Free Sex Kahani काला इश्क़!
12-27-2019, 07:01 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
update 74

सुबह नाहा धो कर तैयार हुए और नाश्ता कर के मैं और अनु मम्मी-डैडी का आशीर्वाद ले कर निकले| मम्मी-डैडी ने कहा था की अगर मेरे घर वाले नहीं माने तो वो खुद चल कर बात करेंगे और हम दोनों बस मुस्कुरा कर हाँ में गर्दन हिला कर रह गए थे| घर के बाहर से ऑटो किया और ऑटो मैंने बैठते ही अनु ने मेरा हाथ थाम लिया, आज अनु की पकड़ में कठोरता थी और डर भी छलक रहा था| ऑटो से हम बस स्टैंड उतरे और फिर बस में बैठ गए| बस में भी अनु ने हाथ पकड़ा हुआ था, मैंने अनु का हाथ एक बार चूमा और अनु के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई| कुछ देर बाद जब बस हॉल्ट के लिए रुकी तो मैंने घर फ़ोन कर दिया; "जी पिताजी.... मैं बस रास्ते में हूँ....हाँ जी...मेरे साथ ही है... जी एक बजे तक पहुँच जाऊँगा| आप सब घर पर ही हैं ना? जी ठीक है... ओके जी!" मैंने कॉल काटा और अनु बोली; "क्या कहा पिताजी ने?"

"वो पूछ रहे थे की अपने बिज़नेस पार्टनर को साथ ला रहा है ना? और फिर मैंने पुछा की सब घर पर ही हैं ना तो उन्होंने खा की सब हमारा ही इंतजार करा रहे हैं|" ये सुन कर अनु के दिल की धड़कनें तेज हो गईं, उसके हाथ काँपने लगे थे| मैंने अनु को कस कर अपने गले लगा लिया और अनु ने जैसे-तैसे खुद को संभाला| कुछ समय बाद बस ने हमें बस स्टॉप उतारा और वहाँ से 15 मिनट की वॉक थी| मैं और अनु हाथ पकडे चल रहे थे और हर एक कदम आगे बढ़ाते हुए दोनों के दिलों की धड़कनें तेज होती जा रही थी| जब मुझे घर दूर से दिखाई देने लगा तो मैंने बात शुरू की; "बेबी! अगर मैं आपसे कुछ माँगू तो आप दोगे?"

"हाँ" अनु ने एक दम से कहा|

"प्रॉमिस?" मैंने पुछा|

"प्रॉमिस!" अनु ने आत्मविश्वास से कहा|

"अगर अभी हालात बिगड़े और बात मरने-मारने की आई तो आप यहाँ से भाग जाओगे! मैं जितनी देर तक हो सकेगा सब को रोकूँगा पर आप बिना पीछे मुड़े भागोगे! मेरे अल्वा यहाँ आपको कोई नहीं जानता, आपके घर का पता कोई नहीं जानता तो आप यहाँ बिलकुल नहीं रुकोगे! समझे?" मैंने एक साँस में कहा| ये सुनते ही अनु एकदम से ठिठक कर रुक गई, उसकी आँखें भर आईं और वो ना में गर्दन हिलाने लगी| "अनु आपने अभी प्रॉमिस किया था ना?" पर अनु अब भी ना में गर्दन हिला रही थी| मैंने अनु के दोनों कंधे पकडे और उसे समझाया; "बेबी...मैंने मम्मी-डैडी को प्रॉमिस किया था.... मेरा परिवार कैसे react करेगा मुझे नहीं पता ये सिर्फ एक contingency plan है! कम से कम आप भाग कर मेरे लिए मदद तो ला पाओगे ना? प्लीज... इस सब में आपको कुछ नहीं होना चाहिए! प्लीज....मेरी बात मानो! आपको मेरी कसम!" मेरे पास जो भी तर्क थे मैंने वो सब दे डाले पर अनु नहीं मानी! "मरना है तो साथ मरेंगे!" अनु ने रोते हुए कहा| अनु की बात सुन कर मुझे उस पर गर्व हो रहा था, वो पीठ दिखा के भागना नहीं चाहती थी बल्कि मेरे साथ कंधे से कन्धा मिला कर हालात से लड़ना चाहती थी! मैंने अनु के आँसू पोछे और उसका हाथ पकड़ कर फिर से घर की ओर चल दिया|   

