Free Sex Kahani काला इश्क़!
01-05-2020, 10:04 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
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दिन बीतते गए और इन बीते दिनों में मैंने नेहा को खूब प्यार दिया| इतना प्यार जो शायद आने वाले सालों तक उसके ऊपर आशीर्वाद बनकर रहता| मैंने और अनु ने मिलकर घरवालों के साथ बहुत अच्छी और प्यारी-प्यारी यादें बनाई! जहाँ माँ और ताई जी ने अनु को अपनी बेटी की तरह प्यार दिया वहीँ मैं जो की घर का सबसे छोटा बेटा था उसे उसकी जिम्मेदारी का एहसास होने पर ताऊ जी और पिताजी ने खूब आशीर्वाद दिया| चन्दर भैया और भाभी के संग मेरा और अनु का दोस्तों जैसा रिश्ता बन गया था| भाभी मेरा और अनु का खूब ख्याल रखती और कहती रहती की जल्दी से जल्दी खुशखबरी सुनाओ! अब चूँकि घर पर हम दोनों को ज्यादा प्राइवेट समय नहीं मिल पाता था तो दोनों अपने-अपने काम में लगे रहते| हमारा रोमांस केवल Kiss तक ही सिमट कर रह गया था| प्यासे दोनों ही थे पर अपने प्यास को काबू रखने जानते थे| ऐसे कई पल आया जब रितिका ने हम दोनों को रोमांस करते देखा और जलती हुई चली गई पर हमें उससे कोई फर्क नहीं पड़ा| अनु ने नेहा को अपनी बेटी जितना प्यार दिया और अगर मेरे बाद किसी इंसान से नेहा को प्यार मिला तो वो अनु ही थी| जब कभी मैं घर पर नहीं होता तो अनु उसके साथ खेलती, नहलाती, कपडे बदलती और उस गुड़िया को अपने से चिपकाए रहती| जब मैं घर पर होता तो अनु हमारी इतनी फोटो खींचती की क्या कहूँ! हम दोनों ही जानते थे की नेहा धीरे-धीरे बड़ी होगी और उसे ये प्यार याद नहीं रहेगा, उसके लिए हम उसके दादा-दादी होंगे ना की माँ-बाप! ये एक ऐसा दर्द था जो हम अभी से महसूस कर रहे थे पर हालात के आगे मजबूर थे! हम दोनों का प्यार ही था जो हमें सहारा दे रहा था! नेहा के साथ बितायी ये यादें ही हमारे लिए सब कुछ था! उधर भाभी की डिलीवरी की डेट नवम्बर के आखरी हफ्ते की थी और भाभी ने दोनों को सख्त हिदायत दी थी की हम अगर तब यहाँ नहीं आये तो वो हमसे कभी बात नहीं करेंगी! इन खुशियों में दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला|

