Free Sex Kahani काला इश्क़!
01-02-2020, 07:20 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
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कमरे में भाभी ने मद्धम सी रौशनी कर रखी थी, जो माहौल को रोमांटिक बना रही थी| बेड के बगल में एक गिलास रखा था जिसमें दूध था! ये बड़ा ही ख़ास दूध होता है, मेरे दोस्त संकेत ने मुझे बताया था की ये दूध बहुत जबरदस्त होता है! जब मेरी नजर अनु पर पड़ी तो वो गठरी बनी पलंग पर सर झुका कर बैठी थी, लाल जोड़े में आज वो क़यामत लग रही थी! आज हमें रोकने वाला कोई नहीं था, जो बंदिश मैंने खुद पर रखी थी आज वो टूटने वाली थी! मैंने धीरे-धीरे अनु के पास पहुँचा और पलंग पर बैठ गया| अनु के पाँव जो मुझे दिख रहे थे, उसने वो अपने घूँघट के अंदर छिपा लिए| मैंने हाथ बढ़ा कर अनु का घूँघट उठाया तो देखा अनु सर झुकाये नीचे देख रही है| उसके होठों की लाली देख मेरा दिल मचलने लगा था! फिर मुझे दूध के बारे में याद आया तो मैंने वो गिलास उठाया और आधा पिया, उसका स्वाद बहुत गजब का था या फिर ये अनु के हुस्न का जादू था जिसके कारन में कुछ ज्यादा imagine करने लगा था| मैंने वो आधा दूध का गिलास अनु को दिया, अब वो बेचारी शर्म से लाल अपनी नजरें उठा कर मुझे देखना ही नहीं चाह रही थी| किसी तरह उसने वो गिलास पकड़ा और आँख बंद कर के दूध पिया| दूध पी कर खाली गिलास रखने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और खुद गिलास टेबल पर रखा| उसके बाद मैं वापस सीधा बैठ गया और अनु को देखने लगा| कुछ भी करने की जैसे हिम्मत ही नहीं हो रही थी! मैं सोचने लगा शायद अनु कुछ पहल करे तो मुझे आगे बढ़ने में आसानी हो और उधर अनु का दिल धाड़-धाड़ कर के बजने लगा था| अनु का ये पहला मौका था और वो बेचारी शायद उम्मीद कर रही थी की मैं कुछ करूँगा! करीब 20 मिनट तक हम दोनों ही चुप बैठे थे, अनु की नजरें नीचे थीं और मेरी आँखें बस अनु पर टिकी थीं| मैंने नोटिस किया की अनु के होंठ थरथरा रहे हैं, मैंने इसे ही एक आमंत्रण समझा और मैं अनु के करीब खिसक कर बैठ गया| पर अनु ने कोई रिएक्शन नहीं दिया, इधर मुझे झिझक होने लगी! 5 मिनट तक मैं मन ही मन इस झिझक से लड़ने लगा और फिर यही सोचा की जो भी होगा देख लेंगे! मैने अपने दोनों हाथों से अनु के दोनों कंधे पकडे और उसे धीरे से पीछे धकेल कर लिटा दिया| अनु एक दम से सीधा लेट गई और मैं उसके ऊपर झुक गया, जाने मुझे ऐसा लगा की शायद अनु ये सब नहीं करना चाहती और मुझे उसका ये विचार ठीक लगा क्योंकि अब मुझ में आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हो रही थी! बड़ी हिम्मत जूता कर मैंने उससे पुछा; "You don’t want to do it?” पर ये सुन कर अनु ने अपनी झुकी हुई नजर ऊपर उठा ली और मेरी आँखों में देखने लगी| अनु की आँखों में मुझे अपने लिए प्यार नजर आया पर सेक्स के लिए झिझक भी नजर आई| अब मुझ में थोड़ी हिम्मत आ गई, मैंने अपने दाएँ हाथ से अनु के बाएँ गाल को सहलाया और अपना सवाल फिर से दुहराया; "बेबी! अगर आपका मन नहीं है तो its okay! कोई problem नहीं!" ये सुन कर तो जैसे अनु को विश्वास ही नहीं हुआ की भला कोई आदमी सुहाग की सेज पर अपनी पत्नी से सेक्स करने के लिए उसकी मर्जी पूछ रहा हो! वो खामोश नहीं रहना चाहती थी पर लफ़्ज उसके गले में घुट कर रह गए| अनु ने अपनी दोनों बाहें मेरी गर्दन पर लॉक कीं और मुझे अपने ऊपर और झुका लिया| अब मुझे विश्वास हो गया की अनु ने मुझे सहमति दे दी है|