                जब घर करीब 50 कदम की दूरी पर रह गया तो अनु ने मेरा हाथ छोड़ दिया ताकि हमें कोई ऐसे ना देख ले| आखिर घर पहुँच कर मैंने दरवाजा खटखटाया और दरवाजा ताऊ जी ने खोला, जहाँ मुझे देख कर उन्हें ख़ुशी हुई वहां जैसे ही उनकी नजर अनु पर पड़ी उनके ख़ुशी फ़ाख्ता हो गई! वो बिना कुछ बोले अंदर आ गए और आंगन में सब के साथ बैठ गए| "ताऊ जी, ताई जी, माँ, पिताजी, भाभी और भैया ये हैं अनुराधा कश्यप, मेरी बिज़नेस पार्टनर जिसने मेरे मुश्किल समय में मुझे संभाला और फिर अपने साथ बिज़नेस में पार्टनर की तरह काम करने का मौका दिया|" ये सुनने के बाद ताऊ जी को इत्मीनान हुआ, उन्हें लगा था की मैं और अनुराधा शादी कर के यहाँ आये हैं! 

अनु ने सब को हाथ जोड़ कर नमस्कार किया और एक-एक कर सब के पाँव छुए| सब ने उसे आशीर्वाद दिया और ख़ास कर माँ ने उसे अपने गले लगा लिया! "बेटी...मेरे पास शब्द नहीं है..... तेरा बहुत बड़ा एहसान है!" माँ ने रुंधे गले से कहा| "माँ एहसान कह कर मुझे शर्मिंदा मत करो!" अनु ने बड़े प्यार से माँ से कहा| रितिका उस वक़्त सबसे पीछे खड़ी थी और चूँकि मैं ने रितिका से अनु का तार्रुफ़ नहीं कराया था इसलिए वो सड़ी हुई सी शक्ल ले कर पीछे खड़ी रही| अनु उसके पास नहीं गई और चन्दर भैया से नमस्ते कर के वापस मेरे साथ खड़ी हो गई| "बहु बेटा चाय रखो!" ताऊ जी ने भाभी से कहा पर मैंने भाभी को रोक दिया; "भाभी रुक जाओ, आप बैठो कुछ बात करनी है!" मैंने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा| "पिताजी कुछ दिन पहले आप ने कहा था ना शादी कर ले! तो मैंने अनु से शादी करने का फैसला किया हैं!" मैंने एक गहरी सांस ली और पूरी हिम्मत जुटाते हुए कहा| घर वाले कुछ कहते उसके पहले ही रितिका पीछे से बोल पड़ी; "अच्छा? ये तो वही हैं ना जिनके पति के यहाँ आप पहले ऑफिस में काम करते थे! फि उसी पति ने कोर्ट में डाइवोर्स का केस किया था और कहा था की तुम्हारे इनके साथ नाजायज तालुकात हैं!" ये सुनते ही मैं गुस्से से उठने लगा तो अनु ने मेरा हाथ पकड़ के रोक दिया, उसे भी जानना था की रितिका के मन में कितना ज़हर भरा हैं! "और हाँ...वो बंबई जाना, ट्रैन में इनका आपकी गोद में सर रख कर लेटना संकेत भैया के चाचा ने भी तो देखा था ना? फिर एक ही होटल में, एक ही कमरे में Mr. and Mrs. Manu Maurya बन कर रात बिताना! ये सब भी तो बताओ!" रितिका बोली और फिर वही घिनौनी हँसी उसके होठों पर आ गई! ये सब सुन कर सारे घर वाले अवाक मुझे देखने लगे|

