Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 01:18 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मिता बोली मम्मी अगर ये करना होता तो कब का कर चुके होते तो आंटी बोली बेटी बस यो ही रास्ता है नही तो बस तेरे भाग मे इस छोरे का साथ कोन्या और फिर तू सारी ज़िंदगी कोसेगि कि माँ की बात मान लेती बेटी हम उस वंश का खून है जहा इज़्ज़त अपनी जाई से भी घनी प्यारी होवे सै,थारे प्रेम ने कोई ना सोचेगा काट के फेक देवेंगे थाने किते लाषो को चील कोवे ही खाएँगे



तुम भाग जाओ किते दूर, तो मैने कहा आंटी जी कोई चोरी ना कर रहे प्यार करे सै घर बसाना चाहवें सै ब्याह तो मिता की इच्छा से ही होगा बारात तो आपके घर आएगी ही तो आंटी बोली बेटा क्यो मोत के मुँह मे कूदो सो मैने कहा मिता कल के कल तू मेरे साथ तेरे घर चल रही है शादी की बात अब तुम्हारे पिताजी से ही होगी

तो आंटी बोली रूको तुम और मेरी बात सुनो पहले तुम ऐसा कुछ नही करोगे, क्यो अपने पैरो मे कुल्हाड़ी मार रहे हो मैने तुम्हे रास्ता दे दिया है कि यहा से दूर भाग जाओ और अपना घर बसा लो बस ये ही एक्लोता रास्ता है तुम्हारे मिलन का मैं किसी से भी नही कहूँगी कि मिथ्लेश कहाँ है मैने कहा ठीक है आंटी जी चलो मान भी लेते है मैं तैयार हूँ कोर्ट मॅरेज के लिए




पर आपकी बेटी तो चाहती है कि उसकी डोली बस आपके घर से ही उठे तो वो बोली बावली हो गयी है ये छोरी के बचपन से इसने घर का माहौल नही देखा जो ये सोच रही है , इसकी ये इच्छा इस जनम मे तो क्या किसी भी जनम मे नही पूरी होगी मेरे बच्चो तुम जो कदम उठाने की सोच रहे हो वो उस राह की कोई मंज़िल है ही नही और राह मे लाख तकलीफे है पर तुम कभी भी मंज़िल नही पा सकोगे



बेटा, ये कोई तुम लोगो की बच्पने की ज़िद नही है जो माँ-बाप पूरी कर देंगे बाकी तुम लोगो ने अगर फ़ैसला कर ही लिया है तो मैं तो रो कर सबर कर लूँगी और अब मैं इसके सिवा कुछ कर भी क्या सकती हूँ कुछ देर के लिए कमरे मे शांति छा गयी हमारे पास सीधा सा रास्ता था कि कोर्ट मे मॅरेज कर ले और सब लोगो की नज़र से दूर किसी सहर मे अपना छोटा सा आशियाना बसा ले



पर मिथ्लेश की भी तो हमेशा से ही बस यही इच्छा थी कि उसकी डॉली उसके घर से ही उठे पर दुल्हन वो मेरी बने अब करे भी तो क्या करे मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मिटा एक बार तुंमहरे पिताजी से भी बात करनी ही होगी फिर देखते है कि क्या होता है मैने कहा मिता हम अभी तुम्हारे घर चल रहे है तो वो बोली ठीक है पर मनीष संभाल लेना मेरी हर उम्मीद तुमसे ही है




उसकी मम्मी बार बार हमे मना करती रही पर एक ना एक दिन तो ये सब फेस करना ही था तो फिर अभी क्यो नही वो रात हम तीनो मे से कोई भी नही सोया सबके दिमाग़ मे कुछ ना कुछ चल रहा था अगले दिन शाम तक हम मिता के घर पहुच गये बचपन मे कई बार बाहर से तो उसके घर की झलक देखी थी पर आज अंदर जा रहा था , जब हम अंदर गये तो उसके पिताजी से साक्षात्कार हुआ




बड़े ही रोबीले से इंसान थे वो , तो वो मेरी ओर देखते हुए बोले कि माफ़ कीजिए आपको पहचाना नही तो मिता बोली पिताजी ये मेरे दोस्त है तो उन्होने उसे एक गहरी नज़र से देखा पर कहा कुछ नही फिर मेहमान खाने मे बिठा दिया गया कुछ चाइ नाश्ते की व्यवस्था की जाने लगी पर मैने डाइरेक्ट्ली मुद्दे की बात छेड़ दी तो उन्होने मेरी एक एक बात को पूरी तसल्ली से सुना




पर उनके चेहरे पर कोई भाव नही था तो मैं उनके रियेक्शन को समझ नही पा रहा था फिर उन्होने मिता को कहा कि छोरी तू भीतर जा, उसके जाने के बाद वो मेरी और मुखातिब हुवे और बोले कि देख छोरे, तने अभी बेरा ना है कि तू के कह रहा है और फिर तेरी हिम्मत भी गजब है तू खुद ही घर तक आ गया , देख मैं मान्यू सूं की आजकल छोरे-छोरी साथ पढ़या करे सै




तो बोल-चाल भी हो जाया करे है पर यो जो प्यार मोहबात है ना अपने इधर ना चलया करे और फेर थारे गाँव और म्हारे गाँव मे भाई चारा भी तो सै हम थारे गाँव की छोरिया ने बेटी माने सै और थारे लोग म्हारे गाँव की छोरिया ने तो तू क्यू गाँवो का भाई चारा खराब करना चाहवे सै और फेर तेरी जात अलग और ठाकुर भरपूर सींग अपनी छोरी दूसरी जात आले के ब्याह दे या तो हो ना सके



म्हरी भी गाँव बस्ती मे इज़्ज़त है समाज मे रसुख है और फिर थारी हसियत ही के सै म्हारे आगे बेरा सै छोरी के ब्याह मे कितना रुपया खरच करूँगा मैं मैने हाथ जोड़ते हुए कहा सरपंच जी इतना तो मैं कमा लेता हूँ की मिता सुख से रह लेगी आप बस बेटी को विदा कर दीजिए वो मेरे साथ बहुत खुश रहेगी तो वो बोले बस छोरे बहुत हुआ तेरी ज़ुबान पर आज के बाद मेरी छोरी का नाम नही आना चाहिए , नही तो ठीक नही होगा छोरी का मामला है और तू इस टाइम मेहमान बनकर आया है तो मैं सबर कर रहा हूँ जा चला जा और आज के बाद अगर मेरी छोरी के पास भी दिखा तो ठीक नही रहेगा मैने कहा पर मिता भी मुझसे बहुत प्यार करती है तो वो गुस्से से गरजते हुए बोले छोरे बस आख़िरी बार कह रहा हूँ कि चला जा इधर से



हमारे यहाँ महमानो का अनादर करने के रीत नही है काई ऐसा ना हो कि रीत टूट जाए उनके गुस्से की आवाज़ सुनकर मिथ्लेश भी भाग कर आ गई और रोते हुए बोली पिताजी मैं इसके बिना ना जी पाउन्गी तो वो बोले मर तो सकेगी ना ना जाने मेरी परवरिश मे कॉन सी कमी रह गयी जो इसी कुलच्छिनी बेटी मिली मन्ने
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