RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
सोनिया- अरे ये क्या तरीका है… अभी तो मैं काम कर रही हूँ। नाश्ता करने तक तो इंतज़ार कर लिया होता।
राजन- नाश्ते तक? तुमने तो मेरे जागने तक का इंतज़ार नहीं किया।
राजन ने अपनी शक्ल दिखाई तो सोनिया हँसी रोक नहीं पाई।
सोनिया- अरे बाबा, मैं तो नाश्ता बनाने में बिजी थी। ये देखो मेरे हाथ … यह ज़रूर नेहा का काम होगा।
राजन- इस नेहा की बच्ची को तो मैं नहीं छोडूंगा आज।
इतना कह कर राजन नेहा के कमरे की तरफ भागा। लेकिन नेहा रंग लगवाने के लिए तैयार नहीं थी वो भी इधर उधर भागने लगी। आखिर नेहा को किसी भी तरह पकड़ कर रंगने के चक्कर में राजन का एक हाथ उसकी छाती पर पड़ गया और उसने अपनी बहन के स्तन को दबाते हुए अपनी ओर खींचा। इससे नेहा शर्मा गई और जैसे ही राजन को अहसास हुआ कि क्या हो गया है तो वो भी थोड़ा सकुचा गया। यह पहली बार था जब उसने अपनी पत्नी के अलावा किसी और के उरोजों को छुआ था वो भी अपनी सगी बहन के।
इतने में नेहा भाग कर घर से बाहर निकली लेकिन उसकी किस्मत में रंगना ही लिखा था। उसके कॉलेज की कुछ सहेलियाँ और उनके बॉय-फ्रेंड्स इनके घर की तरफ ही आ रहे थे उन्होंने झटपट उसे पकड़ लिया और फिर तो नेहा की वो रंगाई हुई है कि समझो अंग अंग रंग में सरोबार हो गया। भीड़ में किसने उसके स्तनों का मर्दन किया और किसने नितम्बों का ये तो उसे भी नहीं पता चला।
लेकिन उसे मज़ा भी बहुत आया क्योंकि कई दिनों से वो खुद ही के स्पर्श से कामुकता का अनुभव कर रही थी। आज पहले अपने ही भैया के हाथों उसके उरोजों का उद्घाटन हुआ था और अब इतने लोगों ने उसे छुआ था कि उसके लिए इस सुख की अनुभूति का वर्णन करना संभव नहीं था। ऊपर से भजियों में मिली भांग ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था।
इधर सोनिया ने अपने हाथों से अपने पति को भांग वाले भजिये खिलाने शुरू किये। लेकिन राजन आज कुछ ज्यादा ही रोमाँटिक हो रहा था उसने भी अपने होंठों में दबा दबा कर वही भजिये सोनिया को खिलने शुरू किये। सोनिया भी मन नहीं कर पाई क्योंकि उनका पहला चुम्बन ऐसे भी राजन ने उसे चॉकलेट खिलने के बहाने किया था। इधर राजन और सोनिया को भांग का नशा चढ़ना शुरू हुआ उधर नशे में चूर और रंग में सराबोर नेहा ने दरवाज़े पर दस्तक दी।
राजन ने दरवाज़ा खोला तो उसके तो होश ही उड़ गए। उस भीगे बदन के साथ जिस नशीली अदा से वो खड़ी थी उसे देख कर राजन का लण्ड झटके मारने लगा। वो अन्दर आई तो उसके ठण्ड के मारे कड़क हुए चूचुक जो टी-शर्ट के बाहर से ही साफ़ दिख रहे थे और उसके पुन्दों के बीच की घांटी में फंसी उसकी गीली स्कर्ट जो उसके नितम्बों की गोलाई स्पष्ट कर रही थी उसे देख कर तो राजन का ईमान अपनी सगी बहन पर भी डोल गया। तभी सोनिया भी आ गई।
सोनिया- ननद रानी, बाहर ही पूरा डलवा चुकी हो या घर में भी कुछ डलवाओगी?
नेहा नशे में खुद पर काबू नहीं कर पाई और नशीले अंदाज़ में खिलखिला दी। सोनिया को नेहा की वजह से ही सुबह सुबह रंग दिया गया था उसका बदला तो उसे लेना ही था।
सोनिया- तुम्हारी वजह से मैं रंगी गई थी। बदला लिए बिना कैसे छोड़ दूं। अब बाहर तो कोई कोरी जगह दिख नहीं रही है तो अन्दर ही लगाना पड़ेगा।
इतना कह कर सोनिया ने नेहा के टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्में रंग दिए। इस बात पर नेहा भी बिदक गई।
नेहा- भैया, भाभी को पकड़ो, मैं भी रंग लगाऊँगी।
राजन ने सोनिया को पीछे से ऐसे पकड़ लिया कि उसके दोनों हाथ भी पीछे ही बंध गए। नेहा कुर्ती के गले में हाथ डाल कर सोनिया के जोबन को रंगने जा ही रही थी कि उसने देखा वहां पहले ही रंग लगा हुआ है।
नेहा- क्या यार भैया! आपने तो इनके खरबूजे पहले ही रंग दिए हैं।
राजन- तो तू सलवार निकाल के तरबूजे रंग दे!
नेहा ने सलवार का नाड़ा खींचा और सोनिया की पेंटी में अपने दोनों हाथ डालकर उसके दोनों कूल्हों पर रंग लगाने लगी। इधर राजन ने सोनिया की कुर्ती निकालने की कोशिश की तो उसकी पकड़ कमज़ोर पड़ गई। उसने सोचा था कि कुर्ती तो पकड़ में रहेगी लेकिन सोनिया खुद उसमें से निकल भागी और तुरंत राजन के पीछे जा कर उसे धक्का मार दिया। अब सोनिया केवल ब्रा और पेंटी में थी।
राजन अभी ठीक से समझ भी नहीं पाया था कि क्या हुआ है, वो लड़खड़ा गया और नेहा के ऊपर जा गिरा। उसके हाथ में जो सोनिया की कुर्ती थी उसमें नेहा का सर फंस गया। राजन अभी नेहा का सहारा ले कर अभी थोड़ा सम्हला ही था कि, सोनिया ने राजन की अंडरवेयर नीचे खसका दी, और नेहा के हाथ उसके भाई के नंगे नितम्बों पर रख दिए। राजन का लण्ड भी फनफना के उछल पड़ा।
सोनिया- मेरी सलवार निकलवाओगे। ये लो अब अपनी तशरीफ़ रंगवाओ!
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