Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
09-14-2019, 02:39 PM,
#10
RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
"क्यों क्या हुआ बताओ न" रमा बोली उसे अब मज़ा आने लगा था जैसे हमें पोर्न देखते हुए आता है ।
"हम्म हम्म मज़ा ले रही है ?" तरन ने रमा को छेड़ते हुए कहा फिर वो पालथी मार के बैठ गयी और सुनाने लगी
"रमा क्या बताऊँ तुझे कल तो एक पल के लिए मेरी सांसे ही रुक गयीं थी हुआ ये की रवि आम तौर से 10 बजे के आसपास आता है और 1 बजे तक चला जाता है ,उसे घंटी न बजानी पड़े इसलिए मैं दरवाजे पर कुण्डी नहीं लगाती ...पर कल वो 11 बजे तक नहीं आया मुझे लगा की अब नहीं आएगा तो मैं रसोई में खाना बनाने चली मैं आटा गूंध रही थी की उसने मुझे पीछे आके दबोच लिया कस के और मेरे कबूतरों को मसलने लगा । मैं कहा भी की क्या कर रहे हो पिंकी के पापा आ जाएंगे पर उस पे तो ठरक हावी थी उसने झट से मेरी नाइटी ऊपर की और घुसा दिया अपना बड़ा मोटा लौड़ा मेरी चूत में गुसेड़ दिया ,कमीने का इतना मोटा है की हर बार लेते हुए मेरी हालत पतली हो जाती है । मैंने कहा भी रवि से की तेल-वेल लगा ले पर उसने तो तब तक रेल चलानी शुरू कर भी दी थी ,मैं शेल्फ पे झुकी हुई थी और वो मेरे कबूतरों को पकड़ के पूरी ताकत से धक्के दे रहा था । पर तभी घंटी बजी पर मैं करती क्या मेरी तो सिटी-पिटी गुम हो गयी , 'रवि पक्का तुम्हारे भैया होंगे' पर उसे तो जैसे पहले ही सब पता था बोला 'पूछो की कौन है और भाग कर बाथरूम में चलो' मैंने आवाज लगाई "कौन है". और भाग कर बाथरूम में पहुँच गए हम दोनों । बाहर से ये बोले 'मैं हूँ तरन दवाजा खोल' । मैं जो पहले डरी हुई थी और डर गयी मेरे पूरा बदन कांप रहा था कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या जवाब दूँ । पर रवि ने धीरे से मेरे कान में कहा कि कहो मैं नहा रही हूँ ..आती हूँ, मैंने ऐसा ही किया । रवि मुझ से ज्यादा चालाक था उसने इतनी सी देर में सब सोच लिया था उसने झट से मेरी नाइटी उतारी और पानी से मुझे भिगो दिया और तौलिया मुझे देते हुए बोला इसे लपेट लो और जाके दरवाजा खोलो । मैंने तोलिया लपेटा और जाके दरवाजा खोला । मैं अभी भी डर रही थी कि पिंकी के पापा गुस्सा होंगे पर भगवान कि दया से ऐसा कुछ नहीं हुआ । मुझे तौलिए में देख कहने लगे की तुझे इतनी भी क्या जल्दी थी दरवाजा खोलने की आराम से कपडे पहन के खोलती । उनकी ये बात सुन के मेरी जान में आई मख्खन लगाने के लिए मैंने उनसे कहा आपको इंतज़ार करना पड़ता इसिलए ऐसे आ गयी । उनको बस कुछ कागज़ लेने थे दफ्तर के ,उन्होंने वो लिए और चले गए । उनके जाने के बाद हमने अपना अधूरा काम बड़े आराम से पूरा किया । " तरन ने अपनी बात खत्म की ।
"ओह दीदी तुम्हारे तो मज़े हैं पर देवर से चुदते हुए तुम्हें बुरा नहीं लगता ?" रमा बोली
