Free Sex Kahani काला इश्क़!
12-08-2019, 06:55 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
पहले तो सोचा की झूठ बोल दूँफिर मैंने सोचा की मेरा किस्सा सुन कर सब हंस पड़ेंगे और घर का माहौल हल्का हो जायेगा इसलिए मैंने अपना किस्सा सुनाना शुरू किया|
 
 
           "कॉलेज फर्स्ट ईयर था और होली पर घर नहीं  पाया था क्योंकि असाइनमेंट्स पूरे नहीं हुए थेहोली के दिन सुबह दोस्त लोग  गए और मुझे अपने साथ कॉलेज ले आये जहाँ हमने खूब होली खेलीफिर दोपहर को हम वापस हॉस्टल पहुँचे और नाहा धो कर खाना खाने  गएआज हॉस्टल में पकोड़े बने थे जो सब ने पेट भर कर खायेजब वापस कमरे में आये तो मेरा एक दोस्त कहीं से भाँग की गोलियाँ ले आया थाउसने सब को जबरदस्ती खाने को दी ये कह कर की ये भगवान का प्रसाद हैअब प्रसाद को ना कैसे कहतेजब सब ने एक-एक गोली खा ली तो वो सच बोला की ये भाँग की गोली हैहम टोटल 4 दोस्त थेअमनमनीष और कुणाल|  कुणाल को छोड़ कर बाकी तीनों डर गए थे की अब तो हम गएपता नहीं ये भाँग का नशा क्या करवाएगाहम ने सुना था की भाँग का नशा बहुत गन्दा होता है और आज जब पहलीबार खाई तो डर हावी हो गयापर 15 मिनट तक जब किसी ने कोई उत-पटांग हरकत नहीं की तो हम तीनों ने चैन की साँस लीहमें लगा की किसी ने बेवकूफ बना कर कुणाल को मीठी गोलियाँ भाँग की गोलियाँ बोल कर पकड़ा दींये कहते हुए अमन ने हँसना शुरू किया और उसकी देखा-देखि मैं और मनीष भी हँसने लगाकुणाल को ताव आया की हम तीनों उसे बेवकूफ कह रहे हैं तो उसने हमें चुनौती दी; 'हिम्मत है तो एक-एक और खा के दिखाओ|' हम तीनों ने भी जोश-जोश में एक-एक गोली और खा लीऔर फिर से उस पर हँसने लगेहम तीनों ये नहीं जानते थे की भाँग का असर हम पर शुरू हो चूका थातभी तो हम हँसे जा रहे थेउधर कुणाल बिचारा छोटे बच्चे की तरह रोने लगा था और उसे देख कर हम तीनों पेट पकड़ कर हँस रहे थे| 15 मिनट तक हँसते-हँसते पेट दर्द होने लगा था और बड़ी मुश्किल से हँसी रोकी और तब मनीष ने सब को डरा दिया ये कह कर की हमें भाँग चढ़ गई हैअब ये सुन कर हम चारों एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे की अब हम क्या करेंगेअमन तो इतना डर गया था की कहने लगा मुझे हॉस्पिटल ले चलोमैं मरने वाला हूँतो कुणाल बोला की कुछ नहीं होगा थोड़ी देर सो ले ठीक हो जायेगापर मनीष को बेचैनी सोने नहीं दे रही थीइधर मनीष को गर्मी लगने लगी और वो सारे कपडे उतार कर नंगा हो गया और उसने पंखा चला दियामुझे भी डर लगने लगा की कहीं मैं मर गया तोइसलिए मैंने सोचा की ये हॉस्पिटल जाएँ चाहे नहीं मैं तो जा रहा हूँअभी मैं दरवाजे के पास पहुँचा ही था की कुणाल ने हँसते हुए रोक लिया और बोला; 'कहाँ जा रहा हैबड़ी हँसी  रही थी ना तुझेऔर खायेगा?' मैं उस हाथ जोड़ कर मिन्नत करने लगा की भाई माफ़ कर देआज के बाद कभी नहीं खाऊँगा ये भाँग का गोलामैं जैसे-तैसे बाहर आया और घडी देखि ये सोच कर की कहीं हॉस्पिटल बंद तो नहीं हो गयाउस वक़्त बजे थे रात के 2, यानी हम चारों शाम के 4 बजे से रात के दो बजे तक ये ड्रामा कर रहे थेअब हमारा कमरा था चौथी मंजिल परइसलिए मैं हमारे कमरे के दरवाजे के सामने लिफ्ट और सीढ़ियों के बीच खड़ा हो कर सोचने लगा की नीचे जाऊँ तो जाऊँ कैसेअगर लिफ्ट से गया और दरवाजा नहीं खुला तो मैं तो अंदर मर जाऊँगाऔर सीढ़ियों से गया तो पता नहीं कितने दिन लगे नीचे उतरने मेंमैं खड़ा-खड़ा यही सोच रहा था की हमारे हॉस्टल के वार्डन का लड़का  गया और मुझे ऐसे सोचते हुए देख कर मुझे झिंझोड़ते हुए पुछा की मैं यहाँ क्या कर रहा हूँमैंने उसे बताया की मैं हिसाब लगा रहा हूँ की सिढीयोंसे जाना सही है या लिफ्ट सेये सुन कर वो बुरी तरह हँसने लगाक्योंकि वहाँ लिफ्ट थी ही नहीं और जिसे मैं लिफ्ट समझ रहा था वो एक पुरानी शाफ़्ट थी जिसमें बाथरूम की पाइपें लगी थीपर मैं अब भी नहीं समझ पाया था की हुआ क्या है और ये क्यों हँस रहा हैवो मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे कमरे में ले आया और अंदर का सीन देख कर हैरान हो गयामनीष पूरा नंगा था और उसने अपने गले में तौलिया बाँध रखा था जैसे की वो सुपरमैन हो और एक पलंग से दूसरे पर कूद रहा थाअमन बिचारा एक कोने में बैठा अपना सर दिवार में मार रहा था और बुदबुदाए जा रहा था; 'अब नहीं खाऊँगा....अब नहीं खाऊँगा....अब नहीं खाऊँगा...'  कुणाल फर्श पर उल्टा पड़ा था और चूँकि उसे मछलियां बहुत पसंद थी तो वो खुद को मछली समझ कर फड़फड़ा रहा था और मैं रात के 2 बजे से सुबह के 6 बजे तक बाहर खड़ा हो कर हिसाब लगा रहा था की सीढ़यों से जाऊँ या फिर लिफ्ट से!
 
