज- यार इस शराब में वो नशा कहाँ जो तुम्हारी बहन में है। मैं तो कहता हूँ तुम भी चलो; दोनों मिल के साथ मज़े करेंगे।
सुनील- क्या जीजाजी आप तो एक ही पैग में टल्ली हो गए। वो मेरी बहन है। चलो ठीक है आप जा के मज़े करो, मैं यहीं रुकता हूँ।
विराज- अरे नहीं यार, मुझे चढ़ी नहीं है। और तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे बहन है तो तुमने कुछ किया ही नहीं कभी। जो इतनी सब बातें करते थे लोग … वो क्या मुझे पता नहीं?
सुनील- अरे नहीं जीजाजी, आप गुस्सा मत हो वो सब तो अफवाहें उड़ा दी थीं लोगों ने आप भी कहाँ लोगों की बातों में आ गए।
विराज- अच्छा!!! अफवाहें थीं? चलो फिर मेरे साथ तुम्हारी बहन से ही पूछ लेते हैं।
इतना कह कर विराज सुनील का हाथ पकड़ कर साथ में अपने बेडरूम में ले गया। दरवाज़ा आधा खुला हुआ था, लाइट जल रहीं थीं और शालू एक चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी।
विराज- शालू बताओ अभी तुम्हारे और सुनील के बीच क्या क्या हुआ है?
सुनील- देखो ना यार शालू, जीजाजी को एक पैग में ही चढ़ गई है पता नहीं क्या क्या बोल रहे हैं।
शालू ने एक झटके में अपनी चादर झटक कर अलग कर दी और बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गई। चादर के अन्दर वो पूरी नंगी थी। सुनील तो सकते में आ गया उसे समझ ही नहीं आया कि हो क्या रहा है। वो इधर उधर देखने का नाटक करने लगा।
सुनील- शालू, ये क्या है तुमने भी पी रखी है क्या? ऐसे मेरे सामने नंगी क्यों आ रही हो?
शालू- इनको दारू नहीं, मेरा नशा चढ़ा है भैया। एक बार मेरे होंठों से पी लो तो तुमको भी चढ़ जाएगा।
इतना कह कर नंगी शालू ने अपने भाई को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगी। सुनील उत्तेजना में पागल हुआ जा रहा था लेकिन फिर भी ऐसा दिखा रहा था जैसे खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहा हो।
|