Free Sex Kahani काला इश्क़!
12-26-2019, 08:02 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
अब तक आपने पढ़ा....

"घरवाले इतनी आसानी से हमारी शादी के लिए नहीं मानेंगे और मैं नहीं चाहता की तुम्हारा जन्मदिन खराब हो!" मैंने अनु को फिर से अपने सीने से लगा लिया| अनु मेरी बात समझ गई थी और उसने कल के लिए सारा प्लान भी बना लिया था| पर मैं तो बस उसे अपने सीने से चिपकाए नेहा की कमी को पूरा करना चाह रहा था| पर जो गर्म एहसास मुझे नेहा को गले लगाने से मिलता था वो मुझे अनु को गले लगाने से नहीं मिल रहा था| नेहा की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता था!          

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"आपकी दिल की धड़कनें क्यों तेज हैं?" अनु ने पूछा| अब मैं उसे क्या कहता? शायद वो मेरी बात को समझ ना पति, या फिर वो इसका कुछ और मतलब निकालती इसलिए मैंने बात घुमा दी; "इतने दिनों बाद तुम्हें गले लगा ना इसलिए दिल बेकाबू हो गया!" पर अनु मुझे अच्छे से जानती थी और ये भी जानती थी की मेरे मन में क्या चल रहा है| मेरे मन के विचारों और पीड़ा को महसूस कर के अनु डर गई थी, जिस मानु को उसने इतनी मुश्किल से संभाला था कहीं वो फिर से अंतहीन गम की खाईं में न गिर जाए! "अच्छा ये बताओ ये तुमने आजकल मुझे 'आप' कहना क्यों शुरू कर दिया?" मैंने बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा वरना अनु को शक हो जाता की मैं अंदर से दुखी हूँ|

"मम्मी को देख कर! उस दिन मैं जब आपसे बात कर रही थी तो मम्मी ने मुझे टोका और कहा की पति परमेश्वर होता है और मुझे आदर से बात करनी चाहिए जैसे वो करतीं हैं पापा से|"  अनु ने बड़े भोलेपन से जवाब दिया| मम्मी जी का तातपर्य था की शादी के बाद वो मुझे आप कहे पर ये अनु का बचपना था जो की उस बात को अभी से मानना चाहता था|   

"अच्छा जी? तो ठीक है मैं भी अबसे तुम्हें आप ही कहूँगा?" मैंने कहा|

"नहीं.... इतनी मुश्किल से तो आप तुम पर आये हो अब फिर से आप पर जाना चाहते हो?" अनु ने चिढ़ते हुए कहा|

"यार अगर आप मुझे इज्जत देकर बात कर रहे हो तो मैं भी करूँगा| ये कहाँ लिखा है की सिर्फ पत्नियाँ ही पति को आप कह सकती हैं और पति नहीं?" मैंने तर्क दिया|

"वैसे .... एक बात कहूँ?" अनु ने शर्माते हुए कहा|

"आय-हाय!! शर्म से गाल लाल हो गए आपके तो?" मैंने अनु की टाँग खींचते हुए कहा|

"ये हम दोनों का एक दूसरे को आप कहना.....एक अजीब सा एहसास दिलाता है! लगता है मानो जिस्म में हजारों तितलियाँ उड़ रही हों! क्या यही प्यार है? अनु ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा| उसकी आँखों में मुझे आज अलग ही कसक दिखी, इधर मेरी आँखों में सुनापन था और मुझे अपने जज्बात अनु से छुपाने थे!     

"हम्म्म....." इसके आगे मैं कुछ बोल ना पाया और अनु को अपने सीने से लगा लिया| 

         शाम होने को आई थी इसलिए मैंने अनु से कहा की घर चलते हैं, ठंड में बाहर ठिठुरने से अच्छा है घर जा कर बैठें| तभी घर से फ़ोन आया; "जी .... वो एक जर्रूरी मीटिंग थी और मैं उसके बारे में भूल गया था| कपडे? जी वो मैंने यहाँ से ले लिए थे..... कल एक और मीटिंग है ....उसके बाद मैं परसों आ जाऊँगा.....और हाँ.....मैं अपने पार्टनर को भी साथ ला रहा हूँ .... जी.... जी ठीक है....माँ से कह दीजियेगा की वो चिंता ना करें!" पिताजी से बात कर के मैंने उन्हें इत्मीनान दिला दिया था की मैं ठीक-ठाक हूँ| इधर मेरे मुँह से मिलवाने की बात सुन अनु भी बहुत खुश थी! हम घर लौटे तो डैडी जी से थोड़ी डाँट पड़ी; "तुम दोनों की अभी तक शादी नहीं हुई है, ज्यादा इधर-उधर घूमा न करो!" पर मम्मी जी मेरे बचाव में सामने आईं; "इसे (अनु को) डाँटो मानु को यही ले गई थी, वो तो बेचारा कुछ कहता नहीं इसे!"