              हमारे जाने से एक दिन पहले की बात है, सुबह से ही मैं बहुत बुझा-बुझा था! नेहा के सुबह उठते ही मैं उसे अपनी छाती से चिपकाए कमरे में बैठा था| आज मेरी गुड़िया भी बहुत खामोश थी, और दिन तो उसकी किलकारियाँ गूंजती रहती थीं पर आज वो बहुत शांत थी| ऐसा लगा मानो उसे पता ही की कल उसके पापा चले जाएंगे! फिर एक ख्याल आया की एक बार भगवान् से मदद मांग कर देखूँ, क्या पता वो मेरी सुन लें! मैं नहा-धो कर तैयार हुआ और नेहा को भी नहला कर रेडी किया| नेहा को गोद में लिए मैं नंगे पाँव मंदिर चल दिया| जाने क्यों पर आज लग रहा था की मेरी इस तपस्या का फल मुझे अवश्य मिलेगा| मैं आजतक कभी इतना नंगे पाँव नहीं चला था, यहाँ तो मंदिर भी खेतों के बीच था सो वहाँ तक पहुँचने में जाने कितनी ही बार पाँव में कंकड़ लगे, पर भगवान पर आस्था और नेहा के प्यार ने मुझे सहारा दिया| आखिर मंदिर पहुँच कर मैंने भगवान से प्रर्थना की; "आप से आज तक मैंने आप से जो माँगा अपने मुझे वो दिया है, आज बस एक आखरी बार आपसे कुछ माँगना चाहता हूँ! मुझे मेरी बेटी दे दो! मैं नेहा को अपने साथ रखना चाहता हूँ, उसकी परवरिश करना चाहता हूँ, उसे उसके पापा का प्यार देना चाहता हूँ! वादा करता हूँ फिर आप से कुछ नहीं माँगूँगा! प्लीज भगवान जी... कोई तो रास्ता सुझा दो मुझे या फिर इसकी माँ को ही अक्ल दे दो ताकि वो नेहा को मुझे सौंप दे!" मैं घुटनों पर खड़ा भगवान से मिन्नतें करता रहा, आसुओं की धारा नेहा पर गिरी जो चुप-चाप मेरी ही तरफ देख रही थी| नेहा ने कैसे कुछ बोलने के लिए मुँह खोला और फिर चुप हो गई, मानो कह रही हो की पापा आप मत रोइये! मैंने उसे एक बार चूमा और फिर भगवान पर सब छोड़ कर मैं घर लौट आया इस बात से अनजान की अनु पहले ही यहाँ आ कर यही दुआ माँग कर गई है| जब मैं घर पहुँचा तो माँ ने पुछा की मैं कहाँ गया था? पर माथे पर टीका देख वो समझ गईं, "मेले बच्चे को मंदील ले कल गया था!" मैंने तुतलाते हुए बोला तो नेहा की किलकारियाँ शुरू हो गईं| घर में सब जानते थे की मैं नेहा से कितना प्यार करता हूँ और उससे बिछड़ना मेरे लिए आसान नहीं होगा| पर इससे पहले मुझे ये बात कोई समझाता मैंने अपने चेहरे पर ख़ुशी का मुखौटा ओढ़ लिया| मैंने किसी को भी शक नहीं होने दिया की मैं कल नेहा से दूर जाने को ले कर दुखी हूँ| दोपहर को खाने के बाद मैं नेहा को गोद में ले कर अपने कमरे में बैठा था; "बेटा.... मुझे ना... आपको कुछ बताना है! कल है न...मैं...............जा रहा हूँ!" मैंने बड़े भारी मन से नेहा से ये बात कही, नेहा अपनी भोली सी आँखों से मेरी आँखों में देखने लगी जैसे पूछ रही हो की मैं वापस कब आऊँगा? "नेक्स्ट हम ....आपके बर्थडे पर मिलेंगे! तब मैं आपके लिए ढेर सारे गिफ्ट्स ले कर आऊँगा|" पर मेरा इतना कहते ही नेहा ने रोना शुरू कर दिया, जैसे उसे मेरी सब बात समझ आ गई हो| "awww मेरा बच्चा! बस रोना नहीं...I promise मैं आपके बर्थडे पर आऊँगा!" पर नेहा पर इस बात का कोई असर नहीं हुआ, जैसे उसे सिर्फ अपने पापा ही चाहिए और कुछ नहीं चाहिए! "I'm sorry बेटा! But हमारे हालात ऐसे हैं की मैं आपके साथ चाह कर भी नहीं रह सकता! मेरा सारा काम-धंधा बैंगलोर में सेट है....I'm helpless!" मैंने रोते हुए कहा और नेहा को अपने सीने से लगा लिया| करीब आधे घंटे हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे और अब नेहा का रोना बंद हो गया था| "I hope नेक्स्ट टाइम जब आप मुझे देखो तो मुझे भूलोगे नहीं!" मैंने अपने आँसू पोछते हुए कहा| "ऐसे कैसे भूल जायेगी?" अनु पीछे से बोली और चल कर मेरे पास आई| "7 महीने की बच्ची की इतनी अच्छी यादाश्त नहीं होती की वो हर किसी को याद रख सके! उस दिन देखा था जब मैंने shave की थी तो ये मुझे पहचान ही नहीं रही थी!" मैंने कहा|

"वो इसलिए क्योंकि उसे आपको दाढ़ी में देखने की आदत हो गई थी! Unfortunately उसकी माँ (अनु) को आप Clean shaven अच्छे लगते हो! पर आप कांटे हो नेहा ने आपको कैसे पहचाना? आपका स्पर्श पाते ही वो समझ गई की ये उसके पापा हैं!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा| अनु का तर्क emotional था scientific नहीं! पर मैंने आगे बात को नहीं खींचा और मुस्कुराते हुए अनु को अभी अपने गले लगा लिया| हम तीनों ऐसे ही गले लगे हुए खड़े थे की अनु ने हमारी सेल्फी ले ली! वो पूरा दिन मैं नेहा के साथ बातें करता रहा और उसका मन मैंने दुबारा अपने जाने पर नहीं भटकने दिया| मेरा ये बचपना देख चन्दर भय बोले; "भैया इतनी छोटी है की उसे आपकी बात क्या समझ आती होगी?" पर ताऊ जी ने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा; "बच्चे ऐसे ही बोलना सीखते हैं!" उनकी बात लॉजिकल थी! मैं नेहा को गोद में ले कर खड़ा हुआ और उसे ऐसे पकड़ा जैसे दो लोग डांस करते हैं और गाना गन गुनाते हुए आंगन में नाचने लगा;

