Free Sex Kahani काला इश्क़!
12-30-2019, 08:12 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
update 77

अब तक आपने पढ़ा:

अगले दिन की बात है, दूध पीने के बाद नेहा सो रही थी और मुझे ऑफिस का एक जर्रूरी काम करना था| तो मैं अपना लैपटॉप ले कर छत पर आ गया था और वहाँ बैठा अपना काम कर रहा था की वहाँ पीछे से रितिका आ गई| मेरा ध्यान स्क्रीन पर था और वो मेरे पीछे खड़ी थी, वो पीछे से ही बोली; "ये सब जान बूझ कर रहे हो ना?"       
                                                            
‘अनु से जब प्यार हुआ तब तो मुझे तेरे साथ हुए हादसे के बारे में पता तक नहीं था, ये तो मेरी किस्मत थी जो मुझे वापस इस घर तक खींच लाई! तो ये जानबूझ कर कैसे हुआ?' मन ये सफाई देना चाहता था पर फिर एहसास हुआ की ना तो रितिका मेरी ये सफाई सुनने के लायक है और ना ही मेरे कुछ कहने से वो बात समझेगी इसलिए मैंने उसे वही जवाब दिया जो वो सुन्ना चाहती थी; "अभी तो शुरुआत है!" इतना कह मैं अपना लैपटॉप ले कर नीचे आने लगा तो वो पीछे से बोली; "मैं तुम्हारी अनु से कितना नफरत करती हूँ ...... ये जानते हुए .....तुमने ये चाल चली?" ये कहते हुए वो पीछे खड़ी ताली मारती रही और मैं चुप-चाप नीचे आ गया| नीचे आ कर मैंने खुद को नेहा के साथ व्यस्त कर लिया| उसी शाम को रितिका ने अपनी चाल चली, रात को सब खाना खा रहे थे की वो ताऊ जी के सामने कान पकड़ कर खड़ी हो गई; "दादाजी.... मैं माफ़ी के लायक तो नहीं पर क्या आप सब मुझे एक आखरी बार माफ़ कर देंगे? मैं ईर्ष्या में जलकर जो कुछ भी किया मैं उसके लिए बहुत शर्मिंदा हूँ और वादा करती हूँ की आज के बाद ऐसा कुछ भी नहीं करूँगी! इस परिवार की इज्जत मेरी इज्जत होगी और मैं इस पर कोई आँच नहीं आने दूँगी!" इतना कहते हुए रितिका ने घड़ियाली आँसू बहाने शुरू कर दिए| ख़ुशी का मौका था और डैडी-मम्मी जी भी कई बार रितिका के बारे में पूछ चुके थे, हरबार झूठ बोलना ताऊ जी को भी अच्छा नहीं लग रहा था| इसलिए उन्होंने रितिका को माफ़ कर दिया और उनके साथ-साथ घर के हर एक सदस्य ने उसे माफ़ कर दिया| पर रितिका न मेरे पास माफ़ी मांगने आई और ना ही मैं उसे माफ़ करने के मूड में था| खेर रंग-रोगन का काम शुरू हो चका था और इस बार रंग मेरे पसंद का करवाया गया था, मेरे कमरे में तो कुछ ख़ास ही म्हणत करवाई जा रही थी और उसका रंग ताऊ जी ने ख़ास कर अनु से पूछ कर करवाया था| घर भर तैयारियों में लगा था पर मुझे कोई काम नहीं दिया गया था, कारन ये की पिछले कई दिनों से मैं ऑफिस नहीं जा पा रहा था और काम बहुत ज्यादा पेंडिंग था तो मेरा सारा समय Con-Call पर जाता| अब तो नेहा भी मुझसे नराज रहने लगी थी क्योंकि मैं ज्यादातर लैपटॉप पर बैठा रहता था| वो ज्यादा कर के माँ के पास रहती और जब मैं उसे लेने जाता तो मेरे पास आने से मना कर देती; "Sorry मेरा बच्चा!" में कान पकड़ कर उससे माफ़ी मांगता तो वो मुस्कुराते हुए माँ की गोद से मेरे पास आ जाती|


