RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने ये काम अपनी माँ के प्रति श्रद्धा जताने हेतु किया, वो अपनी माँ के पैर चूमकर आगे बढ़ना चाहता था…
लेकिन रंगीली के लिए ये अनुभव घातक सिद्ध हुआ, उसके पूरे शरीर में पैरों से लेकर छोटी तक एक करेंट की लहर सी दौड़ गयी…
सस्सिईईई….आअहह…ये क्या किया मेरे लाल…, मेरा बदन सुलग उठा है, अब देर मत कर बेटा, अपनी माँ की चूत में अपना लंड डाल कर चोद डाल निगोडे…!
बना ले अपनी प्रेमिका मुझे… ये कहकर उसने खुद ही अपनी टाँगों को खोलकर उसे रास्ता दे दिया…!
शंकर उसकी बाल विहीन मक्खन जैसी चिकनी टाँगों को सहलाते हुए उपर की तरफ बढ़ा, जहाँ पैरों के खुलने से उसकी चूत की फाकें खुलकर उसके लंड को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी…
उसने अपनी माँ की चूत को एक हथेली से सहलाया, फिर उसके होंठों को खोलकर जैसे ही उसके अंदुरूनी गुलाबी रंग के गुलकंद जैसे भाग को देखा,
उससे सबर नही हुआ और जांघों के नीचे हाथ डालकर उसकी चूत को अपने मुँह से लगाकर चाट लिया……
आहह…सस्सिईइ…शन्करा…मेरे लाल, चूस ले अपनी माँ की चूत… चाट इसे, बहुत सताती है निगोडी मुझे.., शांत कर्दे बेटा इसकी गर्मी…!
शंकर उसके फूले हुए होंठों को उपर से ही चाट रहा था, रंगीली अपनी चुचियों को अपने ही हाथों में लेकर उन्हें मसल्ते हुए बोली…
इसकी दरार को खोलकर अंदर अपनी जीभ से चाट निगोडे.., असली रस का खजाना तो इसके अंदर है…!
अपनी माँ की वासना से ओत-प्रोत आवाज़ मे लिपटे हुए शब्द सुनकर उसने अपने हाथों के अंगूठे उसकी यौनी के होंठों पर टिकाए और उन्हें विपरीत दिशा में फैला कर खोला…!
आअहह…क्या गुलाबी चूत थी उसकी माँ की, उसने फ़ौरन अपनी जीभ उसके गुलकंद के पिटारे में डाल कर उसे नीचे से उपर तक चाट लिया…!
अपने बेटे की खुरदूरी जीभ का घर्षण अपनी कोमल चूत की अन्द्रुनि दीवारों पर पाकर रंगीली बुरी तरह सिसक पड़ी…!
सस्स्सिईईईईईईईई………आआहह……..मीरररीई…लाअलल्ल्ल….घुसा दे अपनी जीब अंदर तक…उउउफफफ्फ़…. आअहह…थोड़ा उपर चूस…, देख एक चोंच जैसी होगी…
शंकर मुँह चूत से लगाए हुए ही, उसने अपनी माँ की तरफ देखा.., और आँख के इशारे से बताया कि हां दिखा..,
रंगीली – आअहह…बस उसे अपने दाँतों में दबा के चूस ले, बहुत रस निकलेगा उससे....,
शंकर ने ऐसा ही किया, उसके भज्नासे को दाँतों में दबाते ही रंगीली की कमर उपर उठने लगी.., आहह…सस्सिईई… नीचे छेद में अपनी उंगली डाल दे…
हाईए…हहानन्न…रामम…मार्रीि…उउउहह…गायईयीईई…………,
ये कहते हुए उसने अपनी कमर हवा में लहरा दी, उसकी पीठ धनुष के आकर में मुड़ती चली गयी, अपना सिर बिस्तर पर टिकाए वो बुरी तरह से झड़ने लगी…
शंकर अपनी माँ की चूत का खट्टा-मीठा जूस पीता रहा.., जब वो पूरी तरह से झड गयी, तो ऑटोमॅटिकली उसकी पीठ बिस्तर पे लॅंड हो गयी,
अब वो अपनी आँखें बंद किए पूरी तरह शांत पड़ी थी, शंकर अपने होंठों पर जीभ फिरा कर कामरस को चाटने के बाद माँ के अगले आदेश का इंतेज़ार करने लगा…!