     मैंने धीरे से अनु के लबों को अपने लबों में कैद कर लिया, फिर धीरे-धीरे मैंने उसके लबों को चूसना शुरू किया| मैं अनु के होठों को धीरे-धीरे, एक-एक कर चूस रहा था, उनका स्वाद बिलकुल गुलाब की पंखुड़ियों सा था| इधर मेरे Kiss के कारन अनु ने रियेक्ट करना शुरू कर दिया था, उसके हाथ मेरी गर्दन से रेंगते हुए मेरी पीठ पर पहुँच गए थे| मैंने एक पल के लिए अनु के होठों को अपने होठों की गिरफ्त से आजाद किया और मैं दुबारा से उन्हें अपने मुँह में भरता, उससे पहले ही अनु ने मेरे निचले होंठ को अपने मुँह में भर कर धीमे-धीमे चूसने लगी! ये अनु के लिए नया एहसास था इसलिए घबराहट उसके इस अंदाज में साफ़ दिख रही थी| दो मिनट बाद अब समय था अगले कदम का, मैंने धीरे से अपनी जीभ आगे सरकाई और अनु ने अपना मुँह खोल कर उसका स्वागत किया| अनु की जीभ इतनी खुश हुई की वो भी मेरी जीभ से मिलने आगे आई और दोनों का मिलन हुआ| इस Kiss के कारन अनु अब काफी खुल गई थी और हम दोनों अब शिद्दत से एक दूसरे को Kiss करने लगे थे| कभी अनु अपनी जीभ आगे करती और मैं उसे चुस्त तो कभी मैं अपनी जीभ अनु के मुँह में दाखिल कर देता! करीब 10 मिनट के इस रस पान के बाद अब हम दोनों के जिस्म ही गर्म हो चुके थे और ये कपडे अब रास्ते की बाधा थे| मैंने अनु के चंगुल से अपनी जीभ निकाली और उसका हाथ पकड़ के उसे बिठाया| मैंने अपने कपडे उतारने शुरू किये और अनु ने अपने जेवर उतारने चाहे, "इन्हें मत उतारो!" मैंने कहा| कुछ सेकण्ड्स के लिए अनु सोच में पड़ गई की मैं क्या कह रहा हूँ; "ये आप पर बहुत अच्छे लगते हैं!" मैंने कहा और तब जा कर अनु को समझ आया| मैं तो अपनी शेरवानी उतार चूका था पर अनु अभी अपने हाथ पीछे मोड़ कर अपनी चोली की डोरी खोलने जा रही थी| मैंने फ़ौरन आगे बढ़ कर उसकी चोली की डोरी धीरे से खोली| मुझे ऐसा करता देख अनु शर्म से लाल हो गई और उसने अपनी चोली आगे से अपने दोनों हाथों को अपने स्तन पर रख कर पकड़ ली| मैं आके अनु के सामने बैठ गया, उसकी नजरें झुक गईं थीं| मैंने अनु की ठुड्डी पलकड़ कर ऊँची की तो पाया उसने आँखें मूँद रखी हैं| मैंने दोनों हाथों से अनु के दोनों हाथ उसके स्तन के ऊपर से हटाए और उसके जिस्म से चोली निकाल कर नीचे गिरा दी| अनु के पूरे जिस्म में डर की कंपकंपी छूट गई! अनु अब मेरे सामने लाल रंग की ब्रा पहने बैठी थी और उसकी आँखें कस कर बंद थी| उसके हाथ बिस्तर पर थे और काँप रहे थे| मैंने अनु का बायाँ हाथ उठाया और उसे चूमा ताकि अनु थोड़ा नार्मल हो जाये और हुआ भी कुछ वैसा ही| मेरा उसके हाथ चूमते ही वो शांत हो गई, फिर मैं अनु के और नजदीक आया और उसके बाएं गाल को चूमा| अनु ने एक सिसकी ली; "ससस!!!" फिर मैंने अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर अनु की ब्रा के हुक खोल दिए पर ब्रा को उसके जिस्म से अलग नहीं किया| मैंने अनु को धीरे से वापस लिटा दिया और मैं उसकी बगल में लेट गया| मैंने अपने बाएँ हाथ को उसके बाएँ गाल पर फेरा, अनु समझ नहीं पाई की हो क्या रहा है| वो तो उम्मीद कर रही थी की मैं उस पर चढ़ जाऊँगा और यहाँ मैं धीरे-धीरे उसके जिस्म को बस छू भर रहा था| दो मिनट बाद मैं उठा और अपनी दोनों टांगें अनु के इर्द-गिर्द मोड़ी और उसके लहंगे को खोलने लगा| जैसे ही लहंगा खुला अनु ने अपने दोनों हाथों से पलंग पर बिछी चादर पकड़ ली| अब भी उसकी आँखें बंद थी और डर के मारे उसके दिल की धड़कनें बहुत तेज थीं| मैंने धीरे-धीरे लहंगा निकाल दिया और नीचे गिरा दिया| अब अनु मेरे सामने एक लाल ब्रा पहने जो की उसकी छाती सिर्फ ढके हुए थी और एक लाल रंग की पैंटी पहने पड़ी थी| जैसे ही मैंने अपनी उँगलियाँ पैंटी की इलास्टिक में फँसाई अनु काँप गई| मैनेजैसे ही पैंटी नीचे धीरे-धीरे सरकानी शुरू की उसने तुरंत अपने हाथों से चादर छोड़ी और अपनी पैंटी के ऊपर रख उसे ढक दिया| मैं उसी वक़्त रुक गया और अनु के मुँह की तरफ देखने लगा| करीब मिनट बाद अनु को लगा की कहीं मैं नाराज तो नहीं होगया इसलिए उसने अपनी आँख धीरे से खोली और मुझे अपनी तरफ प्यार से देखते हुए पाया| ये देखते ही वो फिर शर्मा गई, मैंने मुस्कुराते हुए फिर से उसकी पैंटी नीचे सरकानी शुरू की पर उसे केवल उसकी ऐड़ी तक ही नीचे ला पाया क्योंकि अनु ने अपनी टांगें कस कर भींच ली थीं| उसके दोनों हाथ उसकी बुर के ऊपर थे और मैं अभी तक अनु के पूरे जिस्म का दीदार नहीं कर पाया था|


