RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
अभी वो अपने होश ठिकाने भी नही कर पाया था कि वो अपने अनारों को उसके बदन से रगड़ती हुई किसी नागिन की तरह लहराती हुई , उपर को बढ़ने लगी,
अपने मुलायम उभारों को उसकी कठोर छाती से रगड़ते हुए उसके लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी काले बालों के बीच बनी सुरंग के द्वार पर रख लिया…
उसकी सुरंग के वे दोनो दरवाजे अपने आप खुल गये और उसके नाग का फन उसमें समा गया,
सुरंग अंदर से किसी भट्टी की तरह दहक रही थी, उसे अपना लंड पिघलता सा महसूस होने लगा…!
वो युवती धीरे-धीरे अपना वजन रख कर उसके उपर बैठती चली गयी, शंकर को अपना लिंग किसी गरम गहरी और अंधेरी गुफा के अंदर जाता हुआ महसूस हुआ…!
पूरा नाग बिल में जा चुका था, उस युवती की आँखें मज़े के कारण बंद हो गयी, कुछ देर वो यूँही बैठी रही, फिर उसने अपनी आँखें खोल कर उसकी आँखों में झाँका…
और एक मादक स्माइल देकर अपनी मरमरी बाहें उसके गले में डाल दी…!
वो अब उसके उपर एक लयबद्ध तरीक़े से उठ-बैठ रही थी, शंकर को इतना मज़ा आ रहा था, मानो वो कहीं हवा में तैर रहा हो…!
उत्तेजना पल-प्रतिपल अपनी चरम सीमा को पार करती जा रही थी, वो भी अनायास ही अपनी गान्ड को नीचे से उठाकर उसकी सुरंग की था लेने निकल पड़ा…
फिर एक क्षण ऐसा आया कि वो युवती बुरी तरह हाँफती हुई उसके बदन से जोंक की तरह चिपक गयी,
उसी क्षण शंकर को अपने अंदर से कुछ लावा सा तीव्र गति से उबलता सा प्रतीत हुआ और वो उसके लंड के रास्ते किसी पिचकारी की तरह बाहर निकलने लगा…
दे-दनादन अनगिनत राउंड उसकी एके-47 से निकलते चले गये…, जब उसकी पूरी मॅगज़ीन खाली हो गयी तब जाकर उसका लंड शांत हुआ…!
उसका पूरा बदन जैसे हवा में तैरता हुआ ज़मीन पर आ टिका हो, और वो उस युवती के बदन को अपने सीने से चिपकाए यूँ ही पड़ा रह गया….!
शंकर की दिनचर्या : सुवह 4 बजे उठकर वो शौन्च के लिए खेतों में जाता था, वही से 5-6 किमी की दौड़ लगा कर 6 बजे तक हवेली लौटता,
उसके बाद उसकी माँ अपने सामने उससे जमकर कशरत करती, कुछ देर पसीना सूखने के बाद तेल और बेसन से उसके बदन का रगड़-रगड़ कर उबटन करती…
तब तक उसकी छोटी बेहन सलौनी भी स्कूल के लिए तैयार होकर वहाँ आ जाती, और फिर नहा धोकर, नाश्ता वग़ैरह लेकर वो दोनो उसकी साइकल से स्कूल को निकल जाते…,
लेकिन आज साडे 6 बज गये, शंकर का अभी तक कहीं अता-पता नही क्योंकि वो उसे बिना देखे ही रोजमर्रा की तरह अपने काम-काज में लग गयी,
रंगीली उसकी वाट जोह रही थी, वो अपने मन ही मन बुद-बुदाई…
कहाँ चला गया ये लड़का, अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था, आख़िर में वो उसे सोने के कमरे में देखने गयी…!
उसे अभी तक सोता हुया देख कर उसको बहुत गुस्सा आया, और वो पैर पटकती हुई, उसकी चारपाई के पास पहुँची…
अभी वो अपना हाथ बढ़ाकर उसको झकझोर कर उठाना ही चाहती थी, कि तभी उसकी नज़र उसके पाजामे पर पड़ी, जो आगे से बहुत ज़्यादा गीला हो रहा था,
उसके लंड का सुपाडा उस गीलेपन से चिपका हुआ था जो अभी भी किसी बंदूक की नाल की तरह खड़ा ही था…!
उसने सोचा, ये कैसे गीला हो रहा है, लगता है नालयक ने पाजामा में ही पेसाब कर लिया, लेकिन ऐसा पहले तो इसने बचपन में भी कभी नही किया तो आज कैसे…?
