RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लेकिन शंकर का लंड अभी भी ढीला नही हुआ था, चूत में डाले हुए ही वो फिर से तुनकने लगा…,
उसने उसे हिलाने की कोशिश की, लेकिन वो तो 3 बार अपना पानी फेंक कर गहरी नींद में डूब चुकी थी…
बेचारे को थक-हार कर अपना खड़ा लंड चूत से बाहर निकालना ही पड़ा.., और अपनी मा के गाल पर एक किस करके लॉडा हाथ में लेकर सोने की कोशिश करने लगा…!
एक दिन सलौनी किसी काम से अपनी दादी के पास ही रुक गयी, फिर भी रंगीली ने शंकर को अकेले ही गौरी के साथ खेलने के लिए भेज दिया…
वो और सुषमा दोनो उसके घर में गौरी के साथ खेल रहे थे…,
ये कोई छुआ-च्छुई का खेल था, गौरी की बारी थी उन दोनो में से किसी एक को छुने की, पहले उसने शंकर को छुने की कोशिश की लेकिन वो हाथ नही आया..
फिर वो अपनी माँ को छुने के लिए लपकी, उससे बचने के लिए वो झटके से पीछे को मूडी, सामने पलग था, सो झपट कर पलंग पर चढ़ गयी…
उसी आपा-धापी में पलंग से नीचे उसने जंप लगाई, क्योंकि गौरी उसके पीछे ही थी, उसी चक्कर में उसकी पीठ में झटका सा लगा…
वो अपनी पीठ पकड़ कर वहीं बैठ गयी और कराहने लगी…, शंकर लपक कर उसके पास आया और बोला – क्या हुआ भाभी, चोट लगी क्या..?
सुषमा कराह कर बोली – हाँ भैया, लगता है झटके से मेरी पीठ चटख गयी…
वो उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा, और उसका एक बाजू अपने कंधे पर रख कर बोला – चलो मेरे सहारे पलंग तक चलो, फिर मे माँ को भेजता हूँ, वो कुछ ना कुछ ज़रूर करेगी…!
वो कराह कर बोली – आअहह…मेरे से खड़ा नही हुआ जा रहा.., मुझे गोद में लेकर पलंग तक ले चलो…!
शंकर ने सकुचा कर उसकी तरफ देखा, वो कराहते हुए फिर बोली – आअहह…क्या सोच रहे हो, ले चलो मुझे…म्माआ…आहह…
शंकर ने उसकी पीड़ा समझकर उसे गोद में उठा लिया, सुषमा ने अपनी बाहें उसके गले में लपेट दी, और अपनी गदर रस से भरी चुचियों को उसके सीने में दबाते हुए लिपट गयी…!
चुचियों के मखमली एहसास से उसका लंड खड़ा होने लगा, जिसे सुषमा ने अपनी गान्ड के नीचे महसूस किया, और वो भी उत्तेजित होने लगी…!
बिस्तर पर लिटाकर उसने सुषमा से कहा – आप थोडा आराम करो भाभी, मे अभी माँ को भेजता हूँ, वो आकर आपकी मालिश कर देगी तो आप जल्दी ठीक हो जाओगी, इतना बोलकर वो वहाँ से जाने के लिए उठा…!
सुषमा ने फ़ौरन उसकी कलाई थाम ली, और बोली – गौरी चली जाएगी काकी को बुलाने, तुम यहीं रहो मेरे पास, मुझे बहुत दर्द है पीठ में, आअहह… ज़रा तबतक तुम ही सहला दो…प्लीज़…!
फिर उसने गौरी से कहा – बेटा ज़रा रंगीली काकी से बोल माँ को पीठ में दर्द हो रहा है, शंकर काका उनके पास हैं…!
अपनी माँ की बात सुनकर गौरी दौड़ती हुई रंगीली को बताने चल दी, और वो खुद बिस्तर पर औंधे मुँह लेट गयी……!
गौरी के जाते ही सुषमा ने शंकर से कहा – ज़रा दरवाजा बंद करदो शंकर,
शंकर ने चोंक कर कहा – क्यों भाभी…
सुषमा – अरे बुद्धू, तुम मेरी पीठ की मालिश करोगे, इस बीच कोई आ गया तो खम्खा कुछ ग़लत-सलत सोचेगा..,
उसने जाकर दरवाजा बंद किया, इतने में सुषमा ने अपने ब्लाउस के हुक खोल दिए और अपनी साड़ी को ढीला करके पेटिकोट के नाडे को भी खोल दिया…
जब वो गेट बंद करके लौटा तो सुषमा ने औंधे मुँह लेटे हुए ही फिर कहा – अब देखो तो ज़रा वहाँ ड्रेसिंग टेबल पर मूव रखा होगा, वो ले आओ तो…!