मैं अनु के ऊपर आ गया, उसे लगा की मैं उसकी ब्रा हटाऊँगा और अब वो मुझे रोक भी नहीं सकती थी क्योंकि तब उसे अपना एक हाथ अपनी बुर के ऊपर से हटाना पड़ता! पर मैंने अनु के निचले होंठ को चूसना शुरू किया और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसेड़ दी| मेरा पूरा वजन अनु पर था इसलिए उसने अपने दोनों हाथ अपनी बुर के ऊपर से हटा दिए और मेरी पीठ पर रख कर मुझे खुद से चिपका लिया ताकि मेरे जिस्म से उसका जिस्म ढक जाए! अगले दस मिनट तक हम एक दूसरे को धीरे-धीरे Kiss करते रहे और अब अनु की शर्म कुछ कम हुई थी जिसके फल स्वरुप उसने खुद अपनी पैंटी निकाल दी थी और अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर लॉक कर ली थी| दस मिनट बाद जब मैंने अनु के ऊपर से उठना चाहा तो उसने अपनी पकड़ और कस ली क्योंकि वो नहीं चाहती थी की मैं उसे बिना कपडे के देखूँ! "बेबी! मुझसे कैसी शर्म?" मैंने धीरे से अनु के कान में खुसफुसाते हुए कहा| पर ये अनु की शर्म कम और सेक्स के प्रति उसका डर था! अनु ने मेरी बात मानी और अपने हाथ और पैर ढीले छोड़ दिए पर उसने अपनी आँखें कस कर बंद कर रखी थीं| मैं वापस नीचे खिसक आया और अनु के दोनों घुटने पकड़ कर उन्हें खोलने लगा| अनु ने फिर से चादर अपने दोनों हाथों से कस कर पकड़ ली| मैंने धीरे-धीरे अनु की टांगें खोली और उसकी चिकनी और साफ़ सुथरी बुर देखि! दूध सी गोरी उसकी बुर और वो पतले-पतले गुलाबी रंग के होंठ देख मैं दंग रह गया| मैं अपने आप ही उस पर झुक गया और पहले उन गुलाबी होठों को चूमा| मेरे चूमते ही अनु की जोरदार सिसकारी निकली; "स्स्सस्स्स्साआह!" अनु ने अपनी टांगें बंद करनी चाही पर तब तक मैंने अपने दोनों हाथ उसकी जाँघों पर रख दिए थे और अनु अब अपनी टांगें फिर से बंद नहीं कर सकती थी| मैंने अपनी जीभ निकाली और अनु के भगनासे को छेड़ा, अनु के जिस्म में हरकत हुई और उसका पेट कांपने लगा| "सससस....आह!" अनु ने एक और सिसकारी ली| मैं जितनी अपनी जीभ बाहर निकाल सकता था उतनी निकाली और नीचे से अनु के भगनासे तक एक बार चाटा| अनु मस्ती से भर उठी और अपना सर इधर-उधर पटकने लगी! मैंने अपना मुँह खोला और उसके बुर के होठों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा, इससे तो अनु की हालत खराब हो गई| उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ रखी चादर छोड़ी और मेरे सर पर हाथ रख कर उसे अपनी बुर पर दबाने लगी| पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूँज उठा था| "स्स्सस्स्स्स...आह...सससस......ममम.....ससस.....आह....हहह...ममम....आ साससससस...." इधर मुझे अनु के बुर के होठों से एक मीठे-मीठे  इत्र की महक आ रहे थी और मैं पूरी शिद्दत से उन्हें चूसने लगा| 5 मिनट नहीं हुए और अनु भरभरा कर झड़ गई और उसका नमकीन पानी मेरे मुँह में षड की तरह भरने लगा| मैं भी किसी भालू की तरह उस रस की एक-एक बूँद को चाट कर पी गया| इस बाढ़ के कारन अनु की सांसें बहुत तेज हो गईं थीं, जब मैं अनु की टांगों के बीच से निकल कर सीधा हुआ तो मैंने अनु को देखा| वो आँख मूंदें हुए अपने स्खलन को एन्जॉय कर रही थी! दो मिनट बाढ़ उसने आँखें खोली और मेरी तरफ देखने लगी और फिर बुरी तरह शर्मा गई और अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया| मैं भी उसकी इस हरकत को देख मुस्कुराने लगा पर अभी तक हम दोनों में से किसी ने भी मेरे फूल कर कुप्पा हुए लंड को नहीं देखा था! मैं अनु की बगल में लेट गया और अनु ने मेरी तरफ करवट ले ली पर उसने अभी तक अपने हाथ नहीं हटाए थे|