                                         उसी लड़के ने एक-एक कर हमें आम चटाया और हमारा नशा उताराइसलिए उस दिन से कान पकडे की कभी भाँग नहीं खाऊँगा|"    
 
 
मेरी पूरी राम-कहानी सुन कर सारे घर वाले खूब हँसे और शुक्र है की किसी ने मुझे भाँग खाने के लिए डाँटा नहींबात करते-करते सुबह के चार बज गए थे इसलिए ताऊ जी ने कहा की सब कुछ देर आराम कर लें पर मुझे तो सुबह ही निकलना थापर ताऊ जी ने कहा की आराम कर लो और 7 बजे उठ जानाइसलिए सारे लोग सो गए और सुबह सात बजे जब मैं उठा तो ताई जीभाभी और माँ रसोई में नाश्ता बना रहे थेफ्रेश हो कर नाश्ता किया और ताई जी ने रास्ते के लिए भी बाँध दिया की भूख लगे तो खा लेनाशहर हम 11 बजे पहुँचे और पहले ऋतू को कॉलेज छोड़ मैं ऑफिस पहुँचासर ने थोड़ा डाँटा पर मैंने जाने दिया क्योंकि आधा दिन लेट था मैंदिन गुजरते गए और ऋतू के Exams  गए और उसने फिर से क्लास में टॉप कियाये ख़ुशी सेलिब्रेट करना तो बनता थातो संडे को मैं उसे लंच पर ले जाना चाहता था पर उसके कॉलेज के दोस्त भी साथ हो लिए और सब ने कॉन्ट्री कर के लंच किया|
 
 
कुछ महीने और बीते और ऋतू का जन्मदिन आयामैंने उसे पहले ही बता दिया था की एक दिन पहले ही मैं उसे लेने आऊंगा पर ऋतू कहने लगी की उसके असाइनमेंट्स पेंडिंग हैं और अपने दोस्तों के साथ उसने कुछ क्लास बंक की थीं तो वो भी कवर करना है उसेतो मेरा प्लान फुस्स हो गयापर वो बोली की शाम को उसके सारे दोस्त उसके पीछे पड़े हैं की उन्हें ट्रीट चाहिए तो हम शाम को मिलते हैंअब कहाँ तो मैं सोच रहा था की उसका बर्थडे हम अकेले सेलिब्रेट कर्नेगे और कहाँ उसके दोस्त बीच में  गएपर मैं ये सोच कर चुप रहा की कॉलेज के दोस्त कभी-कभी करीब होते हैं और मुझे ऋतू को थोड़ी आजादी देनी चाहिए वरना उसे लगेगा की मैं Possessive हो रहा हूँअब मैं भी इस दौर से गुजरा था इसलिए दिमाग का इस्तेमाल किया और ऋतू के बर्थडे को खराब नहीं कियाबल्कि उसी जोश और उमंग से मनाया जैसे मनाना चाहिएऋतू के चेहरे की ख़ुशी सब कुछ बयान कर रही थी और मेरे लिए वही काफी थादिन बीतने लगे और ऋतू के कॉलेज के दोस्तों ने कोई ट्रिप प्लान कर लियामुझे लगा की शायद मुझे भी जाना है पर मुझे तो इन्विते ही नहीं किया गया क्योंकि वैसे भी मैं कॉलेज वाला नहीं थाऋतू ने मुझसे मिन्नत करते हुए जाने की इज्जाजत मांगी तो मैंने उसे मना नहीं कियाइस ट्रिप पर बनने वाली यादें उसे उम्र भर याद रहेंगीजितने दिन वो नहीं थी उतने दिन मैं रोज उसे सुबह-शाम फ़ोन करता और उसका हाल-चाल लेता रहताजब वो वापस आई तो बहुत खुश थी और मुझे उसने ट्रिप की सारी pictures दिखाईं और वो संडे मेरा बस ऋतू की ट्रिप की बातें सुनते हुए निकलादिन बीत रहे थे और काम की वजह से कई बार मुझे सैटरडे को बरेली जाना पड़ता और इसलिए हम सैटरडे को मिल नहीं पाते पर संडे मेरा सिर्फ और सिर्फ ऋतू के लिए थाउस दिन वो आती तो मेरे लिए खाना बनाती और कॉलेज की सारी बातें बताती और कई बार तो हम संडे को पढ़ाई भी करते!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
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RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
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RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
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