RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाला ने मुस्करा कर उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके कूल्हे जो अब पहले से कुछ भारी होते जारहे थे उनको सहलाते हुए कहा –
तुमसे किसने कह दिया की बच्चे के पेट में रहते हुए चुदाई बंद करनी पड़ती है, बस कुछ दिन एहतियात बरतना होगा…
और एक राज की बात बताऊ, ऐसे समय में तो चुदाई करने में एक अलग सा ही मज़ा आता है…आअहह…पुछो मत…. लाला जी अपना लॉडा मसलकर बोले…
रंगीली खुश होते हुए बोली – सच ! वो सब कर सकते हैं.., बच्चे पर उसका कोई असर नही होगा…?
लाला – बिल्कुल नही.., मेने तो कल्लू के जन्म से एक दिन पहले भी सेठानी की जमकर चुदाई की थी, तो उल्टा उससे प्रसव में और आसानी हो गयी थी…, बस थोड़ा लंड को ज़्यादा अंदर तक नही डालना चाहिए, जिससे बच्चे के शरीर को कोई नुकसान पहुँचे….!
और रही बात हमारे बच्चे के लालन-पालन की, तो हम कुछ भी करके तुम्हें यहीं हवेली में ही रहने के लिए एक कमरा दिलवा देंगे, हम नही चाहते कि हमारे बच्चे की परवरिश उस झोपडे में हो…!
लाला जी की बात सुनकर वो गद-गद हो गयी, और वो उनसे और ज़ोर से कस कर लिपट गयी…, फिर कुछ सोच कर आगे बोली –
लेकिन लाला जी, बच्चे के जन्म के बाद कहीं आप हमें प्यार करना कम तो नही कर देंगे…?
रंगीली का इस तरह चिपकने से लाला जी का लंड अकड़ने लगा था, जो अब उसकी मुनिया के उपरी भाग पर ठोकर लगाने लगा था, लाला ने उसकी गान्ड के नीचे हाथ लगाकर उसे थोड़ा उपर को उचका दिया…
अब उनका नाग ठीक अपने बिल के दरवाजे पर दुस्तक दे रहा था…, उसको और दबाते हुए वो बोले – ऐसा क्यों सोच रही हो तुम, हम तुम्हें वचन दे चुके हैं..
तुम्हारा हमेशा ख़याल रखेंगे, और वैसे भी बच्चा होने के बाद तो औरत और ज़्यादा मस्त भर जाती है, चुदाई करने का मज़ा और दुगना हो जाता है,
अब तुम फालतू बातें सोचना बंद करदो, और आगे से अपनी सेहत के बारे में सोचो, अब जो भी तुम खाओगी, पीओगी, उसका कुछ अंश इस बच्चे को जाने वाला है समझी....
ये कहकर उन्होने उसे अपनी गोद में उठा लिया, और गद्दी पर लिटाकर उसके दिनो-दिन विकसित हो रहे अंगों से खेलने लगे…!
जल्दी ही उनके कपड़े शरीर से जुदा हो गये और वो दोनो अपने परम प्रिय खेल में जुट गये..!
लाला ने उसकी रस बहा रही मुनिया के मूह पर अपना मूह लगा दिया, और उसकी चासनी जो उसकी चूत की फांकों पर आकर जमा होगयि थी उसे अपने जीभ से कुत्ते की तरह चाटने लगे….!
रंगीली कामुक कराह भरते हुए बोली – सस्स्सिईईईईईईईईई…….आअहह… धरम जी…. अब पेलो अपना मूसल इसमें… बहुत खुजली हो रही है……
लाला जी भला अपनी प्रेयशि की बात क्यों टालने लगे, सो उन्होने अपने नाग का फन उसके बिल के द्वार पर रखकर अपनी कमर में एक झटका लगा दिया…
नाग सरसराता हुआ अपने बिल में समाने लगा…, मज़े में आँखें बंद किए रंग्गेली ने भी अपनी कमर को उचका दिया, जिससे रही सही गुंजाइश भी ख़तम हो गयी…
और धपक्क्क्क से लाला की चीकू जैसी गोलियाँ रंगीली की गान्ड से जा टकराई…!
रंगीली के मूह से एक मीठी सी आआहह……निकल गयी, और उसने लाला जी के कंधे में अपने दाँत गढ़ा दिए…!
कुछ देर में बैठक का माहौल ही बदल चुका था, अब वहाँ लोगों के सूद के हिसाब-किताब की जगह रंगीली और लाला के धक्कों की गिनती चालू थी…!
