RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैंन पूरे ज़ोर से अपनी योनि उसके मूह पे दबा रही थी और उसने अपनी जीभ मेरे दाने पे टच कर दी और मैंन फिर एक बार झाड़ गयी. उसने मेरा सारा रस पी लिया. अब वो मेरे मूह मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था. मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था कि आचनक वो बोला मैं आ रहा हूँ. मैने कहा कि आ जाओ. तो उसने एक ज़ोर का झटका दिया और मेरे मूह मे अपना सारा रस छोड़ दिया.
बहुत टेस्टी था, नमकीन और मीठा दोनो का मिक्स्चर था. वो अपना रस छोड़ते ही गया और मे सारा रस पी गयी. मुझे पहली बार इतना मज़ा आया था और मैं पहली बार अब तक दो बार झाड़ चुकी थी. उसका सारा रस पी कर लंड बाहर निकाला पर उसका लंड तो जैसे अब भी रोड की तरह कड़क था. दो मिनिट मेरे उप्पर ऐसे ही लेटे रहा और मेरे स्तन को चूस्ते रहा. फिर उसने मुझे थोड़ा सा और सीधा किया और अपना लंड मेरे योनि मे डालने लगा.
दो तीन धक्के मे वो अभी आधा ही गया था. उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स से लॉक कर दिया और एक ज़ोर के झटके मे ही अपना लंड पूरा का पूरा अंदर पेल दिया. ऐसा लगा कि उनका लंड मेरी ज़ुबान तक आ गया है. मुझे पहले तो बहुत दर्द हुआ पर थोड़ी ही देर मे मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.
ऐसा लगा कि आज मैंन पूरी तरह से तृप्त हो गयी हूँ. फिर उसने धक्के मारने शुरू किया और मेरे स्तनो को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. मेरे निपल्स अब तक कम से कम 2 इंच लंबे हो गये हे. इतना मज़ा तो मुझे आज तक नही आया था. मुझे और जोश आने लगा और मैं एक बार फिर झाड़ गयी. पर वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था. मैने एक नज़र टाइम पे डाली तो देखा कि हमे एक घंटा हो चुका था. पर वो तो जैसे रुकने वाला नही था और धक्के पे धक्के मारे जा रहा था.
मेरे मूह से अहहा अहः अहहह ह और ज़ोर से और ज़ोर की आवाज़ें आ रही थी. वो मेरे स्तनो को मसल रहा था कभी उनको चूस्ता कभी मेरे निपल्स को चूस्ता और कभी कभी काट रहा था. मुझे उसकी हर बात पे और जोश आता जा रहा था. फिर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और अपना सारा रस मेरे योनि के अंदर छोड़ दिया. उसका रस जैसे मेरे अंग-अंग मे बह रहा था. इतना सारा रस था कि रुकने ना नाम ही नही ले रहा था. थोड़ी देर वो मेरे उप्पर ही लेटा रहा.
फिर थोड़ी देर बाद हम अलग हुए. उसका रस मेरे योनि से बह रहा था. मैने और उसने दोनो ने कपड़े पहने और बिस्तेर पे लेटने चली गयी.
मैने अभी लेटी ही थी कि वो मेरे पास मे आया और मेरे पास आकर लेट गया. सुबह-सुबह अमित बिस्तर पे अंगड़ाइयाँ ले रहा था. चदडार के उपर से उसका तना हुआ लंड अभी भी सॉफ नज़र आ रहा था. वो मुझे देखते साथ चौक के उठ बैठा.
मुझे बिल्कुल तैयार देखकर और मेरे हाथों मे चाइ और ब्रेकफास्ट की ट्रे थी शायद इसीलिए.
अमित:- कामिनी तुम और ये सब……
मैं:- तुम मुझे राधा भी कह सकते हो. ये मेरा असली नाम है.
मैने अमित के लिए अपने हाथों से चाइ बनाई और उसे चाइ सर्व की.
अमित मुझे देखते हुए बोला:- तुम कहाँ जा रही हो ?
मैं :- अमित तुम्हारे साथ बहुत अच्छा वक़्त बीता, पर मेरे लिए अब यहाँ से जाना ही अच्छा होगा.
मैने प्यार से अमित के गालों पर हाथ फेरा तो अमित ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला-
अमित:- मैं जल्द ही शिप का कॅप्टन बन जाउन्गा, फिर हम सारी दुनिया साथ मे घूमेंगे.
मैं:- क्या मैं ?
अमित :- जी, कॅप्टन की वाइफ से ही बात कर रहा हू मैं !
मैं :- मुझे तो अब इस सोच ही घिंन आती है अमित.
अमित :- ओह….तो तुमको समुद्रा से आलर्जी है.
मैं :- नही शादी से........... मैं भले ही कितनो से कितनी बार चुद चुकी हू….पर मुझे अब इससे सीख मिल चुकी है.
