RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
कमर को दोनो हाथों के बीच लेकर लाला ने रंगीली को पलटा दिया, और उसके छोटे-छोटे, गोल मटोल नितंबों को सहला कर अपनी मुट्ठी में भींच लिया…
आआहह………मालिक…. दर्द होता है, बोली रंगीली….!
लाला ने फिर से उसे अपनी बाहों में भर लिया… और चारों ओर घूमते हुए, बैठक के चक्कर लगाते हुए खुशी से नाचने लगे…!
रंगीली की सारी हिचक अबतक जा चुकी थी, खिल-खिलाकर वो बोली – मालिक हमें उतारिये, आपको चक्कर आ जाएँगे….!
एक दो चक्कर लगाकर धरम दास उसे अपनी गोद में लेकर गद्दी पर बैठ गये, उनका लंड अपनी पूरी क्षमता के साथ रंगीली की गान्ड के नीचे अटका पड़ा था…
लगता था, जैसे उसने अपने लिए ज़मीन चुनकर उसपर कब्जा जमा रखा हो…!
किसी बच्ची की तरह गोद में बिठाए लाला ने रंगीली के होंठों को चूमते हुए कहा…, आज तुम्हें पाकर हमारी सारी तमन्ना पूरी होगयि…
औरतों के पीछे भागने वाली हमारी दौड़ आज यहीं ख़तम हो गयी.., हम तुमसे वादा करते हैं, आज के बाद तुम्हारे अलावा, किसी दूसरी औरत के पास नही जाएँगे…!
रंगीली – सच मालिक ! आप हमें इतना चाहते हैं, लाला ने हूंम्म करके जबाब दिया तो वो बोली – तो आज के बाद हम भी आपको कभी निराश नही होने देंगे…!
लेकिन वादा करिए, हमारा ये मिलन हमेशा पर्दे में ही रहेगा…!
लाला – हम तुम्हें वचन दे चुके हैं मेरी रानी, ये कहकर लाला ने उसे गद्दी पर लिटा दिया, और उसके माथे से शुरू करते हुए पैरों तक चूमते चले गये…
रंगीली के बदन में सनसनी सी दौड़ रही थी, उसे अपनी सहेली चमेली के शब्द याद आने लगे…
एक बार उपर से नीचे तक चूमने चाटने के बाद उन्होने उसे पलटा दिया…और वो उसके उपर आगये…
लाला ने एक मात्र अपनी धोती को भी निकाल फेंका, अब उनका कोब्रा, पूरी तरह आज़ाद खुली हवा में साँस लेकर खुलकर फुफ्कार रहा था,
इस समय वो अपने लिए बिल की तलाश में लाला के शरीर के साथ साथ इधर से उधर घूम रहा था, लाला ने अस्थाई तौर पर उसे रंगीली की मुलायम केले के तने जैसी जांघों के बीच वाली खाली जगह दे दी…
वो उसकी गर्दन को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़े, पीठ को चूम कर उन्होने उसकी ब्रा के हुक्स को अपने दाँतों में कस लिया, और बिना हाथ की मदद के दाँतों से उसके हुक्स खोल दिए…!
अपने गले और फिर पीठ पर लाला के लिजलिजे होंठों का स्पर्श पाकर रंगीली का बदन थरथरा उठा, वो किसी नागिन की तरह लहरा उठी…,
उन्माद में उसकी आँखें बंद हो चुकी थी, वो बंद आँखों से सोचने लगी, कि काश ये सुख वो अपने पति के साथ अपनी सुहाग सेज पर ले पाती…!
पर ये वक़्त अब ये सब सोचने का नही था, और वो फिर से मस्ती की रेल में हिचकोले खाने लगी…!
लाला ने उसकी कमर को चूमते हुए उसके गोल-गोल नितंबों को सहलाया और कमर के दोनो तरफ उसकी पैंटी की एलास्टिक में अपनी उंगलिया फँसा दी…!
रंगीली के बदन से ये आख़िरी आवरण भी हटने जा रहा था, ये सोचकर उसकी मुनिया ने अपने होंठ कस कर बंद कर लिए, जिससे उसके अंदर की पासीजन इकट्ठा होकर बूँदों के रूप में उसके बंद होंठों से बाहर टपकने लगी…!
लाला ने पैंटी को नीचे करना शुरू किया, रंगीली की कमर अपने आप उपर हो गयी, जो पैंटी को नीचे आने में सहायक सिद्ध हुई…
पैंटी को घुटनो तक लाकर लाला के हाथ उसके नितंबों की गोलाई और पुश्टता देख कर रुक गये, और उन्होने झुक कर उसके नितबो के शिखर को बारी-बारी से चूम लिया…
लाला का मन किया कि इन खरबूजों को चखा जाए, सो उसने हल्के से अपने दाँत उसके नितंब के शिखर पर गढ़ा दिए….
आआययययीीई….काटटू..मत मालिक…,
लाला ने मुस्करा कर उस जगह को जीभ से चाट लिया…, फिर वो उसकी जांघों को चूमते हुए उन्हें सहलाने लगे…
जांघों को सहलाते हुए उनका हाथ बीच में चला गया, और उसकी मुनिया के पास पहुँचते ही वो उसके कामरस से सन गया…!
अनुभवी लाला समझ गये कि रंगीली कितनी गरम हो चुकी है, खुद उनका भी हाल बहाल था, पल-पल कंट्रोल रखना भारी हो रहा था…
लेकिन वो अपने प्रथम मिलन को यादगार बनाना चाहते थे, नही चाहते थे, उन दोनो के मज़े में कोई कमी रह जाए…!
अब उन्होने रंगीली को पलटा कर सीधा कर दिया…, वो कठपुतली की तरह अपनी आँखें बंद किए हुए पड़ी थी…,
उपरवाले की इस असाधारण कारीगरी को लाला कुच्छ देर तक उसके पैरों में बैठे निहारते रहे…, शारीरिक तौर पर रंगीली अभी भी एक कमसिन कली जैसी ही थी…
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