"बहुत दिन हुए ना तुझे डाँट खाये?" डैडी जी ने अनु को थोड़ा डराया और अनु का सर झुक गया| "सॉरी डैडी जी, नेक्स्ट टाइम से हम दोनों ध्यान रखेंगे!" मैंने अनु का बचाव किया और ये देख डैडी-मम्मी हंस पड़े और हम दोनों हैरानी से उन्हें देखने लगे| "बेटा अभी शादी नहीं हुई और तुम अभी से इसकी गलतियों पर पर्दा डाल रहे हो?" डैडी जी ने हँसते हुए कहा| रात को खाने के बाद मैं वॉक लेने के लिए अकेले निकल पड़ा, जब वापस आया तो अनु नराज हो चुकी थी; "अकेले क्यों गए? मैं भी चलती!" अनु बोली| "बेबी....दुबारा डाँट खानी है?" मैंने बहुत प्यार से अनु से पुछा तो उसे डैडी जी की डाँट याद आ गई| मैं वाशरूम गया और वापस आया तो अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनों सोफे पर टी.वी. के सामने बैठ गए, कुछ देर बाद डैडी जी और मम्मी जी भी बैठ गए| नौ बजे और मम्मी-डैडी उठ कर सोने के लिए चले गए, उनके जाते ही अनु मुझसे सट कर बैठ गई| फिर अचानक ही उसने मुझे अपना सर उसकी गोद में रखने को कहा| वो मेरे बालों में उँगलियाँ फेरने लगी; "अगर आप आज ना आते तो मैंने सोच लिया था की मैं अपनी जान दे दूँगी!" अनु बोली| मैं उठ के बैठा और मेरी आँखें आँसुओं से भर गई; "नेहा को तो मैं खो चूका हूँ अब तुम्हें खोने की ताक़त नहीं रही मुझ में! भूलकर भी कभी ऐसा कुछ मत करना वरना तुम्हारे साथ मैं भी मर जाता!" मैंने कहा तो अनु ने मेरे आँसू पोछे और बोली; "ना आपने नेहा को खोया है और न मुझे खाओगे!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा, शायद वो जानती थी की उसे क्या करना है| मेरे दिमाग ने अनु की बात को ठीक से समझा ही नहीं, मुझे लगा की वो मेरा दिल रखने को ऐसा कह रही है| आगे हम कुछ बात कर पाते उससे पहले ही मम्मी जी आ गईं और हमें ऐसे गले लगे देख कर प्यार से टोकते हुए बोलीं; "बेटा और दो महीने की बात है!" ये सुन कर हम दोनों शर्म से लाल हो गए  और दूर-दूर बैठ गए| "चल अनु सो जा!" मम्मी जी बोलीं| "आप चलो मैं आती हूँ!" अनु ने हँसते हुए कहा और मम्मी जी के जाते ही मेरी गोद में सर रख कर सो गई| मैंने अनु के माथे को चूमा और उसे गोद में ले कर कमरे में आया और धीरे से मम्मी जी की बगल में लिटा दिया| घडी में अभी दस बजे थे और मुझे बारह बजने का इंतजार था| मैं चुपचाप आ कर सोफे पर बैठ गया और फ़ोन में नेहा की तसवीरें देखने लगा| स्क्रीन पर उसके गालों को सहलाता और उस प्यार को महसूस करने की कोशिश करता| दिल अंदर से बहुत दुखी था और आखिर एक बाप के आँसू छलक ही आये, वो दर्द बाहर ही गया और मैं सोफे पर लेटा उस दर्द को अपने अंदर दफन करने में लग गया पर दर्द को वापस सीने में दफन करना इतना आसान नहीं होता! मुझे ये डर भी सता रहा था की अगर मम्मी-डैडी जी ने मुझे यहाँ ऐसे देखा तो