RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
राधा ने जब मेरे लंड का कडपन महसूस किया वो उसे फिर से चूसने लगी. मैने फिर से राधा को चोदा और इस बार हम इकट्ठे एक साथ झाड़ गये. फिर हम दोनो उठे और अपने अपने कपड़े पहने उसके बाद मैने राधा को खूब चूमा और मैं उसे वहाँ से लेकर निकल गया…………… उसने मुझे बेतहाशा चूमा, और फिर मैं उसे माल के बाहर ले आया. वो अभी भी अपने कपड़े दुरुस्त करने मे लगी ही थी के मैने एक ऑटो को आवाज़ दी….ऑटो….वो ऑटो वाला ऑटो लेकर तुरंत ही हमारे पास आ गया…
राज:- चील घाटी चलोगे……..
ऑटो वाला :- (मुझे घूरता हुया…..) दोनो चलेंगे क्या साहिब………..
राज:- हाँ दोनो चलेंगे…..बोलो चलोगे या नही..
इससे आगे की कहानी राधा की ज़ुबानी……………………….
ऑटो वाला:- चलेंगे क्यू नही साहिब….(वो मुझे ललचाई नज़रो से देख रहा था…शायद चील घाटी का नाम सुनकर तो कुछ ज़्यादा ही..) कमाने के लिए तो बैठे है यहाँ…….दो सवारी का 200 दे देना साहिब..
राज:- अच्छा ठीक है, 200 ले लेना…….पर थोड़ा जल्दी चलना.
राज थोड़ा धीरे से बुदबुदाते हुए बोले. साला कमीना मौका का फ़ायदा उठा रहा है वरना दूसरे ऑटो वाले तो 50-75 . मे ले चलते है……और फिर हम दोनो ऑटो मे बैठ गये….ऑटो मे बैठते वक़्त ऑटो वाला मेरी गान्ड को ही घुरे जा रहा था……
राज :- चलो भाई…….लेट हो रहे है…….
ऑटो वाला:- क्यू साहिब, बड़ी जल्दबाज़ी मे दिख रहे हो……..कोई दिक्कत तो नही है……
इस बार तो राज का दिमाग़ खराब होना ही था…….वो थोड़ा ताव मे आ गये…..
राज:- तुझे चलना है तो चल…….फालतू बकवास बंद कर……नही तो मैं दूसरा ऑटो पकड़ लेता हू….
ऑटो वाला:- अरे साहिब नाराज़ क्यू होते हू…वो तो मैं आपको थोड़ा परेशान देखा इसलिए पूछ बैठा…आप बैठे रहो, मैं अभी आपको चील घाटी ले चलता हू……
और फिर उस ऑटो वाले की हिम्मत ही नही हुई,आगे कुछ बोलने की भी…..और पीछे मूड कर या आईने मे से मुझे देखने की ……वो सीधा ऑटो चलाता रहा ……
मैं (राधा):- राज , ये तुम मुझे कैसी जगह ले जा रहे हो कुछ बताओगे भी…….चील घाटी मैने तो कभी इसका नाम भी नही सुना…..कहा है शहर मे है या बाहर……..क्या है यहाँ और हम क्यू जा रहे है यहाँ…..
मैने एक साथ ही सवालों की बौछार कर दी राज पर……पर वो कुछ ना बोला……वो ऑटो वाले को ही देखे जा रहा था……ऐसा लग रहा था के वो ऑटो वाला भी कुछ बोलने को कर रहा था….पर राज के गुस्से वाले स्वाभाव को वो देख चुका था इसलिए वो चुप ही रहा……..मैने फिर वही सवाल दोहराया…..इस बार राज बोला..
राज:- राधा, मैने तुम्हे जो करने के लिए कहा था…..क्या तुम उस के लिए अपने दिलो-दिमाग़ से राज़ी हो…
मैं:- हा राज, इसके सिवा फिलहाल, हमारे पास चारा भी तो नही है ना……
राज:- सही कहा तुमने, इसीलिए वहाँ ले जा रहा हू तुम्हे…मैने सारी बातें कर रखी है…बस तुम वहाँ जाओ और सब कुछ वो तुम्हे समझा देंगी…..बस 15 दिनो की ही तो बात है…..हम हमारी सारी मुश्किले हल कर लेंगे (उसने मुझे धाँढस बाँधते हुए कहा)…….फिर उसने धीरे से मेरे कान के पास अपना मूह लाते हुए कहा……बस तुम ये सब गुप्त रखना…..किसी को भी भनक नही लगनी चाहिए……..और राधा……याद रहे, तुम ज़्यादा मेरे बारे मे सोचना भी मत……बस अपना अच्छे से ख़याल रखना……
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