             मैंने भी उस पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं की क्योंकि मैं चाहता था की उसकी ये शर्म धीरे-धीरे खत्म हो| पांच मिनट बाढ़ अनु ने अपने दोनों हाथ अपने चेहरे से हटाए और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी, पर मैं तो कब से उसे ही देख रहा था| अनु ने दाएँ हाथ को मेरी छाती पर रख दिया और खामोशी से मुझे देखती रही| मैंने अपने दाएँ हाथ से उसके सर पर हाथ फेरा और अनु मुस्कुराने लगी| उसके मोती से सफ़ेद दाँत आज बहुत सुन्दर लग रहे थे| अनु का दाहिना हाथ मेरी छाती पर घूमने लगा और गलती से सरकते हुए मेरे लंड पर पहुँच गया| लंड का उभार महसूस होते ही अनु ने एक दम से हाथ हटा लिया और फ़ौरन अपनी आँखें उस उभार की तरफ की| उस उभार को देख कर ही उसकी हवा खराब हो गई| उसे एहसास हुआ की अभी असली काम तो बाकी है, अनु की हिम्मत नहीं हुई की वो नजर उठा कर मेरी तरफ देख सके इसलिए उसने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और वापस सीधे लेट गई| उसके इस बर्ताव से मुझे एहसास हुआ की अनु बहुत डरी हुई है और नहीं चाहती की मैं आगे बढ़ूँ! मैंने फ़ौरन अनु की तरफ करवट ली और खुसफुसाते हुए बोला; "Baby don’t be afraid! If you don’t want, I won’t proceed any further!” कुछ देर उसी तरह रहने के बाद अनु ने अपने दोनों हाथ अपने चेहरे के ऊपर से हटाए और मेरी तरफ देखते हुए बोली; "Its not what I want? Its what ‘WE’ want!” मैं अनु की इस बात का मतलब समझ गया और अनु भी ये बोलने के बाद मुस्कुराई| “I’ll be gentle….can’t hurt my wife!” मैंने धीरे से कहा और मैं अनु के ऊपर आ गया| डर तो अब भी था अनु के दिल में पर वो किसी तरह से उसे दबाने में लगी हुई थी| मैंने अपना पजामा निकाल दिया और उसे निकालते ही अनु को मेरा फूला हुआ कच्छा दिखाई दिया जिसमें से लंड अपना प्रगाढ़ रूप लिए साफ़ दिखाई दे रहा था| जैसे ही मैंने अपना कच्छा निकाला अनु के सामने वो खंजर आ गया जो कुछ ही देर में खून खराबा करने वाला था| कुछ क्षण तक तो अनु  उसे देखती रही और इधर अपनी ख़ुशी जाहिर करने के लिए मेरे लंड ने pre-cum की एक अमूल्य बूँद भी बहा दी| पर अनु की बुर का डर आखिर उस पर हावी हो गया! ये दानव अंदर कैसे जाएगा ये सोच कर ही अनु ने पुनः अपनी आखें कस कर मीच लीं! इधर मैंने धीरे-धीरे अनु की टांगें पुनः खोलीं ताकि मैं अपना स्थान ग्रहण कर सकूँ| जैसे ही मैं अनु की टांगों को छुआ उसकी टांगें काँप गई, अनु का पूरा शरीर डर के मारे कांपने लगा था| मन ही मन अनु सोच रही थी की वो दर्द से बुरी तरह बिलबिला जायेगी जब ये खूँटा अंदर घुसेगा!!