मैं उनसे क्या कहूँगा? उनसे सच भी तो नहीं कह सकता था वरना वो मेरे बारे में क्या सोचते? और फिर शायद मैं और अनु फिर कभी एक नहीं हो पाते! मैंने अपने आँसू पोछे और टाइम देखा तो घडी में 11:59 हुए थे, मैं डैडी जी वाले कमरे में आया जहाँ मैंने केक रखा था जो मैंने वॉक पर जाते समय खरीदा था| उसे ला कर मैंने ड्राइंग रूम में रखा और कैंडल जलाएं फिर मैं अनु को उठाने गया| अनु बायीं तरफ करवट ले कर लेटी थी, मैं उसके सामने घुटनों पर बैठ गया, झुक कर उसके गालों को चूमा और खुसफुसाती हुए कहा; "Happy Birthday My Would Be Wife!" ये सुनते ही अनु ने मुस्कुराते हुए आँख खोली और उठ कर बैठी| कमरे में उस वक़्त रोशिनी कम थी इसलिए वो मेरी लाल आँखें नहीं देख पाई और सीधा मेरे गले लग गई| बिस्तर पर हुई हलकजहल से मम्मी जी की आँख खुल गई और उन्होंने साइड लैंप ऑन कर दिया| उन्होंने हम दोनों को गले लगे हुए देखा तो प्यार से बोलीं; "तुम दोनों की शादी जल्दी करनी पड़ेगी वरना तुम दोनों मुझे सोने नहीं दोगे!" पर मम्मी जी की बात सुन कर भी अनु मुझसे चिपकी रही| मम्मी जी अनु का बर्थडे भूल गई थीं इसलिए मैंने अपने होंठ हिलाते हुए उन्हें इशारे से याद दिलाया की अनु का बर्थडे है| "बेटी थोड़ा तो शर्म किया कर? बर्थडे है तो क्या मानु को छोड़ेगी नहीं?" ये सुन कर अनु मुझसे अलग हुई और उसने मेरी लाल आँखें देख लीं और उसे समझते देर न लगी की ये लाल क्यों है! वो आगे कुछ कहती उससे पहले ही मम्मी जी ने उसे अपने गले लगा लिया और बोलीं; "हैप्पी बर्थडे मेरी लाडो! मेरी लाडो को दुनिया की सारी खुशियाँ मिले!" मैं भी जान गया था की अनु ने मेरी लाल आँखें देख ली हैं और अब वो ज्ररूर पूछेगी, इसलिए उससे नजरें चुराते हुए मैं डैडी जी को उठाने चल दिया| डैडी जी को तारिख का अंदाजा नहीं था और उन्हें लग रहा था की बर्थडे परसों है पर मैंने उन्हें यक़ीन दिलाया तो वो उठे और उन्हें बुरा ना लगे इसलिए मैंने उन्हें इस बात के बारे में कुछ नहीं कहा| वो बाहर आये तो ड्राइंग रूम में केक पर मोमबत्ती जलते हुए देखि और वो मेरा प्लान समझ गए| डैडी जी अनु की बाईं तरफ बैठ गए और उसे अपने गले लगा कर जन्मदिन की बधाई दी और बहुत सारा प्यार दिया पर अनु की नजरें मुझ पर गड़ी हुई थीं| अनु की नजरें मुझे चुभ रही थीं और मैं आज के दिन को अपना दुखड़ा सूना कर खराब नहीं करना चाहता था| "चलिए केक काटते हैं!" मैंने अनु से आँखें चुराते हुए कहा| केक की बात सुन कर मम्मी जी चौंक गई पर मैं नहीं चाहता था की अनु को लगे की उसके मम्मी-डैडी उसका बर्थडे भूल गए इसलिए मैंने सारा क्रेडिट उन्हें दे दिया| "डैडी जी ने केक मंगवाया है, चलो जल्दी!" इतना कह कर मैं सबसे पहले बाहर आया और सारी लाइट्स जला दीं, पीछे से मम्मी-डैडी और अनु आ गए|