कुच्छ देर बाद लाला जी ने उसे अपने उपर बिठा लिया, और वो लाला जी की सवारी करते हुए उपर से हिचकोले खाती हुई, मस्ती भरी सिसकारियाँ ले रही थी…!
दोनो ही फुल मस्ती में अपने रोज़ के शुग़ल में लगे हुए थे, मानो एक दूसरे को पछाड़ने की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया हो…!
लेकिन दोनो में से कोई भी ये नही चाहता था, कि दूसरा उससे हार जाए…!
15-20 मिनिट के बाद दोनो ही एक दूसरे से हार कर जीत गये…
अब वहाँ पूर्ण शांति च्छा गयी, सिवाय उन दोनो की साँसों के और कुछ सुनाई नही दे रहा था…
दोनो प्रेमी एक दूसरे की बाहों में पड़े अपनी अपनी साँसों की गिनती का हिसाब किताब कर रहे थे…..!
रंगीली के सास ससुर, बहू को उम्मीद से देखकर बड़े ही खुश थे, इस खुशी में उन्होने अपने बेटे को भी शरीक कर लिया…
पहले तो वो ये सुनकर आश्चर्य में पड़ गया, तो उसने इस बात की तस्दीक़ रंगीली से की – उसने शरमाने की जबरदस्त आक्टिंग करते हुए सर हिलाकर हामी भर दी,
रामू को अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था, उसको पता था कि वो जब रंगीली को चोदता है, तो उसके बाद के उसके मनोभावों से उसे महसूस होता है, कि वो उसे संतुष्ट नही कर पाया है…
फिर ये इतना जल्दी उम्मीद से कैसे हो सकती है…, लेकिन जो सच्चाई उसके सामने थी, उसे भी नज़र अंदाज नही किया जा सकता है…!
खैर हसी-खुशी सब अच्छा चल रहा था, लाला जी और रंगीली की नित्य की रासलीला निरंतर जारी थी…, वो अब उसको ऐसे आसनों से चोदने में परहेज़ करते जिनसे उसके बच्चे या उसके पेट पर कोई दुष्प्रभाव हो…!
खाने पीने की तो कोई समस्या ही नही थी, लाला जी उसे वो सब खिलाते जिससे उसका और उसके बच्चे दोनो का समान रूप से विकास हो सके…,
प्रेग्नेन्सी के कुछ महीनों में ही रंगीली के अंगों में अप्रत्याशित रूप से परिवर्तन दिखाई देने लगा, अब उसके कूल्हे जहाँ हाथ लगाने पर भी ब-मुश्किल से हिलते थे, वहीं अब उसके चलने से उनमें थिरकन पैदा होने लगी…
अपने कुल्हों की थिरकन वो खुद भी महसूस करती, और चलते हुए कुच्छ ज़्यादा ही गान्ड मटकाने की कोशिश करती, जिसे देखकर लाला जी का सोया हुआ नाग अंगड़ाई लेकर खड़ा होने लगता…!
चुचियाँ भी दिनो-दिन विकसित होती जा रही थी, और अब वो गदर दशहरी आम जैसी हो गयी थी, जिन्हे लाला जी अपने हाथों में लेकर बड़े प्यार से सहला देते थे..!
5 महीने में ही रंगीली का पेट बाहर निकल आया, लाला ने तिकड़म लगाकर उसे हवेली में ही एक कमरा देकर रहने का इंतेज़ाम कर दिया,
उसके सास-ससुर और पति को भला क्या तकलीफ़ हो सकती थी, जब दयालु हृदय लाला ही उसकी देख भाल करवा रहे हैं तो…
इसी बीच रवि की फसल की बसूली का समय भी आगया था, मुनीम के पुछ्ने पर कि बुधिया और राम लाल के खाते नही मिल रहे मालिक,
तो लाला ने कह दिया कि हमने उनका हिसाब किताब चेक किया था, और पाया कि उनके उपर हमारा अब कुछ वकाया नही रहा, सो हमने खाते बंद कर दिए हैं, अब तुम्हें उनसे बसूली करने की कोई ज़रूरत नही है…
चालू मुनीम फ़ौरन ताड़ गया कि असल माजरा क्या है, लेकिन अपने मालिक से बहस करने का उसकी गान्ड में दम नही था…!
रंगीली ने दरवाजे की ओट से दोनो की बातें सुनी थी, लाला जी की बातें सुनकर वो बहुत खुश हुई, और सोचने लगी कि लाला जी कितना मान रखते हैं उसकी बात का..
मुनीम के जाते ही, वो उनके पास आई, और आते ही उनकी गोद में बैठ गयी…!
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