Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 12:51 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
पता नही क्यो मैं खुद पर काबू नही रख पा रहा था और उसके मन मे क्या चल रहा था वो भी मैं समझ नही पा रहा था मैने अपना हाथ उसकी जीन्स के बटन पर रख दिया और उसको खोल ही रहा था कि तभी बाहर से कुछ आवाज़ आई तो मैं फॉरन उस से अलग हो गया तो देखा कि रॉकी वापिस आ गया है तो फिर हम वापिस बड़ी मामी के घर आ गये मेरे लबों पर एक नया सा अहसास था भाई के बान बैठने की रस्मे चल रही थी तो बस वो ही देख रहे थे



आँखो मे आस थी कि एक दिन मुझे भी ये रस्मे निभानी है अब इच्छा तो सबकी होती ही है तो अपनी आँखो मे भी कुछ सपने थे कुछ अरमान थे पता नही क्यो आँखे भर सी आई थी तो मैं वहाँ से उठ कर उपर चॉबारे मे चला गया तो देखा कि आज बेड को निकाल कर रख दिया गया था और नीचे गद्दे बिछे हुए थे तो मतलब आज इधर सोना था तो मैं ऐसे ही कुछ देर के लिए लेट गया तो बुग्गी आ गयी और बोली मैं तुम्हे कहाँ कहाँ ढूँढ रही थी और तुम इधर पड़े हो



मैने कहा हाँ बताओ क्या बात है वो बोली कुछ नही है वैसे तो पर मेरा भी जी नही लग रहा था तो सोचा कि कुछ देर तुमसे ही बाते करलू मैने कहा ठीक है बैठो फिर हम अपनी घिसी पिटी बाते करने लगे थोड़ी देर बाद पूरी मंडली ही उधर आ गई तो हमे कुछ ज़्यादा शेरिंग का मोका नही मिला तो शाम तक ऐसा ही चलता रहा . शाम को मैं खेतो को तरफ टहल रहा था तो सरोज मामी के दर्शन हो गये पहले से और भी गान्डस हो गयी थी



वो बोले भानजे सा , हमे तो भूल ही गये हो कब के आए हो अभी तक अपनी प्यारी मामी के घर का चक्कर नही लगाया तो मैने कहा जी वो काम इतना था कि फ़ुर्सत ही नही मिलती तो वो बोली ठीक है कल दोपहर मे देख लेना तुम्हे तो पता ही है कि दोपहर मे मैं अकेली ही रहती हू तो मैने कहा जी अच्छा खेतो के पास ही एक कुँए पर पानी की खेली बनी हुई थी मैं उस पर ही बैठ गया और सोचने लगा आख़िर कल फॅमिली जो आ रही थी

हालाँकि मैने सोच लिया था कि मैं जहाँ तक हो सकेगा नॉर्मल ही रहूँगा अब अपनी पर्सनल प्रॉब्लम्स की वजह से भाई की शादी मे कोई सीन करना भी उचित नही था और वैसे भी अपने को अब आदत भी होने लगी थी अकेलेपन की तो फिर क्या फरक पड़ना पड़ता था, फिर रात को हम सब बनवारे मे डॅन्स कर रहे थे मैने दो-चार पेग टिका लिए थे तो पाँव अपने आप ही चल रहे थे मामी भी हमारे साथ डॅन्स करने लगी थी तो मैने कोशल्या मामी को कहा कि डार्लिंग आज अपना भी कुछ जुगाड़ कर दो



तो मामी बोली घर मे अब मेहमान है और फिर मैं काम मे लगी हूँ पर जल्दी ही कोई मोका देख कर तुम्हारा भी जुगाड़ कर दूँगी देर रात तक बस वो सब ही चलता रहा फिर तक कर हम सब सो गये सारे लोग हम चॉबारे मे ही पड़े थे मेरे पास रॉकी सो रहा था और थोड़ी दूरी पर बुग्गी सोई पड़ी थी पर रात को पता नही कितना टाइम हो रहा था मुझे मेरे शरीर पर कुछ सुर सुराहट महसूह हुई तो मेरी आँख खुल गयी तो मैने देखा की रॉकी की जगह बुग्गी मेरे पास लेटी हुई है और उसका एक हाथ मेरे लंड पर है जिसे वो हल्के हल्के से दबा रही है मैने सोचा अब इतनी रात को इसको क्या हुआ असल मे मेरे लिए तो ऑपर्चुनिटी थी पर साथ मे ही छोटे भाई बहन भी सोए पड़े थे तो पहली बार थोड़ा सा डर सा लग रहा था वैसे तो बुग्गी मेरी रज़ाई मे घुसी पड़ी थी पर फिर भी डर तो डर होता है कोई भी पानी-पेशाब के लिए उठ जाए तो फिर अपनी इज़्ज़त नीलम होने मे देर ना लगे






रुक्मणी ने अपना हाथ मेरे अंडरवेर मे डाल दिया और मज़े से मेरे लंड को सहलाने लगी थी तो लंड महाराज भी अपने रंग मे आने लगे थे मेरी साँसे तो जैसे मेरे गले मे अटकने ही लगी थी तो मैने सोचा ले तू भी अपनी कर ले खेल ले इस लंड से थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को सहलाती रही फिर उसने मेरा एक हाथ अपने बोबो पर रख दिया और अपने हाथ का दबाव उस पर डालते हुए दबाने लगी तो मेरा हाल भी खराब होने लगा



