RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे खेल खेल में भाई बहनों ने धीरे धीरे बेशर्मी की सीमाएं लांघते हुए आखिर में कैसे सामूहिक बहन चुदाई का खेल खेला और रात भर दोनों भाई अपनी बहनों को चोदते चोदते आखिर सो गए।
अब आगे…
सूरज की सुनहरी किरणें पर्दों से छन-छन कर बेडरूम में दाखिल हो रहीं थीं। चार नंगे जिस्म एक बड़े से बिस्तर पर गोलाकार बनाए हुए अभी भी नींद की गोद से निकले नहीं थे। सूरज भी सोच रहा होगा कि भला ये कौन सा तरीका हुआ सोने का? लेकिन ये लोग ऐसे क्यों सोए थे इसके पीछे रात की अंधाधुंध चुदाई थी। शरीर थक कर चूर हो गया था नशा सर चढ़ चुका था लेकिन दिल है कि मानता नहीं।
आखिर सबने निश्चय किया कि कुछ ऐसा करते हैं कि आराम भी मिले और सेक्स का मजा भी। सब एक गोला बना कर, एक दूसरे की जाँघों को तकिया बना कर लेट गए। लड़के अपनी पत्नी या प्रेमिका की जांघ पर और लड़कियां अपने भाइयों की जाँघों पर सर रख कर लेट गईं।
समीर नेहा की चूत चाट रहा था; नेहा, राजन का लंड चूस रही थी; राजन सोनिया की चूत में घुसा पड़ा था और सोनिया, समीर लंड निगलने की कोशिश में लगी हुई थी।
इस तरह सब आराम से लेटे हुए भी थे और सबको मजा भी मिल रहा था। इसी तरह एक दूसरे के गुप्तांगों को चाटते चूसते सब आखिर सो गए थे।
सूरज की किरणों की थपकी से जब राजन की आँख खुली तो सामने सोनिया की चूत थी। उसने उनींदी आँखें ठीक से खोले बिना उसे चाटना शुरू कर दिया। इस से सोनिया की नींद भी टूटी और वो अपने भाई का लंड बेड-टी समझ कर चूसने लगी। ऐसे ही समीर और नेहा भी जाग गए।
थोड़ी देर ऐसी ही चटाई चुसाई के बाद सब उठे और नंगे ही रोज़मर्रा के कामों में लग गए। लेकिन आज काम के साथ साथ, काम वासना का खेल भी चल रहा था। जिसको जहाँ मौका मिल रहा था थोड़ी थोड़ी चुदाई कर ले रहा था। किचन में, बाथरूम में, बेडरूम में; लेकिन आखिर सब शॉवर में मिले और उस छोटी सी जगह में जहाँ मुश्किल से दो लोगों के लिये नहाने की जगह थी, चार लोगों ने अच्छे से मस्त खड़े खड़े चुदाई की।
इसका भी अलग मजा था।
समीर, नेहा को और राजन, सोनिया को चोद रहा था लेकिन साथ ही भाई-बहनों के नंगे शरीर भी आपस ने रगड़ रहे थे। कभी कमर, तो कभी भाई बहन के पुन्दे आपस में टकरा कर एक दूसरे
को धक्के मारने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। चुदाई से ज्यादा मजा इस मस्ती में आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे लंड को चूत में घुसाने के लिए नहीं बल्कि एक दूसरे के नितम्बों से अपने चूतड़ टकराने की गद्देदार अनुभूति के लिए धक्के मारे जा रहे थे।
इस चुदाई स्नान के बाद सब फ्रेश हो कर बाहर आए। राजन और समीर ड्राइंग-रूम में नंगे ही बैठे बातें करने लगे, तब तक नेहा और सोनिया भी तैयार हो कर और पूजा की थाली सजा कर ले आईं थीं।
लेकिन कुछ अजब ही तरीके से तैयार हुईं थीं दोनों। बालों में गजरा, चेहरे पर सुन्दर मेक-अप, कानो में झुमके, गले में भरा हुआ सोने का हार, हाथों में मेंहदी और पैरों में महावर। दोनों बिल्कुल दुल्हन लग रहीं थीं, लेकिन एक ही बात थी जो अलग थी। दोनों ने कपड़ों के नाम पर बस एक लाल थोंग पहनी थी।
समीर- ये क्या रक्षाबंधन की तैयारी है? ऐसा है तो चलो हम भी कपडे वपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं।
नेहा- रात भर मस्त अपनी बहन चोदने के बाद, तुमको रक्षाबंधन मनाना है?
समीर- तो फिर ये पूजा की थाली क्यों? और उसमें राखी भी रखी है।
सोनिया- अब यार, भेनचोद भाई के हाथ में राखी बाँधने का तो कोई मतलब है नहीं; लेकिन तू यहाँ राखी मनाने ही आया था, तो बिना राखी घर जा के क्या जवाब देगा?
समीर- तो फिर ये नेहा मना क्यों कर रही है?
नेहा- क्योंकि हम रक्षाबंधन नहीं मनाएँगे; हम चुदाई-बंधन मनाएँगे।
समीर- अब ये क्या नया आइटम ले कर आई हो तुम? चुदाई-बंधन!
नेहा- ये रक्षा-बंधन का सेक्सी रीमिक्स है। ही ही ही…
इस बात पर सभी थोड़ा बहुत तो हंस ही दिए। समीर की नज़रें राजन पर टिक गईं क्योंकि ऐसे ज्ञान की बातों में उसकी विशेष टिप्पणी ज़रूरी थी। समीर के देखने के तरीके से ही राजन समझ गया कि समीर उसकी राय जानना चाहता है। पिछले कुछ दिनों में उसने समीर को ऐसे विषयों पर कुछ ज्यादा ही ज्ञान दे दिया था।
राजन- देखो समीर ऐसा है, रक्षाबंधन का मतलब है कि भाई अपनी बहन को वचन देता है कि वो उसकी रक्षा करेगा। अब लड़कियों की रक्षा का मतलब अक्सर उनकी इज्ज़त, लाज या अस्मिता की रक्षा करना होता है। यहाँ तो हमने ही अपनी बहनों को चोद दिया है; तो अब उस वचन का को कोई खास मतलब रह नहीं जाता। बाकी हिफाज़त तो हम अपने परिवार के सभी लोगों की करते ही हैं।
|