"दिन भर करे बातें हम
फिर भी लगे बातें अधूरी आज कल
मन की दहलीजों पे कोई आए ना
बस तुम ज़रूरी आज कल
I love you..."    पूरा घर मेरा बचपना देख खुश हो गया और नेहा भी मुस्कुराने लगी| फिर मैंने नेहा की ठुड्डी पकड़ी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा;

"थोड़ा थोड़ा तुझसे सीखा
प्यार करने का तरीका
दिल के खुदा की मुझपे इनायत है तू
आइ लव यू
आइ लव यू"       

वो नेहा ही थीं जिसने मुझे एक बाप बनने का मौका दिया और मेरे अंदर एक बाप का प्यार जगाया था! इधर अनु ने चुप-चाप मेरे डांस की वीडियो बना ली थी|


रात तक मेरा यूँ नेहा को गोद में ले कर खेलना और उससे बातें करना जारी था! खाना खाने के बाद भी मैं और नेहा साथ सोये, बेचारी अनु को नेहा को मुझसे चुराने का भी मौका नहीं मिला| पर रात को हम दोनों जागते रहे और बारी-बारी नेहा को चूमते रहे, दोनों में जैसे होड़ लगी थी की नेहा के उठने तक उसे सबसे ज्यादा कौन चूमेगा| उस खेल में पता ही नहीं चला की कब सुबह हो गई| अनु नेहा को आखरी Kiss दे कर उठी और नीचे चली गई और इधर मैं नेहा को पाने सीने से लगा कर लेट गया| मेरा दिल जोर से धड़कने लगा था| यही धड़कन सुन नेहा उठ गई, मैंने जैसे ही उसे देखा तो खुद को रोने से नहीं रोक पाया| नेहा अब भी जैसे समझने की कोशिश कर रही हो की मैं क्यों रो रहा हूँ! उसकी नन्ही सी हथेली मेरी ऊँगली के स्पर्श का इंतजार कर रही थी| मैंने उसे जैसे ही अपनी ऊँगली पकड़ाई उसने कस कर अपनी मुठ्ठी बंद कर ली ताकि कहीं मैं उसे छोड़ कर चला न जाऊँ| जैसे-तैसे मैंने खुद को काबू किया और नेहा को ले कर नीचे आ गया| मेरी शक्ल देख कर कोई भी णता सकता था की मैं रात भर नहीं सोया था और अभी आये आसुओं से मेरी आँखें नम हो चली थीं| मेरी ये हालत देखते ही माँ अनु से बोली; "बहु तुझे कहा था न की मानु से बात कर, उसे समझा की वो नेहा से इतना मोह ना बढाए? देख क्या हालत हो गई है इसकी?!" माँ ने अनु से कहा तो वो सर झुका कर खड़ी हो गई, मेरे तो जैसे मुँह में जुबान ही नहीं थी मैं बस नेहा को देखे जा रहा था और अपना रोना रोक रहा था!


माँ की देखा-देखि ताई जी भी मुझे समझाना शुरू हो गईं, मैंने बड़ी हिम्मत बटोरी और बोला; "ठीक है ताई जी....!" इतना कह कर मैंने बेमन से नेहा को अनु को दिया| मेरा ऐसा करने से सब शांत हो गए ये सोच कर की मैंने उनकी बात मान ली है और इधर अनु को भी नेहा के साथ आखरी कुछ पल मिल गए प्यार करने को| मैं ने पहले अपने सारे कपडे पैक किये और फिर नहाने घुस गया| बाथरूम में मैंने जी भर कर अपने आँसू बहाये, क्योंकि यहाँ मुझे रोकने वाला कोई नहीं था| नहा-धो कर मैं बाहर आया तो अनु ने नेहा को मेरी गोद में दे दिया, फिर सबके साथ बैठ कर हमने नाष्ता किया| "तो बेटा तुम दोनों पहले बैंगलोर जाओगे?" ताऊ जी ने पुछा|

"जी मैंने टैक्सी बुक की थी, जो अभी आती होगी| पहले हम बीएस स्टैंड जायेंगे और वहाँ से दिल्ली की Volvo लेंगे, फिर दिल्ली से डायरेक्ट फ्लाइट New York तक!..... और चन्दर भैया, मेरे आने तक गाडी चलना सीख लेना!" मैंने कहा|   