केक पर मैने जानबूझ कर Happy Birthday Anu लिखवाया था क्योंकि और कुछ लिखवाता तो हम दोनों ही मम्मी-डैडी के सामने शर्मा जाते! केक काट के वो पहला टुकड़ा डैडी जी को खिलाने लगी पर डैडी जी ने उसका हाथ पकड़ कर मेरी तरफ कर दिया और अनु ने हँसते हुए मुझे केक खिलाया और फिर मैंने एक छोटी सी बाईट अनु को खिलाई उसके बाद उसने मम्मी-डैडी को खिलाया और हम सारे ड्राइंग रूम में ही बैठ गए| "डैडी कल सुबह हम दोनों बर्थडे सेलिब्रेट करने जाएँ?" अनु ने शर्माते हुए कहा|

"ठीक है....पर रात का डिनर साथ करना है!" डैडी जी ने मुस्कुराते हुए कहा| ये सुन कर अनु खुश हो गई डैडी जी के गले लग गई| कल का प्रोग्राम सेट था तो मम्मी-डैडी और मैं उठ खड़े हुए ताकि सोने जा सकें पर अनु ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे बैठने को कहा| मैंने गर्दन ना में हिलाई क्योंकि एक तो मुझे पता था की वो क्या पूछेगी और दूसरा डैडी जी कहीं डाँट ना दे! अनु ने एक दम से मुँह बना लिया और मुझे उसके पास बैठना पड़ा, डैडी-ममममय ने जब देखा तो वो मुस्कुराते हुए बोले; "बेटा ज्यादा देर तक जागना मत!" और वो सोने चले गए| अनु ने मेरा चेहरा अपने हाथों में थाम लिया और बोली; "नेहा को याद कर के रो रहे थे ना?" नेहा का नाम सुनते ही मैं खुद को रोक नहीं पाया और आंखें फिर छलक आईं| अनु ने मुझे कस कर गले लगा लिया और बोली; "मैं हूँ ना?.... सब ठीक हो जायेगा!" फिर मेरी पीठ पर हाथ फेरती रही ताकि मैं चुप हो जाऊँ| बड़ी ताक़त लगी मुझे खुद को संभालने में ताकि मैं अनु का ये स्पेशल दिन अपने रोने-धोने से बर्बाद न कर दूँ! मैंने अपने आँसूँ पोछे और नकली मुस्कराहट होठों पर चिपकाते हुए कहा; "Thank You! चलो अब सो जाते हैं, सुबह का क्या प्लान है?" पर अनु मुझे अच्छे से समझती थी और चूँकि हम घर पर थे इसलिए यहाँ वो कुछ ज्यादा पूछ नहीं सकती थी| "कल का सारा दिन हम साथ spend करेंगे!" इतना कहते हुए वो खड़ी हुई और एक बार मुझे अपने गले लगा लिया और इस बार मैंने खुद को रोने से रोक लिया| मैंने ऋतू को उसके कमरे के बाहर छोड़ा और मैं डैडी जी वाले कमरे में आ कर सो गया|                                     

          अगली सुबह बड़ी प्यारी थी....अनु मुझे उठाने आई और चूँकि वहाँ मैं अकेला सो रहा था तो उसने मेरे गले पर अपने होंठ रखे और उन्हें अपने मुँह में भर कर धीरे से काट लिया| इस जोरदार Kiss से मेरा पूरा शरीर हरकत करने लगा, माने आँखें खोले बिना ही अनु का हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया| "ससस....Good ..... Morning!!!" अनु ने मेरे जिस्म के स्पर्श से सीसियाते हुए कहा| मैंने अनु के माथे को चूमा और कहा; "Happy Birthday मल्लिकाय हुस्न जी!" अनु शर्मा गई और अपना सर मेरे सीने पर रख कर लेट गई, तभी मम्मी जी आ गईं और अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली; "हे राम! सुबह-सुबह तुम दोनों का रोमांस चालु हो गया?!" उनकी आवाज सुनते ही अनु छिटक कर खड़ी हुई और बाहर भाग गई, मैं भी उठ के बैठ गया और मम्मी जी मेरे पास आईं और मेरे कान पकड़ते हुए बोलीं; "चल बदमाश बाहर!" मैं बाहर आया और मेरा डायन कान अब भी मम्मी जी के हाथ में था; "सुनते हो जी? जल्दी से शादी कराओ इनकी, ये दोनों दिन पर दिन पागल होते जा रहे हैं!" मम्मी जी की बात सुन कर मेरे और अनु के गाल शर्म से लाल हो गए और डैडी जी जोर से हँसने लगे| "सॉरी मम्मी जी! नेक्स्ट टाइम से ..... " आगे मैं कुछ कह पाटा उससे पहले अनु कूदती हुई नजदीक आई और मम्मी जी के गले लगी और उनके कान में बोली; "नेक्स्ट टाइम से आप हमें पकड़ नहीं पाओगे!" इतना कहते हुए अनु खिलखिला कर हँसी और अपने कमरे में भाग गई| "रुक जा बदमाश!" मम्मी जी मेरा कान छोड़ते हुए बोली| डैडी जी जो ये सब सुन नहीं पाए थे पूछने लगे; "क्या हुआ?"

