RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उसे अपनी गान्ड मटकाते हुए जाते देखकर वाकी के मजदूर रामू के नसीब पर रस्क करते हुए अपने अपने काम में लग गये…!
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उधर स्कूल में आज शंकर का पढ़ने में बिल्कुल भी मन नही लगा, किताब को खोलते ही लेटर्स की जगह उसे वो सपने वाला दृश्य बार बार उसकी आँखों के सामने आ जाता…!
उसकी परिकल्पना करते ही उसका लंड थुनक कर पाजामे के अंदर तंबू बनाकर खड़ा हो जाता, वो उसे बार-बार नीचे को दबाकर बिठाने की कोशिश करता,
लेकिन बजाय बैठने के वो और ज़्यादा तन्तनाने लगता, दबाते-दबाते उसके लंड में ऐंठन सी होने लगी, उसका मन करने लगा कि यहीं क्लास में ही इसे बाहर निकल कर खूब ज़ोर ज़ोर्से हिलाए..
उसके साथ वाली ब्रेंच पर बैठी उसकी क्लास की एक लड़की उसकी ये गति विधियाँ गौर से देख रही थी, उसके लंड को ठुमकते हुए देख देख कर और फिर उसे मसल कर बिठाने की कोशिश कर रहे शंकर को देख कर उसकी मुनिया में चुनचुनी सी होने लगी..
उसने च्चिि…चिि.. करके शंकर का ध्यान अपनी तरफ खींचा,
जैसे ही उसने उस लड़की की तरफ देखा, उसे अपने लंड की तरफ ताकते देख वो बुरी तरह झेंप गया, और एक के उपर दूसरी टाँग चढ़ाकर उसने उसे दोनो टाँगों के बीच दबाकर उसका गला घोंट दिया…!
उस लड़की ने शंकर को दिखाकर अपनी चूत को खुज़ाया और अपनी नशीली आवाज़ में फुसफुसा कर बोली – क्यों गला घोंट रहा है बेचारे का, तू कहे तो मे कुछ मदद करूँ…!
शंकर ने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया, और किताब खोलकर पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करने लगा…!
वो लड़की मन ही मन मुस्कराते हुए बोली – बेचारा ब्रह्मचारी…,
शंकर को आज अपनी माँ पर बहुत गुस्सा आरहा था, क्यों उसने अभी तक उसको अंडरवेर पहनने को नही दिया था…!
कम से कम पाजामा के नीचे अंडरवेर होता तो वो इतना परेशान नही होता जितना अभी हो रहा था, उसे अपने खड़े लंड को छिपाना बहुत मुश्किल हो रहा था…!
जैसे तैसे स्कूल का समय पूरा करके शंकर अपने स्कूल बॅग को आगे रखकर सीधा स्कूल के पीछे की झाड़ियों की तरफ भागा, उसने पाजामा खोलकर मूत की धार मारी, तब जाकर उसे कुछ शांति मिली…
फिर जैसे ही गेट की तरफ आया, सलौनी खड़ी उसका इंतेज़ार कर रही थी…,
उसे आगे बिठाकर वो वहाँ से चल दिया, अपने पीछे उसे कुछ लड़कियों की
खिल-खिलाने की आवाज़ सुनाई दी, उन्हें अनसुना करके उसने साइकल में पेडल मार दिए…!
थोड़ा आगे चलते ही रास्ते में लोगों की भीड़ दिखाई दी, उत्सुकता बस वो दोनो भी उस भीड़ को देख कर खड़े हो गये…
भीड़ के बीचो बीच घेरे के अंदर सबका ध्यान था, मानो कोई मदारी खेल दिखा रहा हो और आस-पास खड़े लोग उसका आनंद ले रहे हों,
ऐसा ही कुछ सोच कर वो दोनो बेहन भाई भी खड़े हो गये और बीच में क्या हो रहा है ये देखने की कोशिश करने लगे,
लागों के पीछे से सलौनी को तो कुछ दिखा नही, लकिन अच्छी लंबाई की वजह से शंकर की नज़र अंदर के नज़ारे पर पड़ गयी…!
अंदर का सीन देख कर उसकी आँखें चौड़ी हो गयी, गुस्से से शरीर थर-थर काँपने लगा,
सलौनी साइकल पकड़, इतना कहकर उसने साइकल अपनी छोटी बेहन को थमायी और वो लोगों की भीड़ को हटाता हुआ अंदर घुसता चला गया…..,
कल्लू और उसके दो दोस्त, शराब के नशे में धुत्त बाइक पर सवार, रास्ते चलती हुई कॉलेज की लड़कियों को छेड़ रहे थे,
एक लड़की ने उनका विरोध करते हुए उनमें से एक के गाल पर चाटा जड़ दिया, नतीजा कल्लू ने अपनी बाइक टिकाई और वो तीनों उन लड़कियों के साथ बदतमीज़ी करते हुए छेड़खानी करने लगे…
इतने में वहाँ उनके ही कॉलेज के कुछ लड़के आ गये, उन्होने कल्लू और उसके दोस्तों के साथ झगड़ा करना शुरू कर दिया,
कल्लू नशे में तो था ही, उन लड़कों को उल्टी सीधी माँ-बेहन की गालियाँ देने लगा, उनमें से एक ने जो कुछ तगड़ा सा भी था उसका गला पकड़ लिया, इस पर कल्लू ने उसके थोबडे पर एक मुक्का जड़ दिया…!
फिर क्या था, उन 5-6 लड़कों ने उनकी धुनाई शुरू करदी, कल्लू के वो दोनो गान्डु यार अपनी दुम दबाकर खिसक लिए, और उन लड़कों ने चूतिया कल्लू को वही ज़मीन पर पटक कर दे लात दे घूँसा बना दिया भूत…
इतने में वहाँ शंकर आ पहुँचा, कल्लू को इस तरह पीटते देख उसके तन बदन में आग भर गयी, अपनी बेहन को साइकल थमाकर वो भीड़ में घुसता चला गया…
पीछे से सलौनी चिल्लाति ही रह गयी, अरे भैया सुन तो, क्या हुआ..? कहाँ जा रहा है…?
लेकिन उसकी आवाज़ सुनने के लिए अब शंकर वहाँ नही था, जाते ही उसने दो-तीन लड़कों को पीछे से पकड़ कर कल्लू से दूर धकेला और चिल्लाते हुए बोला –
क्यों मार रहे हो कल्लू भैया को, छोड़ो इन्हें…!
जबतक शंकर वहाँ पहुँचा तब तक उन 5-6 लड़कों ने मार-मार कर कल्लू का कचूमर बना दिया था, वो किसी पिलपिले कद्दू की तरह ज़मीन पर पड़ा लात घूँसे खा रहा था…
अगर इस समय वो शराब के नशे में नही होता तो शायद इतनी मार झेल भी नही पाता…,
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