"मुझे लगा तुमलोग पहले बैंगलोर जाओगे?" पिताजी बोले|

"जी पर फिर वहाँ से वापस मुंबई आना पड़ता, इससे अच्छा है की डायरेक्ट ही चले जाते हैं| मैंने कहा और इतने में हमें बाहर से टैक्सी का हॉर्न सुनाई दिया| चन्दर भय सारा समान टैक्सी में रखने लगे और इधर हमदोनों सब के पाँव छू कर आशीर्वाद लेने लगे| माँ बहुत ज्यादा भावुक हो गईं थीं; "माँ...बस कुछ महीनों की बात है, हम नेहा के जन्मदिन पर आ जायेंगे!" मैंने कहा तो माँ खुश हो गईं| सबसे मिलने के बाद अनु ने नेहा को आखरी दफा गोद में लिया और उसे अपने सीने से लगा कर रो पड़ी| भाभी ने अनु को संभाला और उसे चुप कराया| इधर मैं हाथ बांधे नेहा को गले लगाने का इंतजार कर रहा था, बुझे मन से अनु ने नेहा को मुझे दिया| नेहा को गोद में लेते ही मुझे वो रात याद आई जब मैंने उसे पहलीबार गोद में लिया था| मेरे आँसू बह निकले और मैंने नेहा को कस कर अपने सीने से लगा लिया, मेरी तेज धड़कनें सुन नेहा रो पड़ी शायद उसे भी एहसास हो गया था की मैं जा रहा हूँ! मैंने नेहा को गोद में ले कर घूमना शुरू कर दिया और घुमते-घुमते मैं 50 कदम दूर आ गया| मैंने टैक्सी वाले को उसका मीटर चालु करने को कह दिया था ताकि उसका नुक्सान ना हो! इधर मैंने नेहा से बात करना शुरू कर दिया ताकि वो चुप हो जाए और हुआ भी यही, नेहा चुप हो गई और मेरी छाती से लग कर सो गई| आधे घंटे तक मैं उसे लेकर ऐसे घूमता रहा और उधर सबने मुझे संभालने की जिम्मेदारी अनु को दे दी; "बहु...देख मानु बहुत भावुक है! नेहा से उसका मोह कहीं उसे….तू तो जानती ही है... वो जब उदास होता है तो खाना-पीना छोड़ देता है!" माँ अपनी चिंता जताते हुए बोलीं|

"आप चिंता न करो माँ, मैं 'इनका' बहुत अच्छे से ख्याल रखूँगी!" अनु बोली और तब तक मैं भी नेहा को गोद में लिए वापस आ गया| भाभी ने नेहा को गोद में लेना चाहा पर नही ने अपने एक हाथ से मेरी शर्ट और दूसरे से मेरी ऊँगली पकड़ रखी थी| मेरा मन नहीं हुआ उसके हाथ से खुद को छुड़ाने का, इसलिए भाभी ने ही उसके हाथ से मेरी शर्ट और ऊँगली छुड़ाई| नेहा जागने के लिए थोड़ा कुनमुनाई, तो मैंने उसके माथे को एक बार चूमा और नेहा के मुँह पर प्यारी सी मुस्कान आ गई| इसी मुस्कान को आँखों में बसाये मैं जाना चाहता था| अनु और मैं सब को नमस्ते की और गाडी में बैठ गए| कुछ दूर गए होंगे की दोनों की आँखें फिर से बहने लगीं| मैं अपना रोना तो बर्दास्त कर सकता था पर अपनी पत्नी का रोना नहीं| मैंने अनु के आँसूँ पोछे और इधर-उधर की बातें शुरू कर दीं ताकि उसका मन हल्का हो जाए| अनु समझ गई और मेरी बातों को आगे बढ़ाती रही| हम बस स्तब्ध पहुँचे और वहाँ से हमें दिल्ली के लिए Volvo मिली! Volvo में बैठते ही अनु बोली; "आपके साथ ट्रैन की यत्र कर ली, प्लेन की यात्रा कर ली, बाइक यात्रा और कार यात्रा भी कर ली एक बस यात्रा बची थी वो भी आज पूरी हो गई!"

