Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 01:44 PM,
#24
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
कभी-कभार जब उसके पति रामू का मन चल जाता, तो वो उसको भी खुश कर देती, लेकिन उससे उसकी मुनिया का भोग भी नही लग पाता…

कहाँ 7” लंबा और 2.5” मोटा लाला का खूँटे जैसा लंड और कहाँ उसके पति रामू की उंगली के बराबर की लुल्ली..,

उसे ऐसा लगता जैसे लाला जी उसकी चूत चाटते वक़्त उंगली कर रहे हों…!

खैर जो भी हो आख़िर वो उसका लाइसेन्स धारी पति था, जिसकी आड़ में वो लाला के लंड के मज़े ले पा रही थी, तो उसका भी फ़र्ज़ था उसको उसके हिस्से की खुशी देने का…

और जैसे भी हो वो ये दोहरी ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रही थी, और साथ साथ में अपने लल्लू पति को थोड़े बहुत गुण भी सिखाने लगी,

जिससे वो कम से कम एक बारगी उसकी प्यास तो बुझा सके…, लेकिन ये अभी तक संभव नही हो पा रहा था…

ऐसे ही एक महीना जाने कब बीत गया, रंगीली को पता ही नही चला, वैसे भी सुख के 100 दिन भी कम लगते है, और दुख का एक पल भी भारी पड़ता है…

और यहाँ तो रंगीली के चारों तरफ सुख की गंगा बह रही थी, लाला ने अपने वादे के मुताबिक किसी दूसरी औरत की तरफ आँख उठा कर भी देखना बंद कर दिया था…

और देखे भी क्यों..? जब उसके आगोश में हर समय एक इंद्रालोक की अप्सरा जो रहती थी, उन दोनो का जब भी मन करता कुछ भी करके अपनी इच्छा पूरी कर ही लेते थे…

अब तो लाला ने बसूली का ज़्यादातर काम मुनीम को ही सौंप रखा था, वो अब खुद लोगों के पास कम ही जाते थे…!

दिन बड़े अमन चैन से कट रहे थे, कि तभी एक दिन वो हुआ जिसकी रंगीली को कोई आशा नही थी……….!

रंगीली अपनी मस्ती में अपने मासिकधर्म (पीरियड्स) को ही भूल गयी थी, भूल क्या गयी थी, बेचारी को कोई अंदाज़ा ही नही था, कि इस बार मासिकधर्म ना आने की क्या वजह है..?

वो तो ये समझ बैठी थी, कि इतनी रोज-रोज की चुदाई के बाद वैसे ही उसके बोर की सफाई हो रही है नही आया होगा, इसलिए उसने इस बात पर गहराई से ध्यान ही नही दिया…

लेकिन एक दिन सुबह ही सुबह उसका जी मिचलाने लगा, तो उसने कुछ घरेलू नुस्खे कर लिए, कुछ चूरन, अजवाइन वग़ैरह खाकर, लेकिन उससे भी कोई फ़ायदा नही हुआ और उल्टियाँ होने लगी,

एक-दो बार तो सोचा कि कब्ज वग़ैरह हो गयी होगी, लाला जी खिलाते भी तो बहुत हैं, सही से पाचन नही हुआ होगा…!

लेकिन वो लगातार हुए जा रही थी, जब ये बात उसकी सास को पता लगी, अनुभवी सास समझ गयी कि उसके बेटे की मेहनत जल्दी ही रंग ले आई… उसे अपने बेटे पर फक्र महसूस होने लगा..

बात पहुँचते-2 लाला के कानों तक भी चली गयी, उनको उसकी चिंता सताने लगी, आज वो काम पर भी तो नही आई थी…

सो उन्होने मुनीम से कहकर अपने काबिल हकीम जी को उसे चेक करने के लिए भेज दिया…!

नब्ज़ पकड़ते ही हकीम जी ने बता दिया कि बहू उम्मीद से (माँ बनने वाली) है..!

हकीम जी की बात सुनकर रंगीली के सर पर मानो गाज गिर पड़ी हो, उसकी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया, जैसे तैसे उसने अपने आपको संभाला…

वो अभी इसके लिए तैयार नही थी, एक तो इतनी कम उम्र में माँ बनना, कैसे निभा पाएगी वो इस ज़िम्मेदारी को…!

दूसरा उसका लाला जी के साथ रोज़ का जो खेल चल रहा था, उसमें रुकावट आ सकती थी..!

अब जो भी हो, लाला जी से बात करके ही वो कोई फ़ैसला लेगी…, सो थोड़ी सी तबीयत सही होते ही वो हवेली पहुँच गयी…!

मिलने को अधीर लाला ने उसे अपनी बाहों में लेकर पुछा - क्या हुआ था तुम्हें रंगीली…?

उसने उन्हें सारी बात बताई, तो वो थोड़े चिंतित होकर बोले – वैसे तुम्हें क्या लगता है, किसका अंश होगा ये…?

उसने चोंक कर लाला की तरफ देखा, उनकी बात उसे अच्छी नही लगी सो थोड़े तल्ख़ लहजे में बोली – क्या मतलव है आपका..?

क्या आप मुझे कोई रंडी या छिनाल समझते हैं, जिसे ये बताना पड़े कि उसके पेट में किसका अंश है…? इतना कहते-कहते उसकी आँखें नम हो गयी..!

लाला अपनी ग़लती का एहसास होते ही फ़ौरन बात संभालते हुए बोले – मेरा कहने का ये मतलव नही था रंगीली…!

तुम हमारे अलावा अपने पति के साथ भी तो सोती होगी, कभी-कभार वो भी तो चुदाई करता ही होगा ना, तो शायद उसका…!

लाला ने जानबूझकर अपना वाक्य अधूरा छ्चोड़ दिया, रंगीली उनकी बात सुनकर मुस्करा उठी और उनके हथियार को हाथ में लेकर बोली –

आपको क्या लगता है, जहाँ तक ये पहुँच जाता है, वहाँ उनकी वो उंगली के बराबर की लुल्ली पहुँच पाती होगी…?

और वैसे भी वो तो मुझे गरम भी नही कर पाते, उससे पहले ही टपक जाते हैं…!

लाला रंगीली की बात सुनकर हँसने लगे और फिर उसके गालों को सहला कर बोले – तो इसका मतलब ये हमारा ही अंश है तुम्हारे पेट में…!

लेकिन अभी तो हमें मिले हुए दो महीने भी नही हुए, इतना जल्दी…!

रंगीली लजा कर बोली – वो हम जब पहली बार आपसे मिले थे, उससे एक हफ्ते पहले ही हमारा मासिक धर्म आया था, शायद वोही ठहर गया…,

लेकिन अब क्या करें हमें तो बड़ा डर लग रहा है धरमजी…!

लाला – इसमें डरने की कोन्सि बात है, तुम किसी की व्यहता हो, तो माँ बनाने में कैसा डर…!

रंगीली – आप समझ नही रहे हैं, बात वो नही है.., अभी हमारी उमर ही क्या है, अभी से एक बच्चे की परवरिश हमसे नही हो पाएगी…

और फिर उसके चलते हम आपके साथ वो सब कैसे…..! शर्म से वो अपनी बात पूरी नही कर सकी…
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