सगाई से दो दिन पहले की बात है, मैं छत पर बैठा काम कर रहा था और नेहा नीचे सो रही थी की रितिका कपडे बाल्टी में भर कर आ गई| "एक बात पूछूँ? तुमने ऐसा क्या देख लिया उसमें जो तुम्हें उससे प्यार हो गया? कहाँ वो 33 की और कहाँ मैं 23 की! उसकी जवानी तो ढल रही है और मेरी तो अभी शुरू हुई है! याद है न वो दिन जो हमने एक दूसरे के पहलु में गुजारे थे? तुम तो मुझे छोड़ते ही नहीं थे! हमेशा मेरे जिस्म से खेलते रहते थे! वो पूरी-पूरी रात जागना और पलंगतोड़ सेक्स करना! सससस.... कितनी बार किया तुमने उसके साथ सेक्स? उतना तो नहीं किया होगा जितना मेरे साथ किया था? अरे वो देती ही नहीं होगी! राखी कहती थी की mam को सेक्स वाली बातें करना पसंद नहीं! जिसे बातें ही पसंद ना हो वो सेक्स कहाँ करने देगी? अभी भी मौका है.... मैं अब भी तैयार हूँ!!!!" रितिका ने ये बातें कुछ इस तरह से कहीं के मेरे बदन में आग लग गई| मैं एक दम से उठ खड़ा हुआ और बोला; "तेरी सुई घूम-फिर कर सेक्स पर ही अटकती है ना? नहीं किया मैंने उसके साथ सेक्स और अगर सारी उम्र ना करने पड़े तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा! पता है क्यों? क्योंकि वो मुझसे प्यार करती है और मैं भी उससे प्यार करता हूँ! तेरे लिए प्यार की परिभाषा होती होगी सेक्स हमारे लिए नहीं! हमारे लिए बस साथ रहना ही प्यार है!" इतना कह कर मैं पाँव पटककर वहाँ से चला गया| उस दिन रात को जब अनु का फ़ोन आया तो मैंने उससे ये बात छुपाई! आमतौर पर मैं अनु से कोई बात नहीं छुपाता था पर मैंने ये बात उसे नहीं बताई!

                          उस दिन के बाद से रितिका मुझसे कोई बात नहीं करती, हाँ उसकी घरवालों के साथ अच्छी बनने लगी थी| घर के सभी कामों में वो हिस्सा ले रही थी और उसने सब को ये विश्वास दिला दिया था की वो वाक़ई में बहुत खुश है| एक बदलाव जो मैं अब उसमें देख पा रहा था वो ये था की रितिका ने अब मुझे प्यासी नजरों से देखना शुरू कर दिया था| वो भले ही मुझसे दूर रहती पर किसी न किसी तरीके से मुझे अपने जिस्म की नुमाइश करा देती, कभी जानबूझ कर मेरे पास अपना क्लीवेज दिखाते हुए झाड़ू लगाती तो कभी साडी को अपनी कमर पर ऐसे बांधती जिससे मुझे उसका नैवेल साफ़ दिख जाता| उसकी इन हरकतों का मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था पर बड़ा अजीब सा लग रहा था, ऐसा लगता मानो मुझे उससे घिन्ना आने लगी थी|


आखिर मेरी सगाई का दिन आ ही गया और मम्मी-डैडी और अनु सब गाडी से आ गए| मैं उस वक़्त तैयार हो रहा था इसलिए मैं नीचे नहीं आ पाया, घर के सभी लोगों ने उन्हें रिसीव किया और उन्हें अंदर लाये| इधर अनु की नजरें पूरे घर में घूम रही थीं की मैं दिख जाऊँ, पर भाभी ने उनकी नजरें पकड़ ली थीं और वो उसके कान में खुसफुसाते हुए बोलीं; "आपके मंगेतर अभी तैयार हो रहे हैं!"ये सुन कर अनु शर्मा गई, तभी उसकी नजर रितिका पर पड़ी जो चेहरे पर नकली मुस्कान चिपकाए सब को देख रही थी| डैडी जी ने भी जब उसे देखा तो अपने पास बिठाया और उन्हें उस पर बड़ा तरस आया| "बेटी पिछली बार तुमसे ज्यादा बात नहीं हो पाई, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी! अब कैसी है तुम्हारी तबियत?" डैडी जी ने पुछा और रितिका ने नकली हँसी हँसते हुए कहा; "जी अंकल अब ठीक है!" अभी आगे वो कुछ बोलते की मैं सूट पहने हुए नीचे उतरा| अनु ने मुझे पहले देखा और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं! उसकी ठंडी आह भाभी ने सुन ली और वो बोलीं; "माँ आप कहो तो मानु को काला टीका लगा दूँ!" भाभी की आवाज सुन कर सब मेरी तरफ देखने लगे|

