Free Sex Kahani काला इश्क़!
01-02-2020, 07:25 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
कुछ देर बाद भाभी नेहा को ले कर ऊपर  गईंमैंने भाभी को सख्त हिदायत दी थी की वो नेहा को अपने साथ रखें क्योंकि मुझे रितिका पर जरा भी भरोसा नहीं थाअपनी खुंदक निकालने के लिए वो नेहा को कुछ भी कर सकती थीभाभी जब नेहा को ऊपर ले कर आईं तो वो रो रही थी; "संभाल अपनी गुड़िया को सुबह से केँ-केँ लगा रखी है इसने!" भाभी नेहा को मेरी गोद में देते हुए बोलीमैंने नेहा को गोद में लिया और उसे अपने सीने से लगायानेहा ने ने एकदम से रोना बंद कर दियाये देख कर भाभी हैरान हो गईं और मुस्कुराते हुए चली गईंइधर मैं नेहा को गोद में  लिए कमरे में घूमने लगाफिर मेरा मन किया की मैं नेहा के साथ खेलती०खेलते अनु को छेड़ूँअब नीचे तो जा नहीं सकता था इसलिए मैंने एक आईडिया निकालामैंने नेहा को ऐसे पकड़ा की उसका मुँह मेरी तरफ था और गाना गाने लगा;
 
साथ छोड़ूँगा ना तेरे पीछे आऊँगा
छीन लूँगा या खुदा से माँग लाउँगा
तेरे नाल तक़दीरां लिखवाउंगा       
मैं तेरा बन जाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा
 
 
सोंह तेरी मैं क़सम यही खाऊँगा
कित्ते वादेया नू मैं निभाऊँगा
तुझे हर वारी अपना बनाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा"
 
मेरी आवाज इतनी ऊँची थी की नीचे सब औरतें ये गाना सुन पा रही थीं और भाभी ने अनु को मेरे बदले छेड़ना शुरू कर दियाअनु का शर्म से बुरा हाल थाउसके गाल सुर्ख लाल हो चुके थेवो उठी और जा कर माँ के पास बैठ गई और उनके कंधे में अपना मुँह रख कर छुपा लियामाँ भी हँसने लगी और वहाँ जो भी कोई था वो मेरा पागलपन सुन हँसने लगा
 
"तेरे लिए मैं जहाँ से टकराऊँगा
 
सब कुछ खोके तुझको ही पाउँगा
 
दिल बन के दिल धडकाऊँगा"
 
मैं ऊपर गाना जाता जा रहा था और नेहा की नाक से अपनी नाक रगड़ रहा थानेहा भी बहुत खुश थी और हँस रही थीअपने नन्हे-नन्हे हाथों से मेरी बड़ी नाक पकड़ने की कोशिश कर रही थीजैसे ही मैंने गाना बंद किया माँ नीचे बोलीं; " दिल वाले....नीचे  तेरा दिल मैं धड़काऊँ!" माँ की आवाज सुन मैं फ़ौरन नीचे आयामाँ के पैर छुए और उन्होंने मेरे कान पकड़ लिए| "बहु को छेड़ता हैरुक तुझे में सीधा करती हूँ!" ये कहते हुए माँ ने मेरे गाल पर एक प्यार भरी चुटकी खींची और मैं हँसने लगा!
 
"देखत हो कितना बेसरम है  लड़कवातोहार बहु तो सब के पैर छू कर आशीर्वाद ले लिहिस है और ये अभी तक केहू का नमस्ते तक ना किहिस है!" मौसी बोलीमैंने फिर एक-एक कर सबके पैर छुए और वापस ऊपर  कर नेहा के साथ खेलने लगाजब सब का नहाना हो गया तब मैं नहाने घुसागाना गुनगुनाते हुए मैं नहाया और कुरता-पजामा पहन कर तैयार हुआनेहा को भी मैंने ही नहलाया पर ये सब किसी को पसंद नहीं आया और उन्होंने मुझे टोका; " मानु तू काहे इस सब कर रहा है?" मौसी बोलीं और उन्होंने रितिका को डाँट लगाते हुए कहा; "तू का हुआन खड़ी-खड़ी देखत है काम खुद ना कर सकत है?"
 
"क्यों मौसी मैं क्यों नहीं कर सकताआदमी हूँ इसलिए?" मैंने उनकी तरफ घूमते हुए कहा|
 
"इस घर में सबसे ज्यादा मानु प्यार करता है नेहा सेउसके इलावा वो किसी से नहीं सम्भलती!" ताई जी बोलीं|
 
"दीदी ईका (मेराबच्ची से इतनी माया बढ़ाना ठीक नाहीं!" मौसी बोलीं|
 
"क्योंएक बिन बाप की बच्ची को अगर बाप का प्यार मानु से मिलता है तो क्या बुरा है?" ताई जी बोलीं और उन्होंने आगे मौसी को कुछ कहने का मौका ही नहीं दियापर ताई जी के ये बात मेरे दिल को लग गईनेहा मेरी बेटी थी और सब इस सच से अनविज्ञ थे और यही सोचते थे की मेरा उससे मोह एक तरह की दया हैमैं नेहा को ले कर चुपचाप ऊपर  गया और उसे कपडे पहनाने लगाजहाँ कुछ देर पहले मेरे दिल में इतनी खुशियाँ थी वहीँ मौसी की बात सुन कर मेरे दिल में दर्द पैदा हो चूका थानेहा को कपडे पहना कर मैं उसे अपनी छाती से लगा कर कमरे की खिड़की के सामने बैठ गया और नेहा की पीठ सहलाने लगाकुछ देर में नेहा सो गई और मैं सोच में डूब गयामुझे कुछ  कुछ कर के नेहा को अपनाना थाउसे अपना नाम देना था!   
    
