RE: Hindi Porn Kahani पडोसन की मोहब्बत
चुदाई करते करते मैंने रेणुका से कहा "कल रात तो तुम राजेश छाबड़ा से चुदी… मज़ा आया या नहीं?"
अचानक वो रुक गयी और बोली "फिर से कभी ऐसी फालतू बात मत करना"
मैं उसे उकसा रहा था कि वो होश में भी बोले लेकिन वो नाराज़ हो गयी. मैंने लन्ड उसकी चुत से निकाल दिया और उसकी चुत की दरार पर रगड़ने लगा, इसके साथ साथ उसके बूब्स दबाने लगा वो जोश में थी तो लंड निकलने से परेशान हो चली… ऊपर से उसकी चुत के बाहर लन्ड की रगड़ और चूचियों का चूसा जाना उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, वो कहने लगी "मनीष अंदर डालो प्लीज़"
मैंने उसे कस कर गले से चिपका लिया और फिर से चुदाई शुरू कर दी और करीब २० मिनट के बाद हम दोनों झड गए. रेणुका उठ कर बाथरूम चली गयी और मैं सोचने लगा की मैं वैसे तो राजेश की बीवी को भोगना चाहता हूँ लेकिन जब राजेश ने मेरी बीवी को देखा तो मुझे गुस्सा आने लगा. लेकिन जब मैंने रोल प्ले किया तो मुझे इतना मजा क्यों आया.
मैंने उस रात रेणुका को एक बार और चोदा. वो राउंड तो करीब १ घंटे का था. बहुत सालों बाद रेणुका की ऐसी चुदाई मैंने की थी. रेणुका भी बहुत खुश हो गयी.
हनीमून के बाद पहली बार ऐसा हुआ था की रेणुका और मैं अकेले थे तो हमने वो किया जो कभी नहीं किया था. पूरे एक हफ्ते मैंने रेणुका को ढेर सारी ब्लू फिल्मे दिखाई. वाइन और बियर पीना सिखाया और एक बार तो स्कॉच भी पिलाई और फिर उसकी खूब चुदाई की और शादी के बाद पहली बार रेणुका ने मुझे अपनी गांड भी मारने दी.
पर मेरे कई बार कहने पर भी उसने दुबारा रोलप्ले करने से इंकार कर दिया. मैं चाहता था की वो दिव्या बने और मैं उसे चोदु लेकिन बात नहीं बनी फिर भी पहली बार मेरी बीवी सेक्स के मामले में मुझसे इतना खुली थी. अब हम लोग गन्दी बातें कर कर के चुदाई के मजे लेते थे. ये हम दोनों का सेकंड हनीमून हो गया था.
उधर राजेश रोज किसी न किसी बहाने से एक बार रेणुका से मिलने आ ही जाता था. रेणुका को भी अब पता चल चूका था की महाशय उस पर लट्टू हो गए है तो उसने उनको ज्यादा लिफ्ट नहीं दी और मैंने जब दिव्या और राजेश को डिनर के बुलाना चाहा तो रेणुका ने मना कर दिया और एक हफ्ते बाद वापस लखनऊ चली गयी.
जब मैंने रेणुका को ट्रेन में बिठाया तो वो बोली "यहाँ आकर मुझे बहुत मजा आया."
मैंने उससे कहा की "मैंने एक हफ्ते की छुट्टी अप्लाई की हुई है. छुट्टिया मिलते ही मैं घर आऊँगा."
तो वो हँसते हुए बोली "वहाँ आकर तो तुम वैसे ही नीरस हो जाते हो. छुट्टी मिले तो मुझे ही बुला लेना."
ट्रेन चलने लगी तो मैं नीचे उतर आया और घर वापस आ गया. घर के बाहर ही राजेश मिल गए और शिकायत करने लगे की रेणुका जाने से पहले मिली भी नहीं. मैं उनकी ठरक समझ चूका था तो मैंने उनसे कह दिया की जल्दी ही दुबारा आयेगी. हमारी जिन्दगी वापस अपने रूटीन पर आ गयी.
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