"ये लड़की है न सच्ची बहुत बदमाश हो गई है!" ये कहते हुए मम्मी जी हँस के डैडी जी के पास जाने लगीं और मेरा हाथ भी पकड़ कर साथ ले गईं| मुझे उन्होंने डैडी जी के साथ सोफे पर बिठाया और वो मेरे सामने पफ्फी पर बैठ गईं; "बेटा.... मुझे ये कहने की जर्रूरत तो नहीं पर फिर भी एक माँ हूँ इसलिए कह रही हूँ, इसका बहुत ख्याल रखना! हम दोनों इसे एक बार लघभग खो चुके थे क्योंकि हम इसे समझ नहीं पाए थे, पर वो तुम थे जिसने हमें इसके जज्बात समझाये! इसके मन में तुम्हारे लिए बहुत प्यार है और मैं जानती हूँ तुम भी इसे बहुत चाहते हो, इसलिए इसे हमेशा खुश रखना, बहुत सारा प्यार देना! वो प्यार भी देना जो हम इसे ना दे पाए!" मम्मी जी ने रुंधे गले से कहा| मैं उनके सामने घुटनों पर बैठ गया और बोला; "मम्मी जी मैं आपसे वादा करता हूँ मैं अनु को बहुत खुश रखूँगा, पूरी कोशिश करूँगा की उसकी आँखों में कभी आँसू ना आये!"

डैडी जी ने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा; "बेटा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और Thank you की कल रात तुमने केक का सारा क्रेडिट हमें दिया, वरना हम तो भूल ही गए थे!"

"डैडी जी आप केक लाओ या मैं लाऊँ बात तो एक ही है!" इतना कह कर मैं बैठ गया की अनु अपने कमरे के बाहर से चिल्लाई; "क्या प्लानिंग हो रही है?"

"किसने कहा यहाँ तेरी बात हो रही है?" डैडी जी ने उसे प्यार से डाँटते हुए कहा| पर मुझे अपने मम्मी-डैडी के इतने करीब बैठा देख अनु का दिल गदगद हो उठा!     


नहा-धो कर हमें निकलते-निकलते बारह बज गए, अनु डैडी जी की गाडी ड्राइव कर रही थी, उसने पहले गाडी एक ठेके के बाहर रोकी और मुझे रेड वाइन लाने को कहा| मैंने उसके हुक्म की तामील की, फिर उसने कुछ खाने के लिए स्नैक्स लेने को कहा और फिर गाडी एक होटल के बाहर रोक दी| "हम यहाँ क्या कर रहे हैं?" मैंने पुछा|

"वही जो हम घर पर नहीं कर पाते!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा|

"यार ये सही नहीं है!" मैंने झिझकते हुए कहा|

"क्यों? घर पर मम्मी-डैडी होते हैं और हम साथ बैठ भी नहीं पाते!" अनु ने कहा तो मुझे इत्मीनान हुआ की अनु 'उस' काम के लिए यहाँ नहीं आई है| हम ने check in किया और रूम के अंदर आये;

"यार बड़ा अजीब सा लग रहा है?" मैंने कहा तो अनु हँसने लगी; "क्यों डर लग रहा है?" अनु ने पुछा|

"ऐसी जगह एक बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को लाता है 'उस' काम के लिए!" मैंने शर्माते हुए कहा|

