Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 01:53 PM,
#72
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
आगे से लहंगे को उपर चढ़ाकर वो अपनी चूत को उपर से ही अपनी उंगलियों से रगड़ने लगी…, पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी..,

उसकी बंद आँखों में शंकर की छवि घूमने लगी, उसे अपनी उंगलियाँ उसका लंड लग रही थी, ना जाने कब उसका एक हाथ चोली के अंदर चला गया, और वो अपनी कच्चे अनार जैसी चुचियों को मसल्ने लगी…

सस्सिईइ…आअहह…पेल्ल्ल…रीए….लल्ली के मुँह से लंबी-लंबी सिसकियाँ निकालने लगी, उसकी कुँवारी कच्ची मुनिया गरम होकर भाप छोड़ने लगी…

अब उसकी एक उंगली चूत के अंदर सरक चुकी थी, जिसे वो आधी लंबाई से ज़्यादा नही ले पाई, उतनी ही अंदर बाहर करते हुए अपनी गान्ड मटकाती जा रही थी वो…!

चूतरस टपक-टपक कर लहंगे को गीला करने लगा, फिर एक साथ वो इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी कि अपनी चुचि को पूरे ज़ोर्से से मसल डाला और अपनी दो उंगलियाँ एक साथ जड़ तक अपनी चूत में पेल दी…

उसके मुँह से दबी दबी सी चीख उबल पड़ी एक दर्द की तेज लहर उसके पूरे बदन में दौड़ गयी, वासना की आग में लल्ली ने अपने ही हाथ से अपनी सील तोड़ डाली…

उसकी उंगलियाँ खून से लाल हो गयी, लेकिन उसे इस बात का कोई होश नही था, जल्दी ही वो अपने दर्द को भूल गयी और उंगलियों की गति बढ़ा दी, कुछ ही देर में उसकी मुनिया ने ढेर सारा पानी उडेल दिया…!

लल्ली ने झड़ने के बाद राहत की साँस ली, और वो आँखें बंद किए हुए कुछ देर सकुन से बैठी रही, अभी भी उसका एक हाथ चूत की फांकों पर था जो अब धीरे-धीरे उन्हें सहला रहा था…

और दूसरा हाथ उसकी चुचि पर…, जब पूरी तरह से उसकी साँसें संयत हुई तब एक लंबी साँस लेकर उसने अपनी आँखें खोली…,

आँखें खोलकर जैसे ही उसने अपने सामने देखा, वो चाबी से चलने वाले खिलौने की तरह एकदम से खड़ी हो गयी…,

अपने सामने शांत मुस्कराते हुए खड़े शंकर को देख कर वो सकपका गयी और शर्म से अपनी नज़रें झुका ली.

शंकर ने उसे कुछ नही कहा और मुस्कुराता हुआ वहाँ से चल दिया…, अभी वो कुछ कदम ही चला था कि पीछे से दौड़कर लल्ली ने उसकी बाजू थाम ली…!

शंकर ने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा, वो उसका बाजू छोड़कर झट से उसके पैरों में पड़ गयी और गिड-गिडाते हुए बोली….!

भैया प्लीज़ ये बात किसी से मत कहना वरना मे किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहूंगी, मेरे अम्मा-बापू मुझे मार डालेंगे…!

शंकर ने उसके कंधे पकड़ कर उठाया, वो उससे नज़र नही मिला पा रही थी, फिर भी उसने उसकी थोड़ी के नीचे हाथ लगाकर उसका चेहरा उपर किया और बोला…

क्यों ! किसी को मुँह क्यों नही दिखा पाएगी तू ? माँ-बापू क्यों मार डालेंगे तुझे…? ऐसा क्या जुर्म किया है तूने..?

लल्ली – नही..वऊू..वउूओ..मे..अभी..मे..वू…जो तुमने देखा…वो..

शंकर – क्या..मे..मे..वो..वऊू….? तूने कोई चोरी की है, किसी के यहाँ डाका डाला है..? अरे ये तेरी अपनी निजी जिंदगी की इक्षाएँ हैं, इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है…

तू चिंता मत कर वैसे मे किसी को कुछ बताने वाला नही हूँ, फिर भी मे तो कहूँगा कि तूने कोई ग़लत काम नही किया है,

इस उमर में सबकी इच्छायें होती हैं, सभी करते भी हैं ये सब, इसमें उन्होनी जैसी क्या बात है…!

शंकर की बातें सुनकर लल्ली आँखें फाडे उसे देखती रह गयी, वो सोचने लगी की शंकर कितना भला लड़का है, दूसरा कोई होता तो इस बात का फ़ायदा उठाने की कोशिश करता..

ये भी हो सकता था, कि वो उसे यहीं पटक कर चोद डालता और वो कुछ नही कर पाती, लेकिन इसने तो उसे ही सही ठहराया है…

शंकर ने उसके कंधे पकड़ कर झकझोरा और बोला – ऐसे आँखें फाडे क्या देख रही है, चल अब घर चलते हैं.. या अभी मन नही भरा तेरा.. ये कहकर वो खुद ही हँसने लगा…

लल्ली उसकी ये बात सुनकर बुरी तरह से झेंप गयी.., फिर ना जाने उसके मन में क्या आया कि वो उसके सीने से लिपट कर रोने लगी…!

तुम कितने अच्छे हो शंकर भैया.., तुम्हारी जगह कोई और होता तो वो कमीना अब तक मेरे साथ ना जाने क्या…..सू..श्यूयू…ससुउउद्द…

मे तुम्हारे बारे में कितना ग़लत सोचती थी…, चिि..मे कितनी गंदी हूँ.., सोचकर ही मुझे अपने आप पर घिंन आ रही है…!

शंकर उसकी पीठ सहलकर उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था, उसके बाद के शब्द सुनकर उसने उसे अपने से अलग किया और उसके चेहरे पर नज़र गढ़ा कर बोला..

अरे हां लल्ली, उस दिन तूने मेरे बारे में ऐसा क्या ग़लत कहा था सलौनी से जो वो तुझे मारने दौड़ पड़ी…!

लल्ली ने फ़ौरन अपनी नज़र नीचे कर ली और पैर के अंगूठे से ज़मीन को कुरेदने लगी.., शंकर ने उसका चेहरा उपर उठाकर फिर से पुछा…

बता ना क्या बोला था..,

लल्ली उससे नज़रें नही मिला पा रही थी, हिचकिचाते हुए बोली –
सॉरी भैया मे..वो..मे..तुम्हें नही बता सकती.., तुमने सलौनी से ही क्यों नही पुच्छ लिया..?

शंकर ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा – ठीक है, मत बता… अब मे भी आज की बात सबको बता दूँगा…, ये कहकर उसने चलने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए…!

लल्ली ने फ़ौरन उसकी कौली भर ली और उसके सीने में अपना मुँह छुपाकर बोली – मुझे बताने में शर्म आ रही है.., प्लीज़ फिर कभी पुच्छ लेना…!
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