RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि नेहा ने समीर से अपनी नजदीकियां कुछ ज्यादा ही बढ़ा ली थीं। उधर सोनिया और राजन ने भी उसको पूरी छूट दे दी थी। समीर नेहा को अपने सारे राज़ बता चुका था और उसके साथ थोड़ी मस्ती भी हो गई थी। लेकिन अब वो सोने के लिए नेहा के कमरे में जा रहा था.
अब आगे…
आखिर समीर ने सब सोचना बंद करके सीधे बात करने की ठान ली। एक बात तो सच है कि शराब पीने के बाद दिमाग भले ही कम काम करे, लेकिन शायद इसी वजह से इंसान में हिम्मत बहुत आ जाती है क्योंकि दिमाग फिर बार-बार रोक-टोक नहीं करता।
समीर सीधे नेहा के रूम में गया और उसके बाजू में धड़ाम से जा कर लेट गया।
नेहा- क्या हुआ? एक ही पेग में चढ़ गई?
समीर- पता नहीं यार, पहली बार पी है तो समझना मुश्किल है कि चढ़ी या नहीं लेकिन इतना पक्का है कि तुम अभी तक दो तो दिखाई नहीं दे रही हो।
नेहा- हुम्म्म… मतलब ज़्यादा नहीं चढ़ी है।
समीर- अब यार कितनी चढ़ी है वो तो पता नहीं लेकिन अभी इतना दिमाग काम नहीं कर रहा कि तुमको सेक्स के लिए पटा पाऊं। सुबह से जो भी तुम इशारे कर रही हो उनसे ये तो समझ आ गया है कि करना तुम भी चाहती हो लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों सही से मूड नहीं बन पा रहा।
नेहा- तुम्हारा मलतब जैसा मूड फिल्म देखते समय बना था वैसा?
समीर- हुम्म्म!
इतना कह कर नेहा समीर के पास आ गई और उस से चिपक कर लेट गई। दरअसल समीर को नशे की वजह से इतनी हिम्मत तो मिल गई थी कि उसने सबकुछ साफ़ साफ़ बेझिझक कह दिया लेकिन उसी नशे की वजह से उसका सारा शरीर ही धीमा हो चुका था और वो कोई उत्तेजना महसूस नहीं कर पा रहा था। नेहा को चोदना चाहता तो था, और नेहा ने मना भी नहीं किया था लेकिन चोदने के लिए लंड भी तो खड़ा होना ज़रूरी था।
वैसे तो लंड को भी हिला के रगड़ के खड़ा किया जा सकता था। जैसे अलाउद्दीन के चिराग को रगड़ने से जिन्न निकल आता है वैसे ही लंड भी खड़ा किया जा सकता है, लेकिन फिर जिन्न को काम क्या दोगे? खम्बे पर चढ़ने और उतरने का? चुदाई की सबसे बड़ी समस्या जो लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर जाते हैं, वो यही है। लंड को उत्तेजित करना कोई बड़ी बात नहीं है, उस से ज़्यादा ज़रूरी है दिमाग़ को उत्तेजित करना।
कामशास्त्र का इतना ज्ञान समीर को तो नहीं था, लेकिन फिर भी उसकी सोच यही थी और वो समझ नहीं पा रहा था कि कमी किस बात की है? खुशकिस्मती से नेहा को इतना अनुभव हो गया था की वो समझ गई। उसने मामले को सही लाइन पर लाने के लिए विषय बदला।
नेहा- अच्छा ये बताओ कि दोपहर को जो तुम अपनी दीदी और अपनी कहानी सुना रहे थे वो आगे क्यों नहीं बढ़ी। तब भी ऐसा ही कुछ हुआ था क्या? सही मूड नहीं बन पाया?
समीर- नहीं यार, तब तो सारा टाइम मूड बना रहता था लेकिन हिम्मत नहीं हुई?
नेहा- किस बात के डर से हिम्मत नहीं हुई? कहीं दीदी मम्मी को न बता दे?
समीर- वो तो बाद की बात है। पहली बात तो यही है न की अगर दीदी को बुरा लग जाता, तो जो हमारा लुका-छिपी में खेल चल रहा था वो भी खत्म हो जाता। असली डर तो ये था।
नेहा- अच्छा मान लो अगर तुमको भरोसा हो जाए कि दीदी को बुरा नहीं लगेगा तो क्या तुम उनको चोद दोगे?
समीर- क्या बात है यार, तुम तो एकदम सीधे सीधे बोल देती हो।
नेहा- यार, सीधे बोलने से ही तो मूड बनता है न।
इतना कह कर नेहा ने समीर का लंड पकड़ कर हल्का सा दबा दिया। वो केवल ये देखना चाहती थी कि समीर कितना उत्तेजित हुआ है। अभी तक समीर का लंड थोड़ा बड़ा तो हो ही गया था लेकिन नेहा के छूने से थोड़ा कड़क भी हो गया।
नेहा- बताओ न?
समीर- अब यार… अब तो उनकी शादी हो गई है न और वो भी तुम्हारे भाई से तो अब मैं क्या बोलूं?
नेहा- अरे यार मुझसे क्या शर्माना, मैं कौन सी दूध की धुली हूँ?
समीर- अरे हाँ! दोपहर को तुमने बताया था। मुझसे तो सारी कहानी पूछ ली थी लेकिन खुद की कहानी नहीं बताई थी। अब तो पहले तुम बताओ।
नेहा- क्या बताऊँ यार, बता तो दिया था कि मैं भैया को नहाते हुए देखती थी। लेकिन तुम्हारे जैसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच। मुझे कभी नहीं लगा कि उन्होंने कभी मुझे देखा हो।
समीर- हाँ लेकिन तुम्हारा कभी मन नहीं हुआ आगे कुछ करने का?
नेहा- होता तो था… भैया के लंड के बारे में सोच सोच के अपनी चूत में उंगली कर लिया करती थी।
नेहा के मुँह से ऐसी बात सुन कर समीर की आँखों में थोड़ी चमक आई और उसके लंड ने भी अंगड़ाई ली। उसने नेहा को अपनी बाँहों में ले कर कहा।
समीर- मतलब अगर तुमको मौका मिलता तो तुम अपने भाई से चुदवा लेतीं?
नेहा- मौका मिले, तो मैं तो अब भी चुदवा सकती हूँ। और तुम?
समीर- अब तक तो कभी हिम्मत नहीं हुई थी लेकिन अब अगर मौका मिला तो चोद दूंगा।
|