"इसीलिए तो लाई हूँ आपको यहाँ! आप तो मुझे कहीं ऐसी जगह ले जाते नहीं, सोचा मैं ही ले जाऊँ?" अनु ने बिस्तर पर गिरते हुए कहा| मैं अनु की बगल में ही लेट गया और अनु ने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और मेरे दिल की धड़कनें सुनने लगी;

"हाय! आपका दिल तो अभी से रोमांटिक हो गया?" अनु बोली|

"रोमांटिक नहीं डर से धड़क रहा है!" मैंने हँसते हुए कहा|

"किस बात का डर?" अनु ने हैरान होते हुए कहा|

"जिस काम के लिए यहाँ लाये हो?" मैंने अनु को चिढ़ाते हुए कहा|

"आपका मन नहीं है?" अनु ने थोड़ा सीरियस होते हुए कहा| 

 मैंने अनु को एक दम से मेरे नीचे किया और उसके ऊपर झुक कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा; "बेबी ये सब सुहागरात तक बचा रहा हूँ मैं! वो रात हमारी एक दूसरे को सौंप देने की रात होगी!" मैंने कहा|

"और अगर वो रात नहीं आई तो?" अनु ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा|

"क्या? ऐसा क्यों कह रही हो?" मैंने चिंता जताते हुए कहा|

"कल हम आपके घर जा रहे हैं ना, आपको लगता है की मेरा past जानकार आपके सब घरवाले मान जायेंगे? उन्होंने अगर इस शादी से मना कर दिया तो? हमें मार दिया तो? मरना तो मैं सह लूंगी पर आपकी जुदाई नहीं सह सकती!" अनु ने कहा|

"मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा! समझ आया? रही हमें अलग करने की तो उसका उन्हें (मेरे घरवालों को) कोई हक़ नहीं है| हमारी शादी तो हो कर रहेगी चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े!" मैंने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा|

"तो मेरे लिए क्या फिर से अपना घर छोड़ दोगे?" अनु बोली|     

"हाँ" मैंने इतना कहा और अनु की आँखों में आँखें डाले देखने लगा, वो कुछ कहने वाली थी पर चुप हो गई| उसके होंठ कांपने लगे थे और उसने मुझे kiss करने के लिए अपनी बाँहों को मेरी गर्दन पर लॉक कर लिया और मुझे अपने होठों पर झुकाने लगी| मैंने अपनी ऊँगली उसके होठों पर रख दी और उसके दाएँ गाल को चूम लिया| अनु मुस्कुरा दी और बोली; "वैसे आपको सुबह वाली Kissi कैसी लगी?"

"बहुत अच्छी, और आगे से मुझे ऐसे ही जगाना!" मैंने हँसते हुए कहा|


हम दोनों उठे और अनु ने गिलास में वाइन डाली और खाने के लिए जो स्नैक्स लिए थे वो खोले और मैं वाशरूम में फ्रेश होने गया| फ्रेश हो कर आया तो अनु पलंग पर बेडपोस्ट को सहारा ले कर बैठी थी और टी.वी. जोर से चल रहा था| मैं भी जूते उतार कर उसकी बगल में बैठ गया;

"टी.वी. की आवाज कम कर दो वरना लोग सोचेंगे की यहाँ 'गर्मागर्म' प्रोग्राम चल रहा है!" मैंने हँसते हुए कहा|

