RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
मैं और चाची वही खड़े थे. चाची बोली- ऐसे लोगो के लिए हमारे पास बॉक्सिंग ग्लव्स है.
मैं चाची से बोली- मेरे पेट मे हल्का सा दर्द है. क्या मैं अपने कमरे मे जाऊ ?
चाची- तुरंत जाओ डियर, इतनी देर बाद क्यू बताया. जाओ जाकर आराम करो.
मैं अपने कमरे मे नग्न अवस्था मे लेटकर आराम कर रही थी के दरवाज़े पे नॉक हुआ.
क्या मैं अंदर आ जाऊ ?
ये कोई और नही मिस्टर. केपर थे. वो अंदर आए और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.
मैं – प्लीज़ अंदर आइए मिस्टर. केपर.
केपर- मैने सुना तुम्हे पेट दर्द है. क्या तुम घबरा गयी हो ?
वो सीधे टेबल के पास जाकर दो ग्लास मे वाइन डालते हुए कहते है- बदक़िस्मती से ऐसी घटना भी कभी-कभी हो जाती है.
और वो एक ग्लास मेरे और बढ़ाकर कहते है- पियो. ये बहुत ही उचे दर्जे की वाइन है. तुम्हे अच्छा लगेगा. चियर्स…………..
ग्लास ख़तम करके वो अपने कपड़े उतारने लगा.
केपर- तुम ऐसे क्या देख रही हो ?
मैं- कुछ नही, पर आप क्या कर रहे है ?
केपर- मैं अपनी सबसे खूबसूरत कोमल कली तो तोड़ने जा रहा हू.
वो अपना लिंग हाथ मे आगे पीछे करते हुए मेरे पास आए.
मैं- प्लीज़, मिस्टर. केपर. मैं अभी भी थोड़ी परेशान हू.
वो मेरे उपर चढ़ते हुए बोला- इसलिए तो मैं यहाँ आया हू. तुम बहुत अच्छी हो…..चलो एक दूसरे के दोस्त बन जाए.
वो मेरे उप्पेर कुच्छ झुका और मैं कुच्छ समझ पाती तभी उसने मेरे कंधों को पकड़ के एक कस के धक्का मारा मेरी टाँगे पूरी फैली थी .. इस लिए लंड को जगह बनाने मे को दिक्कत नही हुई मगर मेरी मा चुद गई.. मैं पूरी कस के चिल्ला दी.. मेरा पूरा बढ़न .. तड़प गया मुझे लगा कि मेरी चूत पूरी फट गई हो.
उसका पूरा लंड एक बार मे मेरी चूत की दीवारों पे दबाव डालता हुआ … मेरी चूत मे जा के धँस गया था.. वो हिल भी नही पा रहा था .. मैं तड़प के उससे लिपट गई .. तब उसने मेरी चिन को अपने मूह मे लिया और चूसने लगा .. और दोनो हाथो से मेरी चुचियों को दबाने लगा.. फिर तभी मुझे एहसास हुआ कि उसका लॅंड अब आगे पीछे होने लगा है ..
उसका लॅंड मेरी चूत की दीवारों पे रगड़ डालता हुआ मेरी चूत मे अंदर बाहर जाने आने लगा था.. तब मुझे धीमे धीमे मज़ा आने लगा.. और मैं उसका साथ देने लगी तब उसकी टक्कारे तेज़ होने लगी .. और मैं कमर उचका उचका के उसका साथ देने लगी अब मैं मस्त हो गई थी .. मुझे चुदवाने मैं बहुत माज़ा आ रहा था…
वो काफ़ी देर मेरी चुदाई करता रहा.. उसकी टक्कारे मेरे हौसले को और बढ़ा रही थी.. कभी वो मेरी गर्देन चूमता कभी मेरे होंटो पे अपने होंटो को रख के चूमता और धक्के पे धक्के दिए जा रहा था.. अब उसके धक्के मेरी चूत की जड़ पे लग रहे थे.. और मैं मस्ती मे चुदवाने लगी थी… उसका लॅंड मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था..
मैं पूरी टॅंगो को फैला चुकी थी .. वो खूब मज़े से चुदाई करने लगा.. जब उसका लॅंड मेरी चूत मे अंदर जाता मैं उचक जाती और जब बाहर निकलता तो अपने स्थान पे वापिस आजाती .. ये करते करते उसके धक्के मेरी चूत पे तेज़ हो गये और थोड़ी देर मे एक घायल शेर की तरह कुच्छ कस के धक्के मार मार के वो मेरे उप्पेर ही गिर गया उसके लॅंड ने शायद मेरी चूत के अंदर ही वीर्य छ्चोड़ दिया था..
और वो गरम गरम द्रव मेरी चूत से बह के बाहर आने लगा था.. उसका लॅंड अभी भी मेरी चूत मे ही घुसा हुआ था.. मैं वैसी ही पड़ी रही वो भी मेरी चुचियों पे अपना सिर रख के लेटा रहा और थोड़ी देर मे उसने अपना लॅंड मेरी चूत से निकाल लिया.. उसका लॅंड अब लॅंड नही रह गया था.. वो मुरझा के लुल्ली बन गया था..
मैं और रीता, रीता के कमरे मे बैठकर बातें कर रहे थे के जिंदगी कैसे-कैसे खेल दिखती है.
रीता :- मैं तुम्हारी लिए दुखी थी, पर शायद तुम्हारे लिए यही सही है. हर दिन की टेन्षन से अच्छा ही है. वो भी उस कामीने राज के कारण.
रीता :- पर देखना वो वापस ज़रूर आएगा. मैं तो ऐसा ही सोचती हू.
मैं :- पर मैने तो ये जगह छ्चोड़ने की सोच ली है. तुम क्या कहती हो रीता ??