अमित :- सीख, कैसी सीख ?
मैं :- इसके लिए मैं राज का शुक्रिया अदा करती हू, जिसके कारण आज मेरे पास पैसो वाली एक नौकरी है. और मैं अब इसी के साथ चलती रहूंगी..... पर इस बार सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए.
मैं:- अब ना कोई और अच्छी बातें और ना ही कोई वादें…..
और मैं वहाँ से चली आई. अमित को अकेला उस के बेड पर छोड़कर…..कुछ दूर बाहर चलकर वापस आई और उसे बोला-
मैं:- वैसे तुम तो जानते हो मैं कहाँ हू, अगर तुम मुझसे मिलना चाहो तो कभी भी आ सकते हो.
और फिर मैं दरवाज़ा बंद करके उसके रूम से बाहर निकल के आ गयी.
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वापस चाची के पास आकर मैं उन्हे अपने दिल का हाल बताने लगी. जो-जो मुझ पर कल बीती , उन्हे वो सब बताने लगी.
मैं :- चाची, मैं वहाँ पे अपने आपको गांदगी से लिपटी हुई महसूस कर रही थी….ऐसा लग रहा था किसी ने मुझे जीते जी नरक मे धकेल दिया हो.
चाची:- चलो, तुम्हे इसे कुछ सीख तो मिली, अब तुम ग़लती से भी दूसरे के लिए तो ऐसा नही करोगी ना.
मैं:- कभी नही, ग़लती से भी नही. अब मैं अकेले रहना चाहती हू. बिल्कुल आज़ाद अपने पैसो के साथ.
चाची :- मतलब मैं कह सकती हू, फिर से एक नयी जीवन की शुरुआत कर रही हो.
मैं:- बिल्कुल, बेशक.
और चाची ने प्यार से मेरी गान्ड को अपने हाथों से सहला दिया… शाम को फिर बाज़ार लगा, सारी वेश्या अपने - अपने कस्टमर को रिझाने लगी. मैं भी चाची के पास आकर खड़ी हो गयी थी. और अपने लिए एक कस्टमर ढूंड रही थी. दूर बैठा एक बुद्धा मुझे ही घूर रहा था.
तभी दरवाज़े पे मुझे राज दिखाई दिया.
मैं :- हे भगवान, ये तो राज है !
चाची मुझे संभालते हुए बोली – वो अब तुम्हे तुम्हारी इज़ाज़त के बिना छू भी नही सकता. तुम चाहो तो उसे गिरफ्तार भी करवा सकती हो.
मैं :- मैं क्या करू, मुझे कुछ समझ नही आ रहा है ?
चाची :- कुछ नही बस शांत रहो .
राज सीधा मेरे पास ही आया और आते ही कहा – हमे बात करनी चाहिए.
चाची बोली- उसके अभी पीरियड्स चल रहे है, किसी और दो ढूँढ लो.
राज :- फिकर मत करो. मैं बस उससे बात करना चाहता हू.
चाची मुझे देखते हुए बोली- मैं यही पर हू.
तभी मेरे पीछे से शीला अपने कस्टमर को निपटा कर आई और चाची के पास अपने पैसे जमा किए.
चाची- क्या बात है तुम मे से कोई भी आज तगड़ी कमाई नही कर रही हो ? ऐसे मे तो मैं कंगल हो जाउन्गि.
और फिर वो दूर से हम दोनो को देखने लगी.
मैं राज को लेकर वही कोने मे एक पर्दे पे पीछे ले गयी थी.
मैं :- तुम बिल्कुल बेकार आदमी हो राज.
राज :- इतना भी बेकार नही हू. आज तुम्हारे पास एक अच्छी जॉब है सिर्फ़ मेरे कारण (वो मुस्कुराते हुए बोला)
मैं उसकी मुस्कुराहट से चिड़ गयी थी, मैं बोली- सबसे पहले मैं तुम्हे जैल भिज्वाउन्गि.
राज :- किस जुर्म मे ? ………..मैने तो तुम्हारे पैसे भी नही लिए. कम से कम अब तक तो नही ही लिए है. जबकि तुम्हे मेरा कर्ज़दार होना चाहिए. ……………क्या करोगी तुम इतने पैसो का ? …………बॅंक मे अकाउंट खुल्वाओगि और वो भी बिना मेरे. इसमे तो कोई बुरी बात नही है. मेरी प्यारी नन्ही वेश्या !
मैं :- मैं तुम्हे कभी भी अपनी जिंदगी से दूर कर सकती हू, ये मेरी जिंदगी है !
राज थोड़ा और मुस्कुराते हुए- तुम्हे अब वेश्यावृत्ति के धंधे का लाइसेन्स मिल चुका है. और तुम नही चाहोगी के ये बात गाँव तक पहुचे समझी. इसलिए मुझे 60% चाहिए महीने के अंत तक.
क्रमशः............................
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