RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाजो ने अपने ससुर के पैर छुने के लिए जैसे ही अपने हाथ आगे किए, उसका आँचल धलक गया, चौड़े गले से उसके 34” की गोरी-गोरी मोटी चुचियाँ कसे हुए ब्लाउस से बाहर को छलक पड़ी…
दोनो आमों के बीच की खाई पर नज़र पड़ते ही, लाला का लंड धोती में सिर उठाने लगा, उन्होने अपनी टाँगें जान बूझकर फैला रखी थी,
लाजो हिल-हिलकर उनकी पिंदलियों तक अपने मुलायम हाथों से पैर अच्छे से दबाते हुए छू रही थी…, जिससे उसकी भारी-भरकम छातियों का उपरी भाग भी हिलोरे लेने लगा…!
लाला के लंड को ज़्यादा सबर नही हुआ, और वो जल्दी ही खड़ा होकर उनकी धोती से मुँह चमकाने लगा,
अपने ससुर के शानदार लंड के दर्शन मात्र से ही लाजो की चूत गीली होने लगी, वो मन ही मन सोचने लगी, रंगीली काकी ठीक ही कहती थी, इनका हथियार मुझे ज़रूर ग्याभन कर देगा…!
वो जान बूझ कर ज़्यादा देर तक उनके पैर दबाती रही…, फिर लाला ने उसके सिर पर आशीर्वाद स्वरूप हाथ फेरा, और उसकी पीठ सहलाते हुए उसके कंधे पकड़ कर बोले…
बस करो बेटा, अब बहुत हुआ, खुश रहो, भगवान करे चाँद सा टुकड़ा जल्दी ही तुम्हारी गोद में खेले…!
ससुर के ये शब्द सुनते ही उसने जानबूझकर एक लंबी सी हिचकी ली,
उसके होंठ इस तरह काँपने लगे, मानो वो किसी गम में हो और अपनी रुलाई को रोकने की कोशिश कर रही हो……!
लाला ने उसके कंधे सहलाते हुए कहा – अरे बहू क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो ?..., हमने कुछ ग़लत कह दिया क्या…?
लाजो बिना कोई जबाब दिए ज़ोर ज़ोर्से सुबकने लगी…, लाला ने उसी पोज़िशन में उसके कंधे पकड़ कर अपनी ओर खींचा, और उसे अपने सीने से सटाते हुए बोले –
क्या पार्वती ने कुछ कहा तुमसे, हमें बताओ बहू, क्या बात है…?
लाला के अपनी ओर खींचने से उसके मोटे-मोटे मुलायम दशहरी आम उनकी छाती से जा लगे, और उनका आधा खड़ा जंग बहादुर उसकी रामप्यारी के नीचे सेट हो गया…!
लाजो ने अपनी रुलाई को और तेज करते हुए अपने ससुर की पीठ पर अपनी बाहें कस दी…और उनके गले से लग कर रोने लगी…!
लाला का लंड उसकी गान्ड और चूत के बीच वाले रिस्ट्रिक्टेड एरिया में अपने जलवे बिखेर रहा था, बहू की चूत की गर्मी पाकर वो अपने पूरे शबाब में आने लगा था..
लाजो ऐसे कड़क लंड को अपनी चूत और गान्ड के बीच महसूस करके गन्गना उठी, उसकी प्यासी चूत में मानो ज्वालामुखी फट पड़ा हो, वो किसी भट्टी के मानिंद दहक उठी…
उसकी प्यासी चूत गीली हो उठी और जल्दी ही उसमें से टप-तप रस टपक कर उसकी पैंटी को गीला करने लगी…
लाला के हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे, जब उनकी उंगलिया उसकी ब्रा की स्ट्रीप से टकराई, तो वो उनसे और ज़ोर्से चिपक गयी…!
एक हाथ से पीठ सहलाते हुए, दूसरे हाथ को उसकी नंगी कमर पर रखकर लाला बोले – कुछ बताओगी भी बहू बात क्या है, ऐसे क्यों रो रही हो…!
लाजो सुबक्ते हुए बोली – व.वो..वो…आपने चाँद से टुकड़े को गोद में खेलने वाली बात कही ना…
लाला – हां.. हां.. तो क्या तुम नही चाहती, कि इस घर में एक नन्हा मुन्ना वारिस आए, और वो तुम्हारी गोद में खेले…!
लाजो – हम तो बहुत चाहते हैं पिताजी…पर…, उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी..
लाला – पर..! पर क्या बहू.., क्या कल्लू तुमसे प्यार नही करता..? क्या वो तुम्हारे पास नही आता..?
लाजो – वो बात नही है… वो तो आते भी हैं, और प्यार भी करते हैं.., पर…
लाला जी – तो फिर क्या बात है बहू, साफ-साफ कहो बेटा, देखो हम तुम्हारे पिता समान हैं, हमसे कुछ मत छिपाओ, बोलो फिर क्या बात है…!
लाजो – कैसे कहें, हमें बहुत शर्म आरहि है, बोलते हुए…!
लाला – शरमाओ नही बहू, खुल कर कहो…
लाजो – वो..वो..कुछ कर नही पाते हैं…!