                      मैं अनु पर झुका और मेरा लंड आ कर उसकी बुर से बीएस छुआ और अनु के पूरे जिस्म में करंट दौड़ गया! उसने घबरा कर चादर अपने दोनों हाथों से पकड़ ली और अपने आप को आगे होने वाले हमले के लिए खुद को तैयार कर लिया| मैं अनु के ऊपर छ गया और धीरे-धीरे अपना सारा वजन उस पर डाल दिया| अपनी कमर को मैंने अनु की बुर पर दबाना शुरू किया, लंड धीरे-धीरे अपना रास्ता बनाता हुआ अनु की बुर की झिल्ली से टकरा कर रुक गया| इधर अनु को जो हल्का दर्द हुआ उससे अनु ने अपनी गर्दन ऊपर की तरफ तान ली| मैं कुछ सेकंड के लिए रुक गया ताकि अनु को थोड़ा आराम हो जाए, हालाँकि उसे अभी बीएस दर्द का एक हल्का सा आभास ही हुआ था! मैंने अपनी कमर से हल्का सा झटका मारा और लंड के सुपाडे ने वो झिल्ली तोड़ दी और अभी आधा ही सुपाड़ा नादर गया था की अनु के मुंह से चीख निकली; "आअह्हह्ह्ह्ह ममममअअअअअअअअअ...!!!!" और अनु ने अपनी गर्दन दाएँ-बाएँ पटकनी शुरू कर दी| खून की एक धार बहती हुई बिस्तर को लाल कर गई थी! मैं उसी हालत में रुक गया और मैंने अनु के स्तन के ऊपर से ब्रा हटा दी| सामने जो दृश्य था उसकी कल्पना भी मैंने नहीं की थी| अनु के स्तन बिलकुल तोतापरी आम जैसे थे, उनकी शेप देखते ही मेरा दिल बेकाबू हो गया| मैं अपना मुंह जितना खोल सकता था उतना खोल कर अनु के दाएँ स्तन को मुँह में भर कर चूसने लगा| इस दोहरे हमले से अनु की बुर का दर्द कुछ कम हुआ और अनु ने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया, अनु ने मेरे सर को अपने स्तन पर दबाना शुरू कर दिया| मैंने अपने दाँत अनु के दाएँ स्तन पर गड़ा दिए और धीरे से अनु के चुचुक पर काट लिया| "स्स्सह्ह्ह्ह" अनु कराही जो मेरे लिए इशारा था की उसकी बुर का दर्द कम हो चूका है| मैंने अपनी कमर से एक और हल्का सा झटका मारा और अब मेरा पूरा सुपाड़ा अंदर जा चूका था| "आअह्म्मामा" अनु धीरे से चीखी! मुझे अनु की भट्टी सी गर्म बुर का एहसास अपने सुपाडे पर होने लगा| अनु की बुर लगातर रस छोड़ रही थी ताकि लंड का प्रवेश आसान हो जाए| इधर ऊपर अनु की गर्दन फिर से दाएँ-बाएँ होनी शुरू हो चुकी थी| अनु का दर्द कम करने के लिए मैंने उसके बाएँ स्तन को अपने मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया| अनु के हाथों की उँगलियाँ मेरे बालों में रास्ता बनाने लगी और अनु का दर्द कुछ देर में खत्म हो गया| मेरे उसके स्तनपान करने से उसके मुँह से अब सिसकारियां निकलनी शुरू हो गईं थी| अब मौका था एक आखरी हमले का और वो मैं बिना बताये नहीं करना चाहता था वर्ण अनु का दर्द से बुरा हाल हो जाता! "बेबी...एक लास्ट टाइम और....आपको दर्द होगा!" मैंने अनु से कहा और ये सुन कर अनु ने चादर को पाने दोनों हाथों से कस कर पकड़ लिया और अपनी आँखें कस कर मीच लीं| उसके चेहरे पर मुझे अभी से दर्द की लकीरें नजर आ रही थीं, दिल तो कह रहा था की मत कर पर अभी नहीं तो फिर शायद कभी नहीं! यही सोच कर मैंने एक आखरी झटका मारा जो बहुत बड़ा था| मेरा पूरा लंड अनु की बुर में प्रवेश हो चूका था और अनु की एक जोरदार चीख निकली जो कमरे में गूँज गई| "आआह्ह्ह्हह्हहहहहहहहहहहहहहहहह....हम्म्म....मममम.....ममम....ननन....!!!" मैं इस झटके के फ़ौरन बाद रुक गया और अनु के होंठों को अपने मुँह में कैद कर लिया| लगातार दस मीनू तक मैं उसके होठों को चुस्त रहा और अपने दाएँ हाथ से अनु के स्तनों को बारी-बारी से धीरे-धीरे दबाता रहा ताकि उसका दर्द कम हो सके|

