Free Sex Kahani काला इश्क़!
01-10-2020, 12:53 PM,
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
फिर उन्होंने सवाल अनु से सवाल पुछा; "तू पहले ये बता की मानु चाय की ट्रे ले कर क्यों खड़ा है?" अनु कुछ बोल पाती उससे पहले मैं ही उसके बचाव में कूद पड़ा; "डैडी जी ये तो रोज का हैमैं जल्दी उठ जाता हूँ तो सब के लिए चाय बना लेता हूँ|" मेरा जवाब सुन ताऊ जी बोले; "समधी जीये छोटे-मोटे काम करने के लिए हमने इसे (यानी मुझेरखा हुआ है|" ताऊ जी की बात सुन सारे हँस पड़ेमम्मी-डैडी जी को दरअसल शाम को वापस जान था इसलिए वो जल्दी आये थेपर ताऊ जी कहाँ मानने वाले थे उन्होंने जबरदस्ती उन्हें भी शाम के जश्न में शरीक होने के लिए रोक लिया| शाम को बड़ी जोरदार पार्टी हुई और पूरा गाँव पार्टी में हिस्सा लेने आयारात के 8 बजे थे और अँधेरा हो गया थासारे आदमी लोग ऊपर छत पर थे और सभी औरतें नीचे आंगन मेंखाना-पीना जारी था की तभी घर के सामने रितिका की काली Mercedes  कर रुकी|
उसकी गाडी देखते ही मैं तमतमाता हुआ नीचे आया, वो गाडी से अकेली उतरी काली रंग की शिफॉन की साडी, लो कट ब्लाउज जो देख कर ही लगा रहा था की बहुत टाइट है, स्लीवलेस और वही कमीनी हँसी! अब सारे घर वाले नीचे मेरे साथ खड़े हो गए थे| वो कुछ बोलती उसके पहले ही मैं चिल्लाते हुए बोला; "Get the fuck out of here!" मेरे गुस्से से आज भी उसे डर लगता था इसलिए वो एक पल को सहम गई, फिर हिम्मत बटोरते हुए बोली; "मैं तो तुम्हें wish करने आई थी!"
"Fuck you and fuck your wishes! Now get lost or I'll call the cops!" मैंने फिर से गरजते हुए कहावो अकड़ कर गाडी में बैठ गई और चली गईसब का मूड खराब ना हो इसलिए मैंने संकेत को इशारा कर के म्यूजिक चालू करने को कहा और फिर सब को ले कर अंदर  गया
 "सब चलिए ऊपर...अभी तो पार्टी शुरू हुई है!" मैंने बात पलटते हुए कहा और सब ऊपर  गए पर सब का मूड ऑफ था! ये मायूसी देख मेरे मुँह से ये शब्द निकले;


"ना जाने वक्त खफा है या खुदा नाराज है हमसे,
दम तोड़ देती है हर खुशी मेरे घर तक आते-आते।"


ये सुनते ही ताऊ जी उठे और संकेत से बोले; "अरे बेटा जरा मेरा वाला गाना तो लगा..." मैं हैरानी से ताऊ जी को देखने लगा और तभी गाना बजा; "दर्द-ऐ-दिल ....दर्द-ऐ-जिगर दिल में जगाया आपने|" ताऊ जी ने ताई जी की तरफ इशारा करते हुए गाना शुरू किया| उनका गाना सुन पार्टी में जान आ गई और सब खुश हो गए| इधर ताई जी शर्म के मारे लाल हो गईं अब तो पिताजी भी जोश में आ गए और उन्होंने गाने का अगला आन्तरा संभाला;


"कब कहाँ सब खो गयी
जितनी भी थी परछाईयाँ
उठ गयी यारों की महफ़िल
हो गयी तन्हाईयाँ"


अब शर्म से लाल होने की बारी माँ की थी, माँ तो ताई जी के पीछे छुप गईं| इधर डैडी जी ने संकेत से गाना बदलवाया जिसे सुन सारे जोश में आ गए, आदमियों की एक टीम बन गई और औरतों की एक टीम|
'ऐ मेरी जोहराजबीं' ओये होये होये !!! क्या महफ़िल जमी छत पर की अंताक्षरी शुरू हो गई| मर्द गा रहे थे और औरतें शर्मा रहीं थी, सब को उनकी जवानी के दिन याद आ गए| इस सब का थोड़ा बहुत श्रेय शराब को भी जाता है जिस ने समां बाँधा था और सब मर्द थोड़ा झूम उठे थे| तभी अनु उठ के जाने लगी तो मैंने गाना शुरू किया; "आज जाने की जिद्द न करो!" मेरा गाना सुन वो वहीं ठहर गई, घूंघट के नीचे उसके गाल लाल हो गए थे और भाभी उसका हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा लिया| रात दस बजे तक महफ़िल चली और फिर सब धीरे-धीरे जाने लगे| आखिर बस परिवार के लोग रह गए, ताऊ जी ने मुझे अपने पास बुलाया और बोले; "बेटा दुबारा उदास मत होना!" मैंने सर हाँ में हिला कर उनकी बात मानी| आज एक बार रितिका को हार मिली थी....वो आई तो थी यहाँ मेरा बर्थडे और अनु के माँ बनने की ख़ुशी को नजर लगाने पर आज उसे एक बार मुँह की खानी पड़ी थी| उसकी लाख कोशिशों के बाद भी मेरा परिवार नहीं टूटा बल्कि ताऊ जी की वजह से वो एक साथ खड़ा रहा| रात को सारे मर्द छत पर सोये थे और तब ताऊ जी ने डैडी जी से साड़ी बात कही जिसे सुन वो बहुत हैरान हुए और मुझे डाँटा भी की मैंने उन्हें क्यों कुछ नहीं बताया, पर काम के चलते मुझे होश ही नहीं रहा था| अगली सुबह को मम्मी-डैडी अयोध्या चले गए, उन्हें वहाँ मंदिर में माथा टेकना था|
डैडी जी के जाने के बाद अनु मेरे पास आई और मुझसे बोली; "आपको लगता है की वो वाक़ई में wish करने आई थी?"



