Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 01:47 PM,
#40
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
वो लड़के कल्लू को छोड़ कर शंकर से बोले – तू बीच से हट जा लौन्डे, आज इस मादरचोद को सबक सिखा कर ही मानेंगे…,

शंकर – लेकिन इन्होने किया क्या है, क्यों मार रहे सब लोग..?

एक लड़का – ये साला अपने दारुबाज़ दोस्तों के साथ मिलकर हमारे कॉलेज की लड़कियों को छेड़ता है, जब लड़की ने विरोध किया तो उसके साथ बदतमीज़ी करने लगा…!

इतना कहकर वो उसे फिर से मारने दौड़े, तब तक शंकर उनके बीच आकर खड़ा हो गया, और बोला – अब बस करो बहुत पीट लिया तुम लोगों ने, अब और नही…

लड़का – तू रोकेगा लौन्डे हमें, जा जाकर अपनी माँ की गोद में बैठकर उसका दूध पी, अभी तेरी उमर नही है इन सब बातों के लिए…!

ये कहते हुए वो लोग जैसे ही कल्लू को मारने लपके, शंकर ने उनमें से दो लड़कों के गले पकड़ कर एक एक हाथ से ही उपर उठा लिया और अपने से दूर उछाल दिया…!

अब उन लड़कों को समझ में आया, जिसे वो दूध पीता बच्चा समझ रहे थे वो कोई साधारण लड़का नही है, सो वो सब एक साथ मिलकर उसके उपर टूट पड़े…!

शंकर ने भी उल्टे-सीधे अपने लात घूँसे जैसे भी उसको समझ आया चलाने लगा, सिर्फ़ अपना बचाव करने के लिए…

लेकिन जिसके भी उसका हथौड़े जैसा हाथ पड़ जाता, वो फिर पलट कर वार करने की स्थिति में जल्दी से नही आ पाता…

चाँद मिनटों में ही शंकर ने उन्हें नानी याद दिला दी, जब वो सब उससे अलग हुए तो उसने कल्लू की तरफ ध्यान दिया,

अभी वो उसे उठाने ही वाला था कि उनमें से एक लड़के ने पीछे से आकर उसकी पीठ में अपने दाँत गढ़ा दिए,

वो दर्द से बिल-बिल्लाकर सीधा खड़ा हुआ ही था क़ी दूसरे ने आगे से आकर उसकी जाँघ में अपने दाँत गढ़ा दिए,

दो तरफ़ा के दर्द को किसी तरह सहन करते हुए उसने सामने वाले लड़के जो उसकी जाँघ को काट रहा था, उसके दोनो कानों को पकड़कर उसे अपनी जाँघ से अलग किया.

उसके बाद दूसरे को पीछे हाथ करके उसके बाल पकड़ कर पीठ से अलग करते हुए सामने लाया, और फिर दोनो की मुन्डी आपस में दे मारी…!

फडाक की आवाज़ के साथ ही उन दोनो लड़कों की खोपडियाँ फट गयी, और उनमें से खून बहने लगा…!

उन्हें दूर फेंक कर अपने दर्द पर काबू करते हुए शंकर ने एक हुंकार भरी, और अपने तमतमाए सुर्ख चेहरे को लेकर वो उन लड़कों की तरफ दहाडा…

आओ हरम्जादो, आओ लडो मुझसे हरमियों पीछे से काटते क्यों हो.. सालो…, हिम्मत है तो सामने से लडो…

उसके इस रौद्र रूप को देख कर वहाँ खड़ी तमाम भीड़ भी एक बारगी ख़ौफ़ में आ गई, उसके चेहरे से आग सी बरस रही थी जिसे देखकर वो लड़के डर के मारे वहाँ से दुम दबाकर भाग लिए…!

शंकर ने कल्लू को किसी अनाज के बोरे की तरह अपनी बाहों में उठा लिया, और भीड़ को चीरता हुआ अपनी बेहन सलौनी की तरफ बढ़ गया…!

तभी भीड़ से एक आवाज़ आई - इस ताक़त का सही इस्तेमाल कर बेटा…, ऐसे नीच आदमी को बचाकर कोई अच्छा काम नही किया है तूने…!

उसने मुड़कर उस आवाज़ वाले आदमी की तरफ देखा, वो एक 60-65 साल का बुजुर्ग था,

उसे घूरते हुए शंकर ने कहा – मुझे अच्छे बुरे की पहचान नही है बाबा…

मेने बस अपने मालिक की रक्षा करके अपना फ़र्ज़ निभाया है, इतना कहकर वो उसे लेकर अपनी साइकल के पास पहुँचा…

कल्लू की हालत ऐसी नही थी कि उसे साइकल पर आसानी से बिठाया जा सकता हो, बाइक उसे चलानी आती नही थी, सो उसे उसने वहीं छोड़ा, फिर जैसे तैसे कल्लू को साइकल के कॅरियर पर बिठाया,

उसके शरीर को सलौनी की रस्सी कूदने वाली डोरी से अपने शरीर के साथ बँधा, और बेहन को आगे बिठाकर वो अपने गाओं की तरफ चल दिया….!