                     पूरे दस मिनट बाद अनु का दर्द खत्म हुआ और उसने अपने हाथों की गिरफ्त से चादर को छोड़ा और मेरी पीठ तथा मेरे बाल सहलाने लगी| मैंने अनु के होठों को आजाद किया और उसके चेहरे को देखा तो पाया की आँसू की एक धार बह कर उसके कान तक पहुँच चुकी थी| अनु की सांसें काबू हो गईं थीं और उसके जिस्म में अब आनंद का संचार हो चूका था| "सॉरी बेबी!' मैंने थोड़ा मायूस होते हुए कहा| अनु के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन के पीछे लॉक कर दी और बोली; "I love you!" ये I love you इस बात को दर्शाता था की आज हम दोनों ने जिस्मानी रूप से एक दूसरे को समर्पित कर दिया है| जाने क्यों पर मेरी नजरें एक आखरी बार अनु की रजामंदी चाहती थीं ताकि ये यौन सुख चरम पर पहुँच सके| अनु ने मुझे वो रजामंदी अपनी गर्दन धीरे से हाँ में हिला कर दी| मैंने अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू किया जिससे मेरा लंड अनु की बुर में धीरे-धीरे अंदर बाहर होने लगा| मेरे धक्कों की रफ़्तार अभी धीरे थी ताकि अनु को धीरे-धीरे इसकी आदत पड़ जाए| पर इतने से ही अनु की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं; "सससस..ससस...ममममननन...ससससस...!!!" पाँच मिनट बाद मैंने अपनी रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ानी शुरू की और इधर अनु अपने दूसरे चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई और अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर लॉक कर मुझे रुकने का इशारा किया| अनु के दोनों पाँव की ऐड़ियाँ मेरे कूल्हों पर दबाव बना कर उन्हें हिलने से रोक रहीं थी| आखिर मैंने भी थोड़ा आराम करने की सोची और अंदर को जड़ तक अंदर पेल कर मैं अनु के ऊपर ही लेट गया| अनु की सांसें उसके चरमोत्कर्ष के कारन तेज थीं और मैं अपने होंठ अनु की गर्दन पर रख कर लेट गया| अनु का स्खलन इसबार पहले से बहुत-बहुत लम्बा था जो मैं अपने सुपाडे पर महसूस कर रहा था| जब अनु का स्खलन खत्म हुआ तो उसने मेरी गर्दन पर अपनी फेवरेट जगह पर दाँत से काट लिया| ये उसका इशारा था की मैं फिर से 'काम' शुरू कर सकता हूँ! मैं उठा और इस बार पहले से बड़े और तगड़े धक्के लगाने लगा| मेरे हर धक्के से अनु के तोतापरी आम ऊपर नीचे हिलने लगे थे, इधर अनु पर एक अजब ही खुमारी चढ़ने लगी थी| अनु ने अपने दोनों हाथ अपने बालों में फिराने शुरू कर दिए, उसके अध् खुले लब हिलने लगे थे| मेरा मन तो कर रहा था उन लाल-लाल होठों को एक बार और चूस लूँ पर उसके लिए मुझे नीचे झुकना पड़ता और फिर मेरे लंड को मिल रहा मजा कम हो जाता| अगले आधे घंटे तक मैं उसी रफ़्तार से लंड अंदर-बाहर करता रहा और अनु अपनी खुमारी में अपने हाथों को अपने जिस्म पर फेरने लगी| इधर मुझे हैरानी हो रही थी की मुझ में इतनी ताक़त कहाँ से आई जो मैं बिना रुके इतनी देर से लगा हुआ हूँ! फिर ध्यान गया उस गिलास पर और मैं समझ गया की ये सब दूध का ही कमाल है जिसने मुझे और अनु को अभी तक इतनी देर तक जोश से बाँधा हुआ है|