इधर मेरी नजर अनु पर पड़ी और मैं आखरी सीढ़ी पर रुक गया और आँखें फाड़े उसे देखने लगा| घर में सब का ध्यान अब हम दोनों पर ही था और सब चुप हो गए थे| आज अनु को साडी में देखा मेरा मन बावरा हो गया था| आखिर भाभी चल के मेरे पास आईं और मेरा हाथ पकड़ कर मेरी तन्द्रा भंग की! मैं बैठक में आ कर ताऊ जी और पिताजी के बीच बैठ गया| "क्या हुआ था बेटा?" डैडी जी ने पुछा और मेरे मुँह से अचानक निकल गया; "वो बहुत दिनों बाद देखा ना....." ये बोलने के बाद मुझे एहसास हुआ और मैंने शर्म से मुस्कुराते हुए सर झुका लिया| यही हाल अनु का भी था और उसके भी मेरी तरह शर्म से हजाल लाल थे और ये सब देख कर रितिका की आँखें गुस्से से लाल थी|


खेर मँगनी की रस्म शुरू हुई और पहले अनु ने मुझे अंगूठी पहनाई जो थोड़ी loose थी और फिर जब मैंने उसे अंगूठी पहनाई तो वो उसे एकदम फिट आई| सबका मुँह मीठा हुआ और खाना-पीना शुरू हुआ, मैंने भाभी को इशारा किया और वो समझ गईं| भाभी ने अनु को कहा की वो उनके साथ चल कर कमरा देख ले जिसमें पेंट हुआ है| उनके जाते ही दो मिनट बाद मैंने फ़ोन निकाला और ऐसे जताया की मैं फ़ोन पर बात कर रहा हूँ और फिर आंगन में आ गया और धीरे-धीरे सीढ़ी चढ़ कर ऊपर पहुँच गया| भाभी और अनु मेरे कमरे में खड़े मेरा ही इंतजार कर रहे थे| मुझे देखते ही अनु बोली; 'तो आपने भाभी को सब पहले से ही समझा दिया था की उन्हें क्या बहाना कर के मुझे वहाँ से निकालना है?" अनु बोली|

"और क्या?" मैंने कहा और भाभी ये देख कर हँस पड़ी| "यार आपका (भाभी का) काम हो गया, आप जाओ!" मैंने कहा|

"अच्छा जी? ठीक है चल अनुराधा!" भाभी ने एकदम से उसका हाथ पकड़ लिया और नीचे जाने को निकलीं| "Sorry...Sorry...Sorry.... माफ़ कर दो... !!!" मैंने अपने कान पकड़ते हुए कहा| ये देख कर भाभी और अनु दोनों हँस पड़े| "वैसे भाभी आपको नहीं लगता की अनु आज बहुत ज्यादा सुन्दर लग रही है?" मैंने पुछा| मैं तो बस भाभी के जरिये अनु को ये बताना चाहता था की आज वो बहुत सूंदर लग रही है| भाभी के सामने हम दोनों थोड़ा शर्म किया करते थे!

"वो तो तुम्हारा बिना पलके झपकाए देखने से ही पता चल गया था!" भाभी ने मेरी टाँग खींचते हुए कहा| 

"वैसे भाभी क़यामत तो आज आपके देवर जी ढा रहे हैं!" अनु ने मेरी तारीफ करते हुए कहा|

