Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 12:40 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
लंड को चूत की घेराई तक डालने के बाद मैं उनपर लेट गया और उनके सेब से गालो को खाने लगा तो भाभी और भी मादक होने लगी वो अपनी बाहों को मेरी पीठ पर रगड़ते हुवे बोली चलो आप शुरू भी हो जाओ काफ़ी काम पड़ा है वो भी ख़तम करना है तो मैने लिंग को बाहर तक निकाला और फिर अंदर डाल दिया काफ़ी देर तक बस मैं ऐसे ही करता रहा अब भाभी का पारा भी गरम हो गया था वो बोली क्यो तडपा रहे हो जो काम करना है सीधे सीधे वो करो ना और मुझे अपनी बाहों मे दबाने लगी




जन्नत का सा सुख मिल रहा था अब मैने अपनी रफ़्तार थोड़ी थोड़ी सी बढ़ा दी भाभी ने आगे को होते हुए अपने रसीले होठ मेरे होंठो पर फिर से रख दिए थे सहद सा मेरे मूह मे घुलने लगा था अब कुछ भी ठंड नही लग रही थी तो फिर बस धक्कम पेल शुरू हो गयी भाभी भी खुलकर चुदाई का सुख प्राप्त कर रही थी मैने कहा उठो ज़रा झुको थोड़ा सा तो भाभी फर्श पर घोड़ी बन गयी मुझे घोड़ी बनाकर चोदने मे बड़ा ही अच्छा लगता था जब वो झुकी तो उनका पिछवाड़ा और भी फैल गया बड़ा ही सेक्सी सा पोज़ था वो मैने उनकी पतली कमर पर अपना हाथ रखा और लंड को योनि से सटा दिया सरपट करता हुआ वो फिर से अपनी मंज़िल को पा गया था भाभी अपने कुल्हो को आगे पीछे करते हुए चुदने लगी



जब जब भाभी मस्ती मे डूब कर आह आह करती तो मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मैं तेज तेज धक्के लगाने लगता था फिर मैने शरारत करते हुए अपनी एक उंगली उनकी गान्ड मे डाल दी तो दर्द के मारे कराहते हुए बोली निकालो उधर से दर्द होता है मैं कहा मज़ा भी तो आता है ना अब भाभी कि दोनो छेद भरे हुए थे तो बस वो मस्ती मे डूबती चली गयी



थोड़ी देर बाद मैने अपने दोनो हाथो से उनकी दूध से भरी चूचियो को थाम लिया और उनको दबाने लगा तो कुछ ही पॅलो मे उनसे दूध की धार निकलने लगी तो भाभी ने मेरे हाथ वहाँ से हटवा दिए इधर मैं भी झड़ने के करीब ही आ गया था तो मैने कहा भाभी मज़ा आ रहा है तो वो बोली हाँ बहुत ही अच्छा लग रहा है ऐसे ही लगे रहो बस थोड़ी देर की बात और है



मैं बोला भाभी मेरा भी होने वाला है तो वो बोली अंदर मत गिराना बाहर ही रखना मैने कहा ठीक है जानेमन और घचा घच चोदने लगा उनको अगले 5-7 मिनिट तक बस फिर कुछ होश ना रहा बस एक जुनून सा छा गया था हम दोनो पर फिर भाभी ने एक तेज आह भरते हुवे अपनी जाँघो को आपस मे भीच लिया और शांत हो गयी कुछ पॅलो बाद मैने अपने लंड को बाहर निकाला और उनके कुल्हो पर ही अपना पानी गिरा दिया और हाँफने लगा

भाभी ने मेरे रुमाल से अपने पर पड़े वीर्य को सॉफ किया और फिर से मुझसे चिपट गयी थोड़ी देर मेरी बाहों मे रहने के बाद वो उठी और अपने कपड़े पहन ने लगी मैने कहा एक बार और ………… पर वो बोली मुझे काम करना है और फिर घर भी तो जाना है अब फिर कभी देखेने अब आओ और मेरी मदद करो तो हम बाहर आ गये काम करते करते पूरी दोपहर ही चली गयी



एक तो जाड़े के दिन भी कब निकल जाए पता ही नही चलता दोपहर बाद हम घर पहुचे कुछ तो चुदाई से और फिर ढेर सारा काम तो मैं थक गया था मैने चाची से कहा कि पानी गरम कर दो मैं नहाउन्गा तो वो मेरा पानी रखने चली गयी और मैं लंच करने बैठ गया आज बड़ा ही लज़ीज़ खाना बना था तो फिर नहा कर बस सो ही गया



शाम को चाचा ने मुझे उठाया तो मैने कहा आप कब आए वो बोला काफ़ी देर हो गयी तू कब्से सोया पड़ा है उठ जा अब मैने कहा जी बस अभी उठ रहा हू फिर एक चाइ पी और मैं घर से बाहर निकल पड़ा घूमने के लिए थोड़ी तफ़री करी फिर मंदिर चला गया तो उधर जाते ही निशा की याद आ गयी तो दिमाग़ खराब होने लगा मैने प्रार्थना की भगवान एक बार तो मिलवा दो उस से



पता नही कैसी होगी , कहा होगी दिल जब भारी हो गया तो मैं उसी बगीची मे जाकर बैठ गया जहाँ कभी मैं और निशा अक्सर बैठ कर बाते किया करते थे मैं बैठा था कि पुजारी जी वहाँ आ गये तो दुआ –सलाम हुई बोले काफ़ी दिन बाद आए हो मैने कहा जी अब नोकारी ही ऐसी है कि छुट्टी नही मिलती तो कुछ देर उनसे बाते हुई फिर मुझे ध्यान आया कि मैने भाभी को कहा था निशा के बारे मे पता करने को



तो मैने वही से ही भाभी को फोन लगाया और पूछा तो वो बोली नही , कुछ भी पता नही चला कोई खबर नही है तो मैं और भी उदास हो गया दिल बेचैन हो रहा था पता नही कब आँखो से आँसुओ का झरना फुट चला आख़िर ऐसी क्या बेगानी हो गयी थी वो जो उसे अपने इस दोस्त का एक पल भी ख़याल ना आया अब मैं कर भी क्या सकता था सिवाय अपनी तकदीर को कोसने के



जब मैं वापिस घर आ रहा था तो शीला भाभी मिल गयी रास्ते मे मैने कहा भाभी आप भी जमाने की तरह बदल गयी हो प्रीत अधूरी छोड़ गयी तो वो बोली देवेर जी ऐसा ना कहो पर अब मेरा लड़का इधर ही रहता है तो बताओ मैं क्या करू मन तो मेरा भी होता है पर मजबूर हूँ वरना आपको कभी शिकायत का मोका ना देती मैने कहा देख लो आप



तो वो कहने लगी ठीक है जैसे ही कुछ जुगाड़ होगा मैं बताउन्गी आपको उस से बात करते करते घर आ गया रात हो गई थी बस फिर डिन्नर और फॅमिली से गप्पे लड़ाना तो एक और दिन का अंत हो गया था सुबह मैं कुछ देर से उठा तो घर पे कोई नही दिखा मैं फ्रेश होकर आया फिर बाहर आया तो भी कोई नही दिख रहा था अब ये लोग कहाँ गये तो मैं बाहर चबूतरे पर ही बैठ गया
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