RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
रमा जिसे अब शक होने लगा था की जो चीज़ उसके हाथों में है वो सांप है भी है या नहीं चीज़ को अपने हाथ ऊपर नीचे कर टटोलने लगी निचले हिस्से पर पहुंची तो उसे सांप के मुंह जैसा कुछ नहीं महसूस हुआ बल्कि उसे लगा की वो एक संतरे जितने बड़े लण्ड मुंड को सहला रहा रही है अचानक उसके मन में पिछली सारी बातें घूम गयी "हाय राम इतना बड़ा लौड़ा" उसने मन में सोचा और उसका दिल फिर रेलगाड़ी की तरह धड़कने लगा । उसकी चूत में जैसे एक टीस सी उठी ,आज पहली बार वो एक असली मर्द का लौड़ा छू रही थी । रमा एक अजीब सी उत्सुकता में बह गयी उसके मन में अजीब सी बातें आने लगी 'हाय कैसे लूँगी इस लण्ड को चूत में, जब 7 फुट के बाबा जी मेरे ऊपर चढ़ेंगे तो क्या होगा' वो लण्ड को पकडे पकडे ही विचारों में खो गयी ,
"रमा ....रमा क्या हुआ किन विचारों में खो गयी" बाबा जी अपने शिथिल लेकिन भारी और बड़े लण्ड से रमा के चेहरे पर एक चपत मारते हुए पूछा"
"गुरु जी जिस चीज़ का मैंने अभी चुमभन लिया है वो सांप नहीं है न?"
"ह्म्म्म आखिर तुम जान ही गयी तो तुम ही बताओ ये क्या है?"
"गुरूजी ये आपका लिंग है"
"तुम्हें अच्छा लगा ? तुम्हारे पति से अच्छा है या बुरा?"
"गुरूजी उनका तो किसी छोटे बच्चे की लुल्ली जैसा है"
"अच्छा और हमारा लिंग कैसा है"
"आपका का तो बहुत बड़ा है"
"तुम देखना चाहोगी"
"हाँ गुरु जी"
"हम तुम्हे अपने लिंग के दर्शन करवाएंगे पर उससे पहले तुम्हें इससे प्यार करना होगा ....करोगी न रमा?"
रमा जो घुटनों के बल बैठी थी कुछ आगे खिसकी ,गुरु जी न उसके चेहरे को पकड़ अपने लिंग के बिलकुल पास सेट कर दिया ताकि रमा उसे चाट सके ,रमा ने अपनी जीभ निलकाली और लिंग को आइसक्रीम की तरह चाटने लगी ,नीचे से से ऊपर और ऊपर से नीचे ,एक गर्म ,डंडे जितने बड़े लण्ड को वो चाटती जा रही थी ।
"ओह....रमा तुम तो कमाल चाटती हो आह"गुरु जी सिसकियाँ लेने लगे
गुरु जी का शिथिल लण्ड अब अकड़ने लगा था क्योंकि रमा ने लिंग को दोनों हाथों से पकड़ रखा था उसे लगा की लिंग के उठान से वो भी कहीं ऊपर न उठ जाए कुछ सेकण्ड में गुरु जी लण्ड पूरा तन चूका था ।
"रमा लिंग दर्शनों के लिए तयार है खोलो अपनी आँखों की पट्टी " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा
रमा ने लिंग को छोड़ दिया और उसने अपनी आँखों की पट्टी खोली ,120 डिग्री पर तने हुए 4किलो की लौकी जितने मोटे लण्ड को देख रमा का मुंह खुला का खुला रह गया ।
"रमा तुम हमारे लिंग का माप नहीं लोगी ?.....ये लो इंचीटेप और मापो इसे आखिर तुम्हे पता होना चाहिए की जो लिंग तुम्हारी योनी में जाने वाला है उसका आकार क्या है " ये कहते हुए गुरु जी ने रमा को इंचीटेप थमा दिया ।
नापने का मन तो रमा का भी कर ही रहा था उसने झट से इंचीटेप उठाया और लिंग के सिरे पर रख इंचीटेप को लण्डमुण्ड के आखरी सिरे तक खोला ...उसे 12इंच पढ़कर विश्वास नहीं हुआ उसने दोबारा माप लिया इसबार भी 12इंच '12 इंच मतलब पूरा एक फुट' रमा ने मन में सोचा
"रमा तो कितनी लंबाई है हमारे लण्ड की?"
"गुरु जी 12 इंच"
"ठीक अब मोटाई का नाप लो"
"हाय यह भी 12इंच ....इनती तो मेरी बाजु भी मोटी नहीं है"
"हा हा हा रमा ये असली मर्द का लण्ड है ....पर आज तुम्हें देख ये कुछ अधिक ही तन गया है अब मुझसे और सब्र नहीं होता अब तुम्हारा चोदन करना ही होगा...तुम तयार हो न "
"जी गुरूजी आप जो करेंगे वही ईश्वर की कृपा होगी"
गुरूजी ने रमा को गोद में उ ठा लिया और उसे लेजाकर फिर से टेबल पर लिटा दिया ,और रमा की बाहें खोली और टेबल के कोनों से एक रस्सी की मदद से बांध दीं ।
"गुरूजी ये आप क्या कर रहे हैं ...मुझे डर लग रहा है" रमा बोली
"डरो नहीं रमा अभी तो आखिरी प्रसाद ग्रहण करना है " गुरु जी ने रमा की टांगे खोली और खुद उसकी टांगो के बीच आते हुए बोले "रमा मेरी तो बड़ी इच्छा थी तुम्हारी इस चूत का रसपान करूँ पर ये लिंग में लगी आग पहले शांत करनी होगी"
रमा कुछ नहीं बोली बस लेटी रही ...उसके हाथ बंधे थे और वो कुछ कर भी नहीं सकती थी गुरुजी के लौड़े को देख उसे डर लग रहा था लेकिन उसके अंदर की प्यास उसके डर से कहीं ज्यादा थी गुरु जी थे की अपने मूसल लिंग को उसकी चूत के होंठों पर रगड़े जा रहे थे ...रमा का पूरा बदन मस्ती से काँपने लगा
"रमा क्या हुआ तुम काँप क्यों रही हो" गुरूजी ने भोले बनते हुए कहा
"आह ...गुरूजी और सहन नहीं होता" रमा ने आहें भरते हुए कहा
गुरूजी इसीके तो इंतज़ार में थे की रमा कोई इशारा करे यंहां तो रमा ने न्योता ही दे दिया था उन्होंने आव देखा न ताव झट से रम की पतली कमर पकड़ी और ज़ोर का गस्सा मारा उनके लण्ड का मुंड सरसराता रमा की योनि में घुस गया ।रमा दर्द से बिलबिला उठी
"आई मर गयी ...गुरूजी क्या कर दिया इस दर्द से मर जाउंगी मैं"
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