 
अनु समझ गई थी की मुझे कितना बुरा लगा है और कुछ देर बाद वो ऊपर  गई और मुझे गुम-शूम खिड़की की तरफ मुँह कर के बैठा देख उसे भी बुरा लगावो मेरे पीछे खड़ी हो गई और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली; "We’ll figure out a way!” मैंने बस हाँ में सर हिलाया पर दिमाग मेरा अब भी रास्ता ढूँढने में लगा थापर अनु मुझे हँसाना-बुलाना जानती थी; "Now cheer up! मुझे नीचे रसोई के लिए बुलाया है और मुझे बहुत डर लग रहा है!" ये एक दम से उठ खड़ा हुआ और बोला; "चलो आज हम दोनों खाना बनाते हैं!" ये बात भाभी ने बाहर से सुन ली और बोलीं; "खाना तो बहुरानी ही बनाएगीतुम जा कर मर्दों में बैठो!" भाभी की बात सुन हम दोनों मुस्कुरा दिएअनु इधर खाना बनाने में लगी और मैं बाहर निकल के पिताजी के पास बैठ गयाकुछ देर बाद सबको खाना खाने के लिए बुलाया गयाखाने में अनु ने लौकी के कोफ्ते और गोभी के सब्जी बनाई थीसाथ में रायता और गरमा-गर्म रोटियॉँघर के सारे लोग एक साथ बैठ गए सिर्फ भाभीअनु और रितिका रह गए थेअनु ने आज एक गहरे नीले रंग की साडी पहनी थी और सर पर थोड़ा घूंघट कर रखा थाताऊ जी ने जैसे ही पहला कौर खाया उन्होंने फ़ौरन अपनी जेब में हाथ डाला और फ़ौरन कुछ पैसे निकालेअनु को अपने पास बुलाया और उसे 5001/- देते हुए बोले; "बहु ये लेआज तेरे हाथ की पहली रसोई थी और माँ अन्नपूर्णा का हाथ है तुझ परमैंने इतना स्वाद खाना कभी नहीं खाया!" उनके बाद पिताजी ने भी अनु को 5001/- दिए और बहुत आशीर्वाद भी दियामौसा जी ने भी अनु को 1001/- दिएअब बारी आई ताई जी कीउन्होंने अनु को सोने के कंगन दिए और आशीर्वाद दियामाँ का नंबर आया तो उन्होंने अनु को एक बाजूबंद दिया जो उन्हें उनकी माँ यानी मेरी नानी ने दिया थाअनु की आँखें इतना प्यार पा कर नम हो गईं थीतब माँ ने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके मस्तक को चूमते हुए बोली; "बेटी बस...रोना नहीं!" भाभी ने माहौल को हल्का करने के लिए बात शुरू की; "पिताजी आपको पता है मानु भैया कह रहे थे की वो भी रसोई में मदद करेंगे!" ये सुन कर सारे हँस पड़े और अनु भी मुस्कुरा दी|
 
"कल तू सब के लिए खाना बनायेगा!" ताऊ जी ने मुझसे कहा पर तभी भाभी बोलीं; "पर कल तू बहु चली जाएगी?!" ये सुनते ही मैं खाते हुए रुक गया और हैरानी से भाभी को देखने लगामेरी ये हरकत सबने देखि और भाभी को मेरी टांग खींचने का फिर मौका मिल गया| " क्याशादी के अगले दिन बहु अपने घर जाती है!" भाभी ने मुझे रस्म याद दिलाईपर बेटे के दिल का दर्द सिर्फ माँ ही समझती है; "बेटा बहु कुछ दिन बाद वापस  जाएगी|" माँ की बात सुन कर मुझे तसल्ली नहीं हुई क्योंकि उन्होंने ये नहीं बताया था की ये कुछ दिन कितने होते हैंखाना खाने के बाद सबसे बातें होने लगीं इसलिए हम दोनों को अकेले में बात करने का समय नहीं मिलाशाम को भी लोगों का आना-जाना लगा रहा और इसी बीच संकेत भी मिलने आयावो मेरी शादी में नहीं  पाया था क्योंकि कुछ emergency कारणों से उसे बाहर जाना पड़ा था और उसकी गैरहाजरी में उसका परिवार जर्रूर आया थामैंने उसका इंट्रो अनु से करवाया तो उसने हाथ जोड़ कर अनु से नमस्ते कहा और फिर अपने ना  पाने की माफ़ी भी माँगी|
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