"बेबी बस एक cruise ship की यात्रा रह गई!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा| बस चली और कुछ देर बाद नेहा को याद कर मेरी आँखें फिर से नम हो गईं, अनु ने अपना फ़ोन निकाला और भाभी को वीडियो कॉल की| भाभी ने नेहा को गोद में बिठा कर कैमरा उसकी तरफ कर दिया और इधर अनु ने मेरा ध्यान अपने फ़ोन की तरफ खींचा| नेहा को देखते ही दिल खुश हो गया, मैंने हाथ हिला कर नेहा को बुलाया, मुझे फ़ोन पर देखते ही वो खुश हो गई और अपने छोटे-छोटे हाथों को मेरी तरफ बढ़ा दिया जैसे कह रही हो की पापा मुझे गोदी ले लो! ये देखते ही दिल रोने लगा क्योंकि आज मैं छह कर भी उसे गोद में नहीं ले सकता था| अनु ने मेरा बयां हाथ कस कर दबा दिया और मुझे रोने से बचा लिया| कुछ देर ऐसे ही नेहा से बात की और मन कुछ हल्का हो गया| कॉल के बाद मैंने अनु को थैंक यू कहा तो अनु मुस्कुराने लगी|


हम अगले दिन सुबह 6 बजे दिल्ली पहुँचे और वहाँ से टैक्सी कर एयरपोर्ट पहुँचे| वहीँ पर हम दोनों बारी-बारी से फ्रेश हुए और फिर फ्लाइट ले कर नई यॉर्क पहुँचे| चूँकि हमें कनेक्टिंग फ्लाइट मिली थी तो इतनी travelling से बैंड बजना तो तय था| पूरे रास्ते मैंने खुद को अच्छे से संभाला हुआ था, क्योंकि मुझे रोता हुआ देख अनु को भी वैसे ही दुःख होता जैसा उसे रोता हुआ देख मुझे होता था| मैंने खुद को बिजी रखने के लिए काम में लगा दिया और अपनी बेटी की जुदाई के दर्द को दबाना शुरू कर दिया| होटल पहुँच कर अनु सो गई पर मैं Presentation चेक करने में बिजी हो गया| मीटिंग कल सुबह थी और मैं कुछ भी खराब नहीं करना चाहता था| सुबह जब अनु उठी तो मुझे ऐसे काम करते हुए देख वो नाराज हो गई; "आप सोये नहीं? मुझे तो लेटते ही नींद आ गई और सीधा अभी उठी! बीमार होगये तो?" अनु ने चिंता जताते हुए कहा|

"यार अपने हनीमून पर कोई बीमार होता है?" मैंने मुस्कुरा कर कहा| "Actually कुछ चीजें edit करनी थीं और मैं एक बार साड़ी प्रेजेंटेशन को go though करना चाहता था, you know to be on a safe side!" मैंने कहा और तैयार होने चला गया| अनु ने आज साडी पहनी थी और मैंने बिज़नेस सूट! साडी में अनु कमाल की लग रही थी; "Are you sure हम प्रेजेंटेशन देने जा रहे हैं?" मैंने अनु की तारीफ करते हुए कहा जिसे सुन उसके गाल लाल हो गए|


मैं उम्मीद कर रहा था की हमारी मुलाक़ात मर्दों से होगी पर यहाँ तो साड़ी ladies बैठी थीं| अनु को साडी में देख उनमें से एक ने पूछ लिया; "Ms. Anu we were expecting you to be wearing a business suit, not a typical Indian dress!” पहली औरत ने कटाक्ष करते हुए कहा| 

“Oh… its not just a dress! It represents our culture, if wearing business suit is your culture then in our country a woman after marriage wears these…and by the way its called a Saree!” अनु ने दो तुक जवाब दिया जिसे सुन मुझे लगा की गया ये कॉन्ट्रैक्ट हाथ से| पर तभी दूसरी औरत पूछने लगी; "How long have you been married?” इससे पहले अनु कुछ और बोल कर बात बिगड़ती मैंने जवाब दिया; "1 month”.

“You should be on your honeymoon, what are you doing here?” पहली वाली औरत ने हम दोनों को छेड़ते हुए कहा|