हवेली में कदम रखते ही सेठानी ने अपने लाड़ले कल्लू की हालत देख कर कोहराम मचाना शुरू कर दिया, आवाज़ सुनकर लाला जी भी चौक में आ गये,

साइकल से खोलकर कल्लू को चारपाई पर लिटा दिया, मुँह से शराब की गंध आरहि थी सो किसी को ये बताने की ज़रूरत ही नही पड़ी कि ये सब शराब के कारण हुआ है…

लेकिन सेठानी ने शंकर को कोसने का एक भी मौका नही छोड़ा, और वो उसे बुरा भला कहने लगी, कल्लू की इस हालत का ज़िम्मेदार सीधा सीधा उसने उसे ठहरा दिया…!

शंकर बेचारा नीचे गर्दन किए हुए खड़ा रहा, लेकिन उसने अपनी सफाई में एक शब्द भी नही कहा…!

लाला जी उसके पास आए और उन्होने उसके कंधे पर हाथ रखकर उससे पुछा – तू बता शंकर असल बात क्या है…?

सेठानी – उससे क्या पुछते हो, वो तो अपने आप को बचाने के लिए कोई भी कहानी गढ़ेगा ही, मे पुछति हूँ इसने कल्लू पर हाथ उठाया तो उठाया कैसे…?

लाला जी – तुम थोड़ा शांत रहो भगवान, आज अपने बेटे की हालत की तुम खुद ज़िम्मेदार हो, तुमने इसे इतनी छूट दे दी कि ये अपना अच्छा बुरा सब कुछ भूल गया है…

हां शंकर बता बेटा क्या हुआ था… ? शंकर ने अपना सिर उठाकर सेठ जी की तरफ देखा…!

अभी वो कुछ कहता कि उससे पहले सेठानी हाथ नचाते हुए बोली –

आहहहाहा…बेटा..! वो बेटा हो गया, अपने बेटे से तो कभी इतने प्यार से बात नही की, दोष मुझे मढ़ दिया…!

तुम अपनी ज़ुबान बंद रखो पार्वती, वरना हमसे बुरा कोई नही होगा…

हमें पता तो चले कि असल माजरा क्या है, बिना सोचे समझे तुम उसपर कैसे दोष मढ़ सकती हो…!

सेठानी के द्वारा कहे गये कटु शब्द सुनकर शंकर की आँखों में पानी आ गया,

उसने दबदबाई आखों से अपनी माँ की तरफ देखा जो इस आस से चुप-चाप खड़ी थी कि भगवान करे इसमें उसके बेटे का कोई दोष ना हो…….!

शंकर सेठ धरम दस के आगे हाथ जोड़े हुए अपनी गर्दन झुकाए खड़ा था…,

लाला जी ने फिर पुच्छा..

बता शंकर क्या हुआ है कल्लू के साथ.., किसने मारा है इसे और क्यों..?

इससे पहले कि शंकर कुछ बोलता, रंगीली के पास खड़ी सलौनी बोल पड़ी –

ये कुछ नही कहेगा मालिक, क्योंकि ये तो आपका पालतू है, मे बताती हूँ क्या हुआ था कल्लू भैया के साथ…!

रंगीली ने अपनी बेटी को डाँटते हुए कहा – ये तू किस तरह से बात कर रही है मालिक से, अपने बड़ों से इस तरह बात करते हैं..?

लाला जी – कोई बात नही रंगीली बच्ची है, बोलने दो उसे, हां बता बेटा तू ही बता, लगता है इसके मुँह में तो ज़ुबान ही नही है…

सलौनी घटना को विस्तार से बताने लगी –

भरे बाज़ार में कल्लू भैया और इनके दो दोस्तों ने शराब के नशे में कॉलेज की लड़कियों के साथ छेड़खानी की, उनके साथ बदतमीज़ी की…,

फिर उसने सारा वृतांत ज्यों का त्यों बयान कर दिया, सेठ की आँखें सलौनी के मुँह से ये सब सुनकर नम हो गयी, उसकी माँ रंगीली का सिर अपने बेटे की बहादुरी सुनकर गर्व से उँचा हो गया…!

सेठ जी ने शंकर के सिर पर प्यार से हाथ रख कर उसे आशीर्वाद देते हुए कहा –

जीता रह बेटे, आज तूने साबित कर दिया कि तू इस घर का सेवक नही रक्षक है.., तूने इस नालयक की जान बचाकर बहुत बड़ा काम किया है…!