कुछ देर तक वो अपनी माँ के खूबसूरत बदन को निहारता रहा, जब कुछ देर तक उसके शरीर में कोई हलचल नही हुई तो वो मन ही मन सोचने लगा, कहीं माँ उसे चूतिया बनाकर सो तो नही गयी…!
ये सोचकर वो उसके उपर झुकता हुआ उसके होंठों पर जा पहुँचा और अपने भीगे होंठों को रंगीली के होंठों पर रख दिया…!
उसने झट से अपनी आँखें खोल दी, और अपने बेटे को बुरी तरह अपने बदन के साथ कस लिया, उसके चुंबन का जबाब देकर बोली – कैसा लगा अपनी माँ का रस..?,
ये कहकर वो खुद ही शरमा गयी…
बहुत टेस्टी था माँ, पर अब मे क्या करूँ, ये मेरा लॉडा मुझे चैन से बैठने नही दे रहा,
अपने बेटे की मासूमियत से भरी बात सुनकर रंगीली मुस्करा उठी, और उसके मूसल जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी गीली चूत की फांकों पर घिसते हुए बोली –
तो डाल ना इसे अपनी माँ की चूत में, कोई ताला तो नही लगा दिया ना मेने, ये कहकर उसने अपनी दोनो टाँगें उपर करके अपने पैर उसकी कमर के दोनो तरफ रख दिए..
फिर उसके लंड को अपने हाथ से पकड़कर उसके गरमा-गरम सुपाडे को दो-चार बार अपनी गीली चूत के उपर घुमाया, और फिर ठीक चूत के छेद पर उसे भिड़ाकर बोली…
देख बेटा अब मेने तो अपना काम कर दिया है, तेरे लंड को उसका रास्ता दिखा दिया, अब आगे की मंज़िल तो तुझे ही तय करनी है…
अब धीरे से धक्का लगा दे, शाबास… धीरे से मेरे लाल, ज़ोर्से नही, तेरे जितना मोटा लंड अभी तक नही लिया मेने अपनी चूत में.. ठीक है..
शंकर ने हां में गर्दन हिलाकर अपनी कमर में हल्की सी जुम्बिश दी, जिससे उसके लंड का सुपाडा उसकी माँ की चूत में अच्छे से सेट हो गया…,
लंड के सुपाडे को गीली गरम चूत में जाते ही शंकर की मज़े में आँखें बंद हो गयी, और वो उसी अवस्था में लंड डाले अपनी माँ के गले से चिपक गया…..!
लंड का सुपाडा अंदर जाते ही रंगीली की चूत की फाँकें बुरी तरह फैल गयी, मोटा टमाटर जैसा सुपाडा उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो उसकी चूत के मुँह को कॉर्क का ढक्कन लगा कर सील कर दिया हो…
उसकी चूत अंदर ही अंदर कुलबुलाने लगी…, उसकी फाँकें बुरी तरह से लंड के टोपे को जकड़े हुए थी,
लेकिन बहुत देर तक शंकर को यौंही पड़ा देख कर वो सिसकते हुए बोली –
अब यूँही पड़ा रहेगा निगोडे या कुछ करेगा भी …, आअहह…बेटा..अब और मत सता अपनी माँ को, डाल भी दे अपना मूसल जैसा लंड अपनी माँ की चूत के अंदर…,
ये कहकर उसने खुद ही अपने पैरों की केँची उसकी गान्ड पर डालकर उसे अपनी तरफ खींचा.., उसका सुपाडा माँ की सुरंग में समाया हुआ ही था…!
उसकी कमर को अपने पैरों में कसते हुए बोली - आअहह….सस्सिईइ…अब कस कर धक्का लगा दे मेरे राजा बेटा..…और बन जा मादरचोद…!
अपनी माँ की तड़प देख कर, उसकी कामुकता से भरी बातें सुनते ही, अनादि शंकर ने एक ताक़त से भरपूर धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
आआईयईईईईईईईईईईईई….एक साथ दोनो की ही चीखें निकल पड़ी, कड़क डंडे जैसा लंड रंगीली की चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी में जा घुसा…!
अब जाके रंगीली को पता चला कि उसके बेटे के लंड में क्या ख़ासियत है…, दो बच्चे पैदा करने के बाद भी उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े…,
बिस्तर की चादर को मुत्ठियों में जकड़कर दर्द से बिल-बिला उठी वो…!
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