ये चेक करने के लिए उसने वहाँ पर अपना हाथ लगाकर देखा, सपने में हुए अत्यंत ही सुखद एहसास के बाद वो सकुन भरी नींद में सो रहा था…
अपनी माँ के हाथ लगाने से उसकी नींद पर तो कोई फरक नही पड़ा, लेकिन उसका लंड झटके मार उठा…, रंगीली ने झटके से अपना हाथ खींच लिया…!
उसकी उंगलियाँ उसके ताज़ा तरीन माल से चिप चिपा गयी, जिन्हें उसने अपनी नाक से लगाकर सूँघा,
अपने बेटे की पहली मलाई की खुश्बू से वो मदहोश हो उठी, वो टक टॅकी लगाए उसके उठे हुए लंड और उस गीलेपन को देखने लगी,
उसकी अपनी चूत में चीटियाँ सी काटने लगी, और वो दो मिनिट में ही गीली हो गयी,
वो समझ गयी, कि अब उसका बेटा जवान हो रहा है, इसको रोकना मुश्किल है, लेकिन उसने जो फ़ैसला लिया था उसके चलते वो उसका ग़लत उपयोग नही होने दे सकती…!
वो सोचने लगी, कि अगर अभी इसे सही और ग़लत में फ़र्क करना नही बताया, और यूँ ही इसे जबरदस्त अपने पर काबू रखने के लिए रोकती रही, तो ये कभी भी ग़लत राह पर जा सकता है,
हो सकता है वो मुझसे झूठ बोलने लगे, और वो करने लगे जो उसे अच्छा लगता है…
तो अब इसे कैसे सब कुछ समझाऊ..? इसे समझाने के लिए मुझे ही कुछ करना होगा, लेकिन अपने बेटे के साथ वो एक सीमा तक ही जा सकती थी,
अब तक वो जो करती आ रही थी वोही अब दोनो को ग़लत लगने लगा था..,
इसलिए उसने वो सब बंद कर दिया था, तो अब उसे कुछ सिखाने के लिए या उसकी उत्सुकता को शांत करने के लिए तो मुझे और आगे तक बढ़ना पड़ेगा…!
अपनी इन्ही सोचों में गुम उसकी नज़र एक बार फिर अपने बेटे के पाजामे पर चली गयी,
वो ये देखकर हैरान हो गयी कि सोते हुए भी उसका लंड ठुमके से लगा रहा था…!
अपने बेटे के लंड की मालिश बंद किए उसे 6-8 महीने से भी ज़्यादा समय हो गया था, तब भी उसके मतवाले हथियार को देख कर वो गरम हो जाती थी, फिर अब तो वो कुछ और ही दमदार हो गया होगा…!
सोचकर ही उसकी मुनिया रस छोड़ने लगी, और स्वतः ही उसका हाथ अपनी जाघो के बीच चला गया, उसने लहंगे के उपर से ही उसे कस कर मसल दिया…!
अपने बेटे के हथियार की ताज़ा जानकारी लेने की लालसा ने उसे उसके पास जाने पर मजबूर कर दिया, वो उसकी चारपाई के किनारे पैर लटकाकर बैठ गयी…!
किसी स्वचालित मशीन की तरह उसकी उंगलियों ने उसके नाडे की गाँठ खोल दी, बड़ी सावधानी से उसके पाजामे को नीचे करके उसने उसके लंड को बाहर कर लिया.
लंड अभी भी पूरी तरह चिप-चिपा रहा था, आहिस्ता से उसने उसके टोपे पर लगी मलाई को अपनी उंगली पर लिया, अपनी नाक के पास लाकर उसे सूँघा,
आहह…. पहली धार की मलाई की खुशुबू सूंघ कर वो रोमांचित हो उठी, उसके ताज़ा-ताज़ा वीर्य से किसी कस्तूरी के समान उठती तरंगें उसके मन मस्तिष्क पर छा गयी, और उसने वो उंगली अपने मुँह में डाल ली…!
आअहह…उउउम्म्मन्णनचह…. क्या मस्त स्वाद है मेरे बेटे के वीर्य का, वो उंगली को ऐसे चूसने लगी मानो वो उसके लंड को ही चूस रही हो…!
इस एहसास के होते ही उसके उपर वासना हावी होने लगी, उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण पड़ने लगी, और उसकी गर्दन अपने आप नीचे को झुकती चली गयी…!
शंकर का लंड सीधा छत की तरह सिर उठाए तन्कर खड़ा था, बिना किसी सहारे के, रंगीली ने बिना हाथ लगाए उसके सुपाडे के चारों ओर अपने जीभ से चाट लिया…!
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