"ये सच हैं की मैं अनुराधा के पति के ऑफिस में ही काम करता था पर तब हमारा रिश्ता सिर्फ एक मालिक और नौकर का था, मुंबई जाने का प्लान बॉस ने बनाया था और मुझे फँसाने के लिए उसने मुझे इनके साथ भेजा था| ट्रैन में कुछ नहीं हुआ, वहाँ मेरी गोद में इनका सर रख कर लेटना सिर्फ और सिर्फ इसलिए था क्योंकि हमारी बोगी में दो गुंडे जैसे लड़के थे जो अनुराधा को गन्दी नजर से देख रहे थे| हम ने बीएस मिल के नाटक किया ताकि वो कोई गलत हरकत न करें! मुंबई पहुँचते-पहुँचते हमें देर रात हो गई थी, वहाँ कोई होटल नहीं मिला तो मजबूरन हमें एक कमरे में रात गुजारनी पड़ी वो भी अलग-अलग बिस्तर पर! पिताजी, ताऊ जी आप तो मुझे जानते हैं क्या आपको लगता हैं की मैं कभी किसी की मजबूरी का कोई फायदा उठाऊँगा? या कोई ऐसी हरकत करूँगा? वो आदमी बहुत नीच था और इनसे छुटकारा पाना चाहता था, उसने इन्हें कभी कोई सुख नहीं दिया, पत्नी होने का कोई एहसास नहीं दिलाया और दिलाता भी कैसे उसका खुद बाहर चक्कर चल रहा था!" मैंने घर वालों को सारी सफाई दी| 

         

"कमाल है! अब तक तो सुना था की काजल की कोठरी में कैसो ही सयानो जाय एक लीक काजल की लागे है तो लागे है, पर यहाँ तो सब के दामन दूध के धुले हैं!" रितिका फिर बोली और ये सुनते ही मैं भुनभुना गया और जोर से चिल्लाया; "SHUT THE FUCK UP!" मेरी गर्जन सुन ताऊ जी गुस्से में दहाड़े; "तेरा दिमाग ख़रक़ाब हो गया है? होश में है या नशा कर के आया है? ये लड़की ना हमारी ज़ात की, ऊपर से तलाकशुदा!"

"उम्र में भी बड़ी है!" रितिका फिर चुटकी लेते हुए बोली पर इस बार ताऊ जी ने उसे गुस्से से चुप करा दिया; "मुँह बंद कर अपना!" 

क्या ज़ात-पात देख रहे हैं आप ताऊ जी? हमारी कौन से ज़ात वाले ने आज तक मदद की है? जब घर के हालात खराब थे तब किसने आ कर पुछा था?" मैंने ताऊ जी से पुछा| मेरा आत्मविश्वास देख उनका गुस्सा भड़क उठा और वो अपने कमरे में तेजी से घुसे और दिवार पर टंगी दुनाली ले आये| दुनाली का मुँह अनु की तरफ था और हालाँकि अभी तक ताऊ जी ने बन्दूक अनु पर तानी नहीं थी पर मुझे अनु के लिए डर लगने लगा था| इधर अनु भी बहुत घबरा गई थी, मैं तुरंत अनु के आगे आ गया ताकि अगर गोली चले भी तो पहले मुझे लगे अनु को नहीं| घरवाले सब डरे-सहमे खड़े थे, माँ, ताई जी और भाभी रो रही थीं और पिताजी सर झुकाये खड़े थे| वो आज तक अपने बड़े भाई के खिलाफ नहीं गए थे| "ताऊ जी किसे गोली मारेंगे आप? इस लड़की को जिसने मेरी जान बचाई! मर गया होता मैं और आपको तो मेरी लाश देखना भी नसीब नहीं होती अगर ये लड़की ना होती तो!" मैंने कहा पर ताऊ जी पर इसका तर्री भर भी असर नहीं हुआ| वो फिर से गुस्से से चिंघाड़ते हुए बोले; "तुझे शहर जाने देना मेरी सबसे बड़ी भूल थी, ना तू वहाँ जाता ना इस लड़की की बातों में आता!"