उसकी साँसे मेरे चेहरे से टकराने लगी थी रज़ाई का तापमान अचानक से ही कुछ ज़्यादा हो गया था उपर से मैं जो दारू के शॉट लगा कर सोया था तो अब वो फिर से मेरे दिमाग़ मे चढ़ने लगी थी तो आख़िर मैने भी अपना हाथ उसकी सलवार के उपर से ही उसकी योनि पर रख दिया और हल्के से दबा दिया तो उसी टाइम रुक्मणी का शरीर जड़ हो गया वो समझ गयी थी कि मैं भी जागा हुआ हूँ अब हालात कुछ यूँ थे कि हम दोनो को ही पता था कि माजरा क्या है और दोनो ही जाहिर नही करना चाहते थे



पर अपने को अब मज़ा आने लगा था तो मैं सलवार के उपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा अच्छा लग रहा था पर उसकी हालत टाइट होने लगी थी मैने नाडे को खोलना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर बोली कुछ नही तो मैं धीमे से घूमकर उसके उपर आ गया और उसके हसीन लबो पर अपन होंठ रख दिए और एक प्यारा सा किस कर दिया उस किस से ही हम दोनो के तन बदन मे एक आग सी जल गयी 2-4 मिनिट तक किस करने के बाद मैने फुसफुसाते हुएकहा कि चॉबारे से बाहर आ जा




फिर मैं सावधानी से उठ कर बाहर आ गया और फिर दो पल के बाद वो भी आ गयी आते ही मैने उसे दीवार से सटा दिया और उसको चूमने लगा रुक्मणी ने भी अपने रसिले होंठो को मेरे लिए खोल दिया था और होंठों को पीटे पीते ही मैने उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया और पेंटी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा तो वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठो को चूसने लगी थी फिर मैने धीरे से कच्छी को उसके घुटनो तक सरका दिया और उसकी बिना बालो वाली चूत से खेलने लगा बाहर बेशक कड़ाके की ठंड भी पर अब वो ठंड हमारा कुछ नही बिगाड़ सकती थी



रुक्मणी का हाथ मेरे लंड पर कस गया था और उसकी नाज़ुक उंगलिया मेरे लंड पर अपना जादू चलाने लगी थी हम दोनो एक दूजे मे खोए हुए थे सारी दुनिया को भूल कर पर शायद उस रात मिलन होना लिखा ही नही था बस दो चल पलों बाद हम दो जिस्म एक जान होने ही वाले थे कि तभी रॉकी साहब को पानी की प्यास लगी और वो आवाज़ करते हुए जाग गये तो फिर जल्दी से हम ने अपने आप को संभाला और बिस्तर पकड़ लिया फिर थोड़ी देर मैने इंतज़ार भी किया कि वो आएगी पर फिर कुछ नही हुआ तो बस फिर सो गया



अगली सुबह मैं थोड़ा सा लेट उठा तो करीब करीब 9 बज रहे थे मैं चॉबारे से बाहर आया तो चारो तरफ धून्ध की गहरी चादर छाई हुई थी तो मैने अपनी जॅकेट डाली और नीचे आ गया तो सीढ़ियो पर ही बुग्गी से टकरा गया तो वो अपनी नज़रे नीचे करते हुए बोली मैं तुम्हे ही जगाने आ रही थी तुम्हे नीचे बुला रहे है मैने कहा चलता हूँ तो हम साथ साथ ही फिर नीचे आ गये तो ममाजी ने कहा कि मनीष तुम तैयार होकर ज़रा मेरे साथ सहर तक चलो कुछ खरीदारी करनी है



मैने सोचा कि इनके साथ चला गया तो फिर गया पूरा दिन पर मना भी नही कर सकता था तो मन मार कर कहा कि मैं फ्रेश हो कर आता हूँ फिर चलते है अब कॉन नहाए इतनी सर्दी मे तो मामा के साथ सहर गये काफ़ी सारा समान खरीदना था तो बाजार मे ही पूरा दिन बीत गया ना कुछ खाया पिया ना कुछ ऑर तो घर आते आते शाम के साढ़े पाँच बज गये थे और मैं बुरी तरह से थक गया था , सारा सामान गाड़ी मे लादकर जब वापिस आए तो पता चला कि




घरवाले भी पहुच चुके थे , मैने सबके पाँव छुए, मम्मी के भी आक्च्युयली मैं शो नही करना चाहता था कि हमारे बीच मे कोई डिस्प्यूट चल रहा है पापा बोले फोजी कब आए तो मैने कहा तीन दिन हो गये है फिर उन्होने पूछा कि कहाँ हो आजकल तो बताया कि देल्ही मे हूँ , तो वो बोले ठीक है पर पास हो तो घर भी आ जाया करो तो हमे भी अच्छा लगेगा मैने कहा जी जल्दीही आउन्गा आख़िर पापा मुझे थोड़ा बहुत समझते थे
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