RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
मैने जैसे-तैसे सड़क पार की और उस घर की तरफ बढ़ी. दरवाज़े के पास आकर मुझे थोड़ी राहत मिली. लेकिन अब उस दरवाज़े को खटखटाने मे मेरे पसीने छूट रहे थे. मैने अपना आत्मविश्वास बढ़ाते हुए, एक गहरी साँस ली…….और दरवाज़ा खटखटाया….
अंदर से आवाज़ आई…..कौन है !!!
मैं बोली:- नमस्ते, मैं वो लड़की हू जो…………
मेरे इतना कहते ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया…..दरवाज़ा एक बूढ़ी औरत ने खोला था…..
अंदर आ जाओ….उस बूढ़ी औरत ने कहा.
दरवाज़ा इतना छोटा था कि मुझे उस मे से झुक कर अंदर आना पड़ा…जैसे ही मैं झुकी मेरी फ्रॉक पीछे से थोड़ी उठ गयी…..और वहाँ खड़े कुछ लड़को ने मेरी गान्ड देखकर जो सीटी मारी…वो मुझे सॉफ सुनाई दी…मैं जल्दी से अंदर घुस गयी..और उस बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद कर दिया.
उस बूढ़ी औरत ने मेरे हाथो से मेरा बॅग लिया और अंदर जाने लगी. मैं भी उसके पीछे-पीछे हो ली. एक बड़े से हॉल के दरवाज़े के बाहर ही उसने मुझसे रुकने को कहा और वा खुद अंदर चली गयी.
मैं वही खड़े-खड़े बाहर से ही कमरे को निहार रही थी..बाहर से जैसी ये इमारत बदसूरत गंदी सी लगती थी..अंदर से ये हॉल तो किसी महल की तरह सज़ा हुआ था. मेरी नज़ारे तब फटी-फटी रह गयी जब मैने हॉल के बीचो-बीच एक बड़ी सी मूर्ति देखी जिसमे एक लड़का एक लड़की को अपनी बाहों मे उठा रखा था..और उसके बाए स्तन को चूस रहा था…मेरी हालत तो उसके लंड के आकार को देख कर ही खराब हुई थी..इतना बड़ा लंड वो भी चॅम-चमाता हुआ. मैने किसी आदमी का क्या किसी मूर्ति या फोटो मे भी इतना बड़ा लंड कभी नही देखा था….
तभी उस मूर्ति के पीछे से मुझे एक लंबी सी औरत जिसके हाथो मे एक कुत्ता था..आती दिखाई दी, उसके पीछे वो बूढ़ी औरत भी थी. उस लंबी सी औरत ने बड़े ग्लास के चस्मे लगाए हुए थे..और आते ही उसने मुझसे कहा….
अरे वाह जैसा उन्होने बताया था…तुम तो उससे लाख गुना खूबसूरत हो….कहाँ से हो तुम…
मैं बोली:- जी यही पास के गाँव से…. उस औरत ने कहा- मैं ये शर्त लगा के कह सकती हू…जिस प्रकार बाकी वेश्याओं को अपनी गान्ड पे नाज़ होता है……अपनी जीभ का सही इस्तेमाल करना आता है….तुमको भी उतना ही मज़ा आएगा..
मैं बोली:- मुझे कुछ ज़्यादा अनुभव नही है…
वो बोली:- उसकी फिकर तुम मत करो….वेश्या घर का एक दिन बाहर की दुनिया के 10 साल के बराबर है..(उसने अपनी गर्दन उची करते हुए कहा)…मुझे अपना हाथ तो दिखाओ..
मैने अपने दोनो हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिए……
वो बोली:- हाथ ही योनि का दर्पण होता है(और मेरे हाथों को देखने लगी)
वो अपने हाथ मेरे हाथों पे फेरने लगी..और बोली..
बहुत अच्छे हाथ है तुम्हारे…..इससे जाहिर होता है कि तुम एक उच्च दर्जे की लड़की हो..(वो अभी भी मेरे हाथ अपने हाथों मे लिए हुई थी)
मैं उन्हे धन्यवाद करते हुए बोली…थॅंक यू, मॅ’म.
वो मुझे घूरती हुई बोली….मुझे मेडम मत बुलाओ..मैं मस्तानी चाची हू..यहाँ की मॅनेजर.(एक बार फिर वो ऐसे ही बोली अकड़ के और मेरा हाथ छोड़ दी.)..मेरी मा साउत इंडियन थी…और मैं अपनी जवानी मे डॅन्स बार मे नाचती थी(वो किन्ही सपनो मे खोते हुए बोली)…
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