"मैं किसी की बातों में नहीं आया! आपको इस शादी से समस्या क्या है? आपने रितिका की शादी के समय तो कुछ नहीं कहा? वो मंत्री कौन सा हमारी ज़ात का था? उसने तो सारे काम ही गंदे किये थे, कितने लोगों के खून से हाथ रेंज थे उसके! अनु के माँ-बाप तो सीधे-साढ़े पढ़े लिखे लोग हैं!" मैंने कहा|

"वो ऊँची ज़ात का था...." ताऊ जी गुस्से से बोले और उनकी बात पूरी होती उससे पहले ही मैं बोल पड़ा; "तो ये कौन सी किताब में लिखा है की अपने से ऊँची ज़ात में शादी करो पर नीची ज़ात में नहीं! और आपको क्या लगता है की मंत्री ने अपने बेटे की शादी रितिका से क्यों की? अपने बेटे के प्यार के आगे झुक कर और अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए वो आपके घर आया था!" मैंने एकदम सच बात कही जो ताऊ जी को बहुत चुभी और उन्होंने फ़ौरन बन्दूक मेरे ऊपर तान दी! माँ, ताई जी और भाभी सब ताऊ जी से गुहार करते रहे की वो ऐसा ना करें पर ताऊ जी के कान उनकी गुहार नहीं सुन सकते थे! पिताजी भी उन्हें रोकने को दो कदम बढे पर ताऊ जी की आँख में अंगारे देख रुक गए और सर झुका कर खड़े हो गए| इधर मैं और अनु समझ चुके थे की आज के दिन हम दोनों ही आज मार दिए जायेंगे और शायद इसके बारे में किसी को पता भी ना चले! अनु पीछे खड़े रोने लगी थी और उसके रोने की आवाज सुन कर मेरा दिल बहुत दुःख रहा था, मुझे कैसे न कैसे करके अनु को यहाँ से निकालना था| पर मुझे ताऊ जी के सामने अडिग खड़ा देख कर अनु में हिम्मत आ गई और वो पीछे से निकल कर मेरे सामने खड़ी हो गई और बोली; ताऊ जी रुक जाइये! आपको जान लेनी है तो मेरी ले लीजिये, इनकी (मनु की) जान ले कर आप सारी उम्र खुद को माफ़ नहीं कर पाओगे| मैं तो वैसे भी इस घर की नहीं हूँ तो मेरी जान ले कर आपको उतना दुःख नहीं होगा!" मैं ने अनु का हाथ पकड़ लिया और उसे पीछे करने जा रहा था की ताऊ जी बोल पड़े; "मुझे तेरी जान लेने का भी कोई शौक नहीं है! निकल जा इस घर से भी और मानु की जिंदगी से भी!" ये सुनते ही अनु ने अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ा लिया और रोती हुई जाने को पलटी, पर मैंने उसका हाथ एक बार फिर पकड़ लिया; "मर तो मैं वैसे भी जाऊँगा!" मैंने कहा तो अनु एक पल को रुकी और मेरी आँखों में देखते हुए बोली; "मैं यहाँ आपको आपके परिवार के हाथों मरवाने नहीं आई थी, मैं तो यहाँ सब का आशीर्वाद लेने आई थी! पर अगर ताऊ जी नहीं चाहते की ये शादी ना हो तो, मैं बस उनसे आपको माँग सकती हूँ छीन नहीं सकती! अपने परिवार के बिना आप कितना तड़पे हो ये मैंने देखा है और फिर उसी तरह तड़पते हुए नहीं देखना चाहती!" अनु ने रोते हुए कहा| "तो तुम भी मुझे छोड़ दोगी? फिर उसी हाल में जिससे बाहर निकाला था?" अब तो मेरे आँसूँ भी बह निकले थे! "मजबूर हूँ!" अनु ने बिलख कर रोते हुए कहा| मैंने तेजी से अनु को अपने पास खींचा और उसे अपने गले लगा लिया और आँखों में गुस्सा लिए ताऊ जी को देखा और जोर से चिल्लाया; "मार दो हम दोनों को! और इसी आंगन में गाड़ देना! रोज हमारी कबर पर बैठ कर अपनी इज्जत और शानोशौकत की पीपड़ी बजाते रहना|" इतना कह कर मैं अनु को खुद से समेटे हुए बाहर की तरफ बढ़ने लगा| ताऊजी मेरी गर्जन सुन कर काँप गए थे पर उनका अहम उनके ऊपर हावी था! उन्होंने दुनाली मेरी पीठ पर तान दी, सेफ्टी लॉक खोला और ट्रिगर दबाया......... धाँय!!! गोली चली और छत पर जा लगी| पिताजी ने आगे बढ़ कर ताऊ जी की बन्दूक की नाली छत की तरफ कर दी थी जिससे गोली छत में जा घुसी! मैं और अनु एक दम से रुक गए, अनु को लगा की वो गोली मेरे जिस्म में घुसी है और उसके प्राण सूख गए, पर जब उसने मुझे ठीक ठाक देखा तो उसकी जान में जान आई| इधर रितिका को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उसे उसके हिस्से की ख़ुशी लगभग मिल ही गई हो!

