RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
मेरे सूखे से बदन को देखकर वो बोले – तुम तो बहुत कमजोर हो, पता नही मुझे कैसे झेल पाओगी..
मेने झट से कह दिया – हम देखने के लिए ही कमजोर लगते हैं, शक्ति बहुत है, सारे काम कर लेते हैं..
वो हंस कर बोले – अच्छा, देखते हैं कितनी शक्ति है तुम्हारे अंदर…
उसके बाद वो मेरे नग्न शरीर को सहलाने लगे, आअहह…क्या बताऊ रंगीली, उनके हाथ का स्पर्श पाकर मेरा शरीर उत्तेजना से भरता चला गया,
मे किसी जल बिन मछलि की तरह तड़पने लगी…, मेरी टाँगों के बीच में खुजली सी होने लगी, और उन्हें मेने कसकर भींच लिया…!
वो मेरे हल्के से फूले हुए गालों को चाटने लगे, और फिर मेरे होठों का चुंबन लेकर उन्हें चूसने लगे,
वो बोले, तुम भी मेरा साथ दो चमेली, मज़ा आएगा…, तो मे भी ऐसे ही उनके होठों को चूसने लगी,
फिर उन्होने मेरे मूह में अपनी जीभ डाल दी, हाई री दैया… क्या बताऊ, जैसे ही उनकी जीभ मेरी जीभ से टकराई, अपने आप मेरी जीभ उनकी जीभ के साथ अठखेलियाँ करने लगी…
मुझे इस खेल में अजीब सा आनंद मिलने लगा…,
5 मिनिट के बाद वो नीचे की तरफ बढ़े और मेरी नीबू जैसी कच्ची चुचियों के आस-पास अपनी जीभ से चाटने लगे…
मज़े के मारे अपने आप मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी…सस्स्सिईईई….आअहह…
और मे अपने पैरो को भींचे, एडियों को बिस्तेर पर रगड़ने लगी..
फिर जैसे ही उन्होने अपने बड़े-बड़े हाथों में मेरे नीबुओं को क़ैद करके मसला.. एक मीठे दर्द की लहर मेरे बदन में दौड़ गयी…
लेकिन तू विश्वास नही करेगी रंगीली, उस दर्द में भी मुझे एक अलग ही मज़ा आ रहा था… वो जैसे –जैसे मेरे नीबुओं को मसल रहे थे, मेरी चूत से पानी सा निकलने लगा…
अब वो मेरी कच्ची चुचियों को मूह में भरकर चूसने लगे और एक हाथ मेरी चूत के उपर फिराया जो एकदम गीली हो चुकी थी…
मेरी तो साँसें ही अटकी पड़ी थी, फिर जैसे ही उन्होने मेरी चूत में अपनी एक मोटी सी उंगली डाली, मे दर्द से बिला-बिला उठी,
वो समझ गये कि मेरी चूत एकदम कोरी है, इसका उद्घाटन उंगली से करना ठीक नही है…सो वो मेरी टाँगों के बीच में आकर बैठ गये…
मे उन्हें किसी अजूबे की तरह बस देखे जा रही थी, क्योंकि उनकी एक-एक हरकत मुझे जन्नत की सैर करा रही थी, तो बीच में अपनी टाँग अड़ाकर दोनो का मज़ा क्यों खराब करती…
रंगीली, चमेली की सुहागरात के सीन में एकदम खो चुकी थी, वो इस समय चमेली की जगह अपने आप को रखकर इमेजिन कर रही थी…
फिर जैसे ही चमेली ने कहा कि उसके पति ने उसकी गीली चूत को जीब से चाटा…
रंगीली के मूह से सिसकी निकल पड़ी…सस्सिईईई…..आअहह…उसकी खुद की चूत गीली होने लगी थी…
चमेली ने उसके कंधे पकड़ कर हिलाते हुए कहा – तुझे क्या हुआ रंगीली..?
वो झेंपकर बोली – कुछ नही तू आगे सुना…
वो मेरी चूत को चाटते हुए जब उसके दाने (भज्नासा) को अपने होठों में दबाकर चूस्ते, मुझे ऐसा लगता की में बिना कुच्छ अंदर डाले ही झड़ने लगूंगी..
और हुआ भी यही, मे ज़्यादा देर तक अपने आपको नही रोक पाई, और उनके मूह में मेने अपना पानी छोड़ दिया…
हाई री रंगीली, जानती है, वो मेरा सारा चूतरस पी गये, और एक-एक बूँद को चाट लिया…मेरी तो हालत ही खराब थी, जिंदगी में पहली बार इतना पानी निकला था मेरी मुनिया से…
फिर उन्होने अपना 7” लंबा और खूब मोटा सोट जैसा कड़क लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया..., पहली बार मेने किसी मर्द का खड़ा लंड देखा था…,
मेरे तो तिर्पान काँप गये…, एक हाथ अपने मूह पर रख कर बोली – हाईए…दैयाआ….ये क्या है जी…,
वो हंस कर बोले – इसे लंड कहते हैं मेरी जान, अब ये तुम्हारी चूत के अंदर जाने वाला है
मेने डरते हुए कहा – हाई राम इसे कैसे झेल पाउन्गि, मेरी चूत तो इतनी छोटी सी है…, प्लीज़ इसे मत डालो, नही तो मे मर जाउन्गि…
उन्होने प्यार से मेरे गाल को सहलाया, और बोले – आज तक कोई मरा है, जो तुम मर जाओगी, ये अंग तो लचीले होते हैं, ज़रूरत के हिसाब से अपना आकार बना लेते हैं..
हां पहली बार थोड़ी सी तकलीफ़ तो हर किसी को होती है, पर तुम चिंता मत करो, मे बड़े प्यार से इसे अंदर कर दूँगा, अब तुम थोड़ा इसे अपने मूह में लेकर गीला करो..
मेने चोन्क्ते हुए कहा – क्याअ…?? मूह में..?? नही नही मुझसे ये नही होगा…
मेरे वो बोले – क्यों इसमें ऐसा क्या विष लगा है, मेने भी तो तुम्हारी चूत चाटी
ना.., लो नखरे मत करो, सभी लड़कियाँ इसे चुस्ती हैं, तुम्हें भी अच्छा लगेगा..
ना चाहते हुए, बुरा सा मूह बनाकर मेने उसे पहले चाटा, उसके मूह पर एक सफेद पानी की बूँद जैसी लगी थी, जो मेरे मूह में जाकर घुल गयी,
उसका कसैला सा स्वाद मुझे अच्छा लगा, और में उसे मन लगाकर चूसने लगी..
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