"सही है, उन्हें लगना भी चाहिए!" अनु ने हँसते हुए कहा|

कुछ देर बाद अनु ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा सर अपनी गोद में रखा, मेरी शर्ट का कालर पकड़ कर नीचे की तरफ किया जिससे मेरी गर्दन उसे साफ़ नजर आने लगी| धीरे-धीरे उसने अपने होंठ मेरी गर्दन पर रखे और धीरे-धीरे अपनी जीभ से चुभलाने लगी| पता नहीं उसे इसमें क्या मजा आता था पर अगले दस मिनट तक वो इसी तरह मेरी गर्दन के माँस के टुकड़े को कभी धीरे से काटती, कभी उसे चुभलाती और कभी उसे चूसने लगती| दस मिनट बाद जब अनु ने मेरी गर्दन पर से अपने गुलाबी होंठ हटाए तो जितना हिस्सा उसके मुँह में था वो लाल हो चूका था और अनु के मुख के रस की तार मेरी गर्दन और उसके होठों को जोड़े हुए थी| मेरी आँखें बंद थीं जो ये बता रही थीं की मुझे कितना मज़ा आ रहा है! अनु की नजर मेरे अकड़ चुके लंड पर पड़ी और वो उभार देख उसकी सांसें थम गई| सेक्स का डर उसे सताने लगा और उसके हाथ-पाँव काँपने लगे! मेरी आँखें खुलीं और उसकी तेजी से ऊपर-नीचे होती छातियां देख मैं उसके डर को भाँप गया| मैं उठ कर बैठा तो अनु का दिल जोर से धड़कने लगा, मैंने अनु की तरफ देखा तो उसने अपनी आँखें झुका ली| मैं सीधा हो कर तकिये पर सर रख कर लेट गया और अपने दोनों हाथ खोल कर अनु को अपने पास बुलाया| अनु का डर एक सेकंड में फुर्र हो गया और वो आ कर मेरे सीने से लिपट गई और हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे| जब अनु के दिल की धड़कन सामन्य हुई तो मैंने उसके कान में खुसफुसाती हुए कहा; "मेरा बेबी डर गया था? आपको क्या लगा की मैं......सेक्स....." मैंने थोड़ा अटकते-अटकते कहा और ये सुन अनु ने हाँ में सर हिलाया| "awww .... मेरा बेबी! don't worry!" फिर हम ऐसे ही लिपटे सो गए, वाइन की कुछ खुमारी थी बाकी अनु के जिस्म की गर्माहट जिसने मुझे और अनु को सुला दिया|

           शाम 5 बजे डैडी जी का फ़ोन आया तब हम उठे और मुँह-हाथ धो कर निकले और घर पहुँचे| कपडे बदल कर हम सब निकले, आगे मैं और डैडी जी बैठे थे और पीछे अनु और मम्मी जी| पार्किंग में गाडी पार्क कर के हम सब अंदर जा रहे थे की मैंने एक कॉल का बहाना बनाया और 10 मिनट के लिए बाहर रुक गया! मैं जल्दी से अंदर आया तो अनु की नजरें बस मुझे ही ढूँढ रही थीं| "सॉरी जी....वो घर से कॉल आया था!" मैंने डैडी जी को झूठ बोलते हुए कहा| अनु घर का कॉल सुनते ही थोड़ा चिंतित हो गई, मैंने गर्दन ना में हिला कर उसे कहा की कोई सीरियस बात नहीं है तब जा कर उसे इत्मीनान हुआ| खाना आर्डर हुआ और वहाँ बॉलीवुड के गाने बजने लगे, कोई शोर शराबा नहीं था बस सॉफ्ट म्यूजिक बज रहा था| इधर मम्मी जी ने मेरी गर्दन पर लाल निशान देख लिया और पुछा की ये कैसे हुआ, मैंने थोड़ा शर्माते हुए कहा "एक मच्छर ने काट लिया!" ये सुनते ही अनु ने टेबल के नीचे से मुझे पैर मारा और मैं हँसने लगा| डैडी जी मेरी बात समझ गए और वो भी हँस पड़े| अनु ने जब उन्हें हँसते हुए देखा तो वो शर्म से लाल हो गई| 


फिर डैडी जी ने शादी की बातें शुरू की, वो मेरे घर आना चाहते थे और मैंने उन्हें कहा कि कल अनु को मिलवा कर वापस आता हूँ और फिर आप सब मिल लीजियेगा, इतने में खाना आया और हमने खाना शुरू किया| डेजर्ट आर्डर करने के बाद मम्मी जी और अनु वाशरूम चले गए और मुझे डैडी जी से कुछ पूछने का मौका मिल गया| "डैडी जी.... एक बात पूछनी थी?" मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा|

