RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उसका लंड आधे घंटे से अपने लिए सुरंग की तलाश में बाबला सा होकर बुरी तरह से किसी घोड़ा पछाड़ नाग की तरह लहरा रहा था…
उसके चारों तरफ लंबी और मोटी मोटी नसें उभर आई थी…, देखने से ही वो किसी लोहे की रोड जैसा सख़्त लग रहा था…
उसकी कठोरता की एक झलक पाते ही सुषमा को झूर-झूरी सी आ गयी…वो सिसक कर बोली – अब डाल दो इसे आराम से, और ना सताओ राजा…!
सुषमा का इतना कहना ही था कि उसने उसकी फांकों को खोलकर अपने सुपाडे को उसके छोटे से छेद पर रखा और एक तीव्र झटका अपनी कमर में लगा दिया…!
आआईयईई……..म्म्माआआआआअ………माररर्ररर…गाइ.. रीईईईईई…,
शंकर ने फ़ौरन अपनी हथेली उसके मुँह पर जमा दी, वरना कुछ ही पलों में वो पूरी हवेली को इकट्ठा कर लेती उस कमरे में…!
उसका आधा लंड ही अंदर गया था अभी, लेकिन सालों पहले बेटी को जन्म देने के बाद इतनी बड़ी चीज़ चूत में कभी गयी ही नही थी, उसका छेद सिकुड़कर छोटा हो गया था,
आज एक तगड़े झटके से शंकर के खूँटे ने उसकी चूत को चीर कर रख दिया था…!
उसकी आँखों में पानी आ गया, वो इशारों से ही उसको रुकने के लिए मिन्नतें करने लगी, शंकर ने उसके मुँह से अपना हाथ हटाया, तो वो कराहते हुए शिकायत भरे स्वर में बोली –
हाए रीए….बहुत निर्दयी हो तुम्म…आराम से नही कर सकते थे, मेरी जान ही निकाल दी तुमने तो..,
शंकर – मेने सोचा आप एक बेटी की माँ हो तो इतना तो झेल ही लोगि…!
सुषमा कराहते हुए बोली – बेटी को पैदा हुए सालों हो गये, अब ये तुम्हारा सोट जैसा मूसल, इसने फाड़के रख दी मेरी छोटी सी मुनिया....,
शंकर – क्यों कल्लू भैया नही चोदते क्या आपको…?
सुषमा – उनकी उंगली जैसी लुल्ली से क्या फरक पड़ता है.., पता भी नही चलता है गीली चूत में कुछ जा भी रहा है या नही..
शंकर – कोई बात नही, अगर आपको मेरा लंड लेने में ज़्यादा तकलीफ़ हो रही है तो मे निकाल लेता हूँ इसे, आप किसी छोटे लंड से ही चुदवा लेना….,
इतना कहकर वो अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकालने लगा……..!
सुषमा ने फ़ौरन अपने हाथ उसकी पीठ पर कस लिए और बोली – मेने आराम से डालने को कहा था राजा जी इसे निकालने को नही,
और तुम क्या मुझे रंडी समझते हो जो किसी से भी चुदवा लूँगी…हां ! तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो,
मे तुम्हें अपना दिल दे चुकी हूँ इसलिए तुम्हारा अंश अपनी कोख में चाहती हूँ.... अब करो धीरे-धीरे प्लीज़……..,
शंकर ने अपने लौडे को बड़े आराम से सुपाडे तक बाहर खींचा, कसी हुई चूत की अन्द्रुनि स्किन भी उसके साथ बाहर को खिचने लगी…,
ऐसा लग रहा था मानो सुषमा की चूत अपने प्रियतम से जुदा ही नही होना चाहती हो…, बाहर को निकालते हुए भी उसकी कराह निकल गयी…
उसने जल्दी ही फिर से एक हल्का सा धक्का लगा दिया, लंड अपनी पहली मंज़िल से दो इंच और आगे तक सरक गया, वो फिर कराह उठी लेकिन इस बार उसने कोई प्रतिरोध नही किया..
एक-दो प्रयासों के बाद शंकर का पूरा लंड सुषमा की कसी हुई चूत में समा गया, कुछ देर वो एक दूसरे से बस यौंही चिपके पड़े रहे, एक दूसरे के बदन को सहलाते रहे..!
पूरा लंड अंदर पहुँचते ही शंकर ने सुषमा की एक टाँग को उसके सीने से सटा दिया, और फिर फर्स्ट गियर डालकर गाड़ी को आगे बढ़ाया,
इस पोज़िशन में उसका लंड सुषमा को और ज़्यादा गहराई में एकदम उसकी बच्चे दानी के अंदर तक जाता महसूस हुआ..,
उसने कस कर बिस्तर की चादर को अपनी मुत्ठियों में जाकड़ लिया और अपने होंठों को भींचकर दर्द को पीने की कोशिश करने लगी…
कुछ देर शंकर ने गाड़ी को फर्स्ट गियर में ही चलाया, फिर जब देखा कि अब वो उसे सहन कर पा रही है उसने गियर चेंज किए, दूसरा, तीसरा और फिर चौथा, आख़िर में टॉप गियर डालकर जैसे ही उसने एग्ज़िलेटर दिया…
सुषमा की मर्सिडीज का एंजिन घन-घानकर पानी माँगने लगा, वो चक्कर्घिन्नि होकर 5 मिनिट में ही भल-बला कर पानी फेंकने लगी…!
लेकिन 5 मिनिट में तो शंकर का पिस्टन रबां भी नही हो पाया था, सो उसकी रस से लबालब चूत में अपने करार धक्कों की बरसात करता ही रहा…
फुच्च..फुच्च..करके उसकी चूत का सारा पानी कुछ धक्कों में ही बाहर आ गया, जिससे अब उसकी चूत सूखने लगी,
कसी हुई सुखी चूत में शंकर के मूसल के धक्कों ने सुषमा को फिर से करहने पर मजबूर कर दिया, उसकी चूत में जलन सी होने लगी…!
वो उसके सीने पर अपनी हथेली जमाकर कराहते हुए बोली – आअहह…थोड़ा रूको शंकर, मेरी चूत में जलन हो रही है, देखो ना कैसा जकड लिया है तुम्हारे लंड को इसकी फांकों ने…
शंकर ने अपना लंड बाहर खींच लिया, और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे घोड़ी बना दिया,
फिर पीछे से उसकी गोल-गोल, गद्देदार गान्ड के पाटों पर थपकी देकर उनके बीच अपना मुँह डालकर उसकी गान्ड के छेद को अपनी जीभ से कुरेदने लगा,
गान्ड के छेद का करेंट सीधा उसकी चूत में लगा और वो फिर से गीली होने लगी, कुछ देर उसकी गान्ड और चूत को चाट कर उसने पीछे से ही अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया…!
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