"मेरे देवर जी? मैं चली नीचे, वर्ण तुम दोनों मेरी शर्म कर के बार-बार मेरा ही नाम ले-ले कर बातें करोगे|" भाभी बोलीं और हँसते हुए नीचे चली गईं| उनके जाते ही मैंने अनु का हाथ पकड़ लिया; "यार सच्ची आज आप इतने सेक्सी लेग रहे हो की मन करता है आज ही शादी कर लूँ!" मैंने कहा और अनु शर्माते हुए मेरे सीने से आ लगी और बोली; "हैंडसम तो आज आप लग रहे हो!" हम दोनों ऐसे ही गले लग कर खड़े थे की तभी वहाँ हमें बुलाने के लिए रितिका आ गई| हमें इस तरह गले लगे देख उसके जिस्म में बुरी तरह आग लग गई, उसने बड़े जोर से मेरे कमरे के दरवाजे पर हाथ मारा और चिल्लाई; "अभी शादी नहीं हुई है तुम दोनों की!" उसे देखते ही हम दोनों हड़बड़ा गए और अलग हुए पर उसके इस कदर चिल्लाने से मुझे गुस्सा आ गया; "तेरी....... !!!" मैं आगे कुछ कहता उससे पहले ही अनु ने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया| "बोलने दो बेचारी को! तकलीफ हुई है!!!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा| अनु ने आज उसी अंदाज में कहा जिस अंदाज में उस दिन रितिका ने मेरा मजाक उड़ाया था जब मैं उससे नेहा को माँग रहा था| अनु की बात सुन कर रितिका जलती हुई नीचे चली गई, "मत लगा करो इसके मुँह! ये जानबूझ कर आपको उकसाने आती है!" अनु बोली, मैंने सर हिला कर उसकी बात मान ली और फिर उसे दुबारा अपने पास खींच लिया; "आपको Kiss करने की गुस्ताखी करने का मन कर रहा है!" मैने अनु की आँखों में देखते हुए कहा तो जवाब में अनु ने अपनी आँखें बंद कर लीं| मैंने अभी अनु के होठों पर अपने होंठ रखे ही थे की भाभी आ गई और अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोलीं; "शर्म करो!" उनकी आवाज सुनते ही हम दोनों अलग हो गए| "भाभी हमेशा गलत टाइम पर आते हो!" मैंने शिकायत करते हुए कहा, इधर अनु के गाल शर्म से सुर्ख लाल हो चुके थे! भाभी ने मेरे कान पकड़ लिए; "बेटा ज्यादा ना उड़ो मत! शादी हो जाने दो उसके बाद मैं आस-पास भी नहीं भटकूँगी!" अनु भाभी के पीछे छुप गई और बोली; "तो मुझे बचाएगा कौन?" ये सुन कर तो हम तीनों हँस पड़े और भाभी ने हम दोनों को अपने गले लगा लिया| तभी पीछे से मम्मी जी आ गईं मेरा कमरा देखने और हमें ऐसे गले लगे देख मुस्कुराते हुए बोलीं; "लो भाई! यहाँ तो देवर-देवरानी और भाभी का प्रेम मिलाप चल रहा है!" ये सुन कर हम अलग हुए; "बेटा (भाभी) इसका ख्याल रखना, कभी-कभी ये मनमानी करती है!" मम्मी जी बोलीं| "आप चिंता ना करो मैं अनुराधा का ध्यान अपनी दोस्त जैसा ख्याल रखूँगी|" भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा| आखिर हम नीचे आ गए, फिर खाना-पीना हुआ और इस दौरान रितिका कहीं भी नजर नहीं आई! समय से मम्मी-डैडी और अनु चले गए, पर जाते-जाते अनु ने नेहा को अपनी गोद में लिया और उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा; "अब जब आपसे मिलूँगी तो आपको अपने साथ ही रखूँगी!" ये सुन कर नेहा मुस्कुराने लगी और अनु ने उसके माथे को चूमा और मुझे दे दिया|


दिन गुजरने लगे और शादी में अभी एक महीना रह गया था, शादी के कार्ड छप कर आये| मेरे दोस्तों को कार्ड मैंने भेज दिए और ऑफिस स्टाफ को भी कार्ड भेज दिए| रंजीथा को कार्ड अनु ने भेजा और साथ ही उसे टिकट भी भेज दी| इधर घरवालों ने जब नाते-रिश्तेदारों को कार्ड भेजा तो सभी ने पूछना शुरू कर दिया| ताऊ जी ने सब से यही कहा की लड़की सब की पसंद की है और उन्हें बाकी डिटेल नहीं दी, मैं तो वैसे भी इन सब बातों से अनविज्ञ था! शादी से ठीक 15 दिन पहले तक मेरा घर रिश्तेदारों से खचाखच भर चूका था| मैं उन दिनों काम के चलते बहुत ज्यादा बिजी था तो घर में जो कोई भी बात होती वो मेरे सामने नहीं होती थी| दिन में मैं छत पर अपना लैपटॉप ले कर बैठा होता था, रात में मुझे देर तक जागने की मनाही थी| मेरे कुछ cousins कभी-कबार आ कर मेरे पास बैठ जाते और उनके साथ हँसी-मजाक होता| इतने लोग तो रितिका की शादी में भी नहीं आये थे!