          अनु थोड़ा उठी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया, इधर मैं नीचे से मेहनत करने में लगा था और उधर अनु के होठों ने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया था| बीच-बीच में अनु ने अपने दाँतों का प्रयोग भी करना शुरू कर दिया था! मेरे होठों को दाँतों से चुभलाने में अनु को कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था| अब तो मेरे दोनों हाथों को भी कुछ चाहिए था| मैंने अनु के दोनों स्तनों को अपनी हथेलियों से दबाना शुरू कर दिया था और उँगलियों से मैं उनका मर्दन करने लगा था| नीचे बाकायदा मेरी कमर अपने काम में लगी थी और लंड बड़े आराम से अंदर-बाहर हो रहा था| दोनों ही अब अपनी-अपनी चरम सीमा पर पहुँचने वाले थे, अनु ने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ एक बार फिर मेरे बालों में चलानी शुरू कर दी थीं| उसकी बुर ने प्रेम का गाढ़ा-गाढ़ा रस बनाना शुरू कर दिया था और अगले किसी भी पल वो उस रस को छलकाने वाली थी|                         

दूसरी तरफ मेरी रफ़्तार अब full speed पर थी, मेरे स्खलित होने से पहले अनु ने अपना रस बहा दिया और मुझे कस कर अपने से चिपका लिया| उसके दोनों पेअर मेरी कमर पर लॉक हो गए और जिस्म धनुष की तरह अकड़ गया| उसके इस चिपकने के कारन मैं रुक गया और अपनी सांसें इक्कट्ठा करने लगा ताकि आखरी कमला कर सकूँ! जैसे ही अनु निढाल हो कर बिस्तर पर लेटी मैंने ताबड़तोड़ धक्के मारे और मिनट भर में ही मेरे अंदर सालों से जो वीर्य भरा हुआ था वो फव्वारे की तरह छूटा और अनु की बुर में भरने लगा! मैं अब भी धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था ताकि जिस्म में जितना भी वीर्य है आज उसे अनु की बुर में भर दूँ और हुआ भी वैसा ही| मेरे वीर्य की एक-एक बूँद पहले तो अनु के बुर में भर गई और जो अंदर ना रह सकीय वो फिर रिसती हुई बाहर बहने लगीं| अब मुझ में बिलकुल ताक़त नहीं थी सो मैं अनु के ऊपर ही लुढ़क  गया और अपनी साँसों को काबू करने लगा| इधर अनु ने अपने दोनों हाथ मेरी पथ पर चलाना शुरू कर दिया जैसे मुझे शाबाशी दे रही हो| मेरे चेहरे पर थकावट झलक रही थी तो वहीँ अनु के चेहरे से ख़ुशी झलक रही थी|


कुछ देर बाद जब मैं सामान्य हुआ, मेरा लंड अब भी सिकुड़ा हुआ उसकी बुर में था और इसलिए  मैंने अनु को ऊपर से हटना चाहा पर अनु ने अपने हाथों की पकड़ कस ली ताकि मैं उसके ऊपर से हिल ही ना पाऊँ| "कहाँ जा रहे हो आप?" अनु ने पुछा|

"कहीं नहीं बस साइड में लेट रहा था|"  मैंने कहा|

"नहीं....ऐसे ही रहो....वरना मुझे सर्दी लग जायेगी!" अनु ने भोलेपन से कहा| उसकी बात सुन मैं मुस्कुरा दिया और ऐसे ही लेटा रहा| घडी में सुबह के 2 बजने को आये थे और हम दोनों की आँखें ही बंद थीं| हम दोनों आज अपना सब कुछ एक दूसरे को दे चुके थे और सुकून से सो रहे थे! सुबह पाँच बजे अनु की आँख खुल गई और उसने मेरी गर्दन पर अपनी गुड मॉर्निंग वाली बाईट दी! उसके ऐसा करने से मैं जाग गया; "ममम...क्या हुआ?" मैंने कुनमुनाते हुए कहा|

"आप हटो मुझे नीचे जाना है!" अनु ने कहा| पर मैंने अनु को और कस कर अपने से चिपका लिया और कुनमुनाते हुए ना कहा| "डार्लिंग! आज मेरी पहली रसोई है, प्लीज जाने दो!" अनु ने विनती करते हुए कहा|

