Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-05-2019, 02:07 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
अब मेरी बारी थी तैयार होने मे ही दोपहर हो गयी थी फिर हम नीचे रेस्टोरेंट मे लंच के लिए गये पद्मिोनी ने नम्रता को बता दिया था कि आज हम मुंबई घूमने जा रहे है तो फिर लंच करके सीधा बंद स्टॅंड की तरफ निकल गये


ये मुंबई के प्रेमियो का एक जबरदस्त अड्डा है तो हम वहाँ पहुच गये बड़े बड़े पत्थरों के बीच प्रेमी जोड़े घुसे पड़े थे तो थोड़ी देर घूमने के बाद हम ने भी एक शांत सी जगह चूज़ की और बैठ गये भाभी कुलफी खा रही थी तो मैं भी उनकी कुलफी ही खाने लगा मैं कुलफी कम खा रहा था और उनके होंठो को ज़्यादा खा रहा था मैने उनकी चूचियो पर हाथ रखे तो उन्होने मना किया थोड़ी देर चूमा चाटी के बाद हम वहाँ से निकल लिए अब बांद्रा स्टॅंड थे तो सलमान का घर भी देख लिए रोड के किनारे खड़े होके फिर थोड़ा कुछ खाया पिया तो मैने सिद्धि विनायक के बारे मे बड़ा सुना था तो शाम को हम आरती मे गये वहाँ पर बड़ा ही अच्छा लगा प्रभु की शरण मे आकर काफ़ी टाइम उधर ही बिताया रात तो हो ही गयी थी पर ये ही तो टाइम था मुंबई विज़िटिंग का फिर मूर्ति सर का फोन आया तो वो उनसे बात करने मे बिज़ी हो गयी मैं थोड़ा साइड मे खड़ा हो गया तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली कि चलता है क्या तो मैं बोला कहाँ चलना है तो वो बोली अरे नही समझा क्या मैं बोला ना तू ही बता तो वो मराठी मे कुछ बोली पर अपने पल्ले ना पड़ा वो फिर डाइरेक्ट्ली बोली की चूत मारेगा 1000 रेट है तू 800 दे दियो तो मैने कहा चल भाग इधर से साली रंडी चूतिया समझा है क्या तो वो मुझसे उलझने लगी तबी पद्मिेनी आ गयी और उसने बात को संभाला फिर हम वहाँ से चल पड़े थोड़ा और घूमने के बाद हम वापिस होटेल आ गये अगले दिन नम्रता की शादी थी तो वहाँ भी जाना था रूम मे आते ही मैने पद्मििनी को पकड़ लिया और मसल्ने लगा वो बोली दो मिनट तो रूको ना ऐसा भी क्या है मुझमे जो तुम इतने बेसब्रे हो जाते हो तो मैने कहा आप को नही पता आप तो एक दीया हो अब औरत कोई भी हो अपनी तारीफ़ सुनकर खुश ही हो जाती है उसकी तारीफ़ करते करते ही मैने उसको नंगी कर दिया तो वो नीचे बैठ गयी और मेरी पॅंट को खिसकाते हुए मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने मुँह मे भर के चूसने लगी सुपाडे पर उनकी जीभ की थिरकन ने मेरे बदन मे आग लगा डाली वो बड़ी ही कुशलता ही आहिस्ते आहिस्ते लंड को अपने मुँह मे अंदर बाहर करते हुए चूसे जा रही थी फिर उन्होने लंड को बाहर निकाल दिया और टट्टो पर टूट पड़ी उनको दाँतों से काट ते हुए वो मुझे एक अलग प्रकार का ही मज़ा दे रही थी मैं बस अपनी आँखे बंद किए मस्ती से आहे भरता हुआ उनको लंड चुस्वाए जा रहा था 10-12 मिनट तक चुसवाने के बाद मैने थूक से सने हुए लंड को उनके मुँह से बाहर निकाला और उनको बेड पर उल्टी लिटा दिया और उनके छोड़े छोड़े चुतड़ों को फैलाते हुए गान्ड के भूरे भूरे छेद को उंगलियो से सहलाने लगा जैसे ही मैने उनकी गान्ड मे थोड़ी सी उंगली को घुसाया उन्होने अपने कुल्हो को भींच लिया और बोली आराम से पेन होता है तो मैने कहा भाभी थोड़ा सा पेन सह लो मैने अपना मुँह गान्ड पर लगा दिया और गान्ड को चाटने लगा उनका बदन हल्के हल्के से काँपने लगा 5-7 मिनट बाद मैने अपना मुँह उनके कुल्हो से हटा लिया और बॅग से वसलीन निकाल कर गान्ड के छेद पर अच्छे से मल दी उसके बाद मैने लंड को वहाँ सटा ते हुए एक धक्का मारा तो गान्ड का रास्ता अपने आप खुल ता चला गया और सुपाडा बड़ी ही शान से उस प्रवेश द्वार को चीरते हुए गान्ड मे घुस गया उन्होने एक दर्द भरी चीख मारी तो मैने उनको टाइट पकड़ लिया वो बोली प्लीज़ आराम आराम से करना तो मैने कहा ओके और आहिस्ता आहिस्ता करते हुए लंड को गान्ड मे आगे करने लगा इस तरह थोड़ी मेहनत के बाद मैने जड़ तक लंड को गान्ड मे पहुचा दिया और फिर कोई 10 मिनट बाद जब पद्मि्नी थोड़ी सी सामान्य हुई तो मैं लंड को आगे पीछे करने लगा पर वो फिर से दर्द भरी सिसकारिया लेने लगी मुझे उसकी गान्ड मारने मे चूत से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था कुछ देर बाद मैने उसको बेड के सिरहाने पर झुका दिया और गान्ड मे दना दान लंड पेलने लगा पद्मिेनी हाई हाई करती हुए लंड के झटको पर नाचने लगी गान्ड मारते मारते मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया और दाने को मसल्ने लगा अब वो और भी ज़्यादा मस्त हो गयी और उसकी सिसकारियो ने पूरे रूम के तहलका ही मचा दिया जैसे मैं आगे से उसकी चूत मे लगातार उंगली कर रहा था और पीछे से गान्ड मे लंड डाले था तो उसको एक तरह से दोहरा मज़ा प्राप्त हो रहा था उसके मुँह से निकलती हर एक आह मुझे बेकाबू कर रही थी अब उसको गान्ड के दर्द की कोई परवाह नही थी वो तो बस उस मज़े को लूट रही थी और मैं तो खुश था ही मुझे पद्मिीनी जैसे माल से संससर्ग करने का मौका मिल रहा था फिर अचानक से उसने अपनी दोनो टाँगो को भीच लिया और एक गहरी आह भरते हुए झड़ने लगी उसकी चूत से रिस्ते पानी से मेरी उंगलिया पूरी तारह से भीग गयी थी और ठीक उसी टाइम मैने लंड ने गान्ड मे ही पिचकारी मारी और मेरे लंड से भी सफेद गाढ़े रस की धारा बह चली पद्मिपनी की लिए ये एक दम नया एक्सपीरियेन्स था कुछ तो दिन भर की थकान थी और कुछ इस चुदाई ने बदन तोड़ डाला था तो फिर ना जाने कब नींद ने अपने आगोश मे ले लिया
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