       हम दोनों पलटे और देखा की पिताजी जीवन में पहलीबार अपने बड़े भाई की आँखों में आँखें डाल कर देख रहे हैं और तेजी से सांस ले रहे हैं|             

"ये आप क्या करने वाले थे भाईसाहब? मेरे बेटे पर गोली चलाई आपने? मेरे बेटे पर?" इतना कहते हुए पिताजी ने झटके से उनके हाथ से बन्दूक छीन ली और दूर फेंक दी| "रुक जा मानु, तू कहीं नहीं जाएगा! आजतक मैने हर वो काम किया है जो इन्होने (ताऊ जी ने) कहा, चाहे सही या गलत अपने बड़े भाई का हुक्म समझ मैं वही करता आया| इन्होने उस दिन कहा की मानु को घर से निकाल दे तो मैंने वो भी किया पर आज इन्होने तुझ पर बन्दूक तान दी और गोली चलाई, ये मैं नहीं सहन करूँगा!" पिताजी बोले और ताऊ जी बस पिताजी को घूरते रहे| इधर मेरी माँ भाभी का सहारा ले कर आगे बढ़ी और ताऊ जी से बोली; "ब्याह के बाद मैंने आपको और दीदी को अपने माँ-बाप माना और आप दोनों ने भी मुझे बेटी की तरह प्यार दिया| बेटे को खो देने का गम मैं जानती हूँ, भले ही पिछली बार मैं कुछ बोल नहीं पाई पर मानु की कमी मुझे हमेशा खलती थी! आप भी तो जानते हो की बेटा जब घर नहीं होता तो घर का क्या ख्याल होता है? चन्दर जब अस्पताल में था तब आप ने दीदी की हालत देखि थी ना? मुझ में अब अपने बेटे को दुबारा खोने की ताक़त नहीं है, आजतक मैंने आपसे कुछ नहीं माँगा.....आज पहली और आखरी बार माँगती हूँ..." माँ ने अपना आँचल ताऊ जी के सामने फैला दिया और बोलीं; मेरी झोली में मेरे बेटे का प्यार डाल दो, उसे इसी लड़की से शादी करने दीजिये!" माँ की हिम्मत देख ताई जी और भाभी भी माँ के साथ खड़े हो गये| "मानु की हालत देखि थी न उस दिन? क्या करेंगे हम जी कर हमारे बच्चे ही खुश नहीं हैं तो?" ताई जी रोती हुई बोलीं| "पिताजी मानु भैया अब बच्चे नहीं हैं, सोच समझ कर फैसला लेते हैं! आप ने कितनी बड़ाई की है मानु की और आज आप गुस्से में कैसी अनहोनी करने जा रहे थे?" चन्दर भैया बोले| भाभी कुछ बोल ना पाइन क्योंकि वो ताऊ जी से बहुत डरती थीं इसलिए उन्होंने केवल ताऊ जी के आगे हाथ जोड़ दिए| घर के सारे लोग मेरी तरफ आ चुके थे, खुद को यूँ अकेला देख ताऊ जी की आँखें झुक गई| उन्हें एहसास