शंकर वहाँ से मूव की ट्यूब ले आया, तो वो फिर बोली – अब ज़रा इसमें से थोडा-थोड़ा अपनी उंगलियों पर लेकर मेरी कमर और पीठ पर मलो…!
शंकर कुछ देर तक असमंजस में खड़ा रहा, उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि वो सुषमा के बदन पर मालिश करे, जब कुछ देर तक उसने शुरू नही किया तो वो कराह कर बोली…
अब खड़े क्यों हो शंकर, जल्दी से मेरी पीठ की मालिश करो आअहह…बहुत दर्द है, मेरी पीठ फटी जा रही है दर्द के मारे…माआ….!
उसने हिचकिचाते हुए सुषमा की सारी को पीठ से अलग किया, पिच्छवाड़े से उसके गोरे चिट्टे बदन की बनबत देखकर उसके शरीर में कंप-कपि सी होने लगी…!
उपर से नीचे तक उसकी पतली कमर किसी शंकु के आकर में जिसके बीचो-बीच रीड की गहरी नाली सी…,
उसके बाद उपर को खूब उभरे हुए उसके कूल्हे, दो चट्टानों जैसे जो साड़ी में कसे हुए किसी का भी लंड खड़ा करदें…
अपनी माँ के अलावा अभी तक उसने किसी और स्त्री के बदन को छुआ तक नही था, सो दर्र और उत्तेजना के मारे उसका शरीर काँपने लगा,
हिम्मत जुटाकर उसने थोड़ा सा ट्यूब अपनी उंगलियों पर लिया, और अपने घुटने टेक कर उसके बगल में बैठ गया…
काँपते हाथों से उसने जैसे ही सुषमा की पीठ को छुआ, दोनो के ही शरीर में बिजली के करेंट की तरह एक लहर सी दौड़ गयी...,
शंकर अपनी उंगलियों के पोर से उसकी पीठ पर हल्के हाथ से मूव को मलने लगा, ठंडी-ठंडी मूव क्रीम जिसमें थोड़ी चुन-चुनाहट सी सुषमा को हो रही थी,
वो सिसकते हुए बोली – सस्सिईई…आअहह…शंकर भैया, थोड़ा ज़ोर्से मलो ना, क्या लड़कियों के जैसे हाथ चला रहे हो, और थोड़ा उपर तक मालिश करदो…
शंकर उसकी बात मानकर अपने पूरे हाथ की हथेली से उसकी मालिश करने लगा, वो कराह कर बोली – आअहह…हां ऐसे ही, अब थोड़ा उपर तक भी…
शंकर – लेकिन भाभी, उपर तो आपका ब्लाउस है…
सुषमा – आहह…अपना हाथ तो डालो अंदर…, चला जाएगा वो, जी कड़ा करके शंकर ने जैसे ही अपना हाथ उपर को सरकाया,
उसकी उंगलियाँ और फिर पूरा हाथ ब्लाउस के अंदर घुसता चला गया, शंकर फ़ौरन समझ गया कि आगे से इसके हुक्स खुले हुए हैं..
अंदर हाथ जाते ही उसकी उंगलियाँ जैसे ही उसकी ब्रा की स्ट्रीप से टकराई…, दोनो की ही साँसें तेज हो गयी…, वो कुछ देर उसके आस-पास ही मालिश करने लगा..,
सुषमा एक कामुक भरी आहह.. लेकर बोली – आअहह…शंकर, भैयाअ…मेरी ब्रा के हुक खोलकर पूरी पीठ पर मूव मलो ना…!
उसके मुँह से ब्रा के हुक खोलने की बात सुनते ही शंकर का लंड उसके पाजामे में झटके मारने लगा, उसका मुँह कानों तक लाल हो गया..., हुक पर उसके हाथ बुरी तरह से काँप रहे थे…
उसकी इस मनोदशा को बिस्तर में मुँह छुपाये सुषमा बड़ी अच्छी तरह समझ रही थी, वो खुद उसके हाथों के स्पर्श से बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, नीचे उसकी चूत गीली होने लगी थी…
जैसे तैसे करके शंकर ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए, और अब वो थोडा सा ट्यूब लेकर उसकी पूरी पीठ पर मालिश कर रहा था……………!
उधर गौरी जब रंगीली के पास पहुँची, और उसको बताया जो उसकी माँ ने कहने के लिए बोला था,
वो मुस्करा उठी, और उसको अपनी गोद में लेकर बोली – तुम चिंता ना करो बिटिया रानी, वहाँ शंकर काका हैं ना, वो मम्मी को बिल्कुल ठीक कर देंगे..!
चलो अपन लोग सलौनी के पास चलते हैं उसके घर, चलोगि ना…
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