“Well my husband’s a very hardworking guy, he worked his butt off to arrange this meeting and I’m not letting him down by nagging about a honeymoon. We’ve our whole life for honeymoon?!” अनु ने फ़टाक से जवाब दिया जिसे सुन वो औरत चुप हो गई| साफ़ जाहिर था की हमें यहाँ प्रेजेंटेशन देनी ही नहीं है, क्योंकि अनु जी की बात सुन कर यहाँ से खाली हाथ ही निकलना पड़ेगा| मैंने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और दरवाजे की तरफ देखने लगा| मैंने सोचा की इससे पहले ये सिक्योरिटी को बुलाएं और हमें धक्के मार कर निकालें बेहतर है की खुद ही निकलते हैं| पर वहाँ काफी देर से चुप बैठीं तीसरी मैडम बोलीं; "Where do you think you’re going mister? We’re waiting for your presentation!” उनका नाम जेनी था और उनकी बात सुन कर मुझे उम्मीद की किरण दिखाई दी और मैंने आगे बढ़ते हुए प्रेजेंटेशन शुरू की, Facts अनु ने संभाले तो Figures मैं संभाल रहा था| वो तीनों हम दोनों की coordination देख कर काफी प्रभावित हुए; "Look Mr. Manu you guys lack in one field, and that’s experience! One year is not sufficient to work with us!” जेनी बोलीं| "Its better than having no experience! We just want a chance, if you like our work then give us the contract if not we won’t complain!” मैंने पूरे आत्मविश्वास से कहा जो जेनी को भा गया, उसने बिना किसी के पूछे ही हमें 1 क्वार्टर का काम ऑफर कर दिया! ये सुन कर मैं और अनु दोनों मुस्कुरा दिए और बाकी के दो मैनेजर चुप बैठे रहे| जेनी उठ के मेरे पास आईं और हमने हैंडशेक किया अब उन दोनों को भी उठ के आना पड़ा और एक फॉर्मल हैंडशेक हुआ| हम दोनों ही मुस्कुराते हुए बाहर आये और कॉन्ट्रैक्ट पाने की ख़ुशी हमारे चेहरे से साफ़ झलक रही थी| हालाँकि अनु उम्मीद कर रही थी की मैं उसे उसके attitude के लिए कुछ कहूँगा पर मैंने उसे एक शब्द भी नहीं कहा| "बेबी आपने जो कहा वो बिलकुल सही था, हमें कहीं भी dress code mention नहीं किया गया था| अब उन दोनों को आपका साडी पहनना अच्छा नहीं लगा तो वो दोनों जाएँ चूल्हे में!" मैंने कहा तो अनु हँस पड़ी! अगले 4-5 दिन हमें वहीँ रुकना था ताकि हम कुछ डाटा कलेक्ट कर सकें, काम खत्म होने के बाद अनु को लगा हम वापस जायेंगे पर जब मैंने अनु को बाकी का प्लान बताया तो वो ख़ुशी से चीख पड़ी| "हम हनीमून के लिए Vegas जा रहे हैं!" ये वो प्लान था जो मैंने अनु से छुपाया था| Vegas का नाम सुनते ही अनु झूम उठी और उसने फ़ौरन ऑफिस फ़ोन कर के अक्कू को हड़का दिया; "बेटा हमारे आने तक तुम लोगों ने अगर काम शुरू नहीं किया ना तो तुम सब की बत्ती लगा दूँगी!" अनु की बात सुन सब की एक साथ फ़ट गई और सारे अपने-अपने काम में लग गए| इधर अनु की बात सुन कर मैं खूब हँसा जो अक्कू ने भी सुनी!   


  कुछ देर बाद आकाश ने मुझे मैसेज कर के पुछा की Mam क्यों गुस्सा हैं तो मैंने उसे ये ही कहा की वो गुस्से में नहीं बल्कि excited हैं, क्योंकि हमें एक क्वार्टर के लिए प्रोजेक्ट मिल गया है! खेर मैं और अनु Vegas के लिए निकले और पूरे रास्ते अनु बहुत जोश में थी और बहुत खुश भी! वहाँ मैंने पहले से ही रिजर्वेशन कर दी थी जो अनु के लिए दूसरा सरप्राइज था! पहली रात थी और अनु खूब जोश में थी, एक सरप्राइज उसने भी खरीद लिया था| मैं लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था की अनु लॉन्जरी पहन कर इठला कर मेरे पास आई, मैंने फ़ौरन लैपटॉप बंद कर दियाऔर बिना पलकें झपकाए उसे देखने लगा| 


[Image: smrocco-2999-4509451-1.jpg]