एक दिन की बात है की घर में घमासान खड़ा हो गया, बात शुरू की मौसा जी ने! "भाईसाहब! आपकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए हैं जो एक तलाकशुदा लड़की की शादी, उम्र में मानु से 5 साल बड़ी की शादी अपने लड़के से करवा रहे हो?" उनकी बात सुनते ही पिताजी और ताऊ जी भड़क उठे, पिताजी के कुछ कहने से पहले ही ताऊ जी बोल उठे; "यहाँ तुम से कुछ पुछा गया? शादी में बुलाया है, चुप-चाप आशीर्वाद दो और निकल जाओ!" मौसा जी ताऊ जी से उम्र में छोटे थे और उनका बड़ा मान करते थे, वैसे तो सभी मान करते थे या ये कहूँ की डरते थे! इसलिए जब ताऊ जी चिल्लाये तो मौसा भीगी बिल्ली बन कर चुप हो गए| बड़ी हिम्मत कर के छोटी मौसी बोलीं; "भाईसाहब लड़की तो हमारी ज़ात की भी नहीं!" उनकी बात का जवाब ताई जी ने दिया; "काहे की ज़ात? जब हम मुसीबत में थे तो कौन से ज़ात वाले सामने आये थे? सब के सब पुलिस के डर के मारे अपने घर में छुपे हुए थे!" ताई जी की बात सुन कर सब के सब चुप-चाप खड़े हो गए| "मेरी बात गौर से सुन लो सारे! तुम में से अगर किसी ने भी इस शादी में विघ्न डाला या कोई ऐसी हरकत की जिससे हमारी मट्टी-पलीत हुई तो उसे गोली से उड़ा दूँगा! तुम में से किसी ने अगर समधी-समधन को या बहु को कुछ भी ताना मारा या कहा ना तो अंजाम तुम्हें मैं बता चूका हूँ! एक आरसे बाद इस घर में खुशियाँ आ रही हैं!" ताऊ जी की दहाड़ सुन सब के सब चुप हो गए| अब मुझे कहने की तो कोई जर्रूरत नहीं की ये लगाई-बुझाई रितिका की थी, एक वही तो थी जो सब कुछ जानती थी! इसलिए मैं इंतजार करने लगा की मुझे कब मौका मिले जब वो अकेली हो| रात को जब मैं नेहा को उससे लेने के बहाने उसके कमरे में पहुँचा तो मुझे वो अकेली अपना बिस्तर ठीक करते हुए दिखी; "मिल गई तेरे कलेजे को ठंडक? लगा ली ना आग?" ये सुनते ही रितिका बोली; "मैंने क्या किया?" उसने अनजान बनने का नाटक किया पर मेरे सामने उसका ये रंग नहीं चल सकता था| "ज्यादा अनजान बनने की कोशिश मत कर! तेरे आलावा यहाँ और कोई है जिसे मेरी खुशियां देख कर आग लग रही हो! दुबारा तूने ऐसा कुछ किया ना तो दुर्गत कर दूँगा तेरी!" मैंने रितिका को हड़काया और नेहा को ले कर अपने कमरे में आ गया| अगले दिन सुबह-सुबह एक बड़ा सा ट्रक घर के आगे खड़ा हो गया, ताऊ जी ने सारे मर्दों को आवाज दी| सभी हैरान थे सिवाए उनके और पिताजी के, जब ट्रक पर से तिरपाल हटा तो उसमें पड़ा सामान देख सब समझ गए| उसमें सारा फर्नीचर था जो ताऊ जी ने स्पेशल आर्डर दे कर बनवाया था| जब सामान उतारने के लिए मैंने हाथ लगाना चाहा तो ताऊ जी ने मना कर दिया| मैं ख़ुशी-ख़ुशी ऊपर आया की एक और टेम्पो की आवाज सुनाई दी, मैंने छत से नीचे झाँका तो पता चला की डैडी जी ने भी कुछ सामान भेजा था| घर में जितने भी रिश्तेदार आये थे सब के सब सामान उतारने में लग गए और पिताजी और ताऊ जी ये ध्यान रख रहे थे की कहीं कुछ टूट ना जाये| मेरा कमरा इतना बड़ा था पर उसमें सामान के नाम पर मेरा सिंगल बेड और एक टेबल था बाकी उसमें ट्रंक रखे हुए थे जिनमें गर्म कपडे होते थे| आज जा कर मेरे कमरे को एक डबल बेड, ड्रेसिंग टेबल, छोटा सोफा, अलमारी और स्टडी टेबल का सुख मिल रहा था| मैं ने अनु को वीडियो कॉल कर के सामान ऊपर चढ़ते हुए दिखाया और वो बहुत खुश हुई|
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:28 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 06:56 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 11:39 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-17-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-18-2019, 05:00 PM
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