"रमा तू किस जमाने में रह रही है ,आज के जमाने में कोई रिश्ता नहीं होता बस चूत और लण्ड होते हैं ....वैसे लण्ड तो अपने राहुल का भी बड़ा मस्त है" तरन ने चटकारा लेते हुए कहा
"हाय राम तुम कैसी बातें करती हो ...राहुल तो अभी बच्चा है उसे तो छोड़ दो यार" रमा ने कहा वो सोच रही थी की तरन कितनी बड़ी चुदकड़ है उसके बेटे पर भी नज़र है उसकी । 'नहीं राहुल सिर्फ और सिर्फ मेरा है' उसने खुद से कहा ।
"मैं कैसे बातें कर रही हूँ ? सारी मोहल्ले की औरतों की नज़र है राहुल पे , तू उसे कच्छा तो पहनाती नहीं और राहुल सारा दिन अपना हथौड़े जैसा लण्ड लिए इधर उधर घूमता रहता है ...कसम खा के कहती हूँ अच्छा मौका है तेरे पास इससे पहले की कोई पराई औरत तेरे कुंवारे लड़के को मर्द बनाये तू खुद ही ऐसा कर ले" तरन ने रमा को आँख मारते हुए कहा ।
" क्या दीदी कुछ भी बोलती हो राहुल बेटे जैसा है" रमा बोली
" बेटा तो नहीं है न ? और इतना ही बेटा मानती हो तो उसे नोकरों की तरह क्यों रखती हो? फिर बेटा नहीं माँ के दुख दूर करेगा तो क्या दुश्मन करेंगे?"तरन ने प्यार भरी आवाज़ में रमा से कहा ।
"बोल तो तुम सही रही हो ...मैंने उसके साथ बड़ा बुरा बरताव किया है पर दीदी मेरा दिल नहीं मानता ..उसका लण्ड देख लेती हूँ तो सारे बदन में आग लग जाती है पर .."
"पर वर छोड़ रमा कसम खा के कहती हूँ कुंवारे लौड़े का मज़ा अलग ही होता है" तरन ने रमा के दिल को टटोलते हुए कहा । वो जानना चाहती थी की आखिर रमा के दिमाग में चल क्या रहा है । वो तो रमा के जरिये राहुल तक पहुँचने की बात सोच रही थी पर वो बेहद चालाक थी उसे पता था की वो सीधे कभी राहुल को नहीं पा सकती इसिलए वो रमा को गर्म कर रही थी ।
"दीदी ये क्या कह रही हो रिश्तों में यह सब ठीक नहीं होता" रमा ने संभलते हुए कहा ।
'साली कितना नाटक करती है' तरन ने मन में सोचा । वो जानती थी की रमा कई महीने से सम्भोग नहीं कर पाई है और बस थोडा और उकसाने की देर है फिर यह रवि से भी चुदेगी और अपने बेटे से भी ।"रमा रिश्ते तो होते ही हैं हमें सुख देने के लिए और सोच तू कहीं बाहर चक्कर चलाये तो बदनामी का डर है ऊपर से अगर राहुल को भी बाहर चुदाई की लत पड़ गयी तो बेचारा कहीं का नहीं रहेगा तू मोहल्ले की औरतों को नहीं जानती बड़ी बुरी नीयत है उनकी" तरन ने तरूप का इक्का चला । और उसका वार सही जगह जाके लगा । रमा सोचने लगी की बात तो ये सही कह रही है अगर वो राहुल के साथ अपनी प्यास भुजाती है तो घर की बात घर में ही रह जायेगी ।
" ठीक है दीदी देखती हूँ ...पर तुम बताओ क्या तुम कभी घर में चुदी हो ?" उसने अपना बचा-खुचा शक मिटाने के लिए तरन से पूछा ।
"मेरी तो पहली ही चुदाई अपने ही घर में हुई थी और देखो किसी को कुछ पता नहीं चला" तरन ने उसे कहा ।