लाल रंग की इस लॉन्जरी में अनु के जिस्म का एक-एक हिस्सा कातिलाना लग रहा था| जाली से कपडे में से मुझे अनु का दूधिया जिस्म साफ़ दिख रहा था| मैं उठ कर खड़ा हुआ और अनु को गोद में उठा लिया और उसे बिस्तर के बीचों-बीच लिटा दिया| अनु ने अपनी बाहों का हार मेरे गले में डाल दिया और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी| मैंने भी झुक कर अनु के होठों को अपने होठों में कैद कर लिया और उनका रस निचोड़ने लगा| इधर अनु की कूदती हुई जीभ मेरे मुँह में प्रवेश कर गई जिसे मेरे दाँतों ने दबोच लिया| हम दोनों अभी Kiss में ही डूबे थे की भाभी का video call आ गया| इस विघ्न से पहले तो दोनों को बहुत चिढ हुई पर फिर इस आस से की कहीं नेहा को हमसे कोई बात करनी हो अनु ने कॉल उठा लिया| अनु ने मुझे उसके ऊपर से हटने को कहा पर मैं कहाँ मानने वाला था| अनु ने फ़ोन कुछ इस तरह से पकड़ा की सिर्फ वही दिखे, पर ये कॉल भाभी ने ऐसे ही किया था, जैसे ही उन्होंने पुछा की मानु कहाँ है मैं एक दम से सामने आ गया जिससे भाभी को ये पता चल गया की हम दोनों 'प्यार' कर रहे थे| "भाभी हमेशा गलत टाइम पर कॉल करते हो!" मैंने मजाक करते हुए कहा तो भाभी शर्मा गईं और अनु का भी यही हाल था| उनके कॉल के बाद अनु बोली; "सच्ची आप न ....बड़े वो हो!" मैंने उसे सताने की सोची और एकदम से उठ गया मानो जैसे मैंने उसकी बात का बुरा माना हो| मैं उठ कर काउच पर बैठ गया, अनु डरी सहमी सी आई और बोली; "सॉरी!" उसके डरने से मुझे बहुत हँसी आ रही थी, मैं उठ कर खड़ा हुआ और बाहर जाने लगा तो अनु ने मेरा हाथ पकड़ लिया; "सॉरी!" मैं एक दम से पलटा और उसे गोद में उठा लिया| तब जाकर उसे ये एहसास हुआ की मैं बस उससे मजाक कर रहा था| हम दोनों फिर से बिस्तर पर लेटे एक दूसरे के होठों से खेल रहे थे| अनु और मैं दोनों एकदम से गर्म हो गए थे, एक-एक कर हमने कपड़े उतार फेंके और अनु ने मुझे खुद से चिपका लिया, उसकी दोनों टांगें मेरी कमर पर लोच हो गईं थीं| मेरा खड़ा लंड अनु की पनियाई बुर पर दस्तक दे रहा था| अनु ने अपना हाथ नीचे ले जा कर आज पहली बार मेरा लंड छुआ और उसे अपनी बुर के द्वार पर रखा| अनु के मुलायम हाथों के एहसास ने ही मेरे लंड से pre-cum की बूँद टपका दी थी! मैंने धीरे से लंड को अंदर दबाया और आज भी मुझे उतनी ही ताक़त लगानी पड़ी जितनी सुहागरात में लगानी पड़ी थी| "ससससस....आह्ह!!!" अनु ने सिसकारी ली और लंड फिसलता हुआ पूरा अंदर समा गया| अनु की बुर भट्टी की तरह गर्म थी और मेरे लंड के लिए ये गर्मी झेलना मुश्किल था| इसलिए मैंने अपने लंड को तेजी से अंदर-बाहर करना शुरू किया, अनु को 5 मिनट नहीं लगे और उसने ढेर सारा पानी बाहा दिया जिससे उसकी बुर की गर्मी कुछ कम हुई| घर्षण कम होने की वजह से मुझे आधा घंटा ही मिला खुद को रोके रखने का और फिर मैं और अनु दोनों एक साथ स्खलित हुए! मैं लुढ़क कर अनु की बगल में लेट गया, अनु कुछ देर सीढ़ी लेटी रही और फिर करवट ले कर मुझसे चिपक कर सो गई|


