RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
रवि रमा को उठा कर अपनी आलीशान रसोई में ले आया और उसकी मोटी गाँड़ को सेल्फ पर टिकाते हुए उसकी पीठ को दीवार के सहारे टिका दिया ।
रवि(रमा के गाल सहलाते हुए)- रमा मेरी रानी, मेरी जान ,मेरी पत्नी ठीक हो तुम ?
रमा(जैसे वो नींद से जागी हो ,उसका अंग अंग टूट रहा था)-हम्म ठीक हूँ ,कितना ज्यादा झड़ी न मैं ?
रवि(रमा को वाइन का एक भरा हुआ गिलास थमाते हुए)- हम्म पूरी चादर ही भिगोकर कर रख दी है तुमने तो । लो वाइन पी लो अच्छा लगेगा तुम्हें । उसने गिलास रमा को थमाया और एक अपने लिए भी भरकर चियर्स किया और गटागट पी गया ।
रमा(वाइन से भरा गिलास खत्म करते हुए, वाइन पीने के बाद वो कुछ सामान्य होने लगी थी)-मेरे पेट यह क्या है ।
रवि-वो ही शेर ,जो तुम्हारा गुलाम है ।
रमा(रमा अपने पेट की तरफ देखती है जिसमें अभी भी रवि के लन्ड का उभार नज़र आ रहा था)-अच्छा तो यह महाराज अभी तक शांत नहीं हुए ?
रवि(रमा के मोम्मे सहलाते हुए)-कैसे होगा ?गले में पट्टा जो बँधा है । जब तक मालकिन का हुक्म नहीं होगा यह ऐसे ही मालकिन की सेवा के लिए तैयार रहेगा ।
रमा(उसे चिंता होने लगी थी कि कहीं रवि के लन्ड में खून का बहाव न रुक जाए)- रवि तुम पागल हो क्या ,खून जम जाएगा खोलो इसे ।
रवि-अच्छा एक ही दिन में लन्ड हमसे ज्यादा प्यारा होगया मैडम को ? और हम पागल ।
रमा-मज़ाक मत करो जल्दी से खोलो न इसे ।
रवि- शेर खुलने के बाद खाना मांगेगा तो क्या करोगी ?
रमा(रवि का सिर बालों से पकड़ कर अपने मम्में पे लगाते हुए)-तो मैं उसे बहुत सारा दुधु पिलाऊंगी ।
रवि(रमा की के सुन्दर चेहरे उसके काले लम्बे बालों ,मादक अदाओं और बेमिसाल कामुक बदन को निहारते हुए)- पर इस शेर को कसरत करनी है ।
रमा(अपनी टाँगों को रवि की गाँड़ पर लपेटते हुए)-सिर्फ बातें ही करोगे आज ।
रवि अपनी कमर को धीरे-2 आगे पीछे करने लगता है उसका मूसल लंड एक बार रमा की चूत को मथने लगता है पर बड़े आराम से बिना किसी हड़बड़ी के । रमा अपनी में रवि के लिंग का एक एक इंच महसूस कर रही थी और रवि का लन्ड उसकी चूत के इंच इंच से रगड़ खा रहा था दोनों का रोम रोम रोमांच से भरता जा रहा था । दोनों के ठंडे और थक चुके बदनों में एक बार फिर गर्मी और ताज़गी बढ़ती जा रही थी । "रमा तुम्हारे इस रूप पर मैं पूरी दुनियां कुर्बान कर दूँ" रवि धक्कों की गति को बढ़ाते हुए कहता । उतेजना और कामवेग के कारण रमा के होंठ सूख रहे थे वो रवि के होंठो की चूमना चाहती थी पर रवि तो आँखे बंद किये बस लयबद्ध तरीके से उसे चोदे जा रहा था वो रवि की मजबूत बाहों को पकड़ती है और अचानक आगे को कूद कर रवि की गोद में चढ़ जाती है और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट जाती है उसके गुबारों जैसे मोटे स्तन पिचक कर किसी गोल प्लेट से हो जाते है । इससे पहले की रवि कुछ समझ पाता वो अपने होंठो को रवि के गर्म होंठो पे रख देती है । रवि के सब्र का बाँध अब टूट जाता है वो रमा की कमर को पकड़कर अपने मूसल से उसकि चूत को बेहरमी से चोदने लगता है ।
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