"दीदी बताओ न कैसे किया तुमने ये सब और किसके साथ"
"रमा तेरी यह हालत मुझसे देखी नहीं जाती इसिलए सिर्फ तुझे बता रही हूँ आज तक ये बात मेरे सिवा किसी को नहीं पता ....बात तब की है जब मैं कुंवारी थी , हमारा गांव बेहद पिछड़ा हुआ है बापू को शराब की लत थी कोई काम नहीं करता था ।माँ ही खेतीबाड़ी करती ,घर संभालती पर जमीन कम होने के कारण माँ को गलत काम करना पड़ता ।मुखिया के यहाँ जब भी कोई अफसर आता तो मुखिया माँ को बुला लेता बदले में काफी पैसे मिलते जिससे घर आराम से चल जाता ऊपर से कुछ बचत भी हो जाती । एक दिन की बात है रात के 8 बजे थे बापू अभी आये नहीं थे ,मुखिया का एक नोकर आया उसने माँ से कुछ बात की और चला गया । माँ ने मुझे कहा की कोई बड़ा अफसर आया है हमारी ज़मीन की बात करने के लिए जो तुम्हारे चाचा ने हथिया ली है । मैं तब कुछ भी जानती थी दुनियादारी के बारे में मैं माँ की बातों में आ गयी । फिर माँ बोली ,भोली आज तू जाके मेरे बिस्तर पर लेट जा ऊपर रजाई ओढ़ लेना क्योंकि अगर तेरे बापू को पता चल गया की मैं घर से बाहर हूँ तो वो मार पिटाई करेंगे मेरी अच्छी बेटी अपने परिवार के लिए इतना तो करेगी न । पर रमा मैं डर रही थी कि अगर बापू को पता चल गया तो मेरी खैर नहीं तो यही बात मैंने माँ को बताई पर माँ ने कहा तेरे बापू तो दारू में टुन होके आते हैं और आते ही सो जाते हैं उन्हें नहीं पता चलेगा । माँ ने मुझे मिन्नते करके मना लिया । मैं चुपचाप माँ के बिस्तर पर जाके लेट गयी और रजाई ओढ़ के चुपचाप लेट गयी और दिया भी भुजा दिया पुरे कमरे में बस अँधेरा ही अँधेरा था कुछ नज़र नहीं आ रहा था । कोई 1 घंटे बाद बापू गाना गाते हुए अंदर आये डर के मारे मेरी तो घिग्गी बंध गयी दिल ज़ोरों से धड़कने लगा बापू थे भी 6फुट लम्बे चौड़े और पिटाई तो ऐसी करते थे की रूह कांप जाए । आते ही वो मेरे बिस्तर पर चढ़ गए और मेरी रजाई खींचते हुए बोले रज्जो साली तेरा पति बाहर है और तू सो गयी । मैंने दोनों हाथों से कस के रजाई को पकड़ रखा था पर बापू ने उसे ऐसे हटा लिया जैसे किसी 2 साल के बच्चे के हाथ से कोई खिलौना ले रहे हों डर के मारे मैं चुपचाप लेटी रही ।'साली रांड तेरा पति भूखा है और तू सो रही है' बापू ने शराब की गंध वाली गरम सांसे छोड़ते हुए कहा , मैं कुछ न कह पाई न कह सकती थी । 'साली नाटक करती है ...बोल रोटी निकाल रही है या नहीं' बापू चीख रहे थे पर मैं सोने का नाटक करती रही ।मुझे क्या पता था की क्या होने वाला है बापू किसी भूखे शेर की तरह मुझ पर चढ़ गए और मेरे होंठ चूसने लगे , पहली बार किसी मर्द ने मेरे साथ ऐसा किया किया था मुझे डर तो लग रहा था पर मज़ा भी आने लगा मैं भी बापू का साथ देने लगी ।
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