हुआ की उनका झूठा घमंड लगभग हमारे परिवार का अंत कर देता| ताऊ जी आँखों से पछतावे के आँसूँ बह निकले, उन्होंने अपनी बाहें खोल कर मुझे और अनु को अपने पास बुलाया| हम दोनों जा कर ताऊ जी के गले लग गए और ताऊ जी ने हम दोनों के सर चूमे और बोले; "मुझे माफ़ कर दो मेरे बच्चों! मैं गुस्से से अँधा हो चूका था! तुम सब ने आज मेरी आंखें खोल दीं! तुम दोनों की शादी बड़े धूम धाम से होगी और तुम दोनों को वो हर एक ख़ुशी मिलेगी जो मिलनी चाहिए| इतना कहते हुए ताऊ जी पिताजी के पास गए और उनके सामने हाथ जोड़े| पिताजी ने एक दम से ताऊ जी के दोनों हाथ पकड़ लिए और उनके गले लग गए और बोले; "नहीं भैया ...मैं आपसे छोटा हूँ...आज जो जुर्रत की उसके लिए माफ़ कर देना!" पिताजी रोते हुए बोले; "नहीं बेटा...तूने आज मेरी आँखें खोल दी!" ताऊ जी रोते हुए बोले| फिर ताऊ जी ने भाभी से कहा की वो नेहा को ले कर आएं और जैसे ही भाभी सीढ़ी की तरफ गईं रितिका उनके सामने खड़ी हो गई और उनका रास्ता रोक लिया| भाभी कुछ बोलती उससे पहले ही ताऊ जी तेजी से रितिका के पास पहुंचे और एक जोरदार थप्पड़ उसे मारा; "आग लगाने आई थी तू यहाँ? मंथरा!!!! जा बहु ले कर नेहा को!" रितिका डरी-सहमी सी एक कोने में खड़ी हो गई! जैसे ही भाभी ने ऊपर जा कर रितिका के कमरे का दरवाजा खोला की उन्हें नेहा के रोने की आवाज सुनाई दी! गोली की आवाज से नेहा जाग गई थी और जोर-जोर से रो रही थी! मैंने जैसे ही ये आवाज सुनी मैं तुरंत ऊपर दौड़ता हुआ पहुँचा| भाभी अभी नेहा को गोद में उठाने ही वाली थीं की मैंने उसे उनसे पहले उठा लिया और उसे एक दम से अपनी छाती से चिपका लिया| "मेरा बच्चा......!!!" इतना ही कह पाया| आज कई दीं बाद एक पिता को उसकी बेटी मिली थी और अंदर से आँसूँ बह निकले| जब मैं नीचे आया तो ताऊ जी रितिका को डाँट रहे थे; "कैसी माँ है तू? अपनी नन्ही सी बेटी को कमरे में बंद रखती है? जा बुला ले जिस मर्जी कोतवाल को में देखता हूँ की क्या करता है!" ताऊ जी ये कहते हुए मेरी माँ के सामने आये और हाथ जोड़ते हुए बोले; "मुझे माफ़ कर दे बहु! मैं तेरा कसूरवार हूँ, तुझे तेरे बच्चे से दूर करने का पाप किया है मैंने!"