"क्या हुआ बेटा? बोलो?" डैडी जी ने मुझे इज्जाजत दी फिर भी मैंने थोड़ा डरते हुए कहा; "वो.......वो मैं ....अनु को अभी प्रोपोज़ करना चाहता था!" डैडी जी ने कहा; "भई इसमें पूछने की क्या बात है?" कुछ देर बाद जब अनु और मम्मी जी आये तो मैंने खड़े हो कर अनु का हाथ पकड़ लिया और उसे बैठने नहीं दिया, मैं एक घुटने पर झुका और जेब से रिंग की डिब्बी निकाली और कहा; "थोड़ा बुद्धू हूँ, थोड़ा स्टुपिड हूँ, थोड़ा पागल हूँ पर जैसा भी हूँ तुमसे बहुत प्यार करता हूँ! Will you marry me?" अनु ख़ुशी से कूद पड़ी और हाँ में गर्दन हिलाते हुए अपना बायाँ हाथ आगे कर दिया| मैंने अनु को अंगूठी पहनाई और उठ के खड़ा हुआ| अनु फ़ौरन मेरे गले से लग गई और बोली; "I love you!" मम्मी-डैडी भी उठ खड़े हुए और हमें अपने गले लगा लिया| बहुत सारा आशीर्वाद दिया और बहुत सारा प्यार दिया| डेजर्ट आ गया था और वो खाने के बाद डैडी जी ने जबरदस्ती बिल पे किया| फिर हम घर आ गये, मम्मी जी ने सब को सोने के लिए कहा क्योंकि कल सुबह अनु और मुझे घर के लिए जल्दी निकलना था| पर अनु कहाँ सोने वाली थी, चेंज करने के बाद मैं पानी पीने किचन जा रहा था की वो मुझे खींच कर सोफे पर ले आई| टी.वी ऑन कर के हम दोनों बैठ गए, ड्राइंग रूम में आज काफी सर्दी थी पर अनु ने सारि तैयारी कर रखी थी| अनु ने एक डबल वाला कंबल अपने और मेरे ऊपर डाल दिया, अपने घुटने उसने अपनी छाती से चिपका लिए और मेरे कंधे पर सर रख कर टी.वी. देखने लगी| "बेबी! आज रात सोना नहीं है क्या?" मैंने खुसफुसाते हुए कहा| अनु ने ना में गर्दन हिलाई और कंबल के अंदर मेरा दायाँ हाथ पकड़ लिया| दस मिनट बाद मम्मी जी अनु को बुलाने आई; "बेटी सो जा और मानु को भी सोने दे! कल सुबह तुम दोनों को जाना है!"

"मम्मी मैं बस थोड़ी देर में आ रही हूँ!" अनु ने उनकी तरफ देखते हुए कहा| मम्मी जी मुस्कुरा दीं और सोने चली गईं| उनके जाते ही अनु ने मेरी गोद में सर रख दिया; "वैसे बेबी ....थैंक यू!"  मैंने कहा|

"क्यों?" अनु ने पुछा|

"आपने मेरा इतना ध्यान रखा, एक पल भी मेरा ध्यान नेहा पर जाने नहीं दिया, उसके लिए..." मैंने कहा तो अनु मुस्कुरा दी फिर कुछ सोचते हुए बोली; "आज रात हम यहीं सोते हैं?"

"क्यों बेबी? मैंने थोड़ा हैरान होते हुए कहा|

"बस ऐसे ही, आज आप से अलग सोने को मन नहीं कर रहा है!" मैं समझ गया की उसके मन में कल के लिए डर पैदा हो चूका है|

"बेबी कल कुछ नहीं होगा! Everything will be fine!" मैंने अनु को आश्वासन दिया पर उसका दिल इस आश्वासन को मानने वाला नहीं था|

"कल अगर हम नहीं रहे.... तो कम से कम ये रात तो याद रहेगी ना?" अनु की आँखें छलक आईं| मैंने अनु को उठा के बिठाया और उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया; "तुम्हें पता है आज ही मैंने मम्मी-डैडी से वादा किया है की मैं तुम्हारी आँखों में आँसू का एक कटरा नहीं आने दूँगा और तुम हो की रो रही हो? क्यों मुझे झूठा बना रही हो? I promise तुम्हें कुछ नहीं होगा!" मैंने कहा|

"और अगर आपको कुछ हो गया तो? मैं तो तब भी मर जाऊँगी!" अनु ने अपने आँसू पोछते हुए कहा|

'किसी को कुछ नहीं होगा!" मैंने कहा पर इस बार मेरी बात में वजन कम था, मैं मन ही मन तैयारी कर चूका था की अगर हालत बिगड़े और हालत ऐसे बने जैसे तब बने थे जब भाभी वाला काण्ड हुआ तो मुझे कैसे भी कर के अनु को बचाना है| उसे मेरी वजह से कुछ नहीं होना चाहिए! उस काण्ड के बारे में सोचते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
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