"अभी सुबह के पाँच बजे हैं, इतनी सुबह क्या रसोई बनाओगे?" मैंने बिना आँख खोले कहा|

"भाभी ने कहा था की पाँच बजे वो आएँगी...देखो वो आने वाली होंगी!" अनु ने फिर से विनती की, पर मैं कुछ कहता उससे पहले ही दरवाजे पर दस्तक हो गई| मैं फ़ौरन उठ बैठा और अनु को कंबल दिया ताकि वो खुद को ढक ले और मैंने फ़ौरन पजामा पहना और दरवाजा खोला| ऊपर मैंने कुछ नहीं पहना था और जैसे ही ठंडी हवा का झोंका मेरी छाती पर पड़ा मैं काँप गया और अपने दोनों हाथों से खुद को ढकने की कोशिश करने लगा| इधर भाभी मुझे ऐसे कांपते हुए देख हँस पड़ी और कमरे में दाखिल हो गईं और मैंने फ़ौरन एक शॉल लपेट ली| "तुम दोनों का हो गया की अभी बाकी है?" भाभी हम दोनों को छेड़ते हुए बोलीं| अनु तो शर्म के मारे कंबल में घुस गई और मैं शर्म से लाल होगया पर फिर भी भाभी की मस्ती का जवाब देते हुए बोला; "कहाँ हो गया? अभी तो शुरू हुआ था....हमेशा गलत टाइम पर आते हो!"  भाभी ने एकदम से मेरा कान पकड़ लिया; "अच्छा? मैं गलत टाइम पर आती हूँ? पूरी रात दोनों क्या साँप-सीढ़ी खेल रहे थे?" भाभी हँसते हुए बोली| इतने में अनु कंबल के अंदर से बोली; "भाभी आप चलो मैं बस अभी आई!"

"ये कौन बोला?" भाभी ने अनु की तरफ देखते हुए जानबूझ कर बोला| अनु चूँकि कंबल के अंदर मुँह घुसाए हुए थी इसलिए वो भाभी को नहीं देख सकती थी|

भाभी हँसती हुईं नीचे चली गईं, मैंने दरवाजा फिर से बंद किया और अनु के साथ कंबल में घुस गया| इधर अनु उठने को हुई तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया| "कहाँ जा रहे हो? मुझे ठण्ड लग रही है!" मैंने बात बनाते हुए कहा|

"तो ये कंबल ओढो, मैं नीचे जा रही हूँ!" अनु ने फिर उठना चाहा|

"यार ये सही है? रात को जब आपको ठंड लग रही थी तब तो मैं आपके साथ लेटा हुआ था और अभी जो मुझे ठंड लग रही है तो आप उठ के जा रहे हो!" मैंने अनु से प्यार भरी शिकायत की जिसे सुन कर अनु को मुझ पर प्यार आने लगा| वो फिर से मेरे पास लेट गई और मुझे कास कर अपने सीने से लगा लियाऔर बोली; "आपको पता है, मैंने कभी सपने में भी ऐसी कल्पना नहीं की थी की मुझे आप मिलोगे और इतना प्यार करोगे! अब मुझे बस जिंदगी से आखरी चीज़ चाहिए!" ये कहते हुए अनु खामोश हो गई| उस चीज़ की कल्पना मात्र से ही अनु का दिल जोरों से धड़कने लगा था और मैं उसकी धड़कन साफ़ सुन पा रहा था| पता नहीं क्यों पर अनु की ये धड़कन मुझे अच्छी लग रही थी, अनु ने धीरे से खुद को मेरी पकड़ से छुड़ाया पर इस हलचल से मैं उठ कर बैठ गया| अनु ने कंबल हटाया और रात से ले कर अभी तक पहली बार अपनी नीचे की हालत देखि और हैरान रह गई| चादर पर एक लाल रंग का घेरा बन चूका था और उसके ऊपर हम दोनों के 'काम' रस का घोल पड़ा था जो गद्दा सोंख चूका था! अनु ये देख कर शर्मा गई और अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया| मैंने अनु को एक हैंड टॉवल उठा कर दिया ताकि वो अपनी नीचे की हालत कुछ साफ़ कर ले और मैं दूसरी तरफ मुँह कर के बैठ गया ताकि उसे शर्म ना आये| "आप को उधर मुँह कर के बैठने की कोई जर्रूरत नहीं है!" अनु मुस्कुराते हुए बोली और खुद को साफ़ करने लगी| मैं भी मुस्कुराने लगा पर अनु की तरफ देखा नहीं, मैं उठ कर खड़ा हुआ और अलमारी से अपने लिए कपडे निकालने लगा| इधर अनु ने भी अपने कपडे निकाले और ऊपर एक निघ्त्य डाल कर नीचे नहाने चली गई| घर में आज सिर्फ औरतें ही मौजूद थीं, बाकी सारे मर्द आज बाहर पड़ोसियों के यहाँ सोये थे, रितिका वाले कमरे में भी कोई नहीं सोया था| नीचे सब का नहाना-धोना चल रहा था और मैं नीचे नहीं जा सकता था| 
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