RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
कल समीर जाने वाला था तो आज रात फिर सबने एक ही कमरे में सोने का फैसला किया। सोने का तो नाम था सोना आज भी किसी को था नहीं लेकिन आज उतनी अधीरता भी नहीं थी। सब अधलेटे से या बैठे से बिस्तर पर पड़े थे। राजन तकियों से टिक कर लगभग बैठा हुआ सा था और नेहा उसकी गोद में पीठ टिका कर लेटी पड़ी थी।
राजन का एक हाथ नेहा की कमर पर थे और दूसरे से वो उसके स्तनों के सात खेल रहा था। सोनिया और समीर वहीं लेटे हुए एक दूसरे से चिपके पड़े थे। सोनिया ने राजन की ओर करवट ली हुई थी और समीर ठीक उसके पीछे लेटा था। सोनिया का सर समीर की बाँह पर थे और उस ही हाथ से समीर ने सोनिया का एक स्तन पकड़ा हुआ था। उसका भी दूसरा हाथ सोनिया की कमर और उसके नितम्बों को सहला रहा था।
सोनिया- क्यों ना आज भी उस दिन जैसे रोल-प्ले करें? आज तो सच में समीर यहाँ है, और इस बार मम्मी का रोल नेहा ही करेगी।
राजन- हे हे हे… नेहा कुछ छोटी नहीं है मम्मी के रोल के लिए? और फिर मैं क्या करूँगा?
सोनिया- पिछली बार मुझे मम्मी बनाया था… मैं क्या बुड्ढी लगती हूँ? तुम एक काम करो तुम पापा बन जाओ। इस से हमारे लिए भी कुछ नया हो जाएगा। तुम सब से आखिर में एंट्री मारना।
समीर- कोई मुझे भी समझाएगा कि ये सब क्या प्लानिंग चल रही है?
सोनिया और नेहा ने मिल कर समीर को बताया कि कैसे उसके आने से पहले वो लोग रोल-प्ले करते थे और शुरुआत उसके और उसकी मम्मी की चुदाई के रोल-प्ले से ही हुई थी। राजन ने उसे रोल-प्ले के फायदे भी समझाए।
राजन- देखो, जिसके साथ तुम सच में चुदाई नहीं कर सकते उसको कल्पना में मान कर अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी को चोद लो। इससे कोई गलत काम भी नहीं होगा और तुम्हारा मन भी मान जाएगा। अगर सब लोग ऐसा ही करने लग जाएं तो कम से कम आधे जबरदस्ती वाले केस तो कम हो ही जाएंगे।
सबने राजन की इस बात पर हामी भरी और फिर उसके बाद रोल-प्ले शुरू किया गया। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा पहले हुआ था, लेकिन इस बार जैसे ही शीतल की चुदाई शुरू हुई, जय (राजन) की एंट्री हो गई।
जय, सोनिया और समीर के पापा हैं जिनका रोल राजन प्ले कर रहा था।
जय (राजन)- अगर मैं ये सब सपने में भी देख रहा होता तो अब तक मेरी नींद टूट गई होती।
जय गुस्से में चिल्लाते हुए- कोई मुझे बताएगा ये हो क्या रहा है?
अचानक से सब रुक गया। सोनिया ने धीरे से समीर को चुदाई चालू रखने को कहा और अपने पापा के पास जा कर नंगी ही उनके बाजू में चिपक कर खड़ी हो गई। शीतल (नेहा) के चेहरे पर डर और शर्मिंदगी के मिले जुले भाव थे लेकिन वो मजबूर भी थी क्योंकि उसकी चूत उसे उठ कर जाने की इजाज़त नहीं दे रही थी।
ऐसे में सोनिया ने अपने पापा को मनाने की कोशिश की- पापा, आप ये ना देखो कि ये कौन हैं। आप बस ये देखो कि ये क्या कर रहे हैं और उस से उनको कितनी ख़ुशी मिल रही है। ये देखो, मज़ा तो आपको भी आ रहा है।
सोनिया ने जय के तने हुए लंड पर पजामे के ऊपर से हाथ फेरते हुए कहा और साथ ही पजामे का नाड़ा खींच दिया। जय चुपचाप खड़ा था, लेकिन उसके अन्दर एक युद्ध चल रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस सब का विरोध करे या खुद भी इस सब में शामिल हो जाए।
ये बात सोनिया ने अपने पापा के चेहरे पर पढ़ ली और उनकी चड्डी नीचे खिसका कर लंड पकड़ लिया।
सोनिया- ज्यादा सोचो मत पापा, आप बस एन्जॉय करो।
इतना कहकर सोनिया ने जय का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। जय ने भी हार मान ली और इस पारिवारिक चुदाई का हिस्सा बनने में ही भलाई समझी। थोड़ी ही देर में एक ही बिस्तर पर माँ-बेटा और बाप-बेटी की चुदाई एक साथ होने लगी। कहने को ये रोल-प्ले था, लेकिन जब मानने से पत्थर भी भगवान बन सकता है, तो क्या नहीं हो सकता।
एक बार सब के झड़ जाने के बाद सबने दूसरा चक्कर लगाने की बजाए सोना ही बेहतर समझा क्योंकि समीर का अगले दिन सुबह की ही गाडी से रिजर्वेशन था। चाहते तो नहीं थे, लेकिन आखिर सब सो ही गए।
अगली सुबह सोनिया सबसे जल्दी उठ गई और समीर के रस्ते के लिए कुछ खाना भी दिया फिर जल्दी से तैयार हो कर बैठ गई ताकि बचे हुए समय में ज़्यादा से ज़्यादा वो अपने भाई के साथ बिता सके।
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