फिर वो अपनी झगड़ालू पत्नी को संबोधित करते हुए बोले -

देखा पार्वती, इसे कहते हैं स्वामी भक्ति, ये जानते हुए कि तेरे इस नालयक बेटे ने भरे बाज़ार में कितनी नीच और गिरी हुई हरकत की है, उसके बबजूद भी वो इसे बचाकर यहाँ लाया है…!

अगर वो चाहता तो भीड़ की तरह ही वो भी खड़े-खड़े तमाशा देख सकता था, और यूँ ही इसको वहीं पड़ा छोड़ आता, तब किसे दोष देती तुम…?

वजाय उसका अहसान मानने के हर समय उसे कोसना बंद करो…, और कोशिश करो अपने बेटे को समझाने की,

ऐसा ना हो कि इसकी गंदी हरकतों की वजह से एक दिन हमारा इलाक़े में निकलना ही मुश्किल हो जाए…!

तभी रंगीली की नज़र शंकर की पीठ पर लगे खून के धब्बों पर पड़ी,

माँ का दिल तड़प उठा, दौड़कर वो उसके पास गयी और उससे पुछा – ये खून कैसा शंकर…?

कुछ नही माँ, उन हरामजादो ने मुझे काट खाया है, फिर जब रंगीली ने उसकी कमीज़ उठाकर देखी, तब उसका घाव दिखाई दिया जो काफ़ी ज़्यादा जगह का मास कुचल सा गया था दाँतों के काटने से…!

लाला – हम अभी हाक़िम को बुला कर इन दोनो की दवा दारू का इंतेज़ाम करते हैं, तुम शंकर को ले जाओ रंगीली और इसके बदन को सॉफ करो…

रंगीली – इसे हाक़िम की ज़रूरत नही है मालिक, हम अपने घरेलू इलाज़ कर लेंगे, आप कल्लू भैया को सम्भालो, ये बात उसने सेठानी को देख कर कही, जबाब में सेठानी ने अपना मुँह बीसूर कर उउउन्न्ह…ही किया…!

लेकिन सेठानी के अलावा और चार आखें ऐसी थी, जिनमें शंकर के प्रति अलग-अलग तरह के भाव थे, कहीं कृतघनता के तो कहीं वासना पूर्ति के…!

हाक़िम जी कल्लू की मलम पट्टी करके चले गये, लेकिन उसको चोटें अंदर से लगी थी, जो कुछ दिन कसकने वाली थी…

लाला जी ने हाक़िम जी को शंकर की मलम पट्टी के लिए भी कहा लेकिन रंगीली ने उन्हें मना कर दिया, और अपने बेटे को अपने नौकरों वाले कमरे में ले गयी…!

आते ही उसने अपने बेटे को कलेजे से लगा लिया, और उसके माथे को चूमकर बोली –
शाबाश मेरे शेर, ऐसे ही अपने हौसले और ताक़त के दम पर इस परिवार को अपने अहसानों के नीचे दबाना है तुझे…!

आज अंजाने में ही सही तूने अपनी माँ को उसकी मंज़िल की एक सीढ़ी और चढ़ा दिया है…!

शंकर – ये तू क्या बोल रही है माँ, मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा…?

रंगीली – सब समझ जाएगा मेरे लाल, समय आने दे तुझे सब समझा दूँगी…. ला मुझे दिखा तो कहाँ कहाँ चोट लगी है तुझे…!

फिर उसने उसकी कमीज़ उतार कर गुनगुने पानी से उसका धूल-धूसीर शरीर सॉफ किया, और उसके पीठ के घाव पर सरसों का तेल लगाकर हल्दी लगाकर पट्टी बाँध दी,

हल्दी से उसके घाव में जलन होने लगी, जब उसने अपनी माँ से शिकायत की तो वो बोली – इतनी सी जलन सहन नही हो रही तुझे,

तेरी माँ का दिल तो बुरी तरह ज़ख्मी हुआ पड़ा है, सोच उसे कितनी जलन होती होगी.., ये कहकर उसकी आँखें भीग गयी…!

वो अवाक अपनी माँ की अन्सुझि वेदना को समझने की कोशिश करता हुआ बोला – अपने बेटे को अपने गमों के बारे में कुछ नही बताएगी तू…?

रंगीली – तू अभी बच्चा है मेरे लाल, मेने कहा ना बस समय का इंतेज़ार कर, और कहाँ चोट लगी है तुझे ये बता…!

शंकर ने झिझकते हुए अपनी जाँघ की तरफ इशारा किया, तो रंगीली उसका पाजामा उतरवाने लगी,
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