RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
अब मेरे दर्द भरी कराह सिसकियों में बदल गयी, मे भी अपनी गान्ड उठा-उठाकर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
जो लंड कुच्छ देर पहले मुझे 1-1 इंच लेना भारी पड़ रहा था, अब में खुद उसे ज़्यादा से ज़्यादा अंदर लेने के लिए कोशिश करने लगी…!
उनके धक्के अब लगातार तेज और तेज होते जा रहे थे, उसी ले में मेरी गान्ड भी नीचे से अपने आप उचक-उचक कर लंड लेने के लिए उछल्ने लगी…
हम दोनो पसीने से तर-बतर हो गये थे, फिर मुझे लगा जैसे मेरे अंदर से किसी ने पानी का मुहाना खोल दिया हो..
मेने अपनी टाँगें उनकी गान्ड के उपर लपेट ली, और उन्हें कस कर जकड़ते हुए मे झड़ने लगी…
कम से कम दो-तीन मिनिट तक लगातार मेरा पानी निकलता रहा, तब जाकर में शांत हुई,
आअहह… वो क्या सुख था मेरी सखी, मन कर रहा था जैसे इसी सुख में ही मेरी जान क्यों ना निकल जाए लेकिन ये लम्हा कभी ख़तम ना हो…!
उन्होने भी दो-चार तगड़े धक्के लगाए और उन्होने भी मेरी चूत की गहराइयों में अपने गाड़े-गाड़े वीर्य की धार छोड़ दी…,
हाए ही दैयाअ….ऐसा लगा जैसे किसी ने जलती भट्टी में पानी का छिड़काव कर दिया हो…
मेरी चुत की गर्मी एक दम शांत हो गयी, और मे बेसूध होकर उनकी बाहों में पड़ी रह गयी…
मुझे ये होश नही रहा कि कब वो मेरे उपर से उतरकर बगल में आ गये,
फिर उन्होने मेरी सफेद रंग की कच्छी से ही अपना लंड साफ किया जिसपर खून और मेरा कामरस लगा हुआ था…
जब वो मेरी खून और वीर्य से सराबोर चूत को साफ करने लगे, तब मुझे एक टीस सी लगी और मेने अपनी आँखें खोलकर उनकी तरफ देखा…
मेरी बगल में आकर वो फिर से मेरे बदन को सहलाने लगे.., लेकिन अब मुझे अपनी चूत में कुच्छ दर्द का आभास हो रहा था…
लेकिन जैसे-जैसे उनके हाथ मेरे बदन पर चल रहे थे, मेरे बदन में फिर एक बार सनसनी सी दौड़ने लगी…
उन्होने मेरी पतली कमर को अपने हाथों में लिया और मुझे पकड़ कर पलटा दिया, और बिस्तर पर घोड़ी की तरह घुटनों पर कर दिया…
खुद मेरी गान्ड के पीछे आ गये, उन्होने मेरी छोटी सी गान्ड को सहलाया, फिर उसे चूमा, चाटा, अपना मूह मेरी गान्ड की दरार में डाल दिया और पीछे से मेरी गान्ड और चूत को चाटने लगे…
मे अपनी चूत के दर्द को भूलकर फिर से मस्ती में भर उठी, और अपनी गान्ड मटकाते हुए अपनी चूत और गान्ड चटवाने लगी…!
कुच्छ देर चाटने के बाद उन्होने फिर अपने लंड को पीछे से मेरी चूत के छेद पर रखा, और धीरे-धीरे करके पूरा लंड जड़ तक अंदर डाल दिया…
मे एक बार फिर दर्द से कराह उठी, लेकिन अब पहले जैसा दर्द नही हुआ, कुच्छ देर वो पूरा अंदर करके यूँही ठहरे रहे, और फिर धीरे-2 धक्के लगाने शुरू कर दिए…
कुच्छ ही धक्कों के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा, और मे भी अपनी गान्ड पटक-पटक कर उनके लंड को लेने लगी…!
मीज-मीज कर उन्होने मेरी छोटी सी चुचियों को लाल कर दिया था, लेकिन मुझे दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आ रहा था…
उस दिन के बाद से दो महीने तक वो रहे, हम दोनो सारी-सारी रात भरपूर चुदाई का मज़ा उठाते रहे,
उन्हें पीछे से चोदने में ही ज़यादा मज़ा आता था, उसी का परिणाम तू देख मेरी गान्ड और चुचियाँ कैसी हो गयी हैं…
सच कहूँ रंगीली, इस दुनिया में किसी औरत के लिए अगर कोई परम सुख है, तो वो एक भरपूर मर्द के मोटे तगड़े लंड से चुदने में है…!
उनके चले जाने के बहुत दिनो तक मेरी चूत की खुजली रात-रात भर मुझे सोने नही देती थी, जैसे-तैसे मन मसोस कर दिन गुज़ारे मेने,
फिर एक दिन मेने चुपके से एक चिट्ठी उनको लिख ही दी, वो एक हफ्ते की छुट्टी लेकर आगये… और उस एक हफ्ते, मेने उन्हें सोने ही नही दिया…!
चमेली की चुदाई की दास्तान सुनकर रंगीली की मुनिया गरम होकर लगातार रस बहाती रही, फिर जब चमेली अपने घर चली गयी,
वो दौड़कर नाली पर पहुँची और अपना घाघरा उठाकर देखा, उसकी दोनो जांघें उसके कामरस से चिपचिपा रही थी..
चमेली की बातें याद करके रंगीली फिर से दुख के सागर में डूब गयी… वो सोचने लगी कि काश ! उसका पति भी उसे ऐसे ही सुख दे पाता…!
बहरहाल चमेली और गाओं की दूसरी सखी सहेलियों से बात-चीत करके रंगीली का समय पास हो रहा था, लेकिन वो अब रात के सुनेपन से बुरी तरह जूझ रही थी..
जबसे उसने चमेली और दूसरी लड़कियों से उनके रति सुख के बारे में सुना था, तबसे वो तिल-तिल अपने जिस्म की आग में झुलस रही थी…!
लाला जी के साथ हुई सफाई के दौरान की छेड़-छाड़ को याद करके वो अप्रत्याशित रूप से गरम हो जाती,
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