हम वेगास में 7 दिन रुके और हर रात हमने जी भर के सेक्स किया, जिसके परिणाम स्वरुप अनु अब सेक्स में खुल गई थी| जिस दिन हमें वापस इंडिया आना था उस दिन हम एयरपोर्ट जल्दी पहुँच गए, अनु ने हमेशा की तरह आज भी साडी पहनी हुई थी| वो कॉफ़ी लेने काउंटर पर गई और मैं लैपटॉप पर काम करने लगा की एक आदमी जो बात करने के अंदाज से मुझे ऑस्ट्रेलियाई लगा वो अनु से बात करने लगा| जब 5 मिनट तक नौ नहीं आई तो मैंने उसे बैठे-बैठे ढूँढना शुरू किया तो पाया वो उस आदमी से बात कर रही है| अनु लग ही इतनी सुंदर रही थी की वो आदमी उससे बात करने लगा| इधर ये देख कर मेरी जलने लगी और जब अनु ने मेरी तरफ देखा तो मुझे और जलाने के लिए उसने उससे और बातें शुरू कर दीं| अब मुझे भी अनु को दिखाना था की मैं भी कुछ कम नहीं तो मैंने अपना ब्लेजर पहना, बालों को हाथों से सही किया और सनग्लास पहन कर बैठ गया| कुछ दूर एक सुंदर लड़की बैठी थी जो कॉफ़ी पीते हुए सब को देख रही थी| उसके हाथ में फ़ोन था और वो चार्जर कनेक्ट करने का पॉइंट देख रही थी| मैंने हाथ के इशारे से उसे बताया की चार्जिंग पॉइंट मेरे नजदीक है तो वो मुस्कुरा कर मेरे पास आई| फिर उसने मुझे थैंक्स बोलै और मैंने उससे बातें करना शुरू कर दिया| उस लड़की ने शॉर्ट्स पहनी थीं और उसकी लम्बी मखमली गोरी टांगें बहुत सेक्सी लग रही थीं| वो मेरी ही बगल में बैठ कर बातें करने लगी, उसे देखते ही अनु जल भून कर राख हो गई और उस आदमी को बोली; "My husband's waiting for me!" इतना बोल कर वो तेजी से मेरे पास आई और हाथ अपनी कमर पर रख कर गुस्से से मुझे देखने लगी| "Oh....meet my beautiful wife Anu!” मैंने हँसते हुए कहा तो वो लड़की अनु को देखती ही रह गई! जब उसने अनु से बात शुरू की तो पता चला की वो Lesbian है और उसे अनु बहुत पसंद आई! ये सुन कर अनु की हँसी रोके नहीं रुक रही थी! वो दहाड़े मार के हँसने लगी और मैं शर्म से लाल हो गया| इस तरह हँसते हुए हम दिल्ली पहुँचे और वहाँ से बैंगलोर!


बैंगलोर पहुँचते ही मैं सीधा ऑफिस आया, अनु को घर पर कुछ काम था इसलिए वो वहीं रुक गई| ऑफिस आ कर देखा तो वहाँ का हाल एकदम बिगड़ा हुआ था! साफ़-सफाई तो छोडो तीनों ने कोई काम-धाम ही नहीं किया था! जब मैंने काम की अपडेट माँगी तो तीनों ने आधा-अधूरा काम दिखा दिया| “What the hell’s going on here? I trusted you guys here and you’ve been wasting your time! Call your home/hostels and tell them you’re not going back until you wrap all this!” मैंने तीनों को अपना फरमान सुना दिया| इधर अनु का फ़ोन आया तो मैंने उसे सब बताया और वो बहुत नाराज हुई| शाम को वो सब का खाना ले कर आई और तब तक ना मैंने कुछ खाया था ना उन तीनों ने! "दरअसल ये गलती मेरी है! मैंने इन लोगों को सर पर चढ़ा रखा है!" अनु गुस्से में बोली| तीनों जानते थे की हम दोनों जितना एम्प्लाइज का ध्यान रखते थे उतना कोई नहीं रखता था और हमें दोनों को गुस्सा दिला कर तीनों ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी| तीनों ने हमें आ कर सॉरी बोला और प्रॉमिस किया की आगे से वो ऐसी लापरवाही नहीं करेंगे| आखिर अनु ने सब को खाना परोसा और खाना खा कर हम पाँचों काम में लग गए| रात 11 बजे तक बैठ कर सारा काम निपटा, अगले दिन की छुट्टी अनु ने दे दी! "कल रात सात बजे तुम तीनों रेडी रहना!" अनु बोली तो तीनों को लगा की कल रात को भी काम करना होगा| "बेवकूफों! शादी में तो आया नहीं गया तुमसे अब रिसेप्शन की पार्टी चाहिए या नहीं?" अनु ने हँसते हुए कहा तो तीनों की जान में जान आई| तीनों को हमने XL वाली कैब से ड्राप किया और फिर 1 बजे घर पहुँचे| घर पर मेरे लिए एक सरप्राइज वेट कर रहा था, जैसे ही मैं कमरे में घुसा तो वहाँ का नजारा देख मैं दंग रह गया! सारे कमरे में अनु ने नेहा और हमारी फोटो चिपका दी थी! ऐसा लगता था मानो पूरे कमरे में नेहा ही छाई हो! आज इतने दिनों बाद मुझे नेहा का एहसास हुआ तो मेरी आँखें नम हो गईं| "Hey... ये माने आपको रुलाने के लिए नहीं किया! ये इसलिए किया ताकि जो दर्द आप अपने अंदर छुपाये रहते हो उसे खत्म कर सकूँ!" अनु बोली| मैंने अनु को कस कर गले लगा लिया और उसे थैंक यू कहा!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
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