"वो यहाँ सिर्फ हमारी खुशियों को नजर लगाने आई थी! अपना रुपया-पैसा और ऐशों-आराम की झलक दिखाने आई थी! इतनी मुश्किल से ये परिवार सम्भल रहा था और वो ...." मेरे मुँह से गाली निकलने वाली थी सो मैंने खुद को रोक लिया और आगे बात पूरी नहीं की| खेर दिन बीतने लगे और हमदोनों बैंगलोर वापस नहीं गए| जाते भी कैसे? यहाँ कोई नहीं था जो घर संभाल सके और भाभी का ख्याल रख सके| "बेटा काम भी जर्रूरी होता है, तुम दोनों जाओ और काम सम्भालो हम सब हैं यहाँ!" ताऊ जी बोले पर अनु ने साफ़ मना कर दिया; "ताऊ जी, भाभी की देखभाल जर्रूरी है और मेरे न होने से यहाँ घर का काम कौन देखेगा? आखिर माँ, ताई जी और भाभी को ही काम करना पड़ेगा और ये मुझे कतई गवारा नहीं|" अनु बोली|



"ताऊ जी, अनु ठीक कह रही है| मैं वैसे भी लखनऊ में घर और ऑफिस की जगह देख रहा हूँ तो हम दोनों का ही यहाँ रहना जर्रूरी है|" मैंने कहा, ताऊ जी ने मेरी पीठ थपथपाई और बोले; "मुझे मेरे बच्चों पर नाज है!"



चूँकि अनु भी प्रेग्नेंट थी और उसे ही ज्यादा काम करना पड़ता था इसलिए मैंने घर के लिए एक वाशिंग मशीन ले ली, जिससे अनु का काम काफी कम हो गया|


दिन बीतने लगे और भाभी का नौवाँ महीना शुरू हो गया और अनु ने भाभी का बहुत ख्याल रखना शुरू कर दिया| भाभी का लगाव भी अनु से बहुत ज्यादा बढ़ गया था, दोनों साथ खाते और रात में अनु भाभी के पास ही सोती| ऑफिस का सारा काम मेरे ऊपर था और मैं रात-रात भर जाग कर सारा काम करने लगा था| खेती-किसानी का काम चन्दर भय ने संभाल लिया था और अब पैसे के तौर पर हालात सुधरने लगे थे| इधर दिवाली आ गई और घर की साफ़-सफाई मैंने और चन्दर भैया ने संभाली| दिवाली से 2 दिन पहले पिताजी ने घर में हवन करवाया ताकि घर में सुख-शान्ति बनी रहे| धन तेरस पर मैं माँ और ताई जी को बजार ले कर गया और उन्होंने शॉपिंग की| दिवाली के एक दिन पहले मम्मी-डैडी जी आये और वो भी बहुत तौह्फे लाये, ख़ास कर भाभी के लिए| आखिर दिवाली वाले दिन अच्छे से पूजा हुई, चूँकि शादी के बाद अनु की ये पहली दिवाली थी तो पूजा में हमें सबसे आगे बिठाया गया| पूजा के बाद सब ने अनु को उपहार में बहुत से जेवर दिए और उसे बहुत सारा आशीर्वाद मिला| अनु की आँखें उस पल नम हो गईं थीं, माँ ने उसे अपने पास बिठा कर खूब दुलार किया| दिवाली के 5 दिन बाद सुबह भाभी को लेबर पैन शुरू हो गया, मैं और अनु उन्हें ले कर तुरंत हॉस्पिटल भागे| हम समय से पहुँच गए थे और डॉक्टर ने प्राथमिक जाँच शुरू कर दी थी| इधर सभी घरवाले पहुँच गए थे, कुछ देर बाद नर्स ने हमें खुशखबरी दी; "मुबारक हो लड़का हुआ है!" ये खुशखबरी सुनते ही सब ख़ुशी से झूम उठे| ताऊ जी ने नर्स को 2,001/- दिए और सब भाभी से मिलने आये| मैं और अनु भाभी के पास खड़े थे और उनका हाल-चाल पूछ रहे थे| भाभी का दमकता हुआ चेहरा देख सब को ख़ुशी हो रही थी| सब ने बारी-बारी बच्चे को चूमा और आशीर्वाद दिया, बस हम दोनों ही बचे थे| पहले मैंने अनु को मौका दिया तो अनु ने जैसे ही बच्चे को गोद में उठाया वो रोने लगा| ये देख वो घबरा गई और तुरंत बच्चे को मेरी गोद में दे दिया| मैंने जैसे ही उसके मस्तक को चूमा वो चुप हो गया और उसके चेहरे पर मुस्कराहट की एक किरण झलकने लगी| "लो भाई, अब जब कभी मुन्ना रोयेगा तो उसे मानु को दे देना| उसकी गोद में जाते ही बच्चे चुप जाते हैं!" भाभी बोलीं|
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