"भाईसाहब जो हुआ सो हुआ, अब बस इस घर में फिर से खुशियां गूंजने लगे मैं बस यही चाहती हूँ!" माँ बोली| तब तक मैं नेहा को ले कर नीचे आ गया था और मेरी गोद में आते ही नेहा का रोना बंद हो गया था और उसकी किलकारियाँ शुरू हो गईं थी| "देख रहे हो आप (ताऊ जी), आज दो दिन बाद इस घर में नेहा की किलकारियाँ गूँज रही हैं? तेरे जाने के बाद मानु ये एकदम से गुमसुम हो गई थी!" ताई जी बोलीं| मैंने नेहा के माथो को चूमा तो उसने एकदम से मेरी ऊँगली पकड़ ली और उसकी किलकारी की आवाज पूरे घर में गूंजने लगी| अनु हसरत भरी आँखों से मुझे नेहा से प्यार करते हुए देख रही थी, जब मेरा ध्यान अनु पर गया तो मैंने उसे नेहा को दिया| नेहा को गोद में लेते ही अनु को उसकी ममता का एहसास जीवन में पहली बार हुआ| उसकी आँखें एक दम से भर आईं और उसने नेहा को अपनी छाती से लगा लिया| जहाँ मैं ये देख कर अंदर ही अंदर ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था वहीँ दूसरी तरफ रितिका जलक के राख हो चुकी थी| उसकी नफरत उसके चेहरे से दिख रही थी पर वो ताऊ जी के डर के मारे कुछ नहीं कर पा रही थी| वो गुस्से में पाँव पटकते हुए ऊपर अपने कमरे में चली गई| इधर अनु नेहा को अपनी छाती से लगाए हुए माँ और ताई जी के पास बैठ गई| वहीँ ताऊजी, पिताजी और चन्दर भय ने मुझे अपने पास बिठा लिया| फिर जो बातें शुरू हुईं तो मैंने घरवालों को सब कुछ बता दिया| अब जाहिर था की ताऊजी ने अनु के घरवालों से मिलने की ख्वाइश प्रकट करनी थी| मुझे उसी वक़्त कहा गया की परसों ही सब को मिलने बुलाओ और चूँकि आज शाम होने को है तो कल मैं अनु को सुबह छोड़ने जाऊँ| मैंने फ़ोन मिलाया और ताऊ जी ने बात करने के लिए मुझसे फ़ोन लिया| उन्होंने बड़े प्यार से डैडी जी से बात की और उन्हें परसों आने का न्योता दिया, साथ ही ये भी कह दिया की अभी समय बहुत हो गया है तो आज 'अनुराधा बिटिया' यहीं रुकेगी और कल मानु आपके पास छोड़ आएगा| चाय बनने लगी तो अनु ने भाभी की मदद करनी चाही पर भाभी मजाक करने से बाज नहीं आईं और बोलीं; "अरे पहले शादी तो कर लो! उसके बाद ये सब तुम्हें ही करना है!" ये सुन कर सारे लोग हँस पड़े और घर में हँसी का माहौल बन गया| कोई अगर दुखी था तो वो थी रितिका जो ऊपर अपने कमरे में बैठी जल-भून रही थी! माँ और ताई जी ने अनु से बहुत से सवाल पूछे और मेरी बताई गई बातों को verify किया गया, तथा मेरी बचकानी हरकतों के बारे में भी अनु को आगाह किया गया| कुल मिला कर कहें तो आज हमारे घर में खुशियाँ लौट आईं थी!


हम दोनों ही बहुत खुश थे और हमारी ख़ुशी दुगनी हो गई थी नेहा को पा कर...... पर हम छह कर भी नेहा को माँ-बाप वाला प्यार नहीं दे सकते थे क्योंकि नेहा की माँ यानी रितिका ये कभी नहीं होने देती!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:28 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 06:56 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-16-2019, 10:35 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 11:39 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-17-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-18-2019, 05:00 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-19-2019, 07:49 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:52 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:50 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-20-2019, 07:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-21-2019, 06:15 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-22-2019, 09:21 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-22-2019, 11:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 12:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 10:13 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-24-2019, 10:26 PM
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़! - by kw8890 - 12-27-2019, 07:01 PM

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