RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
इसी डर में डूबी अब वो लाला की प्रतिक्रिया जानने का इंतेज़ार कर रही थी, उसे पूरा विश्वास था, कि अब लाला अपना असली रूप ज़रूर दिखाएगा..…!
लेकिन इसके ठीक उलट लाला उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गये, और हाथ जोड़कर बोले –
तो फिर तुम्ही बताओ, कैसे यकीन दिलाएँ कि हम तुम्हें सच्चे दिल से पाना चाहते हैं…, मानता हूँ कि मे हवस का पुजारी हूँ, लेकिन तुम्हारे लिए वोही हवस दीवानगी का रूप ले चुकी है..
चाहो तो हम स्टंप पेपर पर लिख कर दे सकते हैं, हम तुम्हें हमेशा यूँ ही प्यार करते रहेंगे…, जैसे तुम रहना चाहोगी वैसे रखेंगे…!
रंगीली को लाला से ऐसे व्यवहार की बिल्कुल अपेक्षा नही थी, वो समझ गयी, कि सेठ धरमदास उसे सच्चे दिल से पाना चाहते हैं,
और फिर वो भी तो कहीं ना कहीं यही चाहती है.., क्षण मात्र के लिए ही सही, उसके मन में भी तो ये ख़याल आया ही था…
सो हाथ जोड़कर बोली – बस कीजिए मालिक भगवान के लिए आप खड़े हो जाइए, हमें आप की बात मंजूर हैं…!
उसके मूह से ये शब्द सुनते ही लाला खड़े हो गये, और लपक कर उसके कंधे पकड़कर बोले – तुम्हारे मूह से ये शब्द सुनने के लिए हमारे कान तरस गये थे रंगीली, तुम नही जानती आज हम कितने खुश हैं..
रंगीली ने उनके सीने पर अपने हाथ का दबाब देकर अपने से अलग करते हुए कहा – लेकिन हमारी भी कुच्छ बातें आपको माननी पड़ेंगी…!
लाला तपाक से बोले – तुम जो कहोगी वैसा ही होगा, बोलो क्या चाहती हो हमसे…?
रंगीली – हमारे दोनो परिवारों के बही-खाते आपको जलाने होंगे, और वादा करना होगा कि आज के बाद कभी उनसे क़र्ज़ बसूली नही करेंगे…,
और मुझे जो काम अच्छा लगेगा वही करूँगी…, मेरे घर में जब मेरी ज़रूरत होगी कोई रोक-टोक नही होगी…
लाला ने लपक कर उसे अपने सीने से लगा लिया, और बोले – हम पहले ही कह चुके हैं, जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा, हम तुम्हारे सामने वो सब बही खाते जला देंगे…
रंगीली – फिर ठीक है, अभी आप हमें छोड़िए, और यहाँ से जाइए, जन्माष्टमी करके हम अपनी ससुराल लौट जाएँगे… तब तक आपको हमारा इंतेज़ार करना पड़ेगा…
लाला – तुमने हां कर दी, हमारे लिए यही बहुत है, अब हम तुम्हारा बेसब्री से अपनी हवेली पर इंतेज़ार करेंगे…
इतना कहकर लाला कोठे से बाहर निकल गये…, और रंगीली कुच्छ देर वहीं खड़ी आनेवाले समय के बारे में सोचती रही…, लेकिन अब उसे किसी बात की कोई ग्लानि नही थी…!
उसके लिए ये घाटे का सौदा नही था, एक तरफ तो वो अपने जिस्म की अंबूझी प्यास से जूझ रही थी उससे निजात मिल सकती थी, दूसरे उसके दोनो परिवार उसके इस बलिदान से सुख से जीवन व्यतीत कर सकेंगे…!
उसके दिलो-दिमाग़ ने उसके द्वारा लिए गये इस फ़ैसले को सही ठहराया, उसने अब इसके लिए अपना मन पक्का कर लिया था,
अपने इस निर्णय से वो पूरी तरह संतुष्ट होकर खुशी खुशी अपने घर के कामों में लग गयी……….!
इसी बीच रंगीली की आँखों के सामने एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसके कारण उसे अपने निर्णय को और बल मिल गया…,
एक दिन वो सुबह ही सुबह अपने जानवरों को चारा डालने अपने घेर की तरफ जा रही थी, भोर का हल्का सा अंधेरा अभी वाकी था…
उसके घेर से पहले पारो चाची का घेर था, जिसमें जानवरों के भूसा रखने के लिए एक छोटी सी कोठरी बनी हुई थी, जिसका एक रोशनदान रास्ते की तरफ था…!
जैसे ही रंगीली उनके उस कोठे के बराबर से गुज़री, अंदर से कुच्छ अजीब सी आवाज़ों को सुनकर उसके पैर ठिठक गये…!
ध्यान से सुनने पर पता लगा कि अंदर से एक मर्द और औरत की बात-चीत की आवाज़ें आ रही थी..
उसने सोचा पारो चाची और चाचा कुच्छ काम कर रहे होंगे, ये सोचकर वो जैसे ही आगे बढ़ी….
आअहह….जेठ जी, और ज़ोर से पेलो…, फाड़ डालो मेरी चूत को, आपके भाई से तो कुच्छ नही हो पाता…!
पारो चाची की ऐसी कामुक आहें सुनकर वो भोंचक्की सी रह गयी, और अंदर का नज़ारा देखने की तीव्र इच्छा उसके मन में जाग उठी…
उसने फ़ौरन उचक कर रोशनदान को पकड़ा और अंदर झाँक कर देखा, अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें फटी रह गयी,
पारो चाची अपना लहंगा उठाए घोड़ी बनी हुई थी और उनके जेठ पीछे से ढकधक उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे…
जेठ – ले साली छिनाल कुतिया, कितनी बड़ी चुड़ैल है तू, रात को शमु का लंड लिया होगा, और सुबह-सुबह मेरे पास आगयि…
पारो – आअहह… क्या करूँ जेठ जी, उनके छोटे से लंड से मेरी प्यास नही बुझ पाती, और वैसे भी वो जल्दी ही अपना पानी निकालकर हाँफने लगते हैं…
जेठ – हुन्न..हहुऊन्ण…चल ठीक है, हुउन्ण.. ले तू मेरा मूसल ही ले, तेरी जेठानी भी तो साली हुउन्न्ं…एक ही बार में गान्ड फैलाक़े सो जाती है… और फिर मुझे मूठ मारकर सोना पड़ता है..
पारो – हाए राम, मे क्या मर गयी हूँ जेठ जी, जो आप मूठ मारकर सोते हो, इशारा कर दिया करो, आपके लिए कभी मना किया है मेने…!
इस तरह चुदाई के बारे में बातें करते करते वो दोनो अपनी चुदाई में लगे थे,
उधर रोशनदान से गरमा-गरम चुदाई का सीन देख कर रंगीली की हालत खराब होने लगी…!
अब उसे अपने पंजों पर उचक कर रोशनदान पकड़ना भारी होने लगा…, इससे पहले कि उनकी चुदाई का समापन हो पाता, वो वहाँ से निकल ली…
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