लाला – क्या..???? क्या कहा तुमने..? कल्लू तुम्हें चो… मतलब बिस्तर पर खुश नही कर पाता…?
अपने सुसर के मुँह से आधा अधूरा शब्द सुनकर उसके कान गरम हो गये…
वो वासना में नहाई हुई आवाज़ में उनके बालों भरे चौड़े सीने को सहलाते हुए बोली –
हां पिताजी, हम सारी रात अपने बदन की आग में जलते रहते हैं, और वो शराब के नसे में दो मिनिट में अपना ….. छोड़ कर.. हाँफने लगते हैं, और सो जाते हैं…
अब बताइए, हम कैसे आपकी इच्छा पूरी करें…?
अपनी बहू के खुले शब्दों में स्वीकार करने के बाद, कि उनका बेटा किसी काम का नही है, वो उसके कूल्हे पर अपना हाथ ले जाकर उसे सहलाते हुए बोले – तो अब तुम क्या चाहती हो बहू..?
हमें माफ़ करदो, बिना अपने बेटे की कमज़ोरी जाने हम तुम्हें ब्याहकर इस घर में ले आए, इस आस में कि शायद तुम वो खुशी दे सको जो बड़ी बहू नही दे पाई…
खैर अब तुम बोलो, क्या चाहती हो, चाहो तो इस घर से जा सकती हो, हम तुम्हारी दूसरी शादी किसी अच्छे घर में करवा देंगे…!
लाजो – हम तो इसी घर में रहना चाहते हैं, पर किसी तरह इस घर को वारिस दे पायें, बस यही इच्छा है…!
लाला अब अपना हाथ उसकी गान्ड की दरार तक ले आए थे, उसमें अपनी उंगली से सहलाते हुए बोले – तुम चाहो तो हम कोशिश कर सकते हैं, बोलो लोगि हमारा बीज़…
वो उनके चौड़े सीने में अपनी मोटी-मोटी चुचियों को दबाते हुए बोली – इस घर की खुशी के लिए हम कुछ भी करने को तैयार हैं पिताजी…!
उसके मुँह से ये सुनते ही लाला की बान्छे खिल उठी, वो सोचने लगे, कि रंगीली की तरक़ीब तो बड़ा जल्दी काम कर गयी, लगता है उसने पहले से ही इसको भी ऐसा ही कुछ पाठ पढ़ाकर भेजा है…
वो मन ही मन उसे दाद देते हुए बुद्बुदाये… वाह.. मेरी जान, मान गये तुम्हें, क्या चाल चली है…!
उन्होने उसके कंधे पकड़कर उसे अपने सीने से अलग किया, और अपने हाथों को उसकी चुचियों पर ले जाकर उसकी आँखों में देखते हुए बोले – हमसे संबंध बनाने में तुम्हें कोई एतराज तो नही बेटा…?
लाजो ने अपने मुँह से जबाब देने की वजाय, अपने लाल-लाल लिपीसटिक से पुते होंठों को ससुर के होंठों से जोड़ दिया, लाला के हाथ उसकी चुचियों पर कसते चले गये…
दरवाजे से आँख और कान सटाये खड़ी रंगीली ये देख कर मन ही मन मुस्करा उठी, वो तो सोच रही थी, कि एक-दो दिन में वो इन दोनो को पास ले आएगी,
पर यहाँ तो कुछ मिनटों में ही 20-20 मॅच शुरू होने लगा था…! लगता है साली नंबरी छिनाल औरत है ये…!
लाला ने अपनी बहू को वहीं गद्दी पर लिटा दिया, उसके ब्लाउस के बटन खोलते हुए बोले -
एक बार और सोचलो बहू, अगर तुम्हारा दिल गवाही ना दे रहा हो तो, जा सकती हो…
वो अपने ससुर के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली – आअहह… ससुरजी, अब इस हथियार को छोड़ कर कहाँ जाउ, हो सकता है यही मेरी कोख हरी कर्दे,
लाला उसकी चुचियों को नंगा करके उन्हें मसल्ते हुए बोले – तुम बहुत समझदार हो बहू, बस अब तुम देखती जाओ, कितनी जल्दी तुम्हारी गोद हरी-भरी करते हैं हम..
ये कहकर उन्होने उसकी साड़ी को कमर तक चढ़ा दिया, पैंटी के उपर से से उसकी गीली चूत को सहलाते हुए बोले…
आअहह…बहू तुम तो पूरी गीली हो रही हो..,
लाजो ने अपने ससुर ले लौडे को मुठियाते हुए कहा – ससिईइ…ससुरजी, आपका ये मतवाला हथियार देखते ही ये आँसू बहाने लगी…, अब डाल दो इसे इसमें…
लाला ने उसकी पैंटी भी निकाल दी और अपने लौडे पर थूक लगाकर बहू की रसीली सुरंग में अपना गरम लॉडा सरका दिया…
चुदैल बहू, अपनी आँखें बंद करके सिसकारी लेती हुई पूरा लॉडा बड़े आराम से अपनी सुरंग में ले गयी…!
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