रीता :- तुम्हारे पास बहुत सारे विकल्प है. तुम्हे किसी का गुलाम बनने की ज़रूरत नही है. और अब तो तुम्हारे पास हुनर भी है.
मैं :- मुझे ये काताई पसंद नही है.
रीता :- तो फिर तुम शो बिज़्नेस से क्यू नही जुड़ जाती. मैं केयी क्लब्स मे काम कर चुकी हू. तुम वहाँ बहुत पैसे कमा सकती हो.
मैं :- तुम कहाँ काम करती थी ??
रीता :- मैने ज़्यादातर आधुनिक नगरॉ मे ही काम किया है. मैं तुम्हे बहुत से अड्रेस दे सकती हू, जहाँ तुम्हे आराम से काम मिल जाएगा. तुम वो सब जगह के नाम और अड्रेस लिख लो. साथ ही मैं तुम्हारे लिए अपने कुछ चाहने वालो के हाथो ज़िकरा भी कर दूँगी.
वो दिन मेरी लिए वहाँ आखरी दिन था……..मैने सब से विदा लिया. वहाँ से जाते वक़्त सारी लड़कियाँ मुझसे गले मिल- मिल कर रो रही थी. सबसे दुखी तो चाची थी. आख़िर उनकी सबसे पसंदीदा और कस्टमर्स की जान जो अब वो जगह छ्चोड़ के जा रही थी.
मैं भी भावनाओ मे डूबकर सबके साथ रोने लगी. चाची ने मुझे बाहर टॅक्सी तक छ्चोड़ा और फिर रोते हुए अंदर चली गयी. और मैने टॅक्सी वाले को रेलवे स्टेशन चलने को कह दिया.
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ट्रेन के एक कॉमपार्टमेंट मे मैं बैठी पेपर पढ़ रही थी. मैने शॉर्ट स्कर्ट पहन रखी थी. मेरे सामने एक बुड्ढ़ा बैठा था. वो मेरी ही तरह कोई इंग्लीश न्यूसपेपर पढ़ रहा था.
जैसे ही ट्रेन मे से धूप की कुछ किरण मेरी टाँगो मे पड़ी वो घूर कर मेरी जाँघो को देखने लगा, जो की स्कर्ट उपर हो जाने के कारण सॉफ दिख रही थी.
जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी के- वो मेरी जाँघो को घूर रहा है. मैं वहाँ से उठी अपनी स्कर्ट को ठीक किया. अपना पर्स उठाया और कॅबिन के बाहर निकल गयी. वो बुड्ढ़ा मुझे बाहर निकलने तक घूरे ही जा रहा था.
कॉमपार्टमेंट से बाहर निकलकर मैने एक सिग्रटते जलाई और चैन से एक कश मारा. और कश मारते हुए इधर उधर देखने लगी. तभी मुझे बाजू वाले कॉमपार्टमेंट के बाहर एक जाना पहचाना से चेहरा दिखा. जिसे मैं शायद देखना नही चाहती थी. और वो भी मुझे ही घूरे जा रहा था.
वो मूह मे कुछ चबाते हुए मेरे पास आया और मुझे घूरते हुए कहा- शहर जा रही हो ?
मैं :- इस ट्रेन मे हू तो शहर ही जाऊंगी ना.
वो :- मैने तुम्हे चाची के यहाँ देखा था.
मैं :- और मैने भी तुम्हे वहाँ देखा था. क्या तुम मे बिल्कुल भी शरम नाम की चीज़ नही है, कितना गंदा बर्ताव तुमने सीमा के साथ किया था रॉकी.
रॉकी :- थोड़ा गुस्से मे अपने मूह मे जो चबा रहा था उसे थुक्ते हुए- मैने उसके लिए खून तक बहा दिया और वो अपनी बातो से मुकर गयी. ये मुझे कातयि पसंद नही है.
रॉकी :- तुम्हे अपनी ज़बान का पक्का रहना होगा अगर तुम रॉकी के साथ हो तो…….नही तो तुम गये….
मैं :- तुम तमाशा बनाते हो ?
रॉकी :- अब तुम कॉन से वेश्याघर जा रही हो ?
मैं :- कोई भी वेश्याघर नही. मैं अब ये सब छ्चोड़ रही हू.
रॉकी :- बहुत अच्छे, इतने लाजवाब स्तनो के साथ तुम जो चाहो वो कर सकती हो.
उसने मेरे कपड़ो के अंदर हाथ डालकर मेरे स्तनो को ज़ोर से दबा डाला.
मैने उसे चिल्लाते हुए कहा- हरम्जदे !
रॉकी :- तुम हर किसी से नही चुद्वाती थी ना चाची के यहाँ.
मैं :- तुम जैसो के साथ तो बिल्कुल नही !
रॉकी :- वो तो मैं तय कर लूँगा.
मैं :- भाड़ मे जाओ तुम ! कुछ समझे के नही .
रॉकी ने मुझे गुस्से से देखा और मुझे एक तरफ धकेलते हुए कहा- चलो उस तरफ चलो.
मैं :- पागल हो गये हो क्या ?
पर उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे धकेलते हुए कहने लगा- चलो भी ! कभी ट्रेन मे किया नही है क्या ?
और वो मुझे घसीटते हुए ट्रेन के बाथरूम मे ले गया. मैने चिल्लाते हुए कहा- मैं मदद के लिए चिल्लाउन्गि.
उसने अब मेरे उप्पेर के कपड़े उतार के मेरे अंडरगार्मेंट भी उतार दिए थे.
अब वो मेरे स्तनो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
मैने भी उसके लंड को ज़ोर से दबाया, मुझे भी मज़ा आ रहा था पर मेरे से जयदा मज़ा वो ले रहा था.
क्रमशः........................
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